सुबह का समय है, थंडी थंडी हवा चल रही है. चिडिया के शोर से सारा गाँव जाग गया है. सर सर आवाज के साथ बुधिया का आगमन हो गया है. हाँ! बुधिया, हमारी नायिका , हमारी यह कहानी एक गांव कि है. जहा एक छोटेसे घर में बुधिया रहती है. उस घर में वह अकेली हि रहती है. सुबह का वक्त है, बुधिया अपने घर के पिछवाडे आंगन में झाडू लगा रही है. तभी पडोसवाली चाची उसे पुकारती है, “ बुधिया ऐ बुधिया ! तभी बुधिया कहती है, हाँ चाची ! मै घर के पिछवाडे में हुं.” बोलते बोलते वह घर के आगे आ जाती है और कहती है, “हाँ चाची, बोलो कैसा हाल है?” चाची कहती है, “ अरे मेरा क्या हालचाल होगा, जैसा कल था वैसा हि आज भी है. वैसे मजे तो तुम जवान लोगो के होते है. हम बुढो को कोई पलटकर भी नही देखता है.” इतना कहकर दोनों जोर से हंस पडती है.
Full Novel
भरोसा - भाग 1
भरोसा भाग - १ सुबह का समय है, थंडी थंडी हवा चल रही है. चिडिया के शोर से सारा जाग गया है. सर सर आवाज के साथ बुधिया का आगमन हो गया है. हाँ! बुधिया, हमारी नायिका , हमारी यह कहानी एक गांव कि है. जहा एक छोटेसे घर में बुधिया रहती है. उस घर में वह अकेली हि रहती है. सुबह का वक्त है, बुधिया अपने घर के पिछवाडे आंगन में झाडू लगा रही है. तभी पडोसवाली चाची उसे पुकारती है, “ बुधिया ऐ बुधिया ! तभी बुधिया कहती है, हाँ चाची ! मै घर के पिछवाडे में ...Read More
भरोसा - भाग 2
भाग - २ चाय पिने के बाद चाची बुधिया से पुछती है,” बेटा, एक बात कहू ?” तो बुधिया है, “ हाँ चाची, कहो ना इसमें पुछ्ने कि क्या बात है.” चाची बोलती है, “ बेटा मुझे रामदिन के बारे में बात कहनी है.” क्यों नही चाची, तुम मेरे बारे में साथ हि साथ इनके बारे में कोई भी बात कर सकती हो वह भी बिना झिजक के आखीर वह भी तो आपके बेटे के समान हि है.” तभी चाची कहती है, “ हा रे पगली , तो सून पहले मुझे बता रामदिन को शहर गये कितने दिन हुये ...Read More
भरोसा - भाग 3
भाग - ३ बुधिया युं हि अपने खयालो में उलझी हुई अपने घर पर पहुंची थी. उसका दिल कुछ रहा था और दिमाग कुछ और. वह कभी यह सोचती कि गलत नंबर लग गया होगा, तो कभी सोचती चाची कि बात सही तो नही है. बेचारी दिन भर उस बात से परेशान होकर रह गयी. शाम को जब चाची खेत से घर लौट आयी तो बुधिया चाची के घर पर गयी. वहां जाकर उसने चाची को पुकारा, “ चाची ओ चाची,” घर के भीतर से चाची ने आवाज लगाई, “ हा बीटीया आयी.” कहकर चाची घर के बाहर आयी. ...Read More
भरोसा - भाग 4
भाग - ४ गाड़ी धड धड दिन भर चलती रही, बुधिया का तो यह पहला सफर था तो वह होकर सफर का मजा ले रही थी. लेकीन चाची बराबर से चारो तरफ नजर रखे हुये थी. क्यो कि चाची को किसी भी अनजाने लोगों पर भरोसा नही था. वह एकदम सतर्क और चौकन्नी थी. दोनो ने गाड़ी में हि खाना खाया और आपस में बाते करती रही. देखते हि देखते दिन ढलने लगा और गाड़ी भी शहर में पहुच गयी. गाड़ी शहर में पहुंच कर स्टेशन पर जाकर रुकी, सब लोग उतरने लगे तो चाची ने किसी से पुछा, ...Read More
भरोसा - भाग 5
भाग - ५ थोडी देर में वह इन्स्पेक्टर और उसके दोनो साथी वापस लौटकर आ गये. उन्होने चाची से “ माई वह अंधेरे का फायदा लेकर भाग गये. यह उनका रोजका हि है. आये दिन वह युं हि लोगो को लुटते है, हम भी परेशान हो गये है. आज मौका लगा था हात में लेकीन फिर से वह भागने में कामियाब हो गये.” उसके बाद फिर वह चाची से बोला, “ वैसे माई इतनी रात को तुम कहा से आ रही हो.” तब चाची ने उससे कहा, कि हम मांझी गाव से आये है, हम रामदिन को ढूढने आये ...Read More
भरोसा - भाग 6
भाग – ६ सुबह सुबह चिडिया कि आवाज से चाची कि निंद खुली तब तक बुधिया भी उठ गयी दोनों ने ब्रश कर लिया था और अब दोनों को चाय कि तलब लग रही थी. तब चाची बोली, “ बेटी सुबह के चाय कि बहोत तलब उठ रही है.” तभी बुधिया बोली, “ हा चाची, तलब तो मुझे भी लगी है, लेकीन क्या करे हम दुसरे के घर पर है. अपने घर पर होते तो क्या मै तुम्हे कुछ बोलने देती.” तभी पीछे से ममता कि आवाज आयी, “ मां जी मै भी आपको कुछ बोलने कहा दुंगी.” कहकर ...Read More
भरोसा - भाग 7
भाग – ७ थोडी देर के बाद चाची स्थिती को सम्भालती है और बुधिया से कहती है, “ बेटा क्या किया जाये? हमे जो भी निर्णय लेना है अब बडी सोच समझकर लेना है. देख यहा पर उसका एक भरा पुरा परिवार है. हमारे एक गलत निर्णय से दो परिवार बिखर जायेंगे.” तब बुधिया कहती है, “ हा चाची, मै भी वही सोच रही हुं. अगर मै रामदिन पर हक जाताती हुं तो बेचारी ममता का हरा भरा परिवार बिखर जायेगा. मेरा तो क्या, मेरा तो कुछ भी नही हुआ है बस शादी के नाम पर हल्दी लगी थी. ...Read More