प्रेरणास्रोत

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एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक बच्चा रहता था जिसका नाम राजू था। उसका परिवार गरीब था, लेकिन राजू की आत्मा अमीरी से भरी थी। वह हमेशा हँसता-हँसता दूसरों की मदद करने में लगा रहता था। एक दिन, गांव में एक बड़ा मेला आया। गांव के लोग बड़े उत्साहित थे और सभी तैयारियाँ कर रहे थे। राजू भी उस मेले में जाने की तैयारियों में लग गया। लेकिन उसके पास खुद के लिए कोई पैसे नहीं थे। राजू ने अपने मित्रों को उसकी स्थिति बताई और उनसे मदद मांगी। उनके मित्रों ने सोचा, सब ने थोड़ा-थोड़ा पैसे जुटाकर राजू को उनके साथ मेले जाने के लिए तैयार किया। मेले में पहुँचकर, राजू ने देखा कि वहाँ पर एक गरीब बच्चा खुद को खो चुका था। उसने उस बच्चे की मदद करने का निर्णय लिया। वह अपने मित्रों के साथ मिलकर उस बच्चे की खोज में लग गया। थोड़ी देर में, उन्होंने बच्चे को एक पूरे परिवार के साथ मिलवाया। यह घटना लोगों के दिलों में गहराई से समा गई और सभी ने मिलकर गरीबों की मदद करने का निर्णय लिया। राजू ने दिखाया कि हालात चाहे जैसे भी हों, एक छोटे से प्रयास से भी हम गरीबों की मदद कर सकते हैं और उन्हें खुद को सशक्त महसूस करने का अवसर दे सकते हैं।

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प्रेरणास्त्रोत - 1

कहानी no - 1एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक बच्चा रहता था जिसका नाम था। उसका परिवार गरीब था, लेकिन राजू की आत्मा अमीरी से भरी थी। वह हमेशा हँसता-हँसता दूसरों की मदद करने में लगा रहता था।एक दिन, गांव में एक बड़ा मेला आया। गांव के लोग बड़े उत्साहित थे और सभी तैयारियाँ कर रहे थे। राजू भी उस मेले में जाने की तैयारियों में लग गया। लेकिन उसके पास खुद के लिए कोई पैसे नहीं थे।राजू ने अपने मित्रों को उसकी स्थिति बताई और उनसे मदद मांगी। उनके मित्रों ने सोचा, सब ...Read More

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कहानी no - 6एक समय शराब का एक व्यसनी एक संत के पास गया और विनम्र स्वर में बोला, मैं इस शराब के व्यसन से बहुत ही दुखी हो गया हूँ। इसकी वजह से मेरा घर बरबाद हो रहा है। मेरे बच्चे भूखे मर रहे हैं, किन्तु मैं शराब के बगैर नही रह पाता! मेरे घर की शांति नष्ट हो गयी है। कृपया आप मुझे कोई सरल उपाय बताएँ, जिससे मैं अपने घर की शांति फिर से पा सकूँ।' गुरूदेव ने कहा, 'जब इस व्यसन से तुमको इतना नुकसान होता है, तो तुम इसे छोड़ क्यों नहीं देते?' व्यक्ति ...Read More

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कहानी no - 11किसी सार्वजनिक संस्था के दाक सदस्य चर्चा के लिए गांधीजी के पास वर्धा पहुँचे। बातचीत में को लगा कि छोटे से काम के लिए दो व्यक्तियों का उनके पास आना उचित नहीं है। गांधीजी से रहा न गया और दोनों से कह दिया ‘आप दोनों को तीन दिन रहने की जरूरत नहीं हैं। कोई एक व्यक्ति वापस लौट जाए।‘ दोनों आंगतुक एक-दूसरे की शक्ल देखते रह गए।गांधीजी ने उन्हें समझाते हुए कहा- 'समय का अपव्यय करना सर्वथा अनुचित है। जिस समय एक व्यक्ति यहाँ काम कर रहा होगा, दूसरा व्यक्ति वापस जाकर वहाँ और कोई काम ...Read More