गोस्वामी तुलसीदास ने जब रामायण अपनी प्रादेशिक भाषा अवधी मे लिखी, तो उसपर बहुत विवाद हुआ। परंतु गोस्वामी जी ने अपना फैसला नहीं बदला क्योंकि उन्हें इस का विश्वास था कि रामायण की कहानी आम इंसानों तक पहुंँचनी चाहिए । ताकि उसमे जो कर्तव्य, त्याग और प्रेम के आदर्श दिखाए गए हैं। जो Human behaviour के ideals हैं। उनसे एक आम इंसान भी अपने जीवन का मार्गदर्शन पा सके। उसे जिंदगी का सही रास्ता मिल सके। रामायण एक धार्मिक ग्रंथ होने के अलावा एक संस्कृति दस्तावेज है। एक ऐसा कल्चरल डॉक्यूमेंट है जो रंग, नस्ल और जाति के सीमाओं को पार कर के आम इंसानों के दिल पर इतना गहरा असर डालती है कि हर आदमी अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में उसकी शिक्षा और तालीम से फायदा उठा सकता है।
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रामायण - भाग 1
गोस्वामी तुलसीदास ने जब रामायण अपनी प्रादेशिक भाषा अवधी मे लिखी, तो उसपर बहुत विवाद हुआ। परंतु गोस्वामी जी अपना फैसला नहीं बदला क्योंकि उन्हें इस का विश्वास था कि रामायण की कहानी आम इंसानों तक पहुंँचनी चाहिए । ताकि उसमे जो कर्तव्य, त्याग और प्रेम के आदर्श दिखाए गए हैं। जो Human behaviour के ideals हैं। उनसे एक आम इंसान भी अपने जीवन का मार्गदर्शन पा सके। उसे जिंदगी का सही रास्ता मिल सके।रामायण एक धार्मिक ग्रंथ होने के अलावा एक संस्कृति दस्तावेज है। एक ऐसा कल्चरल डॉक्यूमेंट है जो रंग, नस्ल और जाति के सीमाओं को पार ...Read More
रामायण - भाग 2
आज से कई वर्षों पहले की बात है। जब धरती पर दैत्यों, दानवों, असुरों और राक्षसों के राजा रावन आतंक और अत्याचार इतना बढ़ गया था कि चारों ओर सिर्फ हाहाकार ही हाहाकार मचा हुआ था। सारे ऋषि, मुनि और देवतागण भी इस आतंक और अत्याचार से तंग आ गये थे। राक्षसों के राजा रावन के इस आतंक और अत्याचार से बचने के लिए कोई ना कोई उपाय ढूँढ रहे थे। लेकिन उन सबके हाथों सिर्फ निराशा ही निराशा लग रही थी। यहां तक कि स्वंय देवताओं के पास भी दैत्यों के राजा रावन से मुकाबला करने का साहस ...Read More