दिल्ली की एक शानदार सोसाइटी का एक आलीशान बंगला। यह बंगला है जाने माने बिजनेस में अरविंद चतुर्वेदी का जहां पर अरविंद चतुर्वेदी अपनी पत्नी साधना और दोनों बेटे अक्षत और ईशान के साथ रहते हैं। ईशान ने नेशनल यूनिवर्सिटी से बिजनेस मैनेजमेंट का कोर्स किया है और अरविंद के साथ बिजनेस ज्वाइन कर लिया है। जबकि अक्षत लॉ करने के बाद मजिस्ट्रेट की तैयारी कर रहा है और उसे पूरी उम्मीद है कि इस बार वह सेलेक्ट हो ही जाएगा। इसी घर में अरविंद के दोस्त की बेटी मानसी भी रहती है। जिसके पेरेंट्स की सालों पहले डेथ हो गई थी और जिसकी जिम्मेदारी अरविंद और साधना ने ले ली थी। वह उसे भी अक्षत और ईशान की तरह ही प्यार करते हैं। मानसी देखने मे बेहद खूबसूरत है और अक्षत की खास दोस्त भी।
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साथिया - 1
दिल्ली की एक शानदार सोसाइटी का एक आलीशान बंगला। यह बंगला है जाने माने बिजनेस में अरविंद चतुर्वेदी का पर अरविंद चतुर्वेदी अपनी पत्नी साधना और दोनों बेटे अक्षत और ईशान के साथ रहते हैं। ईशान ने नेशनल यूनिवर्सिटी से बिजनेस मैनेजमेंट का कोर्स किया है और अरविंद के साथ बिजनेस ज्वाइन कर लिया है। जबकि अक्षत लॉ करने के बाद मजिस्ट्रेट की तैयारी कर रहा है और उसे पूरी उम्मीद है कि इस बार वह सेलेक्ट हो ही जाएगा। इसी घर में अरविंद के दोस्त की बेटी मानसी भी रहती है। जिसके पेरेंट्स की सालों पहले डेथ हो ...Read More
साथिया - 2
उत्तर प्रदेश.... उत्तर प्रदेश के देहात में बसा एक गांव। जहां पर अवतार सिंह की हवेली है। जहां पर सिंह अपनी पत्नी और कुछ नौकरों के साथ रहते हैं। अवतार सिंह की एक इकलौती बेटी है नेहा जो उन्हें बेहद ही प्यारी है मुंबई में रहती है। उसका एमबीबीएस खत्म हो चुका है और अब वो जॉब करती है। इसी गाँव में रहते है गजेंद्र ठाकुर। उनके परिवार मे उनकी पत्नी एक बेटा निशांत और बेटी नियति है। इसके अलावा उनके छोटे भाई सुरेंद्र भी उनके साथ रहते है जिनका एक बेटा है सौरभ और बेटी आव्या। गजेंद्र और ...Read More
साथिया - 3
उत्तर प्रदेश.... उत्तर प्रदेश के देहात में बसा एक गांव। जहां पर अवतार सिंह की हवेली है। जहां पर सिंह अपनी पत्नी और कुछ नौकरों के साथ रहते हैं। अवतार सिंह की एक इकलौती बेटी है नेहा जो उन्हें बेहद ही प्यारी है मुंबई में रहती है। उसका एमबीबीएस खत्म हो चुका है और अब वो जॉब करती है। इसी गाँव में रहते है गजेंद्र ठाकुर। उनके परिवार मे उनकी पत्नी एक बेटा निशांत और बेटी नियति है। इसके अलावा उनके छोटे भाई सुरेंद्र भी उनके साथ रहते है जिनका एक बेटा है सौरभ और बेटी आव्या। गजेंद्र और ...Read More
साथिया - 4
गजेंद्र सिंह का घर रात का समय। पुरा घर गहरी नींद मे था सिर्फ नियति जाग रही थी। उसकी अपनी घडी पर थी। जैसे ही रात के साढे बारह बजे नियति धीरे से उठकर गैलरी की एक अलमारी में रखे डब्बा वाले फोन ( लैंडलाइन) फोन के पास आई। अंधेरे में टटोल के उसने उस डिब्बे के निचले हिस्से से गोल पहिया घुमाकर उसकी घंटी बिल्कुल कम कर दी और धड़कते दिल से फोन को देखने लगी। पांच मिनट बाद हल्की सी घण्टी बजी तो नियति ने झट से फ़ोन उठाया। "हैलो..!" नियति बोली और फिर इधर उधर देख ...Read More
साथिया - 5
सुबह सुबह सांझ का हॉस्टल। सांझ का फोन पर मेसेज आया तो सांझ ने फोन उठाकर देखा शालू का था "तबियत ठीक नही है सांझ तो आज यूनिवर्सिटी नही आ रही हुँ।" " ठीक है ध्यान रख अपना। मैं आती हुँ शाम को मिलने।" सांझ ने कहा और रेडी होकर यूनिवर्सिटी के लिए निकल गई। यूनिवर्सिटी के गेट पर पहुंची ही थी कि नजर अपनी बाइक से टेक लगाए खड़े अक्षत पर गई। ब्लैक ट्राउजर पर डेनिम् की ब्लू शर्ट, पहने अक्षत बेहद आकर्षक लग रहा था आज अक्षत के हाथ में फिर से उसकी वो छोटी सी स्केच ...Read More
साथिया - 6
" आंसू नही देख सकता इन आँखों में। घबराओ मत सब सही है और जब तक मैं हूँ साथ गलत नही होगा।" अक्षत ने कहा तो सांझ ने पलके उठाकर उसकी तरफ देखा। " चलो तुमको हॉस्टल छोड़ देता हूँ।" अक्षत ने कहा तो सांझ उसके पीछे बाइक पर बैठ गई। उसी के साथ अक्षत ने बाइक आगे बढ़ा दी।बरसात तेज हो गई थी। अक्षत बाइक धीरे धीरे चला रहा था। सांझ बस खोई हुई सी उसके पीछे बैठी रही। कानों मे अक्षत के कहे शब्द गूंज रहे थे। हिम्मत कैसे हुई तेरी मेरी सांझ के साथ बदतमीजी करने ...Read More
साथिया - 7
" सीनियर को गले लगाना है वो भी ऐसे कि सीनियर को सेटीफक्सन हो?" अक्षत बोला तो निखिल ने छोटी करके उसे देखा। " सुपर सीनियर अक्षत चतुर्वेदी लॉ डिपार्टमेंट!" शालू के मुँह से निकला तो सांझ ने भी भरी आँखों से उसे देखा। दूध सी सफेद रंगत, लम्बा कद, घुंघराले से बिखरे बिखरे बाल लम्बी सी नाक और बेहद आकर्षक चेहरा। "प्रिंस...सिनरेला की स्टोरी वाला!" सांझ के दिल में आवाज उठी और उसने एक बार अक्षत के मुस्कान लिए चेहरे को देखा और फिर नजरे झुका ली। " सीनियर आप इस मामले से दूर रहिये। ये आपका मामला ...Read More
साथिया - 8
ईशान मनु के कमरे में आया तो देखा मनु बालकनी में खड़ी ईशान ने बालकनी में जाकर उसके बगल खड़े होकर उसके कंधे पर हाथ रखा। पर मनु ने उसकी तरफ नहीं देखा। "अब यार ऐसा भी कुछ नहीं बोल दिया भूतनी जो इतनी ज्यादा नाराज और दुखी हो रही है...! सेंटोले फेंक कर तू मुझे ब्लैकमेल नहीं कर सकतीं तो ये बेकार की कोशिशें भी मत कर।" ईशान बोला।" ईशान प्लीज यार....! अभी ना मेरा मूड बिल्कुल ठीक नहीं है, तू निकल यहां से वरना कहीं तुझे दो चार चमेट न लगा दूं।" मनु चिढ़ते हुए बोली। " ...Read More
साथिया - 9
कुछ दिन निकल गए थे। सांझ और शालू की दोस्ती गहरी हो गई थी। अक्षत के के अगले महीने एगजाम थे तो वो उसमे डुबा हुआ था।ईशान और मनु अभी कॉलेज में रुकने वाले थे। अक्षत के साथ ही नील भी एग्जाम की तैयारियों में लगा हुआ था। नील अक्षत का खास दोस्त था और दोनों साथ साथ लॉ कर रहे थी।नील की बहिन निशि का होम्योपैथिक मे सिलेक्सन हो चुका था और वो अपनी स्टडी मेडिकल कॉलेज से कर रही थी।*उधर गाँव में*गजेंद्र सिंह की बेटी नियति ने बारहवी में बहुत अच्छे नम्बर लाये थे और उसी के ...Read More
साथिया - 10
शालू साँझ के हॉस्टल से निकली और अपनी स्कूटी लेकर घर की तरफ चल दी। थोड़ी ही दूर चली कि स्कूटी बंद कर हो गई। शालू ने स्कूटी साइड में खड़ी की और चेक करने लगी। पर देखा स्कूटर स्टार्ट नही हुई साथ है वो पंचर भी थी। ". ओह्ह गॉड इसे भी अभी खराब होना था और पंचर भी है...। अब यहां से कहां जाऊं कैसे जाऊं? इधर तो कोई मैकेनिक भी नही है और न कोई ऑटो ही मिल रहा है।" शालू खुद से ही बोले जा रही थी कि तभी उसके पास आकर एक बाइक रुकी।शालू ...Read More
साथिया - 11
" घर चलो चाय पी कर निकल जाना। मम्मी पापा से भी मिल लेना।" शालू बोली।" फिर कभी आ आज देर हो गई है और अब तक तो उस भूतनी ने अच्छा खासा रायता फैला दिया होगा। अब मुझे जाकर सब के सवालों के जवाब देने होगें।" ईशान ने कहा तो शालु ने आंखे छोटी करके देखा ।"मतलब तुमने सुना था ने कि रास्ते में क्या कह रही थी? इसी बात का अच्छा खासा बखेड़ा खड़ा खड़ा किया होगा उसने। वैसे भी जब तक वह मेरी टांग खिंचाई नहीं कर दे उसका खाना ही नहीं पचता है। जरूर मम्मी ...Read More
साथिया - 12
अबीर ने तुरंत माही को फ़ोन लगाया। " हाँ पापा..!" माही की खनकती आवाज आई। " कैसा है मेरा अबीर बोले। " ठीक हूँ पापा और आपको बहुत मिस करती हूँ।" माही बोली। " अब भी नाराज है पापा ?" अबीर ने पूछा। " नही पापा ..! अब पुरानी बातें भुला दी मैंने। और आपने भी तो मॉम के खातिर मुझे दिया उनको। दर्द तो आपको भी हुआ होगा न मुझसे दूर होते हुए।" माही बोली। "अपने कलेजे के टुकड़े को दूर करना किसी भी मां-बाप के लिए बहुत ही कष्टदायक होता है बच्चे। पर हमें पता था कि ...Read More
साथिया - 13
शालू को उसके घर छोड़कर इशान अपने घर की तरफ निकल गया।शालू से बातचीत कर कर और उससे मिलकर को अच्छा लगा था।अच्छा "लड़की अच्छी है दोस्ती की जा सकती है।" इशान खुद सही बोला।"एकदम सिंपल...! अपने पापा के पैसे का कोई घमंड नहीं है तभी तो स्कूटी से घूमती है, वरना अबीर राठौर की क्या पोजीशन है शहर में हर कोई जानता है। और यही सिंपलीसिटी उसकी मुझे भाई।" इशान बोला और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।तभी ख्याल मनु का आ गया।" हे भगवान उस भूतनी ने ना जाने क्या क्या बोला होगा घर जाकर ?!अब बस ...Read More
साथिया - 14
कुछ दिन यूं ही बीत गए। सांझ शालू और मनु अपनी अपनी पढ़ाई में लगी हुई थी तो वही के फाइनल एग्जाम आने वाले थे तो वह भी अपनी तैयारी में लगा हुआ था। उसके बाद उसकी यह यूनिवर्सिटी छूट जाएगी इस बात का उसे बहुत अफसोस भी था पर उसने साथ ही साथ एक बात मन में तय कर ली थी।"क्या क्या हुआ अगर यूनिवर्सिटी में मैं पढ़ाई नहीं करूंगा पर मनु को छोड़ने और लेने तो जा ही सकता हूं ना इसी बहाने सांझ की एक झलक भी देख लिया करूंगा। इससे ज्यादा मुझे अभी कुछ चाहिए ...Read More
साथिया - 15
समय धीरे-धीरे बढ़ रहा था। उधर सार्थक नियति को ढूंढने की कोशिश कर रहा था और नियति जानकर उसे कर रही थी इसलिए उसकी पूरी कोशिश होती है कि वह सार्थक के सामने ना पड़े। वैसे भी उन दोनों के सब्जेक्ट अलग-अलग थे तो इतने बड़े कॉलेज बिल्डिंग में क्लासेस में अलग-अलग लगती थी। उसके बाद नियति ने फुटबॉल ग्राउंड में आना भी छोड़ दिया क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि दोबारा सार्थक से सामना हो और उसके दिल का हाल सार्थक को समझ में आए। शिखा उसकी हालत समझ रही थी बावजूद इसके शिखा ने भी उसे नहीं ...Read More
साथिया - 16
"यह लड़की मेरे लिए प्रॉब्लम क्रिएट करके ही रहेगी। अक्षत ने कितनी बार कहा है कि इसके साथ दोस्ती दूँ पर यह हमेशा इमोशनल ब्लैकमेल कर देती है और मैं दोस्ती नहीं तोड़ पाता। पता नही मानसी मेरे बारे में क्या सोच रही होगी?" नील ने मन ही मन सोचा। "पर मैं उसके बारे में क्यों सोच रहा हूं ? जो सोचें सोचती रहे।"नील खुद से ही बोला पर जाने क्यों उसे थोड़ा सा अजीब लग रहा था। वह वहां से गार्डन की तरफ गया तो नजर वही बेंच पर एक तरफ बैठी मनु पर गई जो कि थोड़ी ...Read More
साथिया - 17
उधर कॉलेज में। सांझ एक कोने की तरफ बैठी एक सुनहरे रंग की डायरी में कुछ लिख रही थी।" दैनंदिनी तुम जानती हो बचपन से ही हर बात तुमसे कहने की आदत है क्योकि कोई सुनने वाला नही था। मम्मी पापा के जाने के बाद कौन था जो मुझसे बात करता मुझे सुनता। कभी कभी जीजी सुनती थी पर उनकी अपनी अलग दुनिया है।कॉलेज आये कितना समय हो गया। गाँव से यहाँ आकर मानो खुद से ही पहचान हो गई है। कितना मुश्किल होता है किसी पर आश्रित रहकर जीवन जीना। भले चाचा जी अभी भी खर्चा दे रहे ...Read More
साथिया - 18
अक्षत की कार सड़क पर दौड़ रही थी। " नील अब हम यूनिवर्सिटी से निकलने वाले है अब ये झगड़े बन्द भी कर दे।" अक्षत बोला। " मैं कब लड़ता हूँ वो अब खुद ही आकर उलझता है तो इतना कॉंट्रोल नही मुझ में कि बदतमीजी पर भी शांत रहूँ।" नील ने कहा। " ये बेवजह के झगड़े कभी कभी न बेकार की प्रोबलम खड़ी कर देते है।" अक्षत ने नील को समझाया। " अब मैं नही हूँ तेरे जैसा कि खुद को इतना कॉंट्रोल कर सकूँ। आ जाता है गुस्सा।" नील बोला। " गुस्से को काबू जो कर ...Read More
साथिया - 19
" हां तो ठीक है तुम्हे उसको कमर पकड़कर थामने की क्या जरूरत थी? मुझे यह सब बातें बिल्कुल नहीं है। तुम सिर्फ मेरे हो और इसके अलावा तुम किसी की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देख सकते समझे तुम। " रिया ने गुस्से से कहा । "एक्सक्यूज मी..!" नील ने भी जोश मे कहा।"बिना मतलब की बातें क्यों करती रहती हो तुम और मैं कब से तुम्हारा हो गया। तुम्हें एक बात समझ में नहीं आती क्या कि मेरा तुमसे कोई लेना देना नहीं है। जब दोस्ती थी और आज मुझे दोस्ती भी खत्म करता हूं अभी।" नील ...Read More
साथिया - 20
रिया के जाने के बाद नील ने चारों तरफ नजर दौड़ाई पर उसे मानसी कहीं पर दिखाई नहीं दी। थैंक गॉड के मनु यहां पर नहीं थी..! आज रिया ने जो हरकत कि मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वह ऐसा कुछ करेगी। अगर मानसी ने देख लिया होता तो ना जाने क्या सोचती?" नील सोचते हुए चला जा रहा था। अचानक से रुक गया।"पर मुझे इतना फर्क क्यो पड़ रहा है मनु के देखने या ना देखने से? देख भी लेती तो क्या फर्क पड़ता ? बाकी सब ने भी तो देखा देखा? यह शायद रिया सही ...Read More
साथिया - 21
"कहा था ना मैने प्रेक्टिस कर लेंगे तो हमारा डांस अच्छा ही जाएगा।" शालू ने इशान के कंधे पर रख कर कहा। "यह डांस इसलिए अच्छा नहीं गया कि हमने प्रेक्टिस कर ली थीं बल्कि इसलिए अच्छा हुआ क्योंकि हमने इसे फील किया था।" इशान ने उसकी आँखों में देख कुछ अलग जज्बात के साथ बोला तो शालू ने एक नजर उसे देखा और फिर नजर झुका कर वहां से जाने लगी पर अगले ही पल इशान ने उसका हाथ पकड़ लिया। "क्या हुआ कहां चल दी?" ईशान ने उसे अपने करीब करते हुए कहा। "कुछ नहीं बस शाम ...Read More
साथिया - 22
ईशान की बाइक सड़क पर चल रही थी और पीछे बैठी शालू कभी सड़क तो कभी ईशान को देख थी। आज ईशान की बाइक कुछ ज्यादा ही धीमी चल रही थी और इस बात को शालू भी महसूस कर रही थी। "ईशान..!" शालू ने धीरे से कहा। "हां बोलो क्या हुआ? " ईशान बोला। "मौसम खराब हो रहा है देखो कितने बादल घिर आए हैं..!" 'तो ?" ईशान बोला। "तो अपनी बाइक की स्पीड थोड़ा तेज करो ना...! इतना धीमा चलोगे तो हम भीग जाएंगे।" शालू बोली। " भीगनें को ही तो दिल कर रहा है मेरा..!" ईशान ने ...Read More
साथिया - 23
नियति बस में तो बैठ गई पर उसका पूरा ध्यान सार्थक और उसकी बातों पर ही था। उसके दिल भी सार्थक के लिए फीलिंग थी और बस वह अपने परिवार से डर के कारण उससे दूर रहना चाहती थी, और उसका डर गलत भी नहीं था। वह जिस गांव और जिस माहौल से थी वहां प्यार मोहब्बत की कोई कीमत नहीं थी। बड़ी मुश्किल से और बहुत हाथ पैर जोड़ने के बाद तो उसे शहर में आकर पढ़ने की परमिशन मिली थी। उसके पिता गजेंद्र सिंह खुद को गांव का भाग्य विधाता समझते थे तो वही निशांत भी उनके ...Read More
साथिया - 24
अक्षत और नील के एग्जाम्स दिवाली के बाद होने थे और वह और वह दोनों अपने एग्जाम की तैयारियों लगे हुए थे।रिया के भी एग्जाम्स उन्हीं के साथ होने थे इसलिए वह भी अपनी तैयारी में लगी हुई थी। पर अब वह मनु की तरफ से निश्चित थी। वह जानती थी कि मनु अब कभी नील की तरफ कदम नहीं बढायेगी, फिर भी वह अपनी तरफ से कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी क्योंकि उसे विदेश जाकर आगे की स्टडी करनी थी तो उससे पहले उसने अपने मम्मी पापा से बात करना जरूरी समझा। "पापा मुझे आपसे जरूरी बात ...Read More
साथिया - 25
अक्षत और ईशान रेडी होकर निकल गए शालू से मिलने। ईशान ने शालू को पहले ही समझा दिया था यह भी कह दिया था कि साँझ को शक नहीं होना चाहिए कि अक्षत उसे देखने आ रहा है। शालू साँझ के हॉस्टल पहुंची तो देखा साँझ अपनी पैकिंग कर रही थी। " क्या हुआ कहां जाने की तैयारी है? "शालू ने बिस्तर पर फ़ैलते हुए कहाँ। "शाम को दीदी आ रही है मेरी और कल उनके साथ गांव जाना है तो वही तैयारी कर रही थी..!" साँझ बोली। "हां तो ठीक है कल जाना है ना...? आज तो फ्री ...Read More
साथिया - 26
साँझ को जब एहसास हुआ कि अक्षत उसके साथ चल रहा है तो यह एहसास उसे एक अलग ही दे गया। उसने अक्षत की तरफ देखा। बस एक नजर देख कर फिर सामने देखने लगी पर उसके चेहरे पर आई हल्की सी मुस्कान ने उसके दिल का हाल बखूबी बयां कर दिया। " डर था मन में कि कहीं तुम मुझे गलत ना समझने लगो और नाराज ना हो जाओ। पर तुम्हें देखकर ऐसा लगता है कि शायद तुम्हें मेरा आना अच्छा लगा और लगेगा भी क्यों नहीं ईशान और शालू तो एक दूजे के साथ इंगेज हो गए। ...Read More
साथिया - 27
नियति ने सोचा कि उस कागज को फेंक दें पर ना जाने क्या सोचकर उसने धीरे से अपने बैग छुपा कर रख लिया और गहरी सांस ली। दिल की धड़कन बेतहाशा दौड़ रही थी और आज पहली बार ना चाहते हुए भी नियति की कदम उस रास्ते पर चल दिए थे जिस पर ना चलने की उसने कसम खा रखी थी। उधर नेहा सांझ के हॉस्टल पहुंची और सांझ को देखते ही उसके गले लग गई। "कैसी है सांझ?" नेहा ने खुश होकर पूछा। "बस ठीक हूं दीदी आपका इंतजार सुबह से कर रही हो इतने दिन हो गए ...Read More
साथिया - 28
नियति भी जल्दी जल्दी कॉलेज जाने को तैयार हुई और आंगन में आई। "अभी तो दीवाली आ गई है। न हुई कॉलेज की?" ठाकुर गजेंद्र सिंह बोले। " बस आज ही लगना है बाबूजी फिर एक हफ्ते की छुट्टी है।" नियति बोली। " ठीक है।" गजेंद्र सिंह बोले तो नियति निकल गई। बाकी सौरभ आव्या और निशांत दिवाली की तैयारियों में लगे हुए थे। पूरे घर में पूरे घर में नया रंग रोगन किया जा रहा था तो वही बड़ी ठाकुराइन दियों को पानी में डुबोकर रख रही थी तकि दिवाली के दिन वह कम तेल सोखें और ज्यादा ...Read More
साथिया - 29
नेहा और सांझ भी अपने घर पहुंच गई। नेहा को देखते ही अवतार और उनकी पत्नी ने उसे गले लिया। आखिर आठ महीने बाद बेटी घर आई थी । सांझ के चेहरे पर भी मुस्कुराहट थी उन तीनों को देख कर पर उन लोगों ने सांझ की तरफ ज्यादा ध्यान नही दिया। " नमस्ते चाचा जी.. नमस्ते चाची।" सांझ ने कहा। " खुश रहो बेटा.. और दिल्ली में सब ठीक है न.. कोनहु परेशानी तो नही।" अवतार ने उसके सिर पर हाथ रखकर पूछा। " सब सही है चाचा जी!" सांझ बोली और फिर सब बातचीत में लग गए। ...Read More
साथिया - 30
"नियति अभी तो तुम्हारी बस आने में थोड़ा सा टाइम है ना तो चलो तब तक चौपाटी पर चलकर चाट खाकर आते हैं।" सार्थक ने कहा तो नियति मना नहीं कर पाई और उसके साथ चौपाटी की तरफ बढ़ गई। दोनों चाट खा रहे थे एक दूसरे को खिला रहे थे और मुस्कुराते हुए एक दूसरे से बात कर रहे थे कि तभी वहां से एक बाइक गुजरी और जिस पर बैठे लड़कों ने नियति और सार्थक को घूर कर देखा। उसी समय नियति की नजर भी उन लोगों पर पड़ी और उसके हाथ से उसे प्लेट छूटकर कर ...Read More
साथिया - 31
नियति घबराओ मत यह एक छोटा शहर था जहां जल्दी जल्दी ट्रेन नहीं आती थी और उन्होंने दिल्ली जाने लिए के लिए ट्रेन देखी थी जो कि थोड़ी देर बाद आने वाली थी पर उनकी बेचैनी और घबराहट बढ़ती जा रही थी तो वहीं नियति के आंसू लगातार निकल रहे थे। उसने कसके सार्थक का हाथ थाम रखा था पर उसे अब समझ में आ गया था कि उसका बचना मुश्किल है। तभी एक ट्रेन स्टेशन पर आई।" ये हमारी ट्रेन नही है। बस आधा घण्टे में ट्रेन आ जायेगी हमारी!" सार्थक बोला तभी नियति की नजर दूर खड़े ...Read More
साथिया - 32
उधर सौरभ दिल्ली से बस में बैठ गया गांव आने के लिए। उसका दिल बैठा जा रहा था किसी की आशंका से। "हे भगवान मेरे वहां पहुंचने से पहले कुछ भी गलत ना हो..!! मैं वहां पहुंच जाऊंगा तो कुछ भी नहीं होने दूंगा। कैसे भी करके नियति को बचा लूंगा। मैं अपनी बहन के साथ कुछ भी गलत नहीं होने दे सकता । कब तक गांव वाले अपने बिना मतलब के नियम कायदों में बांधकर लोगों की जान लेते रहेगें। लोगों को सजा देते रहेंगे।" सौरभ सोच रहा था और उसका बस चलता तो वह उड़कर गांव पहुंच ...Read More
साथिया - 33
" हमे ज्ञान और कानून न सिखाओ अपना काम करो। हम लोगों और हमारे कानून के बीच में मत दोनों शर्मिंदा थे अपनी हरकत पर । भाग गए पर रहने खाने का इंतजाम नहीं था इसलिए आत्महत्या कर ली और इस बात का गवाह यह पूरा गांव है और साथ ही इन दोनों का लिखा हुआ यह इकरारनामा।" अवतार सिंह ने जमीन की तरफ देख के कहा। निशांत ने अवतार को जलती आँखों से देखा। " तुमने मेरी बहिन को बचाने मे मदद नही की अवतार सिंह जबकि तुम रोक सकते थे बाबूजी को। भगवान् न करे अगर मौका ...Read More
साथिया - 34
नियति और सार्थक जा चुके थे और सबकी जिंदगी वापस से नॉर्मल रूटीन पर आ चुकी थी। कुछ लोगों नियति को इस तरीके से भुला दिया जैसे वह कुछ थी ही नहीं तो कुछ लोगों के दिल में वह हमेशा के लिए एक दर्द की तरह समा गई थी जिसका ना ही कोई दवा थी और ना ही जो कभी भी ठीक होने वाला था। ऐसे ही लोगों में थे सौरभ और निशांत है। जहां सौरभ को नियति के जाने के साथ-साथ इस बात की भी तकलीफ थी कि आज भी उसका गांव और उसका परिवार इन मान्यताओं को ...Read More
साथिया - 35
कॉलेज खत्म करके और भगवान के दर्शन करके सांझ अपने हॉस्पिटल पहुंच गई। उसकी इवनिंग शिफ्ट में ड्यूटी थी। अपने कॉस्ट्यूम चेंज किया और नर्स की ड्रेस पहनकर अपने मरीजों की सेवा में लग गई। वैसे भी वैसे भी दूसरों की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म और सबसे बड़ा कर्म होता है और सांझ का दिल तो वैसे भी बहुत कोमल था। उसे पेशेंट की देखभाल करने में बहुत ही सुकून मिलता था। धर्म का तो पता नहीं पर उसने नर्सिंग को अपना कर्म क्षेत्र इसीलिए चुना था ताकि वह लोगों की सेवा कर सके। हालांकि उसके चाचा जी ...Read More
साथिया - 36
" जज साहब...! साँझ बोली तो अक्षत ने पलटकर देखा और अगले ही पल साँझ एकदम से उसकी तरफ पड़ी और उसके सीने से लग गई। अक्षत को विश्वास ही नहीं हुआ था हुआ एक बार को की साँझ उसके इतने करीब है" साँझ।" अक्षत ने धीरे से कहा। साँझ ने उसकी तरफ नहीं देखा। "सांझ..!" अक्षत ने कहा। "प्लीज जज साहब कुछ पल बस ऐसे ही रहने दीजिए। आप की आंखों में देखूंगी तो शायद फिर कुछ बोल नहीं पाऊंगी एक अलग सा जादू है आपकी आंखों में..!" साँझ ने कहा तो अक्षत के चेहरे पर हल्की सी ...Read More
साथिया - 37
"हॉस्टल चलने से पहले आधे घंटे का टाइम मुझे दोगी?" अक्षत ने कहा। "अब क्या?" सांझ ने कहा। "बस है ना विश्वास करो तो बस चलो..!" अक्षत ने कहा और सांझ को अपने पीछे बिठाकर बाइक आगे बढ़ा दी। थोड़ी देर बाद वह एक बहुत बड़े गार्डन के बाहर थे। अक्षत ने बाइक रोकी तो सांझ ने चारों तरफ देखा । " आओ।" और अक्षत ने उसका हाथ थाम कर कहा और आगे चल दिया। सांझ ने देखा कि पूरा रास्ता बहुत ही खूबसूरती से डेकोरेट किया गया है। चारों तरफ खूब सारे बलूंस और हैप्पी बर्थडे लिखे हुए ...Read More
साथिया - 38
अक्षत और सांझ ने एक दूसरे से अपने दिल की बात कह दी थी? जो एहसास दोनों सालों से दूसरे के लिए महसूस करते थे और दिल ही दिल में दबाए हुए थे वह एक दूसरे से कह नहीं पा रहे थे वह आज कहकर दोनों ही बहुत हल्का महसूस कर रहे थे। साथ ही साथ दोनों बेहद खुश थे। अक्षत तो अपनी तरफ से पहले ही श्योर् था कि वह सांझ को प्यार करता है और जैसे ही उसका सिलेक्शन हो जाएगा और सांझ का ग्रेजुएशन पूरा हो जाएगा वह सांझ को अपने दिल की बात बता देगा। ...Read More
साथिया - 39
" ये मेरे दिल की सालों पुरानी ख्वाहिश है जो अगर तुम्हारी सहमति होगी तो हमारी किस्मत बन जायेगी।" बोला। सांझ को अब भी समझ नही आया कि वो क्या कहना चाहता है। " मैं तुम्हे प्यार करता हूँ सांझ। चाहता हूँ तुम्हे और अगर तुम्हारी हाँ है तो मै घर में बात करके तुमसे शादी करना चाहूंगा।" सौरभ बोला तो सांझ के पैरो तले जमीन खिसक गई। उसके चेहरे पर घबराहट आ गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। वह सौरभ को जानती थी बहुत अच्छे से पर उसने इस तरीके से कभी नहीं ...Read More
साथिया - 40
सांझ तैयार होकर अक्षत के आने का इंतजार करने लगी। थोड़ी देर में अक्षत वहां आ पहुंचा और सांझ साथ अक्षत के घर जाने के लिए निकल गई। " अक्षत ने घर के आगे बाइक रोकी तो सांझ ने आँखे बड़ी कर उसे बड़े और आलीशान बंगले को देखा।" आओ सांझ।" अक्षत ने कहा और सांझ की तरफ देखा " मुझे डर लग रहा है जज साहब.. आप मुझे प्लीज वापस हॉस्टल छोड़ दीजिये। मैं फिर कभी आ जाऊंगी।" सांझ ने घबरा के कहा।" डोन्ट वरी सांझ..! मेरे पेरेंट्स भी मेरे जैसे है।" अक्षत बोला और सांझ का हाथ ...Read More
साथिया - 41
नील अक्षत के रूम मे आया। तो देखा अक्षत समान पैक कर रह है। तो हा गईं तैयारी? नील पर बैठते हुए कहा। " हाँ बस फाइनल पैकिंग कर रहा हूँ कल जाना है मुझे ट्रेनिंग पर..!" अक्षत बोला। " नील ने कुछ नहीं कहा उसके दिमाग मे मनु और उसकी बातें घूम रही थी। " क्या हुआ कहां खोये हुए हो?" अक्षत ने नील के कंधे पर हाथ रखकर कहा। नील ने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपने पास बैठा लिया।।"एक बात बता अक्षत। तू मुझे सालों से जानता है। हम दोस्त है और एक दूजे को बेहतर ...Read More
साथिया - 42
समान जमा के अक्षत सांझ से मिलने आया। उसने साँझ को हॉस्टल से पिक किया और फिर दोनों वही गार्डन में जाकर बैठ गए। साँझ के चेहरे पर उदासी छाई हुई थी और आंखों में हल्की नमी थी। अक्षत ने उसके गाल से हाथ लगाया तो उसने उसकी तरफ देखा। "अगर इस तरीके से परेशान होगी तो बताओ मैं कैसे जा पाऊंगा तुम्हें छोड़कर?" अक्षत ने कहा तो सांझ उसके सीने से लग गई। "नहीं आप ऐसा मत सोचिए जज साहब। मैं तो बस ऐसे ही परेशान हूं। आप जाइये और अपनी ट्रेनिंग करके जल्दी से वापस लौटिये। पता ...Read More
साथिया - 43
"जी आपने बिल्कुल ठीक कहा और मैं बिल्कुल अपनी मान्यताओं का पक्षधर हूं..!! इन मान्यताओं को मानता हूँ और पूरा सम्मान करता हूं। जो आपके विचार है वही मेरे विचार है। मैं भी समाज के बाहर विवाह संबंध को मान्यता नहीं देता।" अवतार सिंह ने कहा। "आपकी बेटी पढ़ी-लिखी समझदार है...!! डॉक्टर बनने वाली है पर उसके योग्य मुझे मेरे हिसाब से हमारे समाज में कोई लड़का नहीं है निशांत के अलावा। बस यही सोचकर निशांत का रिश्ता लेकर आए हैं हम नेहा के लिए।" गजेंद्र ठाकुर ने कहा तो एक पल को अवतार सोच में डूब गए क्योंकि ...Read More
साथिया - 44
शाम को गजेंद्र सिंह ने नेहा को कॉल लगाया ।"हां पापा जी बताइए।" नेहा खुश होकर बोली। "बेटा बहुत आ रही थी तुम्हारी...!! अगर हो सके तो एक-दो दिन के में घर आ जाओ हफ्ते दस दिन की छुट्टियां लेकर।" अवतार सिंह ने कहा। "जी पापा मैं आने का खुद ही सोच रही थी..! मेरी इंटर्नशिप कंप्लीट हो गई है और मैं पीजी का एंट्रेंस भी दे दिया है और मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरा मेरा एग्जाम क्लियर हो जाएगा। तो इस बीच पंद्रह बीस दिन का टाइम है। छुट्टियां है तो मैं वहां आ जाती हूं। कुछ ...Read More
साथिया - 45
भले मैं उसे बहुत प्यार प्रेम करता हूं मेरी इकलौती संतान है। उसकी खुशी चाहता हूं पर अपने मान और इस गांव के नियम और कायदे कानून से बढ़कर कुछ भी नहीं है। यहां के भाग्य विधाता हम थे हम हैं और हम लोग ही रहेंगे। यहां पर किसी को भी कुछ भी गलत करने की इजाजत नहीं है और ना ही अपनी मर्जी से अपना जीवनसाथी चुनने की और विजातीय विवाह की। समझ रही हो तुम..?" अवतार सिंह ने कहा तो भावना ने गर्दन हिला दी। "तुम्हे याद रहे मेरे लिए सम्मान खोने से और बेज्जती होने से ...Read More
साथिया - 46
देखते ही देखते हैं शुक्रवार का दिन आ गया और आज ही के दिन नेहा की सगाई होनी थी। में पकवान बन रहे थे। हलवाई लगे हुए थे और तैयारी हो रही थी। नेहा ने देखा तो अवतार सिंह और भावना के पास आ गई। "क्या हुआ? कुछ प्रोग्राम है क्या कोई पूजा रखी है क्या आप लोगों ने? इतना सारा खाना पीना बन रहा है और सब डेकोरेशन भी हो रही है।" नेहा ने कहा। "बेटा तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है आओ बैठो मेरे पास..!" अवतार सिंह ने कहा तो नेहा उनके पास चारपाई पर जाकर बैठ ...Read More
साथिया - 47
"क्या करूं निशु को बोलूं कि मुझे रिश्ता मंजूर नहीं है। नहीं नहीं बात और बिगड़ जाएगी और वैसे वह शुरू से ही गंवार है। कम बुद्धि बैल है । मैं उसे कुछ भी नहीं कह सकती अब मुझे जो कुछ करना है वह चुपचाप ही करना होगा।" नेहा ने खुद से कहा। "पर मैं करूं भी तो क्या करूं कैसे करूं? कुछ तो मुझे करना होगा।" नेहा का दिमाग इस समय बहुत तेज चल रहा था। वैसे भी वह बहुत शार्प माइंडेड थी और सबसे बड़ी बात विद्रोही थी। उसे नहीं स्वीकार थी यह रीति रिवाज और परिवार ...Read More
साथिया - 48
"मुझे बेहद खुशी है कि तुमने हमारी बात को समझा और हमारी सहमति में ही अपनी सहमति जताई। बाकी मत करो हम लोग हमेशा तुम्हारे साथ हैं। और अब तो हमें किसी बात की चिंता ही नहीं है, हमारी बेटी हमेशा हमारी आंखों के सामने इसी गांव में रहेगी।" अवतार सिंह बोले। नेहा ने एक बार उनकी तरफ देखा और वापस नजरे झुका ली। अवतार ने उसके सिर पर हाथ रखा और फिर बाहर निकल गए। नेहा वापस से बिस्तर पर गिर गई और आंखों से आंसू निकलने लगे। "क्या है यह सब?? क्या लगा रखा है इन लोगों ...Read More
साथिया - 49
सांझ ने देखा कि फोन अक्षत का है तो उसने खुश होकर फोन पिक किया।" जी जज साहब कहिए बस आप ही को कॉल करने वाली थी पर मैंने सोचा कि आप फ्री हो जाएंगे तो खुद ही फोन करेंगे।" सांझ बोली। "इतना मत सोचा करो सांझ जब भी लगे कि तुम्हारा बात करने का दिल है तो मुझे कॉल कर सकती हो। तुम्हारे लिए मैं हर समय फ्री हूं। और अगर कभी बिजी होऊंगा भी तो तुम्हें बता दूंगा ना कि अभी बिजी हूं।" अक्षत बोला। " जी जज साहब...!! आगे से ध्यान रखूंगी। सांझ बोली।"वैसे किस वजह ...Read More
साथिया - 50
उधर दिल्ली में शालू के घर पर अभी मालिनी अबीर और शालू डाइनिंग हॉल में बैठे हुए थे.." सुनिए मेरी दीदी से बात हुई थी माही अगले हफ्ते दिल्ली हम लोंगो के पास आ रही है..." ये तो बड़ी ख़ुशी की बात है और मिनाक्षी? " अबीर बोले...." वो बोल रही थी की चर धाम की यात्रा पर जा रही है तो अब वापस आकर ही आएंगी मालिनी ने कहा। " चलो अच्छा है अब हमारी बेटी हमारे साथ रहेगी...!" अबीर बोले.। " काश की कहीं से उसकी खबर भी मिल जाती...!" मालिनी बोली। अबीर और शालू के चेहरे ...Read More
साथिया - 51
अगले दिन सांझ गांव जाने के लिए बस में बैठकर निकल गई। उसने बस में बैठकर अक्षत को फोन हाँ सांझ निकल गई तुम?" अक्षत ने पूछा।" जी जज साहब..! बस यही बताने को फ़ोन किया आपको..!! सांझ बोली।" अच्छा जी सिर्फ ये बताने को फोन किया बाकी याद नही आ रही थी मेरी।" अक्षत बोला।" आप भी न जज साहब...!! कल ही बोला न कि आपको भूलती ही नही हूँ और जब तक मेरी साँसे नहीं है उनमे आपका नाम है। और जब तक दिमाग मे चेतना है आपको नही भूल सकती। अब सासों की डोर टूट जाए ...Read More
साथिया - 52
सांझ ने अक्षत से बात करने के बाद शालू को फोन लगाया। "हां सांझ बोल निकल गई गांव जाने थी ना तुम? " शालू बोली। "हां मैं निकल गई हूं और तुम्हें एक जरूरी काम करना होगा...!! सॉरी मैं भूल गई इसलिए तुमसे बोल रही हूं।" सांझ ने कहा। "हां बोलो ना अभी मैं दिन में फ्री हूं ..!! शाम को मुझे भी पापा के साथ लखनऊ जाना है पर अभी मैं तुम्हारा काम कर दूंगी। बताओ क्या करना है।" शालू ने कहा। "मेरे हॉस्टल चली जाना...! वार्डन से मैंने बात कर ली है वह तुम्हे मेरे रूम की ...Read More
साथिया - 53
सांझ को देखते ही उसके सब्र का बांध टूट गया और वह एकदम से उसके गले लग कर रोने "क्या हुआ दीदी आप इतना दुखी क्यों हो रही हो? रो क्यों रही हो?" सांझ ने उसे संभाल कर वापस बेड पर बिठाया और उससे पूछा। "क्या करूं रोऊँ नहीं तो..?? देख रही हो तुम कितनी जोर जबरदस्ती हो रही है मेरे साथ। में पढ़ी-लिखी एमबीबीएस डॉक्टर और मेरे बिना पूछे मेरे बिना बताए रिश्ता तय कर दिया उस अनपढ़ गंवार निशांत से। सबसे बड़ी बात सिर्फ पढ़ाई लिखाई की बात नहीं है हम दोनों जानते हैं बचपन से ही ...Read More
साथिया - 54
"मुझे बहुत बड़ी बुरा लग रहा है नेहा दीदी आपके लिए मुझे खुद में विश्वास नहीं हो रहा कि हो सकता है। पर आप भगवान पर विश्वास रखिये। सब सही हो जाएगा। हो सकता है शादी के बाद निशु सुधर जाए और फिर आप पढ़ी-लिखी हो समझदार हो आपकी संगत में रहकर उसका व्यवहार बदल जाएगा। " सांझ ने नेहा को समझाना चाहा"कोशिश कर रही हूं सांझ नॉर्मल होने की पर इतना आसान नहीं है मेरे लिए। तू समझ सकती है। सालों से मुंबई में रही हूं। निशांत से शादी करने का मतलब है जिंदगी भर इसी गांव में ...Read More
साथिया - 55
अवतार जल्दी से वह फोन और कागज़ उठाया और पढ़ने लगे। "पापा मम्मी जानती हूं मैं जो करने जा हूं उससे आपको तकलीफ होगी, पर क्या करूं यह सब करने के लिए मजबूर तो आप लोगों ने ही किया है मुझे...। परंपरा और प्रथाओं के नाम की बेड़ियाँ मेरे पैरों में डालकर मेरी शादी उसे अनपढ़ गँवार कम दिमाग के निशांत के साथ करने का निर्णय आप लोगों ने ले लिया। मेरी सहमति मेरी इच्छा और मेरी खुशी की कोई कीमत ही नहीं आप लोगों की जिंदगी में। आप लोगों ने मुझे जन्म दिया पढ़ाया लिखा है काबिल बनाया ...Read More
साथिया - 56
"वह मैं आपको अभी...!" अवतार अभी इतना ही बोले थे कि गजेंद्र ने उनके हाथ से वह कागज और साथ ही फोन ले लिया और पढ़ने लगे। पढ़ते-पढ़ते उनका चेहरा कठोर हो गया और उन्होंने कागज निशांत के हाथ में थमा दिया। निशांत ने उसे कागज को पढ़ा तो उसके आंखें भी लाल हो गई और चेहरा गुस्से के कारण काला। "यह ठीक नहीं किया नेहा ने गलत किया..!" निशांत गुस्से से बोला तभी सुरेंद्र ने उसके हाथ से कागज लिया और पढ़ा तो उनके पैरों तले की जमीन खिसक गई.! "वो निकली कैसे? " गजेंद्र बोले! " उसका ...Read More
साथिया - 57
" क्या आपने पिता जैसे चाचा के लिए इतना भी नहीं कर सकती.!" अवतार बोले तो साँझ जमीन पर रोने लगी। रोते रोते थक गई पर किसी का कलेजा नहीं पसीजा। अवतार और भावना ने उसे उठाया और घर के बाहर चल दिए प्रथाओ के नाम बलि चढ़ाने और अपनी औलाद और खुद की गलती की सजा एक मासूम को दिलाने। सांझ की आँखों के आगे अंधेरा छा गया" जज साहब... प्लीज बचा लीजिये मुझे !" उसकी बेहोश होते हुए घुटी सी आवाज निकली। " सांझ...!! " उधर अक्षत ने घबरा के आँखे खोली। शरीर पसीने पसीने हो गया ...Read More
साथिया - 58
*अक्षत का रूम* अक्षत आँखे बन्द किये सोफे पर बैठा हुआ था। " दिन गुजर रहे बैचैनियों में...!! रातें यादों के सहारे...!! यूं तो जीत लिया जग सारा पर..! हम आखिर खुद से ही हारे..!! न आहट है न तेरा निशां कोई..! फिर भी उम्मीद है कि टूटती नही..!! जानता कि तुम नही हो मगर..! इंतजार की ये लत छूटती नही..!! कोई तो इशारा कोई तो खबर दे मुझे..! भीड़ दुनियाँ की बहुत कहाँ ढूंढूँ तुझे..!!" निर्मोही इस कदर भूल के तु मुझे...! चैन मिलता है भला कैसे मेरे बिन तुझे..!! "मिसेज चतुर्वेदी...! कहाँ हो आप...?? आ जाओ न ...Read More
साथिया - 59
*नील का घर*नील के घर उसके मम्मी पापा और निशि डाइनिंग टेबल पर नाश्ते के लिए बैठे थे। "नील तो तुमने पूरी तरीके से बिजनेस संभाल लिया है...!! अच्छे से तुम जम गए हो और काफी टाइम हो गया है तुम्हे बिजनेस देखते हुए तो अब हम लोग चाहते हैं कि तुम शादी करके आगे बढ़ो।" मिस्टर वर्मा ने जैसे ही कहा नील की आंखों के आगे आगे मनु का चेहरा आ गया और चेहरे पर हलकी सी मुस्कान। "काश कि मैं बता पाता कि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं। पर तुम तो मुझसे नफरत करती हो। मेरे ...Read More
साथिया - 60
एक घंटे बाद निशि थोड़ी फ्री हुई तो उसने काफी मंगाई। तब तक सौरभ भी आ गया था। आते उसने निशि को गले लगाया और फिर उसके सामने वाली चेयर पर बैठ गया। "तो कैसी चल रही है तुम्हारी मीडिया और रिकॉर्डिंग? " निशि ने कहा। "सब बढ़िया चल रहा है...! सच्चाई की तह तक जाने की कोशिश करता हूं और लोगों को न्याय दिलाने की भी। शायद इसी से मेरे पाप कुछ धूल जाए।" सौरभ बोला। " तुम बार-बार ऐसी बातें क्यों करते हो? तुमने कोई पाप नहीं किया है और ना ही तुम्हारी कोई गलती है । ...Read More
साथिया - 61
एक हफ्ते बाद...नील ऑफिस से निकल के अक्षत के घर आया उससे मिलने के लिए। हॉल में ही उसे साधना और मनु बैठे दिख गए। नील ने मनु की तरफ देखा। ठीक उसी वक्त मनु ने भी नील की तरफ देखा। दोनों की नजरे मिली और एक अजीब सा एहसास दोनों को हुआ। इससे पहले की कोई और इससे ज्यादा सोचता दोनों ने ही नजर हटा ली। "आओ बेटा..!" अरविंद बोले तो नील अरविंद और साधना के पास आया और उन्हें प्रणाम करके वहीं सोफे पर बैठ गया। "कैसे हो और बहुत दिनों बाद आए हो आज बेटा?" साधना ...Read More
साथिया - 62
जरूरी नहीं है कि जब मंडप सजा हो बारात नाचती हुई आये तभी शादी हो...?? जरूरी नहीं कि जब पड़े तो ही शादी हो..?? कभी-कभी दिल के बंधन हर बंधन से मजबूत होते हैं। और मेरे और सांझ का रिश्ता किसी मंडप किसी फेरे किसी बारात या किसी मंत्र का मोहताज नहीं। हमने दिलों का गठबंधन जोड़ लिया था और एक दूजे को अपना मान लिया।" अक्षत में उसकी चाय का कप उसके हाथ में पकड़ा दिया और उसी के साथ नील का दिमाग घूम गया। उसको समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या बोले। "अक्षत प्लीज ऐसी ...Read More
साथिया - 63
*कुछ दिन बाद*आज अक्षत के घर जोर-जोर से तैयारी चल रही थी। मनु के रिश्ते की बात की थी और साधना ने और आज लड़के वाले आ रहे थे उससे मिलने के लिए।मनु अपने कमरे में उदास बैठी थी। ना ही कोई उत्साह था ना ही कोई खुशी पर उसने अरविंद और साधना से वादा किया था कि वह जहां कहेंगे वहां वह शादी कर लेगी इसलिए वह तैयार हो रही थी और वह इस समय उन्हें इनकार नहीं कर सकती थीं।"क्या मैं नए रिश्ते के लिए तैयार हूं। क्या होगा कैसे होगा? क्या मैं इस रिश्ते को एक्सेप्ट ...Read More
साथिया - 64
" माही क्या हुआ?? कोई सपना देखा क्या??" शालू ने आकर उसे गले लगा लिया। " हां शालू दी फिर से वहीं सपना.!! ओर ये जज साहब कौन है दी..?" माही बोली तो दरवाज़े पर खड़े अबीर और मालिनी ने एक दूजे को देखा ओर शालु ओर माही के पास आ गए। "क्या हुआ माही बेटा?" इतना क्यों घबरा रही हो?" मालिनी ने उसके पास बैठकर कहा तो माही उनके सीने से लग गई। अबीर भी उसके दूसरी साइड बैठ गए और उसके सिर पर हाथ फिराया। " घबराने की जरूरत नहीं है माही बेटा कोई भी तुम्हारा कुछ ...Read More
साथिया - 65
" अच्छा तो यह सब कुछ मानसी के लिए हो रहा है?" रिया बोली। " मानसी के लिए कुछ नहीं हो रहा है, क्योंकि उसे तो मेरे दिल की बात पता भी नहीं है। और परिस्थितियों भी ऐसी आ गई कि मैं उससे कुछ कह नहीं सकता क्योंकि वह मुझे अब की नहीं समझेगी पर मैं इतना समझ गया हूं कि तुम्हारे साथ में कभी खुश नहीं रह सकता। तुम्हारे साथ में मैने बहुत कुछ खोया है रिया और कुछ खोने की मुझ में हिम्मत नहीं है। प्लीज हो सके तो मुझे माफ कर दो।" नील ने कहा और ...Read More
साथिया - 66
"बेटा दूसरे के घर में रह रही हो और उसके बाद यह एटीट्यूड...! हम भी देखते हैं कौन करता तुमसे शादी?? कोई ढंग के परिवार का लड़का तो तुमसे शादी करेगा नहीं...!! मिसेज दीवान बोली ।"नहीं करेगा तो मैं यहीं रह लूंगी इनकी बेटी बनकर। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है और ना ही इन लोगों को फर्क पड़ेगा मेरे यहां रहने से पर आपके जैसे घटिया सोच वालों के यहां शादी करके जाने से तो अच्छा है कि मैं जिंदगी भर कुंवारी रहूं...!" मनु ने दोनों हाथ जोड़कर कहा। " और हां मिसेज दिवान ..! आप हमारे घर ...Read More
साथिया - 67
कुछ दिन बाद अक्षत के पास उसके एजेंट का कॉल आया। "हां बताओ कुछ इनफार्मेशन मिली?" अक्षत ने पूछा। इतनी जबरदस्त इनफार्मेशन मिली है कि आप सुनोगे तो खुश हो जाओगे..!!" एजेंट बोला। "क्या पता चला है? " "ऐसे नहीं आपसे मिलकर ही बता पाऊंगा अगर आप बोलो तो मैं आपसे मिलने आता हूं या तो आप फ्री हो तो आप मुझे मिल लो आकर।" "ठीक है मैं आता हूं आज शाम को कोर्ट के बाद अक्षत ने कहा और कॉल कट कर दिया पर दिमाग में उस एजेंट की कही हुई बातें घूम रही थी। "आज शाम को ...Read More
साथिया - 68
उस एजेंट ने अपना फोन निकाल कर अक्षत के सामने कर दिया और उसमें एक वीडियो चल गया। वीडियो अक्षत की आंखों से आंसू निकल उसके गालों पर आ गए तो वही एजेंट के चेहरे पर भी दर्द उभर आया "इसके बाद क्या हुआ?" अक्षत ने वीडियो बंद करते हुए उसकी तरफ देखकर कहा। "सर इतना वीडियो तो वहां मौजूद एक लड़के को जैसे तैसे पैसे देकर मैंने ले लिया है। वो आजकल के लड़के हर बात का वीडियो बना लेते है तो इसने बना लिया पर सोशल मीडिया पर नही डाला वरना गाँव का और उन लोगो का ...Read More
साथिया - 69
मैं गाड़ी में वेट करती हूं तुम्हारा..!! तुम आ जाओ। प्लीज मुझे घर जाना है।" मनु बोली और जाने पर अक्षत ने उसका हाथ पकड़ लिया। "पर हुआ क्या है?" अक्षत ने कहा तो मनु ने धीमे से उस दरवाजे की तरफ देखा। अक्षत ने मनु का हाथ थामा और उसे कमरे की तरह बढ़ गया जहां पर की नील अभी सोया हुआ था। "क्या चल रहा है यहां पर?" अक्षत ने कहा। "कुछ नहीं तुम्हारे दोस्त की अय्यासी चल रही है। सब जानते थे कि यह और रिया यह गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड है। पर यह सब करने के लिए ...Read More
साथिया - 70
आज तक कभी भी उसने नील और रिया को इस तरीके से नहीं देखा था कि उसे लगे की दोनों के बीच गहरा रिश्ता है। जो कुछ भी था वह सिर्फ रिया के मुंह से सुना था और जब आज अक्षत कह रहा था कि ऐसा कुछ भी नहीं है तो मनु भी सोचने पर मजबूर हो गई। "क्या अक्षत सही कह रहा था मेरे रिश्ते में ही विश्वास नहीं था...? प्यार की पहली सीढ़ी होती है विश्वास और मैंने कभी भी नील पर विश्वास नहीं किया। मैंने कभी भी अपने प्यार पर विश्वास नहीं किया..?? नील ने तो ...Read More
साथिया - 71
अगले दिन नील की नींद खुली तो खुद को अक्षत के घर पाया। " मै यहाँ.. ?? यहाँ कब मै तो पार्टी मे था न?? " नील ने परेशान होकर कहा।"हां तुम पार्टी में ही थे और रिया के साथ हनीमून एंजॉय कर रहे थे वहीं कमरे से उठाकर लाया हूं तुम्हे वो भी इस हाल में अक्षत ने आपने फोन में नील और रिया की फोटो दिखाकर जैसे ही कहा " नील के चेहरे का रंग उड़ गया" क्या बक रहे हो तुम अक्षत? होश में हो ? क्या मैं और उसे रिया के साथ? " नील एकदम ...Read More
साथिया - 72
मनु बहुत देर से दरवाजे के बाहर खड़ी अक्षत और नील की बातें सुन रही थी। और उसके दिमाग अब सारी गलतफहमी दूर हो गई थी। उसे पूरी तरीके से क्लियर हो गया था कि नील और रिया के बीच में ऐसा कुछ भी नहीं है। नील सिर्फ उसे चाहता है। उन दोनों के बीच गलतफहमी रिया के कारण आई और इसी वजह से नील अपने दिल की बात नहीं कह पाया और इस बात के लिए मनु को नील पर बेहद गुस्सा आया था। और वह अक्षत के बाथरूम में जाते ही दनदानाती हुई कमरे में आ गई ...Read More
साथिया - 73
अक्षत नील और रिया के साथ नील के घर पहुंचा तो वहाँ का नजारा वाकई मे दिल दहलाने वाला अपने मम्मी पापा और भी एक दो रिश्तेदारों के साथ वहां खड़ी हुई थी और उन लोगों ने अच्छा खासा हंगामा बना बचा रखा था तो वही मिस्टर और मिसेस वर्मा सर झुकाए खड़े थे और निशि भी एक साइड खड़ी होकर यह तमाशा देख रही थी। टेबल पर रिया और नील के सभी फोटो रखे हुए थे जो की दिखा रहे थे रिया और नील एक दूसरे के काफी करीब है और साथ ही साथ रिया के पक्ष में ...Read More
साथिया - 74
"अरे ऐसे कैसे हो जाएगी तुम्हारी और नील की शादी..?? मैं और नील एक दूसरे को प्यार करते हैं। दूसरे से शादी करेंगे तुम होती कौन हो बीच में आने वाली..??" रिया ने कहा। "मैं वही हूं जिसे बहुत पहले सामने आ जाना चाहिए था...!! और रही बात प्यार की तो प्यार नील तुम्हें नहीं मुझे करता है। मैं और नील एक दूसरे को प्यार करते हैं। इसलिए तुम अब हम दोनों के बीच से शांति से हट जाओ वरना तुम्हारा वह हाल करेंगे कि तुम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगी।" मनु ने नील का हाथ थामते ...Read More
साथिया - 75
प्लीज पापा ऐसा मत कीजिए..!! आप मुझे इस तरीके से बीच रास्ते में नहीं छोड़ सकते।" रिया ने कहा एक जोरदार तमाचा मिस्टर मल्होत्रा ने रिया के गाल पर जड़ दिया। "नहीं सोचा था मैंने कि तुम मुझे ऐसा दिन दिखाओगे..!! मुझे मैं सच में इस बात से दुख था कि तुम्हारे साथ गलत हुआ है। तुम्हारे साथ इस लड़के ने धोखा किया है, और तुम्हें न्याय दिलाने के लिए मैं हर किसी से लड़ने के लिए तैयार हो गया था। यहां आया तुम्हारी बातों में आकर पर तुमने तो मुझे ही झूठा साबित कर दिया। तुमने आज मेरी ...Read More
साथिया - 76
मुझे लगा कि तुम मुझे पसंद नही करती बाकी मैंने क्या गलती कर दी जो तुम मुझे अभी शादी पहले ही मारने पीटने लगी..??" नील ने का तो मनु मुस्कुरा उठी तभी धड़ाम से दरवाजा खुला और अक्षत और ईशान अंदर आए। " तो लव बर्ड यहां छुपकर गुटर गू कर रहे हैं..!!" ईशान ने कहा तो अक्षत मुस्करा उठा। " और तुझे शर्म नाम की चीज है कि नहीं है..?! दूसरे के बेडरूम में कोई ऐसे घुसता है क्या..??" नील ने कहा। " दूसरा कहाँ तू तो जिज्जा है मेरा..!!" ईशान बोला। " होने वाला हूँ जीजा..!! अभी ...Read More
साथिया - 77
अक्षत और नील के घर शादी की तैयारियां शुरू हो गई थी।अगले दिन ही अक्षत सौरभ से मिलने उसके जा पहुंचा। " आइये जज साहब..!!" सौरभ ने उसका वेलकम करते हुए कहा। अक्षत मुस्कराया और उसके सामने वाली कुर्सी पर आ बैठा। "हालांकि हम दोनों के बीच में बहुत ज्यादा जान पहचान नहीं है, पर फिर भी निशि और नील के कारण काफी हद तक हम लोग एक दूसरे को जान गए है।" सौरभ ने मुस्कुराते हुए कहा। "जी बिल्कुल और जान पहचान होने में कोई वक्त तो नहीं लगता है ना..?? अब मेरी बहन मानसी नील के घर ...Read More
साथिया - 78
अक्षत ने साधना को फोन करके बोल दिया कि वह किसी काम से बाहर जा रहा है तो उसका ना करें और सब लोग डिनर कर ले। अक्षत कोर्ट से फ्री हुआ और सीधा सौरभ के घर निकल गया क्योंकि सुरेंद्र वापस आ चुके थे और अब उसे सुरेंद्र से बात करनी थी और सांझ के बारे में सब कुछ पता करना था। सौरभ भी आज जल्दी घर आ गया क्योंकि उसे भी सारा सब जानना था। अब तक वह सिर्फ इतना ही सच जानता था जो बाकी दुनिया के बाकी लोग जानते थे। पर उसे नहीं पता था ...Read More
साथिया - 79
"बचपन तो सांझ का बहुत अच्छा बीता था क्योंकि उसके मम्मी पापा ने उसे गोद लिया था अपने दोस्त और वह उसे बहुत प्यार करते थे। पर शायद किस्मत सांझ की उतनी अच्छी नहीं थी कि जब वह पांच या छः साल की थी तभी उसके माता-पिता दोनों का देहांत हो गया और वह हमेशा हमेशा के लिए अपने चाचा और चाची के ऊपर आश्रित हो गई।" सुरेंद्र ने कहा। सब उनकी बातें गौर से सुनने लगे। "उसके पास अपने पिता की कुछ निशानियां और खूब सारी प्रॉपर्टी और जमीन थी..!! जिनके लालच में अवतार और उनकी पत्नी ने ...Read More
साथिया - 80
स्पेशल नॉट- प्रिय पाठकों और मित्रो। पहले भी कहा है और अब भी कह रही हूँ कहानी पूर्ण रूप काल्पनिक है। सभी घटनाएं पात्र व दृश्य काल्पनिक है। किसी घटना या व्यक्ति के साथ मिलना महज संजोग है। मैं इस तरह की मान्यताओं प्रथाओ और कुरुतियों का विरोध करती हूँ। लेखक का उद्देश्य किसी धर्म जाती या समुदाय पर आरोप लगाना नही है। मै हर धर्म जाति और समुदाय का सम्मान करती हूँ। कहानी का एकमात्र उद्देश्य मनोरंजन है। कुछ कुरुतियाँ समूल रूप से खत्म हो चुकी है हमारे देश में तो कुछ के कभी कभी संकेत मिल जाते ...Read More
साथिया - 81
स्पेशल नॉट- प्रिय पाठकों और मित्रो। पहले भी कहा है और अब भी कह रही हूँ कहानी पूर्ण रूप काल्पनिक है। सभी घटनाएं पात्र व दृश्य काल्पनिक है। किसी घटना या व्यक्ति के साथ मिलना महज संजोग है। मैं इस तरह की मान्यताओं प्रथाओ और कुरुतियों का विरोध करती हूँ। लेखक का उद्देश्य किसी धर्म जाती या समुदाय पर आरोप लगाना नही है। मै हर धर्म जाति और समुदाय का सम्मान करती हूँ। कहानी का एकमात्र उद्देश्य मनोरंजन है। कुछ कुरुतियाँ समूल रूप से खत्म हो चुकी है हमारे देश में तो कुछ के कभी कभी संकेत मिल जाते ...Read More
साथिया - 82
"नहीं नहीं..!! मैं शादी नहीं कर सकती। मैं निशांत के साथ शादी नहीं कर सकती।" सांझ ने कहा तो ने उसकी तरफ देखा तो वहीं सुरेंद्र की आंखें भी छोटी हो गई।"तो मैं कौन सा मरा जा रहा हूं तेरे साथ शादी करने के लिए..!! और वैसे भी गुलाम के साथ शादी नहीं की जाती। तेरे चाचा ने बेच दिया है तुझे मेरे हाथो और अब तू मेरी गुलाम है समझी..!!" निशांत ने वापस से उसके बाल पकड़ लिए। "तुम फालतू की बकवास बंद करो..!! यह सब बेकार है समझे..!! हम आजाद हैं कोई किसी का गुलाम नहीं है। ...Read More
साथिया - 83
" प्लीज अबीर जी फोन उठाइये..!" सुरेंद्र खुद से बोले तभी नशे मे धुत निशांत घर आ पहुंचा और चीखना चिल्लाना शुरू हो गया। सुरेंद्र ने आसमान की तरफ देखा और फिर नीचे आ गए ताकि निशांत को संभाल सके। " आव्या दरवाजा खोलो ...!! सांझ को मेरे हवाले कर दो....!! उसे तो इस तरीके से बचा नहीं सकती तुम..?? वहां चौपाल से तुम उसे बचा कर ले आई पर अब नही..!! उसे बाहर निकालो..!" निशांत गुस्से से चिखा। उसकी आवाज से सांझ की नींद खुल गई और उसने घबरा के आव्या को देखा तो आव्या उसके पास आई। ...Read More
साथिया - 84
निशांत की नींद खुली तो नजर घड़ी पर गई जो की ग्यारह बजा रही थी। उसका भी सिर दर्द रहा था क्योंकि उसने कल रात कुछ ज्यादा ही पी ली थी। कल रात की घटना याद आते ही उसके चेहरे पर भी फिर से गुस्सा आ गया। वह उठा और सीधा बाथरूम में चला गया। आधे घंटे बाद जब बाहर निकला तो अपने बेड पर आकर वापस गिर गया। "ठीक है अब अवतार तो यहां से चले गए अब सांझ की जिंदगी का फैसला मैं करूंगा। ऐसी सजा मिलेगी उसे की अब कोई भी इस तरीके की हरकत करने ...Read More
साथिया - 85
" छोड़िये भैया..!!" आव्या ने दोबारा से आकर आकर निशांत से उसका हाथ छुड़ाना चाहा तो निशांत ने एक तमाचा आव्या के चेहरे पर मारा और आव्या का सिर घूम गया और वह एकदम से बिस्तर पर जा गिरी। हल्की सी बेहोशी उसे आ गई और निशांत सांझ को खींचता हुआ बाहर चल दिया। सांझ ने उसके पैर पकड़ लिए। "प्लीज जाने दो मुझे...!! मत करो ऐसा प्लीज मुझे जाने दो। क्यों कर रहे हो..?? अगर तुमको लगता है कि नेहा दीदी मेरी वजह से भागी तो मुझे माफ कर दो। गलती हो गई मुझसे...!! मैं माफी मांगती हूं ...Read More
साथिया - 86
" एक हफ्ते तक सांझ का इलाज दिल्ली मे चला और फिर अबीर सांझ और अपने परिवार के साथ चले गए क्योंकि सांझ को बेहतर और एडवांस ट्रीटमेंट की जरूरत थी।" सुरेंद्र बोले। " मुझे बिना बताये..!! बिना पूछे..?? सब मेरे और सांझ के रिश्ते को समझते थे जानते थे..! फिर क्यों नही बताया..?? और सांझ?? उसने भी मुझे नही बताया..? " अक्षत का दर्द आँखों से खून के रूप मे निकल रहा था। " वो सांझ की जिंदगी के साथ कोई रिस्क नही लेना चाहते थे और सांझ तो तब आपको बताती जब बताने की हालत मे होती..!" ...Read More
साथिया - 87
अगले दिन अक्षत अमेरिका जाने के लिए तैयार था। " इशू अगर तुम चाहो तो तुम भी जा सकते शालू से भी मिलना हो जाएगा। बाकी यहां की फिक्र मत करो। मैं और साधना सब संभाल लेंगे और फिर नील और उनकी फैमिली भी है ही। मानसी की शादी तक तुम दोनों वापस आ जाना।" अरविंद ने कहा। "नहीं पापा मैं नहीं जा रहा हूं..!! अक्षत को जाने दो। अगर सांझ भाभी वापस आएगी तो शालू भी वापस आ ही जाएगी। अब जो भी बातचीत होनी होगी वह यहीं आकर हो जाएगी। मैं अभी आपकी मदद करता हूं।" ईशान ...Read More
साथिया - 88
"कितना झूठ बोलेंगे राठौर साहब.. !! एक तो मुझसे बिना पूछे बिना बताये मेरी सांझ को यहाँ ले आये उस पर झूठ बोले जा रहे है..!!" दर्द और नाराजगी से अक्षत बोला तो सबने उसकी तरफ आश्चर्य से उसकी तरफ देखा। " तुमको कोई गलतफहमी हुई है अक्षत बेटा..!! सांझ का पता चला और बहुत दुःख हुआ पर यहाँ पर सांझ नही है। हम हमारी बेटी माही को लेकर आये है..!" अबीर की आवाज भी सख्त हो गई। अक्षत की आंखें भी लाल हो गई मिस्टर अबीर राठौर की बात सुनकर। "देखिए राठौर साहब आप बड़े हैं, मैं आपकी ...Read More
साथिया - 89
संध्या अब इस कोशिश में रहती थी की मालिनी सांझ से ना मिल पाए। वह मालिनी की बच्ची को मालिनी से दूर करना चाहती थी। उसका सोचना था कि अब सांझ को उसने गोद ले लिया है तो अब सांझ पर सिर्फ उसका अधिकार है। क्यों मालिनी अपना प्यार जताती है..? और इधर मालिनी को भी यह बात बर्दाश्त नहीं हो रही थी तो एक दिन दोनों के बीच बहस हो गई और मालिनी ने कहा कि उसकी बच्ची उसे वापस कर दे और अनाथ आश्रम से कोई दूसरी बच्चा ले ले। यही शायद मालिनी से भी भूल हो ...Read More
साथिया - 90
"यह आपने ठीक नहीं किया मिस्टर राठौर..!! यह आपने ठीक नहीं किया। उसका नाम बदल देना उसकी याददाश्त चले अलग बात है। पर आपने तो उसकी पहचान ही बदल दी।" मैने कहा था न तुम बर्दास्त नही कर पाओगे..!" "यह बात सही नही है। मेरे बर्दाश्त करने की छोड़िये राठौर साहब..!! जिस दिन सांझ को सब याद आ जाएगा क्या वह बर्दाश्त कर पाएगी?? अपनी पहचान से अलग किसी और के चेहरे और नाम के साथ जीना उसके लिए आसान होगा क्या?? हर इंसान का चेहरा उसकी पहचान होती है। आपने सिर्फ सांझ से उसका नाम नहीं छीना आपने ...Read More
साथिया - 91
माही ने अबीर और मालिनी की तरफ देखा और फिर से अक्षत की तरफ देखा।"लेकिन मैं आपको कैसे जानती और आप मुझे कैसे जानते हैं? हमारा कोई रिश्ता है क्या आई मीन आपको कैसे जानती हूं मैं..?" माही ने कहा।इससे पहले की अक्षत कोई जवाब देता।अबीर ने माही के कंधे पर हाथ रखा।"तुमने आज ही तो कहा था ना ईशान और शालू के रिश्ते के बारे में तुम्हें पता है। तो शालू और ईशान की सगाई हो चुकी थी और फिर तुम्हारा एक्सीडेंट हो गया और हम लोग यहां चले आए तो उन दोनों की शादी नहीं हो पाई।" ...Read More
साथिया - 92
उधर माही अपने कमरे में आई और उसने दरवाजा बंद कर लिया। दिल की धड़कनें बेकाबू हुए जा रही और एक अजीब से एहसास ने उसे घेरा हुआ था। अक्षत को देखकर उसे इतना अजीब क्यों लग रहा था वह समझ नहीं पा रही थी। हालांकि उसका बहुत ज्यादा लोगों से मिलना जुलना और बातचीत नहीं थी। उसकी जिंदगी अबीर मालिनी शालू और घर के दो चार सर्वेंट और उसके डॉक्टर तक ही सीमित थी।कई बार अनजान और अजनबी लोगों को देखकर वह घबरा जाती थी पर अक्षत को देखकर उसे ऐसी कोई घबराहट और बेचैनी नहीं हुई जैसे ...Read More
साथिया - 93
अक्षत गेस्ट रूम में अपने बेड पर लेटा छत को एक तक देख रहा था। आंखों के आगे कभी का पुराना चेहरा तो कभी सांझ का आज का चेहरा यानी कि माही का चेहरा घूम रहा था और आंखें रह रहकर भर आ रही थी।"यह बात सच है कि तुमसे दिल का रिश्ता है..! बहुत गहरा रिश्ता है पर कहते हैं ना कोई भी रिश्ता जुड़ता है तो उसकी शुरुआत इंसान के चेहरे से होती है। तुम्हारी उस भोली भाली सांवली सूरत को दिल में न जाने कितने सालों तक बसाया रखा था तब जाकर तुमसे अपनी मोहब्बत का ...Read More
साथिया - 94
पैकिंग करके शालू और माही दोनों डिनर के लिए डाइनिंग हॉल मे आ गई।मालिनी ने डिनर लगवाया और सर्वेंट को भी बुला लाया।" पापा कहाँ है..?" शालू ने अबीर को न देखकर पूछा।"कल इंडिया चलना है तो वह खाना खाकर निकल गए हैं..!!अभी आउट हाउस में है ऑफिस का थोड़ा काम करेंगे।" मालिनी ने कहा।"तो आप तो खा लीजिए..!!" माही बोली।"अभी मन नहीं है थोड़ी देर में खा लूंगी..!!तुम तीनों खाओ ना जब तक मैं गर्म खाना लगाती हूं।" मालिनी बोली और किचन में चली गई।जाते-जाते उसने शालू को भी इशारा कर दिया।मेड ने लाकर तीनों का खाना रखा ...Read More
साथिया - 95
"आओ मेरे साथ हम बैठकर बात करते है।" अबीर ने माही से कहा और सोफे पर जाने लगे तो के कदम रुक गए।" रूम में चले पापा..!!मुझे आपसे अकेले में बात करनी है...!"'माही ने कहा और अक्षत की तरफ देखा और फिर अबीर के साथ उसके कमरे में चली गई।अक्षत का दिल एक बार फिर से बैठ गया यह सोचकर कि ना जाने अब अबीर सांझ को क्या कहेंगे?? इस बार अक्षत की हिम्मत नहीं थी सांझ को दोबारा खोने की और इसके अलावा उसके पास कोई उपाय भी नहीं था। उसने मालिनी की तरफ देखा तो उन्होंने पलके ...Read More
साथिया - 96
अक्षत ने पलटकर देखा तो दरवाजे पर माही खड़ी थी।अक्षत अपने आंसू छिपाकर मुस्कराया और फिर वापस विंडो की देखने लगा।पर माही उसकी दर्द मे डूबी आँखे देख चुकी थी।माही उसके पास आकर खड़ी हो गई।" सॉरी..!! सॉरी जज साहब..!" माही की धीमी सी आवाज अक्षत के कानों मे पड़ी।" सॉरी..?? फॉर व्हाट??"" मैने आपको गलत समझा, गलत बोला और आपको हर्ट किया..!"अक्षत ने बिना उसकी तरफ देखे अपनी हथेली उसके सामने की।माही ने एक पल को उसकी हथेली देखी और फिर अपना हाथ उसके उपर रख दिया।" अक्षत ने अपनी चौङी हथेली मे उसका नाजुक हाथ थाम लिया।"जानता ...Read More
साथिया - 97
शालू ने सारा सामान पैक कर लिया पर उसे वो फाइल नहीं मिल रही थी जिसमें वह ईशान के लेटर लिखती रहती थी।"यही तो रखी थी मैंने ना जाने कहां गई? अब क्या ही फर्क पड़ता है। अब तो वहां जा ही रही हूं सामने मुलाकात होगी ईशान से। उन चिट्ठियों की कोई वैल्यू नहीं अगर ईशान मुझ पर विश्वास नहीं करता या मुझसे नाराज रहता है। बाकी अब आगे क्या होगा वहीं जाकर पता चलेगा। यहां पापा हम दोनों की शादी के बारे में सोच रहे हैं और मुझे तो यह भी विश्वास नहीं है कि ईशान मेरी ...Read More
साथिया - 98
ईशान अपनी बात कर बाहर जा चुका था और अरविंद और साधना के पास कोई दलील नही थी उसे की। ईशान के दर्द और तकलीफ को शालू के जाने के बाद न सिर्फ उन्होंने देखा था बल्कि महसूस किया था।इन दो सालों मे जो ईशान सबके सामने आया था वो पहले जैसा नही था।एक चलबुला हंसमुख इंसान आज एक संजीदा बिजनेसमैन था जिसके चेहरे पर पुरानी मुस्कान यदा कदा ही दिखती थी।"डोन्ट वरी अंकल डॉन'ट वरी आंटी वह ठीक हो जाएगा। एक बार शालू यहां आ जाए उसके बाद ज्यादा दिन तक उससे नाराज नहीं रह पाएगा। और यह ...Read More
साथिया - 99
इसी के साथ दोस्तों साथिया के 100 पार्ट पूरे हुए। तो इसी खुशी में हो जाए जरा कमेंट्स दिल शुक्रिया धन्यवाद थैंक्स आपके साथ के लिए। यूँ ही साथ बनाये रखे उधर अमेरिका में अगले दिन अक्षत उठा और जल्दी से रेडी हो गया।शालू हॉल में आई तो अक्षत को तैयार देखा" आप तैयार हो गए अक्षत भाई..?? वैसे हमारी फ्लाइट शाम की है।"" हां पता है पर मुझे अभी तुम्हारे साथ डॉक्टर के पास चलना है..!! मैं उन लोगों से मिलकर सारे अपडेट लेना चाहता हूं।""ठीक है नाश्ता कर लेते हैं फिर चलते हैं..!!" शालू बोली और सब ...Read More
साथिया - 100
ड्राइवर गाड़ी चला रहा था और अक्षत ने कार की सीट से सिर टिकाकर आंखें बंद कर ली। आंखों आगे डॉक्टर के दिखाएं वह फोटोस फिर से घूम गए और अक्षत की बंद आंखों में फिर से नमी उतर आई।"जो बीत गया उसे नहीं बदल सकता मै साँझ पर तुम्हारा आने वाला समय बेहद खूबसूरत होगा जहां पर किसी दर्द की किसी तकलीफ की कोई जगह नहीं होगी। और मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता इन सब चीजों से। बस तुम मुझे वापस मिल गई और मुझे कुछ भी नहीं चाहिए।"जितना दर्द सहा है तुमने उन लोगों के कारण एक-एक ...Read More
साथिया - 101
ईशान के इस तरीके से नाराजगी दिखाने और इग्नोर करने के कारण शालू को बेहद तकलीफ हो रही थी उसकी आंखें रह रहकर भर रही थी तो उसने विंडो से बाहर देखना बेहतर समझा ताकि कोई उसके आंसू ना देख सके।माही और अक्षत के साथ-साथ ईशान से भी उसके दर्द और आंसू छिपे हुए नहीं थे। माही को बेहद बुरा लग रहा था शालू के लिए। पर साथ ही साथ वह समझ रही थी ईशान की नाराजगी भी और साथ ही साथ उसे खुद के लिए भी बुरा लग रहा था कि आज ईशान और शालू के बीच जो ...Read More
साथिया - 102
"हमें कोई दिक्कत कोई परेशानी नहीं है। आप जब का चाहे तब का मुहूर्त निकलवा लें। अब माही आपकी है और उसे आपके घर विदा करने में हमें कोई भी आपत्ति नहीं है।" अबीर बोले। तभी अक्षत का ध्यान माही की तरफ गया जिसके चेहरे पर अजीब से भाव आ गए थे और वह वहां से उठकर बाहर गार्डन की तरफ निकल गई।सब लोग बातें करने में बिजी हो गए और अक्षत उठकर बाहर आया तो देखा कि माही वही गार्डन में एक तरफ खड़ी सामने लगे फाउंटेन को देख रही है।अक्षत उसके पास जाकर खड़ा हो गया।माही को ...Read More
साथिया - 103
अक्षत ना चाहते हुए भी उसे मना नहीं कर पा रहा था और माही देख चुकी थी कि अक्षत रूम कौन सा है तो उसे किसी से पूछने की जरूरत नहीं थी। वह अक्षत को खींचते हुए रूम में लेकर आई और दरवाजा खोल दिया।अक्षत ने आंखें बंद कर ली। उसे उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब आगे वह माही को कैसे हैंडल करेगा।" वाओ..!!" तभी माही के मुंह से निकला तो अक्षत ने आंखें खोल कर देखा।पूरे रूम में सिर्फ और सिर्फ माही की तस्वीरें थी। कुछ तस्वीरों में अक्षत और माही साथ में थे। अक्षत ...Read More
साथिया - 104
माही और शालू चतुर्वेदी निवास मे मनु की शादी तक रुक गई थी।शालू हालांकि कंफर्टेबल नहीं थी पर माही खुशी के खातिर वह रुक गई। वह नहीं चाहती थी कि जिस तरीके से उसका और ईशान का रिश्ता बिखर गया है। माही और अक्षत के रिश्ते में किसी भी तरीके की प्रॉब्लम हो। वह दिल से चाहती थी कि माही अक्षत के साथ कंफर्टेबल हो जाए और दोनों खुशी-खुशी रहे।माही और शालू अपने रूम में थी।शालू खिड़की पर खड़ी बाहर खिड़की से देख रही थी और माही उसे देख रही थी।"क्या हुआ शालू दीदी आप खुश नहीं हो क्या ...Read More
साथिया - 105
शालू चाय और नाश्ता लेकर ईशान के कमरे के बाहर पहुंच गई पर उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी जाने की।उसने गहरी सांस ली भगवान को याद किया और धीरे से दरवाजा नोक किया।"आ जाओ!" अंदर से आवाज आई तो शालू ने दरवाजा खोला और धीमे से अंदर चली गई। ईशान बालकनी में खड़ा हुआ था और किसी से फोन पर बात कर रहा था। उसे नहीं पता था कि नाश्ता और चाय लेकर सर्वेंट नहीं बल्कि शालू आई है।शालू ने ईशान को देखा और फिर वापस नहीं गई और वहीं खड़ी रही।ईशान ने पलट कर देखा और जैसे ...Read More
साथिया - 106
"माही मेरे साथ चलोगी..?" अक्षत ने उसके पास आकर पूछा।" कहाँ जज साहब..??"थोड़ा घूमेंगे..!! बाइक राइड करेंगे और थोड़ी तुम्हारे लिए मनु की शादी के हिसाब से।" अक्षत ने उसकी आँखों मे देखकर कहा।" और आपका कोर्ट..?"" छुट्टी ली है पूरे वीक की।अब मनु की शादी के बाद ही जॉइन करूँगा..!!" अक्षत ने कहा और साधना से पूछ के माही को लेकर निकल गया।"उधर मनु भी साधना के साथ मिलकर अपना सामान जमा रही थी। सब कुछ ध्यान से रख लेना ठीक है और बाकी अगर कुछ छूट जाता है तो टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। एक ही ...Read More
साथिया - 107
" अक्षत ने कुछ ड्रेस सिलेक्ट कर माही को दी तो माही चेन्जिंग रूम मे जाकर ड्रेस पहन के लगी।उसने सिर्फ वही ड्रेस ट्राई किये जोकि पुरे पैक थे। जिनके न ही नेक डीप थे न ही फ्रंट और न ही जो पीठ से या कमर से ओपन थे।" सब अच्छे है माही..! ये ड्रेसेस क्यों नही ट्राई किये..? ये भी तुम पर प्यारे लगेंगे..!!"" नही जज साहब..!! बस इतना काफी है" माही ने कहा तो अक्षत मुस्कराया और उन ड्रेस के मैचिंग जूलरी उसे दिलाई और फिर घर वापस निकल गया।" तुम टेंशन मत लो शालू और ईशान ...Read More
साथिया - 108
" प्लीज इशू खत्म करो ना..!! किसी की गलती नहीं थी। बस हालत गलत हो गए और उन्ही हालातों बीच फंसकर में मजबूर हो गई। प्लीज तुम तो कम से कम मुझे समझने की कोशिश करो कोई समझे ना समझे..!!" शालू ने रोते हुए कहा तो ईशान ने पलट कर उसे अपने सीने से लगा लिया।"ओके बाबा समझ रहा हूं..!! सब समझ रहा हूं और अब कोई नाराजगी नही। नाराजगी तो कल ही खत्म हो गई थी जब माही भाभी ने लाकर यह फाइल दी थी मुझे। मैं तो बस सिर्फ तुम्हें परेशान कर रहा था, बाकी और कुछ ...Read More
साथिया - 109
" तुमसे पहले भी कहा है माही आज फिर से कह रहा हूं बेहद मोहब्बत करता हूं तुम्हें...!! बहुत हूं। और हमारा प्यार सिर्फ चेहरे तक या सिर्फ शरीर तक सीमित नहीं है। हम दोनों के एहसास दिलों से जुड़े हुए हैं।" अक्षत ने उसके चेहरे के पास झुककर धीमे से कहा।"जी जज साहब।" माही की हल्की सी आवाज निकली।" रही बात इन निशानों की तो वक्त के साथ सब ठीक हो जायेंगे..!! और और दूसरी बात मैं सब देख चुका हूँ सब जान चुका हूँ। उस दिन शालू के साथ हॉस्पिटल गया था न तो डॉक्टर ने सब ...Read More
साथिया - 110
हल्दी की रस्म के बाद मनु ने नील को कॉल लगाया।"सुनो ना यार वीडियो कॉल करो ना ..??" नील वीडियो कॉल में क्या करना है? अभी नहीं..? शॉवर लेने के बाद करुंगी। अभी तो पूरा हल्दी से नहाई हुई हूं मैं।" करो न कोल प्लीज वैसे ही तो देखना है मुझे..!! प्लीज प्लीज अभी वीडियो कॉल करो।" नील जिद करते हुए बोला।" अरे इसमें क्या देखना है..?? हल्दी इतनी ज्यादा लगी है कि समझ भी नहीं आ रहा कि नाक कहां है और आँख कहां..??" मनु हंसते हुए बोली।"वह मैं सब समझ लूंगा..! तुम प्लीज वीडियो कॉल करो ना..!! ...Read More
साथिया - 111
दोनों घरों में शादी की तैयारी शुरू हो गई थी मनु को विदाई करते ही अरविंद और साधना ने और अक्षत की शादी की तैयारी शुरू कर दी तो वही अबीर मालिनी के घर में भी तैयारी शुरू हो गई।उधर नील और उसका परिवार मनु को विदा करा कर घर पहुंचा तो सुजाता और दिवाकर वर्मा ने उन दोनों का खूबसूरती से स्वागत किया। निशि भी नील और मनु के लिए बहुत खुश थी। सौरभ और उनका पूरा परिवार भी इस शादी में शामिल हुआ था और अब आगे निशि और सौरभ की शादी की बात होनी थी जो ...Read More
साथिया - 112
मनु चेहरे पर खुशी के साथ-साथ एक एक शर्मीली मुस्कान भी आ गई। वह अभी कमरे को देख ही थी कि तभी नील ने पीछे से आकर उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसके कंधे पर सिर टिका अपने हाथों को उसकी वैली पर रख लिया।"तो यह हर समय लड़ने झगड़ने वाली लड़की भी शर्माती है...!! और सच बताऊँ ना तो शर्माती हुई बड़ी ही प्यारी लगती है।" नील ने कहा तो मनु के चेहरे की लालिमा और भी गहरी हो गई।"यह पल ही कुछ ऐसे होते हैं कि हर किसी की पलके खुद का खुद झुक जाती ...Read More
साथिया - 113
शालू के हाथ पाँव ठंडा पड़ रहे थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें? एक को तो उसे लगा के अबीर और मालिनी को खबर करे पर वह जानती थी कि अबीर ड्राइव कर रहे होंगे और काफी दूर निकल गए होंगे। इसलिए उसने अभी शांत रहकर अक्षत के आने तक इंतजार करने का करना ही ठीक समझा।थोड़ी देर में अक्षत अबीर के घर पहुंच गया था।"क्या हुआ दरवाजा खोला उसने..??" अक्षत ने परेशान होकर कहा।"नहीं अक्षत भाई वह दरवाजा नहीं खोल रही है..! और अब तो उसकी आवाज भी नहीं आ रही है। मुझे ...Read More
साथिया - 114
सांझ गहरी नींद में थी और अक्षत बस उसके पास बैठा उसे बस देख रहा था।"अक्षत भाई डिनर कर शालू ने रूम में आकर कहा।"मुझे भूख नहीं है शालू। तुम खाओ और आराम करो। मैं यहीं पर रहूंगा सांझ के पास।" अक्षत ने कहा तो शालू ने एक नजर सोई हुई सांझ को देखा और फिर बाहर चली गई।अक्षत के रहते हैं उसे सांझ की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी। वैसे भी आज के समय में सांझ के सबसे करीबी कोई था तो वह अक्षत था और सबसे ज्यादा गहरा रिश्ता उन्ही दोनों का था।दोनों का ही एक दूसरे ...Read More
साथिया - 115
अक्षत ने उसे वापस बिस्तर पर लिटाया और उसके माथे को चूम जैसे ही दूर जाने को हुआ सांझ उसका हाथ पकड़ लिया।अक्षत ने उसकी आंखों में देखा।"प्लीज जज साहब मेरे पास ही रहिए ना.!! दूर मत जाइए। बहुत डर लग रहा है मुझे। पता नहीं अब और क्या होने वाला है..?? इतना सब कुछ हुआ आपसे दूर होते ही। सब कुछ बिखर गया। सब कुछ बर्बाद हो गया। मैं अब आपसे दूर नहीं होना चाहती। प्लीज मुझे खुद से दूर मत कीजिएगा जज साहब.!!" सांझ बार-बार इमोशनल हो रही थी।"बस दो मिनट वॉशरूम से आ रहा हूं और ...Read More
साथिया - 116
" तुम अब मेरे पास हो मेरे करीब..!! अब तुम्हें कोई भी नहीं छू सकता इसलिए तुम बिल्कुल निश्चित और अब सजा मिलने की वारी उन लोगों की है। तुम्हें तो उन्हें जितनी तकलीफ देनी थी दे चुके अब तकलीफ बर्दाश्त करने की हद उनकी देखनी है मुझे।""मुझे कुछ नहीं चाहिए जज साहब। बस आपका साथ रहे और कुछ भी नहीं।एक-एक पल मैंने आपको याद किया था जज साहब। उन दो दिनों जब मैं वहां रही थी एक-एक पल में मेरा दिल बेचैन था। बस एक ही और एक ही ख्याल आ रहा था कैसे भी करके मैं आपके ...Read More
साथिया - 117
उधर अबीर और मालिनी घर की तरफ आ रहे थे।"क्या लगता है तुमको मालिनी सांझ माफ करेगी मुझे..?? इतनी बात वो एक्सेप्ट कर पायेगी।"मुश्किल होगा पर मुझे विश्वास है कि अक्षत उसे समझा देगा..!! बहुत समझदार है अक्षत। जब उसे आपसे नाराजगी थी उसके बाबजूद उसने न सिर्फ आपको माफ किया बल्कि साँझ को नए रंग रूप नई पहचान के साथ एक्सेप्ट किया। उसका साथ दिया तो अब भी जरूर सांझ को समझाएगा। आप दोनों के रिश्ते खराब नहीं होने देगा।" मालिनी ने अबीर को समझाते हुए कहा।थोड़ी देर में वो लोग घर पहुंच गए।अबीर ने आते ही सांझ ...Read More
साथिया - 118
अक्षत घर आया और तो देखा हॉल में ही साधना और अरविंद बैठे हुए हैं।"क्या हुआ आप लोग इस से टेंशन में क्यों हो?" अक्षत ने कहा।"अरे वह तुमने जब से बताया कि सांझ को सब कुछ याद आ गया है, बहुत परेशान थे हम लोग।" साधना बोली" परेशानी की कोई बात नहीं है मम्मी..!! वह ठीक है हां थोड़ा परेशान हुई थी और वह तो स्वाभाविक भी है। किसी भी इंसान को जब पुरानी तकलीफें याद आती है तो दर्द तो महसूस होता ही है ना..?? बस वही दर्द सांझ को हुआ।"अक्षत बोला और साधना की तरफ देखा।"इसीलिए ...Read More
साथिया - 119
थोड़ी थोड़ी देर में सब लोग तैयार होकर हॉल में इकट्ठे हो गए थे।जहां पर ईशान शालू अक्षत और की हल्दी की रस्म होनी थी। दोनों परिवार और दोनों तरफ के नाते रिश्तेदार सब लोग इस बड़े से हॉल में आ गए थे। खूबसूरती से सजाया हुआ यह हाल मेहमानों से पूरी तरीके से भरा हुआ था।हालांकि अक्षत ईशान अरविंद और अबीर की आर्थिक स्थिति के हिसाब से ये सब उतना मेंहगा नही था क्योंकि अक्षत एक नॉर्मल शादी कम फिजूल खर्ची के साथ करना चाहता था।एक तरफ ईशान और अक्षत बैठे और उनकी हल्दी की रस्म शुरू हो ...Read More
साथिया - 120
" डोन्ट वारि सांझ इतना नही करूँगा कि बर्दास्त न हो उनसे..!! पर तुम भूल सकती हो और माफ सकती हो नेहा को पर मैं नही।"" बात माफ करने की या भूलने की नहीं है। मैं मानती हूं कि उनकी गलती है। पर मैं यह नहीं भूल सकती कि नेहा दीदी ने बचपन से लेकर अब तक हमेशा मेरा हर कदम पर साथ दिया था। उन्होंने मुझे हमेशा कहा कि मैं गाँव और चाचा चाची से कोई मतलब न रखूं। मै अपना सोचूँ अपने हिसाब से करूँ। उन्होंने हमेशा कहा कि मैं ये न सोचूँ कि किसी ने मुझ ...Read More
साथिया - 121
शालू और सांझ आराम से बिस्तर पर लेटी अपनी-अपनी मेहंदी देख रही थी।"कितनी अच्छी फीलिंग होती है ना शालू यह शादी, मेहंदी, एकदम ट्रेडिशनल तरीके से करना..!!" सांझ ने अपनी हथेलियां को देखते हुए कहा।शालू ने उसकी तरफ देखा।"और वह भी जब इतने लंबे थे इंतजार के बाद हो तो होने वाली खुशी का अंदाजा हम दोनों के अलावा और कौन लगा सकता है?" शालू ने कहा तो सांझ ने उसकी तरफ देखा और वापस से अपनी मेहंदी में देखने लगी।"पता है शालू दीदी इन दो सालों में भले में जज साहब को भूल गई थी और सब कुछ ...Read More
साथिया - 122
साधना ने दरवाजे पर ही अक्षत और ईशान को रोक दिया और फिर दोनों बेटों के उनके जीवनसाथी के खड़ा कर तिलक किया दोनों की आरती की और फिर दोनों का गृह प्रवेश कराया और उन्हें आशीर्वाद दिया।उसके बाद मंदिर में भगवान का आशीर्वाद दिलाया तब तक मनु ने बाकी रस्मो की तैयारी कर ली थी।साधना और मनु दोनों जोड़ों को बिठाकर रश्मे करवाने लगी। तब तक नील ने डेकोरेटर को बुलाकर दोनों के कमरों को खूबसूरती से सजा दिया।"वह भाई वाह मेरी भाभियाँ है तो बहुत ही स्मार्ट है। मेरे दोनों भाइयों को हर रश्म मे हरा दिया ...Read More
साथिया - 123
मनु ने सांझ को ले जाकर अक्षत के कमरे में बेड पर बिठाया और उसका घूंघट नीचे कर दिया सांझ ने मनु की तरफ देखा।"आंटी ने कहा है कि इसी तरीके से बैठना और जब अक्षत आएगा तब वही घूंघट खोलेगा।" मनु बोली।" मां ने ऐसा कहा..??" सांझ बोली।मनु मुस्करा दी।" अरे मैने कहा है..!! इतना घबरा क्यों रही हो?" मनु ने सांझ के चेहरे पर आते भाव देखकर कहा तो सांझ ने नजर झुका ली।मनु ने उसका हाथ अपनी हथेलियां में थाम लिया और हल्के से थपका।" तुम और अक्षत तो सालों से एक दूसरे को जानते हो। ...Read More
साथिया - 124
तु मेरे पास है मेरे साथ है और इससे खूबसूरत कोई एहसास नही। आज सुकून मिला है इस बेताब दिल को। तेरे साथ का एहसास ही काफी है मेरे दिल के सुकून के लिए। न तुझे हासिल करने की चाहत है न जल्दबाजी कोई..! क्योंकि प्यार में हमेशा हासिल करना जरूरी नही होता, जरूरी होता है पाना..! प्यार में सिर्फ जिस्म छूना जरूरी नही होता , जरूरी है जिस्म से पहले रूह को छूना।" अक्षत ने मद्धम रोशनी में उसके मासूम चेहरे को देखते हुए खुद से कहा और आँखे बन्द कर ली।जैसे ही उसकी गहरी होती साँसे ...Read More