बोलती समाधी

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गाँव में अकाल पड रहा था।किसान खुदखुशी कर रहे थे।अकाल के चलते चलते मोसम ने कितने लोगों की जान ली,पता ही नही चल रहा था। खुदखुशी का कारण पता ही नही चल रहा था। कारण था कर्जा।किसान ने सावकारों से ऋण जो ले रखा था। जरुरत के चलते कर्जा लेना भी आवश्यक हो गया था। घर की शादी निपट जाती थी। शादी करना भी महत्वपूर्ण था। साहूँकार बडे अमीर थे। साहूँकार किसान की खेती कम दाम में ही हडप कर जाते थे।ब्याज पर ब्याज चढाते चढाते किसान शिकंज्जे में फँसते ही जाते थे। साहूँकार के लड़के भी किसान की असहायता का लाभ लेते हुए किसान के बहूबेटियोंको अपने हवस का शिकार बनाते थे। अपने पिता की मजबूरी देखते हुए किसान की बहूबेटियाँ उन साहूँकार के बेटे के आगे चुपचाप उनका अत्याचार सहन कर लेती थी। उसका बवाल नही करती थी।

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बोलती समाधी - 1

बोलती समाधी Bolati samadhi प्रकाशक व लेखक अंकुश शिंगाडे नागपूर 9923747492वितरक अनुष्का मुखपृष्ठ अनुष्का अक्षरजुळवणी अंकुश शिंगाडे नागपूर मनोगत समाधी यह मेरा उपन्यास पाठकों को देते हुये मुझे हर्ष हो रहा है/ यह उपन्यास यह पाठकों के लिए मनोरंजन है/ इतना ही नही यह उपन्यास वास्तवता का प्रतिक है/ आप पढे और आनंद ले/और एक फोन जरूर करे/ आपका भवदिय गाँव में अकाल पड रहा था।किसान खुदखुशी कर रहे थे।अकाल के चलते चलते मोसम ने कितने लोगों की जान ली,पता ही नही चल रहा था। खुदखुशी का कारण पता ही नही चल रहा था। कारण था कर्जा।किसान ने सावकारों ...Read More