बेजुबान इश्क़

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एक लड़का जो खिड़की से बाहर की ओर झाँके जा रहा है। उसके चेहरो पर मुस्कुराहट सज रहा है। सजे भी क्यों न आज जो उसका 10th के एग्जाम का जो लास्ट दिन है । इसलिए आज वो बहुत खुश हैं। वो मन ही मन सोच रहा है। आज तो एग्जाम खत्म हो ही जाएगा और फिर होगा पार्टी। ये सब सोच के ही वो खुशी से झूम उठता है। अभी वो नाच ही रहा था कि उसके कानों में किसी की पुकारने की आवाज सुनाई देता है।      सूरज! कहा हो यार। जल्दी करो हम लेट हो रहे

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बेजुबान इश्क़ - 1

एक लड़का जो खिड़की से बाहर की ओर झाँके जा रहा है। उसके चेहरो पर मुस्कुराहट सज रहा है। भी क्यों न आज जो उसका 10th के एग्जाम का जो लास्ट दिन है । इसलिए आज वो बहुत खुश हैं। वो मन ही मन सोच रहा है। आज तो एग्जाम खत्म हो ही जाएगा और फिर होगा पार्टी। ये सब सोच के ही वो खुशी से झूम उठता है। अभी वो नाच ही रहा था कि उसके कानों में किसी की पुकारने की आवाज सुनाई देता है। सूरज! कहा हो यार। जल्दी करो हम लेट हो रहे ...Read More

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बेजुबान इश्क़ - 2

सुबह हो चुकी थी। धूप निकल आया था। लोग अपने अपने काम पर जा चुके थे। परंतु सूरज अब सो रहा था शायद उसे पता ही न हो कि सुबह हो गई है। जब सूर्य की किरण खिड़की से छन कर सूरज के बिस्तर पर पड़ने लगी। तब जाके सूरज की आँखे खुली। जब सूरज की आँखे सामने टेबल पर रखी घड़ी पर पड़ी तो वो दंग रह गया क्योंकि घड़ी में साढ़े नौ बज गया था। ये देख सूरज तुरंत अपने बिस्तर पर उठ बैठा और कुछ सोचते हुए खुद से बोला, '' ओह! सीट, आज फिर से ...Read More