अनकही दास्ता

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वो अब मर चुकी है । हा संजय वो अब मर चुकी है । वो अब नहीं लौट कर आएगी । ओर तुम भी यह बात अपने दिल मे उतार दो । की अब तुम्हारा ओर उसका मिलना । एक ख्वाब के सिवा ओर कुछ नहीं है । नहीं अमन वो आएगी । मलिका जरूर आएगी । तभी उसकी मम्मी वहा आई ओर उसे जगाया । ओर बोली उठ संजय ओर ये नींद मे तू किसके सपने देखता रहेता है । उसके पापा आए ओर बोले उठ गए हमारे नवाब । काम धंधा तो कुछ करता नहीं । बस पूरा दिन घर पे पड़ा रहेता है । " काम का ना काज का दुश्मन अनाज का " तेरे साथ पढ़ने वाले सब आगे निकल गए । ओर ये भाई साहब अभी भी सपने देखने मे मशगूल है ।

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अनकही दास्ता - भाग 1

वो अब मर चुकी है । हा संजय वो अब मर चुकी है । वो अब नहीं लौट कर । ओर तुम भी यह बात अपने दिल मे उतार दो । की अब तुम्हारा ओर उसका मिलना । एक ख्वाब के सिवा ओर कुछ नहीं है । नहीं अमन वो आएगी । मलिका जरूर आएगी । तभी उसकी मम्मी वहा आई ओर उसे जगाया । ओर बोली उठ संजय ओर ये नींद मे तू किसके सपने देखता रहेता है । उसके पापा आए ओर बोले उठ गए हमारे नवाब । काम धंधा तो कुछ करता नहीं । बस ...Read More