चिराग का ज़हर

(76)
  • 122.7k
  • 4
  • 67.8k

"चिराग का जहर" की कहानी भी सनसनी, जासूसी और दिलचस्पी से इतनी परिपूर्ण है कि आरम्भ करने के बिना समाप्त किये छोड़ने को मन नहीं चानता । नीलम हाउस का वातावरण उसमें होने वाली हत्यायें – गुड़िया का कौतुक तथा नीलम हाउस के स्वामी का रहस्य पूर्ण व्यक्तित्व - यह सब बातें तो अपने स्थान पर हैं- चाचा आसिफ और कासिम की मौजूदगी ने इस कहानी की दिलचस्पी को काफी बढ़ा दिया है । पात्रों में रोमा—तुरा- फिरोजा - शापूर और पंकज तथा रहस्य पूर्ण शिकारी उल्लेखनीय हैं। विशेष रूप से नूरा वो भुलाई नहीं जा सकती ।

Full Novel

1

चिराग का ज़हर - 1

इब्ने सफ़ी (1) और अब उस इमारत में कोई नहीं रहता था । केवल एक लड़की विस्तृत कम्पाउन्ड के बने हुये सर्वेन्ट क्वार्टर में अकेली रहती थी। भूत ग्रस्त इमारतों के बारे में हजारों कहानियां पढ़ी गई थीं- सुनी गई थीं। एक ही जैसी कहानियां हर भूत ग्रस्त इमारतों के बारे में सुनने में आई थीं, मगर इस इमारत नीलम हाउस की कहानी सबसे भिन्न थी— इसलिये कि यह इमारत नीलम हाउस जो अब बिल्कुल उजाड़ थी केवल दो ही महीने पहले इतनी आबाद और हंगामों से परिपूर्ण थी कि पूरे नगर में इसी का वर्णन होता रहता था ...Read More

2

चिराग का ज़हर - 2

(2) पिछले दस बारह दिनों से प्रतिदिन आसिफ नीलम हाउस पहुँच जाता था। दिन वहीं व्यतीत करता और सन्ध्या ही सिपाहियों का पहरा लगा कर भाग आता । सिपाही या तो कम्पाउन्ड में टहलते रहते या नूरा के कमरे के सामने बरामदे में पड़े रहते और सवेरे जब आसिफ आया तो 'सब ठीक है श्रीमान जी' की रिपोर्ट दे देते । कभी उन्होंने इमारत के अन्दर जाने का साहस नहीं किया था । इसी प्रकार जब प्रन्द्रह दिनों तक यही रिपोर्ट मिलती रही कि 'सब ठीक है श्री मान जी' तो मासिक का साहस बढ़ने लगा । विभाग के ...Read More

3

चिराग का ज़हर - 3

(3) "जो दिल में आये वह कहो और समझो―" आसिफ ने कहा "मगर सच्ची बात यही है कि मामिला भी नहीं है— केवल बात का ब़तंगड़ बनाया गया है।" "हाथ कंगन को आर्सी क्या है चाचा" सुरेश ने कहा। "अभी सात बजे हैं। चार पाँच घन्टे के बाद सब कुछ सामने आ जायेगा -" इसके बाद सब लोग वहां से हट गये। रात ठराडी थी और आकाश पर प्रारम्भिक दिनों के चन्द्रमा की किरने कांपती हुई सिमिट रही थीं। अमर सिंह इत्यादि ने आज की रात को एक प्रकार से पिकनिक की रात बना लेने का निश्चय कर लिया ...Read More

4

चिराग का ज़हर - 4

(4) "श्री मान जी !" युवक ने दयनीय स्वर में कहा "केवल इतनी सी अभिलाषा है कि आप अपनी में मुझे स्थान दे दें―" "क्यों स्थान दे दूँ – यह मेरी अपनी गाड़ी है—टेक्सी नहीं है- समझे - चलो मरो―" हमीद ने कहा और उसे खींचता हुआ गाड़ी तक लाया-- फिर दरवाजा खोल कर उसे अगली ही सीट पर ढकेल दिया और खुद दूसरी ओर के दरवाजे से अन्दर दाखिल होकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और गाड़ी स्टार्ट कर दी। साथ ही साथ वह बड़बड़ाता भी जा रहा था। " जिसे देखिये उस पर आजकल नैतिक्ता का भूत ...Read More

5

चिराग का ज़हर - 5

(5) हमीद ने फिर कुछ नहीं कहा। वह विन्ड स्क्रीन की ओर देखने लगा। काफी दूर एक मोटेल की दिखाई दे रही थी। "यदि आप आज्ञा दे तो मैं अपनी एक इच्छा प्रकट करू?" पंकज ने कहा । "आज्ञा है।" "वह सामने जो प्रकाश दिखाई दे रहा है वह एक मोटेल का है- अगर आप वहीं गाड़ी रोक कर मुझे कुछ खिला पिला दें तो मैं प्रथम आप से वादा...." "कुछ खाने पीने के लिये इतनी बड़ी भूमिका बाँधने की क्या आवश्यकता थी सीधे तौर पर भी यह बात कही जा सकती थी- " हमीद ने बात काट कर ...Read More

6

चिराग का ज़हर - 6

(6) “सूर्य अस्त होते ही—और सूर्य उदय होने के आधा घन्टा बाद चले जाते हैं। विश्वास कीजिये श्रीमान जी हमारी आँखे एक मिनिट के लिये नहीं झपकती।" "क्या प्रतिदिन रात में इसी प्रकार हंगामा होता है? ' विनोद ने पूछा। "जी नहीं—जब कोई कोठी में घुसता हैं तब ही उत्पात मचता है। दस दिनो से हम यहीं देखते आ रहे हैं।" "दिन में भी किसी को ड्युटी रहती है? विनोद ने पूछा। "हमें नहीं मालूम श्रीमान जी मगर मेरा विचार है कि दिन में डयुटी लगाई ही नहीं जाती ।" नुरा के क्वार्टर का दरवाजा खुला हुआ था । ...Read More

7

चिराग का ज़हर - 7

(7) "देखिये ! अभी तक न तो आप फिरोजा से मिले हैं और न यहां आप ने शापूर से की है— मैं यह भी समझ रहा हूँ कि आप मिस नूरा को भी उपेक्षित नहीं कर सकते और खुद मुझे भी अर्जुन पूरा जाना है।" "मैं सोच रहा हूँ कि औरतें के सर्वाधिकार तुम्हारे नाम सुरक्षित कर दू" - " विनोद ने कहा, फिर मुस्कुराकर बोला, “मगर अर्जुन पूरा इसलिये तुम्हारे साथ चलूंगा ताकि जरा में भी देख लूँ कि वह भोला चेहरा कैसा है जिसने तुम्हें व्याकुल बना रखा है— मगर नूरा से तुम्हीं मिलना मैं नहीं।" “मेरे ...Read More

8

चिराग का ज़हर - 8

(8) "जी नहीं-दिन में भी हो आया करती हैं-" फिरोजा ने कहा। हमीद ने विनोद की ओर देखा और अचानक उठ गया और शापूर में बोला । मेरे कारण अगर तुम लोगों को कोई कष्ट हुआ होता क्षमा करना और यदि तुम लोगों को कोई आवश्यकता पड़े तो मुझसे बिना यो झिझिक के सम्बन्ध स्थापित करना।” शापुर किसी चिन्ता में डूबा हुआ था। न उसने कुछ कहा और न विनोद को विदा करने के लिये उठा- फिरोजा अवश्य उठ गई थी । हमीद ने जानबूझ कर अपनी गति सुस्त कर दी थी— इस प्रकार जब विनोद अपनी लिंकन तक ...Read More

9

चिराग का ज़हर - 9

(9) "आप यहां कितने दिनों से हैं ?" हमीद ने पूछा । "सात आठ महीने हो गये।" 'जब यहां सारे नौकर भाग गये तो फिर अप क्यों रुकी रह गई ?" 'केवल इसलिये कि मैं दूसरों के समान नहीं हूँ।" "मैं ममझा नहीं?" हमीद उसे घूरता हुआ बोला । "मैं यह कह रही थी कि जिसने मेरी नियुक्ति की थी जब वही आकर मुझे अलग कर देगा तो मैं यहां से चली जाऊंगी।" "आप के खर्च कैसे पूरे होते हैं? ' हमीद ने पूछा। "मुझे बड़ा अच्छा वेतन मिलता था इसलिये मैंने पैसे बचा रखे थे- इसके अतिरिक्त फरामुज ...Read More

10

चिराग का ज़हर - 10

(10) हमीद झल्ला कर बाहर निकल आया। दोनों सिपाही खड़े थे। उसने उनसे पूछा। "कुछ पता चला वह चारों और गये और कौन थे ? "जी नहीं, फायरिंग करते हुये वह न जाने कहाँ गायब हो गये-" एक ने कहा "मगर हमारा विचार है कि वह यही कहीं छिपे हुये हैं और उन्हें तलाश करना केवल हम दो आदमियों के वश की बात नहीं है। आप - फोर्स भेज दीजियेगा ताकि यहां उन्हें तलाश किया जा सके-" "ठीक है— मैं देखता हूँ" हमीद ने कहा "तुममें से एक आदमी तो यहीं रहेगा और एक आदमी इस क्वार्टर के पीछे ...Read More

11

चिराग का ज़हर - 11

(11) "अल्ला कसम मेरा भी यही हाल है मैं भी नाहीं बता सकता कि मुझे कित्ती खुशी हुई है" की बांछे खिली पड़ रही थीं । "मैंने आज तक आप जैसा तन्दुरुस्त जवान नहीं देखा था— मगर सच पूछिये तो आपकी खुराक ही मुझे आपके पास खींच लाई थी ।" "ही ही ही आज मेरे जियादा भूख नाहीं थी— " कासिम ने कहा। "ओह तो क्या आप इससे भी ज्यादा खाते हैं ?" रोमा ने अपना विसमय को छिपाते हुये कहा । "और किया" कासिम ने गर्व के साथ कहा । "मुझे ऐसे ही जवान पसन्द हैं जो तन्दुरुस्त ...Read More

12

चिराग का ज़हर - 12

(12) "इसी को कहते हैं—उल्टा चोर कोतवाल को डांटे- " हमीद ने मुस्कुरा कर कहा “ यहां सात बजे आया था, जब अकेले बैठे बैठे बोर हो गया था तो बाहर कम्पाउन्ड में चला गया था फिर जब तुम्ह कार से उतरते देखा तो टहलता हुआ आया हूँ ।" 'हां कैप्टन - मुझे ही देर हो गई. फिरोजा ने कहा । "खैर -- कोई बात नहीं" हमीद भी मुस्कुराया "अब यह बताओ कि तुमने मुझे यहाँ किस लिये बुलाया था ?” "अभी बताती हूँ - काफी पीयेंगे आप ?” "जरूर पीऊंगा हमीद ने कहा और जेब से पाउच निकाल ...Read More

13

चिराग का ज़हर - 13

(13) "नाहीं— मैं उसे फोन नाहीं करूंगा वह माला यहां आयेगी ही हमेशा की तरह यहां भी घपला कर "इसी की सजा तो मैं हमीद को देना चाहती हूँ–" रोमा ने कहा था। "मैं उससे यही तो पूछूंगी कि तुम डियर कासिम के मामलों में क्यों घपला करते रहते हो उसे फोन करके बुलाओ।" मगर जब कासिम किसी प्रकार फोन करने पर तैयार नहीं हुआ तो वही तीनों फिर कमरे में आ गये थे जो पहले आये थे—मगर इस बार उन तीनों के हाथों में रिवाल्वर थे और तीनों की नालें उसी की ओर उठी हुई थीं— उन तीनों ...Read More

14

चिराग का ज़हर - 14

(14) “आश्चर्य है." सामान तो कोई गायब नहीं हुआ फिर कौन आया? यह देश भी विचित्र है। यहां सिनेमा भी जुर्म है। कल मैं दूतावास के माध्यम से रिपोर्ट भी लिखवाऊँगा और प्रोटेस्ट नोट भी भेजूंगा।" हमीद ने इन्जिन स्टार्ट करके मोटर सायकिल आगे बढ़ाई । कुछ ही दूर जाने के बाद पुलिस की एक जीप कार आती हुई नजर आई । उसीने बताया कि कासिम साहब की गाड़ी अगले चौराहे के पास खड़ी है । हमीद ने कासिम को उसकी कार के पास उतार दिया और खुद नीलम हाउस की ओर बढ़ता चला गया । ठीक साढ़े दस ...Read More

15

चिराग का ज़हर - 15

(15) फिर वह जैसे ही बररादे से उतरकर अन्धकार की ओर बढ़ा वैसे ही उसे फायरिंग की आवाजें सुनाई । गोलियां इस प्रकार तड़तड़ाई थीं जैसे रायफल और रिवाल्वर के बजाय टामीगन प्रयोग की गई हो। उसने भागने के बजाय धरती का सहारा लिया और पेट के बल रेंगता हुआ उसी ओर बढ़ने लगा जिधर से फायरिंग की आवाजें आई थीं। तड़तड़ाहट जब समाप्त हुई तो भागते हुये कदमों की आवाजों के साथ पुलिस की सीटियां गूंजने लगीं। इन्स्पेक्ट आतिफ ने यही उचित समझा था कि वह नीलम हाउस वाले बरामदे ही में रह कर खम्बे की आड़ से ...Read More

16

चिराग का ज़हर - 16

(16) "पहली बात यह है कि तुम घर पर हो—दूसरी बात यह है कि कर्नल साहब घर पर मौजूद हैं। तीसरी यह कि थोड़ी ही देर पहले तुम दोनों नीलम हाउस से आये हो—समझ रहे हो ना मैं इतनी सब बातें जानती हूँ और इसका खुला हुआ अर्थ यह है कि तुम दोनों हर -समय मेरी नजर में हो-मगर हम तुम्हारी नजर में नहीं है इसलिये "हो सकता है कि कभी भूल चूक से हमारी गोलियाँ तुम्हारी खोपड़ियों में खिड़कियां खोल दें।" "अरे तो तुमने मुझे धमकाने के लिये फोन किया था - " हमीद ने कहा "मैं तो ...Read More

17

चिराग का ज़हर - 17

(17) जल्दी जल्दी पूरी इमारत को सफाई हुई। फरामुज जी के सेक्रेटरी तथा आफिस के कर्मचारियों को फोन करके गया। फरामुज जी का जाती वकील भी आ गया। कागजों की अल्मारियाँ खुलवाई गई और फिर नीलम हाउस का कारोबार इस प्रकार आरम्भ हो गया जैसे वहां कुछ हुआ ही नहीं था। किसी के मन में भूत प्रेत का डर नहीं था—और इसका कारण विनोद का यह एलान था कि 'वह उस समय तक नीलम हाउस में स्थायी रूप से रहेगा जब तक नीलम हाउस के गिर्द फैलाये गये षड़टंत्रों का पता लगा कर वह अपराधियों के हाथों में हथकड़ियाँ ...Read More

18

चिराग का ज़हर - 18

(18) "चलिये- विनोद ने कहा और पूरी पार्टी सर्वेन्ट क्वार्टर को ओर चल पड़ी। एस० पी० और विनोद सब आगे थे और एस० पी० कह रहा था । "रोमा ने बयान दिया है कि हमीद रोमा से प्रेम की बातें करता था— मगर उसने नूरा को यह धमकी भी दी थी कि अगर नूरा ने उसकी इच्छा पूरी न की तो वह नूरा को कत्ल कर देगा यहाँ तक तो बात समझ में आती है— मगर एक बात समझ में नहीं आतो।" "समझ में आने वाली तो यह बात भी नहीं है मगर आपकी समझ मैं जो बात नहीं ...Read More

19

चिराग का ज़हर - 19

(19) उसे विदा करके विनोद उसी मनहूस कमरे में आया और दरवाजा अन्दर से बन्द कर लिया। यहाँ के मैक्नोज्म को वह पहले ही देख और समझ चुका था। तहखाना भी देख डाला था । तहखाना बहुत बड़ा था। कई कमरे थे और बिजली का एक पूरा आटोमेटिक सिस्टम मौजूद था। उसने तहखाने ही के एक कमरे में ट्रान्समीटर्स और अपने दूसरे सामान रख छोड़े थे। उसने स्लेब हटाया और सीढ़ियाँ ते करता हुआ नीचे पहुँच कर उसी कमरे में आया फिर एक ट्रान्समीटर का स्वीच आन करके बोला । "हलो जीरो नाइन हलो हार्ड स्टोन हियर... क्या वह ...Read More

20

चिराग का ज़हर - 20 - अंतिम भाग

(20) “हमें नीलम हाउस चलना चाहिये । मामिले वहीं तै हो सकते हैं-" नूरा ने कहा, फिर फरामुज जी ओर देख कर मुस्कुराती हुई बोली "तुम्हारी लड़की फिरोजा मेरे पास है और मैं समझती हूँ कि तुम उसकी -मौत पसन्द नहीं करोगे -- ।" फरामुज जो अभी तक मुस्कुरा रहा था एक दम से उसका चेहरा श्वेत पड़ गया मगर वह कुछ बोला नहीं। नूरा ने उसके हाथ बंधवाये और फिर सब लोग कमरे से बाहर निकले। हमीद हर्षित था कि इस बार मैदान उसके हाथ है। वह जल्दी से मुड़ा ताकि अपनी मोटर सायकिल पर बैठकर उनसे पहले ...Read More