मॉम... मॉम... मैं जा रही हूं। मेरे सभी दोस्त मेरा इंतजार कर रहे होंगे। मीनू ने अपने बैग में अपना सामान रखते हुए तनुजा से कहा। अरे बेटा पर ये नाश्ता तो करते जाओ। पता नहीं तुम लोग कब पहुंचोगे और कब कुछ खा पाओगे। तनुजा ने किचिन से निकलते हुए मीनू से कहा। नहीं मॉम मैं वैसे भी बहुत लेट हो गई हूं। नाश्ता करने के चक्कर में और देर हो जाएगी और फिर मानसी मुझे इतना सुनाएगी कि मेरा मूड ही ऑफ हो जाएगा। मीनू ने एक सेंडविच उठाते हुए कहा। वैसे कौन जा रहा है तुम्हारे साथ ? तनुजा ने पूछा। मैं हूं, मानसी है, साहिल, अशोक, राघव और शीतल। मीनू न सेंडविच खाते हुए नाम गिनाए और बाहर को दौड़ लगा दी। ठीक है पर कब तक आओगे ये तो बता दो ? तनुजा ने भागती मीनू के पीछे जाते हुए कहा। दो या तीन दिन का ट्रिप है मॉम। जल्दी ही आ जाएंगे, आप चिंता मत करना। मीनू घर के मुख्य दरवाजे से बाहर निकलते हुए तनुजा की आंखों से ओझल हो गई। हे भगवान ये लड़की भी ना किसी तूफान मेल से कम नहीं है। जब जाना था तो थोड़ा जल्दी उठ जाती। जाना भी है और नींद भी पूरी करना है। फिर मेरे लिए हाय तौबा मचा गई। तनुजा धीरे-धीरे बुदबुदाते हुए फिर किचिन में पहुंच गई थी।
Full Novel
हॉरर मैराथन - 1
भाग 1 मॉम... मॉम... मैं जा रही हूं। मेरे सभी दोस्त मेरा इंतजार कर रहे होंगे। मीनू ने अपने में अपना सामान रखते हुए तनुजा से कहा। अरे बेटा पर ये नाश्ता तो करते जाओ। पता नहीं तुम लोग कब पहुंचोगे और कब कुछ खा पाओगे। तनुजा ने किचिन से निकलते हुए मीनू से कहा। नहीं मॉम मैं वैसे भी बहुत लेट हो गई हूं। नाश्ता करने के चक्कर में और देर हो जाएगी और फिर मानसी मुझे इतना सुनाएगी कि मेरा मूड ही ऑफ हो जाएगा। मीनू ने एक सेंडविच उठाते हुए कहा। वैसे कौन जा रहा है ...Read More
हॉरर मैराथन - 2
भाग 2 माधव और खुशी की हाल ही में शादी हुई हैं। दोनों एक ही संस्थान में कार्यरत थे काम के सिलसिले में हुई एक मीटिंग में दोनों की मुलाकात हुई, जो दोस्ती से शुरू हुई और बाद में जीवन के सफर में हमसफर बन जाने तक मुकम्मल हुई। खुशी के माता-पिता माधव को पसन्द नहीं करते थे इसलिए दोनों ने परिवार के खिलाफ जाकर कोर्ट में शादी कर ली। अब दोनों का एक ही सपना हैं खुद का घर। खुशी परियों की कहानियां सुनकर बढ़ी हुई, इसलिए आज भी उसकी दुनिया उसके सपने लड़कपन की तरह ही थे। ...Read More
हॉरर मैराथन - 3
भाग 3 खुशी मैं तुम्हारी पड़ोसन हूं। दरवाजा खुला था इसलिए सीधे तुम्हारे पास चली आई। तुम भी मेरी अकेली रहती हो, इसलिए सोचा तुम्हें कंपनी दे दूँ। वैसे भी ऐसे समय तुम्हें यूं उदास नहीं रहना चाहिए। बच्चे की सेहत पर असर पड़ता हैं। खुशी को उनका चेहरा जाना पहचाना सा लगा। पर याद नहीं आ रहा था कि उन्हें कहां देखा है। अब तो रोज माधव के जाते ही खुशी की पड़ोसन आ जाती और माधव के घर आने के थोड़ी देर पहले ही चली जाती। खुशी भी अब पहले की तरह दिखने लगी वह खुश रहती ...Read More
हॉरर मैराथन - 4
भाग 4 मधुमिता की बचपन से ही इतिहास और पुरातत्व विषय में रुचि रहीं। रुचि की वजह मधुमिता के थे। मधुमिता के दादा विष्णुधर दुबे पुरातत्व विभाग में कार्यरत थे और हमेशा मधुमिता को ऐतिहासिक कहानियों, महलों या खुदाई से मिली चीजों के बारे में किस्से सुनाया करते। मधुमिता भी बहुत चाव से उनको सुनती। दादा और पोती दोनों की ही पसन्द एक जैसी थी। जब तक दादा जी जीवित थे तब तक घर में यूनिक और एन्टीक चीजों का संग्रह हुआ करता था। बाद में यह कार्य मधुमिता करने लगीं। दोनों के इस शौक ने घर को किसी ...Read More
हॉरर मैराथन - 5
भाग 5 तो क्या उस शीशे में सच में कोई भूत है या कृष्णकांत का कोई वहम था ? ने अशोक से प्रश्न किया। मुझे तो लगता है कि इस परिवार पर कोई बड़ी मुसीबत आने वाली है। शीशे का भूत इन सभी को बहुत परेशान करने वाला है। साहिल ने कहा। यार मुझे तो डर लग रहा है, तुम ऐसी भूत की कहानी का किस्सा लेकर बैठ गए हो, मुझे भी जबरदस्ती उसमें शामिल कर लिया है। देखो रात भी हो रही है, हम जंगल में हैं और फिर ऐसी भूतों की कहानी। शीतल ने डरते हुए कहा। ...Read More
हॉरर मैराथन - 6
भाग 6 कहानी को बीच में रूकते हुए अशोक उठा और अपने टेंट में जाकर पानी की बोतल लेकर गया। उसने पानी पिया और फिर कुछ देर के लिए खामोश हो गया। इस बीच साहिल और राघव ने कुछ और लकड़ियां आग में डाल दी ताकि आग जलती रहे। यार अशोक तेरी कहानी तो मुझे बहुत डरा रही है। मैं तो सोच-सोचकर ही मरी जा रही हूं कि अगर ऐसा मेरे साथ सच में हो जाए तो मेरा क्या होगा। शीतल ने कहा। मुझे तो बहुत मजा आ रहा है। मैं तो जानना चाहती हूं कि शीशे के भूत ...Read More
हॉरर मैराथन - 7
भाग 7 उधर उनका प्रतिबिंब उन्हें रोता हुआ दिखा। वह शीशे से लिपटकर रोने लगीं। मेरा प्यारा बच्चा, तू छोड़कर क्यों चला गया। कुछ देर तक शीशे को गले से लगाए रखा फिर अपने आँसू पोछते हुए वह चुपचाप खड़ी हो गई। उन्होंने देखा उनका प्रतिबंब मुस्कुरा रहा था। अपने बेटे को खुश जानकर उनके मन को राहत मिली। बाहर लोडिंग रिक्शा आ गया था। शीशे को सावधानी के साथ रख दिया गया। मधुमिता की आँखे नम हो गई। उसे लगा मानो कोई अजीज दोस्त उससे विदा ले रहा हैं। लोडिंग रिक्शा स्टार्ट हुआ और उसी के साथ कृष्णकांत ...Read More
हॉरर मैराथन - 8
भाग 8 मानसी ने अपनी कहानी को आगे बढ़ाते हुए कहा- सुधा- बेटा, आज जल्दी आ जाना मैंने तेरी के छोले-भटूरे बनाये हैं। मनप्रीत इधर- उधर नजरों को घूमाता हुआ बोला- जी माँ बस आ ही रहा हूं। वह नीचे की ओर जाने के लिए पलट ही रहा था कि उसे एक परछाई तेजी से भागती हुई दिखीं। उसके कदम उसी दिशा की ओर बढ़ चले। आज मनप्रीत को आसपास खड़ी डमी बहुत ही भयानक लग रही थीं। डमी के बीच से गुजरते हुए मनप्रीत उस समय ठिठक गया जब किसी ने पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखा। ...Read More
हॉरर मैराथन - 9
भाग 9 लड़का ऊपर चला गया। डमी पंक्तियों में खड़ी हुई थी। लड़के ने बारी-बारी से डमी पर नए सजा दिए तभी उसे डमी के बीच एक महिला आँख को झुकाए खड़ी दिखीं। लड़के का माथा ठनका। वह सोचने लगा ये कौन हैं ? कही कोई चोर तो नहीं.. वह रौबदार आवाज में महिला पर अपना प्रभाव झाड़ते हुए बोला- क्यों री कपड़ा चोर यहाँ कैसे आई ? महिला ने कोई जवाब नहीं दिया। तो लड़के ने उसका हाथ पकड़ कर कहा- चल मालिक के पास, वहीं तेरा हिसाब करेंगे। महिला ने पलकें उठाई। उसकी भयानक सफेद आँख देखकर ...Read More
हॉरर मैराथन - 10
भाग 10 उज्जवलपुर देशी रियासतों में से एक था। जहां कभी राजा-महाराजा का शासन हुआ करता था। प्राचीन समय विद्युत की सुविधा नहीं थीं इसलिए रात्रि के समय मशालें जला करतीं थीं। मशालों की रोशनी से अंधेरी रात भी रोशन रहती इसीलिए इस रियासत का नाम उज्ज्वलपुर पड़ गया। उज्जवलपुर यूँ तो अपने राजसी ठाट-बाट के लिए जाना जाता था। पर एक और खासियत इसे विशेष बनाती हैं। वह हैं अमावस्या के दिन गाँव के सभी लोगो का घर से न निकलना। अमावस्या के दिन गाँव की सुनी गलियां, बंद बाजार और सभी घरों के बंद किवाड़ ऐसा दृश्य ...Read More
हॉरर मैराथन - 11
भाग 11 राघव कर कहानी को सभी बहुत ध्यान से सुन रहे थे। शीतल के चेहरे पर अब डर भाव नजर आ रहे थे। जंगल के माहौल, रात का समय और भूतों की डरावनी कहानियां उसे और भी अधिक डरा रही थी। दोस्तों की कहानी के साथ ही उसे युद्ध में मारे गए सैनिकों की आत्मा की बात भी बार-बार दिमाग में आ रही थी, जिसके कारण उसका डर और भी अधिक बढ़ जाता था। फिर जंगल में झिंगुरों की आवाजें, हवा चलने के कारण पेड़ के पत्तों की सरसराहट भी उसे डराने का काम कर रही थी। वहीं ...Read More
हॉरर मैराथन - 12
भाग 12 अब मीनू ने अपनी कहानी शुरू की। राजशेखर संयुक्त परिवार में रहने वाले सबसे बड़े पुत्र हैं। 3 अन्य भाई- पुष्पशेखर, चन्द्रशेखर एवं शेखर भी उनके साथ एक ही घर में रहते हैं। राजशेखर के पिता सूर्यप्रकाश का निधन केंसर से हो गया था। अतः परिवार का बड़ा बेटा होने के नाते सारी जिम्मेदारी अब राजशेखर के कंधों पर आ गई। राजशेखर अपनी माता शांतिदेवी को युवावस्था में ही अस्थमा की बीमारी के चलते खो बैठे थे। माता-पिता का साया सर से उठ जाने पर कम उम्र में ही समय ने राजशेखर को वृद्ध सा बना दिया ...Read More
हॉरर मैराथन - 13
भाग 13 मीनू ने फिर से कुछ चिप्स खाए और फिर से अपनी कहानी को आगे बढ़ाया। चंद्रशेखर ने की टँकी के पास लंबी सी, घूँघट ओढ़े हुए एक महिला को खड़े देखा। पुष्पशेखर की पत्नी का हुलिया भी लगभग ऐसा ही था, इसलिए चंद्रशेखर ने खाँसकर निकलने के लिए रास्ता मांगा। महिला वही खड़ी रहीं। अब चंद्रशेखर का पारा चढ़ गया। वह बड़बड़ाने लगा। महिला अब अपनी जगह से कुछ कदम पीछे हट गई, लेकिन अब भी उसने चंद्रशेखर का रास्ता रोके रखा। चन्द्रशेखर कहने लगा जरा भी संस्कार नहीं बचे कि जेठ के सामने से हट जाएं। ...Read More
हॉरर मैराथन - 14
भाग 14 मीनू तू इसकी बातों पर ध्यान मत दे, बहुत मजेदार कहानी है। आगे बता क्या हुआ। मानसी अब मीनू से कहा। मानसी और शीतल की बात सुनकर राघव, अशोक और साहिल चुप ही थे और अब वे मीनू की ओर देख रहे थे। मीनू ने फिर से अपनी कहानी को आगे बढ़ाया। महिला- यह घर कभी मेरा हुआ करता था। मेरे पति की मृत्यु के बाद उनके छोटे भाइयों की नजर इस घर पर थीं, लेकिन यह घर मेरे नाम पर था। मुझे मेरे देवर हर तरह से प्रताड़ित करते ताकि मैं घर उनके नाम कर दूँ। ...Read More
हॉरर मैराथन - 15
भाग 15 अब साहिल ने अपनी कहानी शुरू की। प्रशांत पाटील एक निर्धन परिवार का होनहार लड़का है। उसकी बुद्धि के कारण वह चंद मिनटों में सबको प्रभावित कर लेता था। यद्यपि वह पढ़-लिखकर अपनी बूढ़ी माँ के हर सपने पूरे करना चाहता था, पर परिस्थितियां सदैव विपरीत ही रही और मजबूरन उसे अपनी पढ़ाई छोड़कर गाईड का काम करना पड़ा। उसे अपने जीवन की एक ही बात पर गर्व होता कि वह आगरा का निवासी हैं। आगरा का ताजमहल विश्व प्रसिद्ध होने के कारण आगरा में पर्यटकों का हुजूम सा लगा रहता और प्रशान्त की अच्छी कमाई हो ...Read More
हॉरर मैराथन - 16
भाग 16 साहिल ने सभी बातों को नजरअंदाज किया और फिर से अपनी कहानी को आगे सुनाना शुरू किया। - ओह, मतलब जॉम्बी सच में होते हैं..! महिला - हाँ, मेरा बेटा भी जॉम्बी ही हैं। और मैं उसे उस अघोरी से मुक्त कराने में असमर्थ हूं। प्रशान्त - जी जॉम्बी विवेकशून्य व भावशून्य होते हैं, वह यह नहीं देखते की सामने वाला उनका अपना है। वह तो सिर्फ हमला करना जानते हैं। महिला - ठीक कहते हो बेटा। इस गाँव में जॉम्बी का कहर इतना बढ़ गया कि लोग यहाँ से पलायन कर गए। मुझ जैसी अभागन की ...Read More
हॉरर मैराथन - 17
भाग 17 मानसी चाय बनाने चली जाती है। इस बीच मीनू कहती है, जंगल में इस तरह का एडवेंचर बहुत पसंद आ रहा है। मानसी ने भी अच्छा आइडिया दिया, वरना हम गाने गाते रहते और फिर बोर होकर सो जाते। हां यार, वैसे जंगल में रात गुजारना अपने आप में एक एडवेंचर है। अशोक ने कहा। वैसे अभी तक सभी की एक कहानी हो गई है अब आगे क्या करना है ? राघव ने पूछा। करना क्या है फिर से एक राउंड शुरू करते हैं, मुझे तो भूतों की कहानी सुनने में काफी मजा आ रहा है। अभी ...Read More
हॉरर मैराथन - 18
भाग 18 मीनू ने फिर से कहानी शुरू कर दी। एक रात मधुकर को म्यूजियम के अंदर से खटपट आवाज सुनाई दी। वह तेजी से म्यूजियम के अंदर चला गया। म्यूजियम में अंदर प्रवेश करते ही उसकी नजर कांच से बने ताबूत पर पड़ी, जो खाली पड़ा हुआ था। मधुकर का सिर चकरा गया। वह सोचने लगा। शाम को तो ताबूत में ममी थी, अब कहाँ गई ? वह सोच ही रहा था कि उस पर पीछे से किसी ने हमला बोल दिया। वह जमीन पर गिर पड़ा। जैसे ही उसने उठने का प्रयास किया, उसकी पीठ पर किसी ...Read More
हॉरर मैराथन - 19
भाग 19 वाह मीनू क्या कहानी सुनाई है। मजा आ गया। भगवान की शक्ति और पुरातत्व और पुराने लोगों सभ्यता को जोड़कर अच्छी कहानी तैयार की तुमने। अशोक ने कहा। हां बहुत अच्छी कहानी थी। राघव और साहिल ने कहा। वैसे हमारी शीतल मेडम के क्या हाल है, वो अब तक सो ही रही है। मानसी ने कहा। सोने दो यार उसे। वैसे भी उसे कहानियां सुनकर डर लग रहा था। राघव ने कहा। फिर भी एक बार देख लो, सो रही है या मोबाइल पर चैट कर रही है। अशोक ने कहा। जंगल में कहां नेटवर्क मिलने वाला ...Read More
हॉरर मैराथन - 20
भाग 20 एक मिनट... एक मिनट मानसी... सबसे पहले मुझे ये बताओ ये निशिडाक क्या होता है ? राघव पूछा। यार एक्व्यूली क्या होता है यह तो मुझे भी नहीं पता, पर हां भूतों में कुछ होता है। मैंने सुना था तो इसे अपनी कहानी में एड कर लिया। एक तरह की चुडैल ही मान लो। मानसी ने कहा। यार वैसे तुम में से किसी ने गौर किया या नहीं पर अब तक जितनी भी कहानी हमने सुनी है उनमें सभी बहुत शरीफ भूत ही मिले हैं। अशोक ने कहा। अशोक ने अभी अपनी बात पूरी की ही थी ...Read More
हॉरर मैराथन - 21
भाग 21 वैदेही वैष्णव मध्यमवर्गीय परिवार की चुलबली लड़की हैं। जिसे किताबे पढ़ना पसन्द है। उसे अगर किताबी कीड़ा तो यह सम्बोधन उसके लिए अधिक उपयुक्त होगा। उसका किताब पढ़ने का शौक इस कदर बढ़ गया कि वह अपनी दिनचर्या का अधिकांश समय किताब पढ़ने में ही बीता देती है। उसके हाथ कोई भी किताब लग जाती तो वह उसे पूरा पढ़ने के बाद ही छोड़ती थी, फिर चाहें वह उपन्यास ही क्यों न हो। उसकी इस आदत से घर वाले हैरान-परेशान रहते थे, क्योंकि किताब पढ़ते समय वह किताबों की दुनिया में इस कदर खो जाती कि अगर ...Read More
हॉरर मैराथन - 22
भाग 22 अशोक कहानी सुना ही रहा था कि इस बार राघव को अपने पीछे को हलचल महसूस हुई। पलटकर पीछे की ओर देखा। इसी बीच मीनू ने कहा- क्या हुआ कोई है, ऐसा ही लगा ना तुझे ? हां मुझे लगा कि ठीक मेरे पीछे कोई खड़ा है। राघव ने कहा। मुझे भी उस समय ऐसा ही लगा था कि ठीक मेरे पीछे कोई खड़ा है। पर तू ही कह रहा था कि मेरे पीछे कोई होता तो तुझे नजर आता। वैसे मुझे भी तेरे पीछे कोई नजर नहीं आया है, पर ऐसा महसूस जरूर हुआ था कि ...Read More
हॉरर मैराथन - 23
भाग 23 राघव की बात पूरी होने के बाद साहिल ने कहा- राघव तेरी कहानी सुनने के बाद मुझे एक कहानी याद आ रही है। अब मैं कहानी सुनाता हूं। हां तेरी पहले वाली कहानी भी अच्छी थी, सुना अब तू ही सुना। मानसी ने कहा। अब साहिल ने अपनी कहानी शुरू की। हरिसिंह एक होनहार छात्र हैं, जो एक छोटे से गांव कृष्णपुरा का निवासी हैं। उसने हाल ही में उच्चतर माध्यमिक परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की हैं। हरिसिंह का लक्ष्य लोक प्रशासनिक सेवा परीक्षा को उत्तीर्ण करना हैं ताकि वह अपने माता-पिता के सपने साकार कर ...Read More
हॉरर मैराथन - 24
भाग 24 हरिसिंह सबसे पहले कॉलेज गया जहाँ उसने दाखिला लेने के लिए फॉर्म जमा किया। उसके बाद कॉलेज आसपास ही नौकरी की तलाश करने लगा। जब कही भी नौकरी नहीं मिली तो वह कॉलेज के केन्टिंग में आकर बैठ गया। वेटर आर्डर लिखने के लिए हाथ में कॉपी पेन लिए उसके सामने खड़ा हो गया। उसने खाना ऑर्डर कर दिया। वेटर जब खाना लगाने लगा तब उसने हरिसिंह से पूछा- साहब कुछ परेशान लग रहें हो ? हरिसिंह- हाँ भाई नौकरी की तलाश में हूं। वेटर- कॉलेज में कोशिश की ? वहाँ लाइब्रेरी में एक लड़के की जरूरत ...Read More
हॉरर मैराथन - 25
भाग 25 अरे यार ये तो कहानी है। कहानी में कुछ भी हो सकता है। साहिल ने कहा। हां, कुछ तो तर्क रखता यार। भूत-पिशाच भी पढ़ने के लिए कह रहे हैं। राघव ने कहा। तुने सुना नहीं वो लड़की ने असफलता के कारण आत्महत्या की और भूत होने के बाद भी लोगों को सफल होने के लिए प्रेरित कर रही थी। कहानी का मर्म यह है कि असफलता से कभी डरो मत, जब तक सफलता ना मिले तब तक प्रयास करते रहो। एक दिन सफलता तुम्हारे कदमों को जरूर चुमेगी। मीनू ने कहा। बिल्कुल सही कहा मीनू तुमने। ...Read More
हॉरर मैराथन - 26
भाग 26 वाह यार कहानी तो मस्त लग रही है। मैंने भी भानगढ़ के किले के बारे में काफी सुनी है। लोग कहते हैं कि वो किला शापित है। मीनू ने कहा। हां सुना तो मैंने भी है, परंतु जितना मानसी ने अपनी कहानी में बताया है उतना मुझे नहीं पता था। लाइक वो तांत्रिका और राजकुमारी वाली कहानी। अशोक ने कहा। यार जब कहानी अच्छी है तो पहले पूरी सुन लो फिर कमेंट करते रहना। साहिल ने कहा। हां, बात करके कहानी का रिदम मत तोड़ों। राघव ने भी साहिल की बात का समर्थन किया। ठीक है बाबा, ...Read More
हॉरर मैराथन - 27
भाग 27 मुझे तो बहुत अच्छी लगी कहानी। मीनू ने कहा। मीनू की बात का समर्थन करते हुए अशोक कहा। हां मुझे भी बहुत मजा आया। शुक्र मनाओ कि राघव और सरगुन वहां से बचकर निकल आए। वरना वहां का इतिहास रहा है कि जिसने भी भानगढ़ के किले में रात गुजारी है वो कभी जिंदा नहीं मिला है। वो तो उन दोनों की किस्मत अच्छी थी कि वे बच गए। साहिल ने कहा। राघव तू भी कभी भानगढ़ के किले में जाए तो इस कहानी को याद रखना। हनुमान जी के मंदिर में पहुंच जाना और मंदिर से ...Read More
हॉरर मैराथन - 28
भाग 28 यार ये भूतों को सही है कोई भी एक पेड़ देखो और उस पर रहने लग जाओ। लोगों को डराओ और मस्त रहो। अशोक ने मजाक करते हुए यह बात कही। हां, या मैं भी यही सोच रहा था ये सारे भूत पेड़ों पर ही क्यों रहते हैं। किसी के घर में रहने में उन्हें क्या प्रॉब्लम है। साहिल ने कहा। भूत छोटे घरों में नहीं बड़ी हवेलियों में रहते हैं। मानसी ने साहिल और अशोक की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा। अरे यार ये डिस्कशन बाद में कर लेना पहले कहानी पूरी सुन लो। राघव ...Read More
हॉरर मैराथन - 29
भाग 29 मीनू ने अपनी कहानी शुरू की। रैंचो मेक्सिको के मोन्टीरो शहर का एक रईस हैं। खूबसूरत महिलाओं प्रति आकर्षण रैंचो की कमजोरी है। उसे जब भी कोई खूबसूरत महिला कही दिख जाती वह उनसे बातचीत का कोई न कोई बहाना ढूंढ़ ही लेता। ऐसे ही एक दिन रैंचो जब अपने ऑफिस जा रहा था उसे रोड साइड एक खूबसूरत सी लड़की दिखाई दी, लड़की एक पैर पर खड़ी हुई दूसरे पैर को ऊपर उठाएं अपनी टूटी ही सैंडल को ठीक करने का प्रयास कर रहीं थी। रैंचो ने अपनी गाड़ी ठीक लड़की के पास रोक दी और ...Read More
हॉरर मैराथन - 30
भाग 30 ओए मीनू तू अब सच में डरा रही है यार। इतनी डरावनी कहानी। अशोक ने कहा। हां, अब तक हमने जितनी भी कहानी सुनी है उसमें से ये सबसे डरावनी है। मानसी ने कहा। साहिल देख आ गया तेरा बदमाश भूत। अब मत कहना कि सारे भूत शरीफ थे। राघव ने कहा। हां, ला लोराना कुछ अलग है। सुनकर थोड़ा सा डर लग रहा है। साहिल ने कहा। मानसी ने कहा- मीनू जल्दी से बता आगे क्या हुआ। क्या ला लोराना ने डेविड को मार दिया या उसके माता-पिता ने उसे बचा लिया ? मानसी की बात ...Read More
हॉरर मैराथन - 31
भाग 31 यार तेरी ये कहानी भूतों वाली तो नहीं लग रही है, अब तक की कहानी से तो लग रहा है कि तू अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है। राघव ने कहा। यार तुम लोगों की ये आदत बहुत खराब है। बीच में टोक देते हो। उसकी कहानी अभी पूरी हुई नहीं है और तुम बोलने लगे। पहले उसकी पूरी कहानी तो सुनो। मानसी ने कहा। हां तुझे कैसे पता कि कहानी में भूत नहीं है। अभी तो कहानी आधी ही हुई है। मीनू ने मानसी की बात का समर्थन करते हुए कहा। हा, पहले कहानी ...Read More
हॉरर मैराथन - 32
भाग 32 बस अब तो खुश है तू आ गए कहानी में भूत। मानसी ने राघव से कहा। हां, बहुत देर हो गई थी कोई भूत नजर नहीं आ रहा था कहानी में मैंने तो इसलिए कहा था। राघव ने मानसी से कहा। इसलिए कहते हैं पहले पूरी बात सुनो और फिर कुछ कहो। मीनू ने कहा। ठीक है बाबा गलती हो गई, अब कुछ नहीं बोलूंगा। जब तक कहानी पूरी नहीं हो जाती मैं चुप ही रहूंगा। राघव ने कहा। करना भी यही ही चाहिए। कहानी है, कई बार भूमिका बनाने में समय लग जाता है और फिर ...Read More
हॉरर मैराथन - 33
भाग 33 इस बार मीनू, राघव, अशोक और साहिल में कोई कुछ नहीं बोल रहा था। सभी मानसी की में खोए हुए थे। इसलिए मानसी ने अपनी कहानी को जारी रखा। दादी : मुस्कान जो आ गई हैं, मुस्कुराहट तो रहेगी ही ना ? कुछ दिन तू भी उसके साथ समय बीता ले तेरा यह खड़ूस चेहरा भी मुस्कुराने लगेगा। विमलेंद्र : कौन मुस्कान ? दादी : वही जिसे तूने मेरी देखभाल के लिए रखा है। विमलेंद्र : ओह... दादी मैं उनसे नाम पूछना तो भूल ही गया था। मुझे वह ईमानदार और मेहनती लगी तो मैंने बिना किसी ...Read More
हॉरर मैराथन - 34
भाग 34 मानसी ने अपनी कहानी को कुछ देर के लिए रोका और पानी की बोतल उठाकर पानी पीने मीनू, राघव, साहिल और अशोक की नजरें मानसी पर ही टिकी हुई थी। वे सभी अब भी खामोश थे। मानसी ने पानी की बोलत फिर से जमीन पर रखी और फिर से अपनी कहानी कहना शुरू की। विमलेंद्र को देखकर गुस्साई लड़की के चेहरे के भाव बदल गए। लड़की ने पूछा- कौन हो तुम ? विमलेंद्र : पूरनप्रताप सिंह का पोता। लड़की : चरणप्रताप सिंह को जानते हो ? विमलेंद्र : हाँ मेरे छोटे दादाजी थे। इतना सुनकर लड़की गायब ...Read More
हॉरर मैराथन - 35
भाग 35 अवन्तिकापूरी एक समृद्ध, ऐतिहासिक व धार्मिक नगरी है। यहां का अतिप्राचीन शिव मंदिर बहुत प्रसिद्ध है यहाँ भी मन्नत माँगता हैं वह पूरी हो जाती है। वर्षभर यहां श्रद्दालुओं व दर्शनार्थियों की भीड़ लगी रहती है। बसंतकुमार शिवभक्त हैं वे अपना पैतृक गाँव छोड़कर अवन्तिकापुरी में बस गए। यहां आकर उन्होंने एक पुराना सिनेमाघर खरीद लिया था। सिनेमाघर पुराना था कहते हैं इस इमारत को यहाँ के राजा सूर्यभान ने अपनी रानियों के मनोरंजन हेतु बनवाया था। यहां मंच पर रामलीला, नृत्य व नौटंकी का आयोजन किया जाता था। बाद में इसे शहर के सबसे धनवान सेठ ...Read More
हॉरर मैराथन - 36
भाग 36 बंद पड़े पर्दे पर चित्र दिखाई देने लगे। भूत चित्र देखकर खुश होते। कभी उछल-उछलकर नाचने लगते। एक भूत की नजर बसंतकुमार पर पड़ी। वह एकदम से उनके नजदीक आकर उन्हें डराने लगा। उसे देखकर बाकी भूत भी बसंतकुमार के इर्दगिर्द मंडराने लगे। वे बड़ा भयंकर शोर करके हो-हल्ला मचाने लगे। कटे-फटे चेहरों को देखकर भी बसंतकुमार नहीं डरे। एक भूत अन्य भूतों से हंसकर कहने लगा। ये तो हमारे नए मालिक हैं इनके स्वागत में कोई कसर न छोड़ना। बसंतकुमार ने कहा- हे शिवगणों मेरा सौभाग्य हैं कि मैं आपके दर्शन कर पाया। अगर आपके हाथों ...Read More
हॉरर मैराथन - 37
भाग 37 चंद्रावतीपुर एक छोटी किन्तु समृद्धशाली तहसील है, जिसकी समृध्दि का कारण यहा चने की फसल का सर्वाधिक होना है। चने के उत्पादन में चंद्रावतीपुर का प्रदेश में प्रथम स्थान है। इसी वजह से इस गाँव को लोग चने का गाँव कहकर भी बुलाते हैं। गाँव की 75 प्रतिशत जनसंख्या का व्यवसाय कृषि है। लगभग सभी कृषकों के पास स्वयं की भूमि है। गाँव में सबसे अधिक भूमि क्षेत्र और पशुधन गाँव के मुखिया लक्ष्मीकांत के पास है। वह सरल ह्दय व्यक्तित्व के हैं, इसीलिए हर वर्ग के व्यक्ति के वह प्रिय हैं व सभी ग्रामवासी उनका बहुत ...Read More
हॉरर मैराथन - 38
भाग 38 कहानी को बीच में रोकते हुए आकाश ने दूसरा चिप्स का पैकेट उठाया और उसे खोलकर चिप्स लगा। इस बीच मानसी भी उठी और दो बोतल में पानी भरकर ले आई। मानसी ने मीनू को चाय के लिए इशारा किया और मीनू और शीतल ने चाय बनाना शुरू कर दी। जब चाय बन गई तो दोनों ने सभी को एक-एक कप चाय दे दी। आकाश चिप्स के साथ चाय का मजा लेने लगा। फिर उसने अपनी कहानी को आगे बढ़ाया। कुंए की आत्मा का रहस्य जान लेने के बाद लक्ष्मीकांत तुंरत अपने घर की ओर चल दिए। ...Read More
हॉरर मैराथन - 39 - अंतिम भाग
भाग 39 सभी की बात सुनने के बाद आकाश ने कहा- तुम सभी लोग बिल्कुल सही कह रहे हो, कई बार ऐसा होता है कि अत्याचार को सहने वाले या किसी परेशानी का सामना करने वाले इंसान के पास कोई रास्ता नहीं होता है। वैसे ये मेरी राय है और मैं इसे और आगे बढ़ाकर इसे बहस का रूप नहीं देना चाहता हूं। वैसे अब तक तुम लोग एक-दूसरे को डराने के लिए हॉरर कहानियां सुना रहे थे, पर क्या तुमने कभी सच में डर को महसूस किया है ? क्या तुम लोगों ने कभी मौत को महसूस किया ...Read More