मैं पापन ऐसी जली!

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सात सुरों के मेल को सरगम कहा जाता है,ये एक ऐसी ही लड़की की कहनी है जिसका नाम सरगम है,जिसका जीवन उसके नाम की तरह संगीतमय था जो स्वरबद्ध और तालबद्ध था लेकिन फिर उसके जीवन के सुरो का तालमेल बिगड़ा और उसके जीवन की सरगम के स्वर और ताल बिखर गएं, क्योंकि इस पुरूषप्रधान संसार में नारी का कोई अस्तित्व ही नहीं है,प्रसिद्ध दार्शनिकों के अनुसार सृष्टि की रचना करते समय अहं था जो पहले पुरुष में प्रकट किया गया और स्त्री में बाद में इसलिए औरत का अहं पुरूष से कभी बरदाश्त नहीं होता, प्रारम्भिक दार्शनिकों का दृष्टिकोण स्त्रियों के लिए बहुत उपेक्षापूर्ण था, उनका तर्क था कि प्राकृतिक रूप से औरत में कमियाँ हैं और वह पूर्ण मानव नहीं है, वे मानते थे कि औरत एक चिन्ता है जो सदा पुरुष को पीड़ित करती है,औरत ही नर्क का द्वार है ,औरत ही सभी परेशानियों की जड़ है,औरत शारीरिक भूख के लिए भोजन और शराब की तरह ही अनिवार्य तो है लेकिन उसका उपभोग करने के पश्चात वो किसी काम की नही,देखते हैं इस पुरूष प्रधान समाज में सरगम की क्या दशा होती है,तो कहानी शुरू करते हैं....

Full Novel

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मैं पापन ऐसी जली!--भाग(१३)

खाना खाते खाते सिमकी ने सरगम से पूछा.... "दीदी!तुम भी पढ़ती होगी ना!" "हाँ!मैं भी पढ़ती हूँ",सरगम बोली... "किताबें बहुत अच्छा लगता होगा ना!"सिमकी ने पूछा... "हाँ!अच्छा लगता है",सरगम मुस्कुराते हुए बोली... "हम भी बचपन से पढ़ना चाहते थे लेकिन हमारे बाबा ने हमें पढ़ाया ही नहीं",सिमकी बोली... "क्यों नहीं पढ़ाया तुम्हारे बाबा ने",सरगम ने पूछा... तब सिमकी बोली... "हम घर में सबसे बड़े थे ,हमारे और भी छोटे भाई-बहन थे,अम्मा-बाबा खेतों में काम करते थे और हम अपने भाई -बहनों को सम्भालते थे,इसलिए पढ़ नहीं पाएं,लेकिन हमने अपने भाई बहनों का बाबा से कहके जबरदस्ती स्कूल में नाम ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली!--भाग(१)

सात सुरों के मेल को सरगम कहा जाता है,ये एक ऐसी ही लड़की की कहनी है जिसका नाम सरगम जीवन उसके नाम की तरह संगीतमय था जो स्वरबद्ध और तालबद्ध था लेकिन फिर उसके जीवन के सुरो का तालमेल बिगड़ा और उसके जीवन की सरगम के स्वर और ताल बिखर गएं, क्योंकि इस पुरूषप्रधान संसार में नारी का कोई अस्तित्व ही नहीं है,प्रसिद्ध दार्शनिकों के अनुसार सृष्टि की रचना करते समय अहं था जो पहले पुरुष में प्रकट किया गया और स्त्री में बाद में इसलिए औरत का अहं पुरूष से कभी बरदाश्त नहीं होता, प्रारम्भिक दार्शनिकों का दृष्टिकोण ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(२)

सरगम ने जब सुना कि दीपा अब इस दुनिया में नहीं रही तो उसे उस बात का बहुत दुःख कुछ दिनों तक केवल दीपा के बारें में सोचती रही और एक दिन अपनी माँ सुभागी से बोली.... माँ!दीपा को अगर उसके ससुराल ना भेजा जाता तो शायद आज वो जिन्दा होती,है ना! तब उसकी माँ सुभागी बोली..... बिटिया!ये जग ऐसा ही है,एक बार बेटी के हाथ में मेंहदी रच जातीं है ना तो वो अपने माँ बाप के लिए बिल्कुल पराई हो जाती है.... तुम भी मेरे साथ ऐसा ही करोगी,सरगम ने पूछा... ना...बिटिया!हम तो उस दिन दीपा के ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(३)

कुलभूषण त्रिपाठी जी के अन्तिम संस्कार के बाद सदानन्द जी ने एक भाई की तरह अपनी मुँहबोली सुभागी और तीनों बच्चों की जिम्मेदारियों को लेना शुरु कर दिया,अब सुभागी और सरगम को भी पता था कि अब सरगम मेडिकल की पढ़ाई नहीं कर पाएगी क्योंकि उसकी पढ़ाई के लिए खर्चा कहाँ से आएगा और उन्होंने संकोचवश ये बात सदानन्द बाबू से भी नहीं बताई,इसलिए सदानन्द बाबू ने कस्बें के काँलेज में ही बी.एस.सी. में सरगम का एडमिशन करा दिया और सुभागी को कुछ रूपये देकर वापस दिल्ली रवाना हो गए और जाते जाते सुभागी से ये कहकर गए... सुभागी ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(४)

श्वेता समझ चुकी थी कि शाश्वत यहाँ पढ़ने नहीं आया है,वो तो यहाँ सरगम को देखने आया था और का वहाँ यूँ ही बैठना सरगम को भी अच्छा नहीं लग रहा था,इसलिए उसने अपनी किताबें उठाईँ और लाइब्रेरी से बाहर निकल गई,फिर श्वेता भी वहाँ ना रुक सकी और वो भी सरगम के पीछे पीछे लाइब्रेरी से बाहर चली गई,शाश्वत यूँ ही दोनों को जाते हुए देखता रहा.... अब ये तो रोजाना का सिलसिला हो गया,जहाँ भी सरगम जाती तो शाश्वत भी उसके पीछे पीछे हो लेता,काफी दिन यूँ ही गुजरे और फिर एक दिन शाश्वत ने श्वेता से ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(५)

यूँ ही एक दिन सरगम रसोई में खाना पका रही थी,तभी पीछे से किसी ने उसकी चोटी खींची और ए...पागल ये क्या हो रहा है? सरगम पीछे घूमी तो एक नवयुवक उसके सामने खड़ा था,उसने जैसे ही सरगम को देखा तो बोल पड़ा... माँफ कीजिएगा,मुझे लगा भानु है.... तभी पीछे से भानू आई और उस नवयुवक से बोली... ओह....तो इतने दिनों बाद हमारे घर शायर साहब पधारें हैं.... तब वो नवयुवक बोला.... अब क्या करें?आना ही पड़ा,सोचा अपनी शायरियाँ सुनाकर आप सबको परेशान किया जाएं.... रहने दीजिए कमलकान्त बाबू!ज्यादा बहाने ना बनाइए,कोई काम होगा तभी आप यहाँ आएं है,वरना ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(६)

तभी भानू की माँ शीतला बोलीं.... "बेटा अब इतने दिनों बाद आएं हो तो रात का खाना खाएं वगैर ना जाने दूँगी..." "अब आप इतना जोर देकर कह ही रहीं हैं तो खाना खाकर ही जाऊँगा आण्टी!,"कमलकान्त बोला.... "जैसें कि माँ ना कहती तो तुम खाएं बिना ही चले जाते,तुम्हारे जैसा भुक्खड़ खाना छोड़़ दे,ऐसा कभी हो सकता भला,"भानूप्रिया बोली.... "ये बात तो है,खाना मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है,मुझे कोई कहीं भी खाना खाने के लिए बुला ले तो मैं चला जाता हूँ,फिर वो चाहें भण्डारा हो या फिर किसी की तेहरवीं या श्राद्ध,मैं बेशर्मी और बिना संकोच के ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(७)

"कोई तो बात जरूर है भानू!तभी तो तू उनके आने पर इतना चहक रही थी,",सरगम ने पूछा.... "ना!दीदी!ऐसा कुछ है",भानू बोली... "ऐसा कुछ नहीं है......,मैं नहीं मानती,कुछ तो है मोहतरमा!बात क्या है बतानी तो पड़ेगी ही ?"सरगम ने आँखें मटकाते हुए पूछा... "दीदी!तुम गलत समझ रही हो",भानू बोली.... "मैं बिल्कुल सही समझ रहीं हूँ,तू कमल बाबू को पसंद करती है ना!",सरगम ने पूछा... सरगम का सवाल सुनकर पहले तो भानू शरमाई और फिर बोलीं... "हाँ!दीदी!वें मुझे अच्छे लगते हैं" "कब से चल रहा है ये चक्कर"?,सरगम ने पूछा.... तब भानू बोली.... "आदेश भइया और कमलकान्त तो बहुत समय से ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(८)

आदेश के घर पहुँचते ही उसकी माँ शीतला के पैर खुशी के मारे धरती पर नहीं पड़ रहे थे,आदेश ही द्वार पर पहुँचा तो शीतला आरती की थाली लेकर द्वार पर आ पहुँची,फिर वो अपने बेटे की नज़र उतारकर उसे भीतर ले गई और फौरन ही रसोई में जाकर सरगम से चाय नाश्ता लाने को कहा,उस समय भानू घर पर नहीं थी,उसका आज कोई जरूरी प्रैक्टिकल था काँलेज में इसलिए उसे मजबूरी में ना चाहते हुए भी काँलेज जाना पड़ा,भानू घर पर नहीं थी इसलिए सरगम को चाय और नाश्ता देने बाहर आना पड़ा..... सरगम चाय और नाश्ते की ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(९)

सरगम अपने कमरें आई और बिस्तर पर किताबें फैलाकर पढ़ने बैठ गई,लेकिन जैसे ही उसने किताब उठाई तो उसे रहकर आदेश और उसकी बातें याद आने लगीं,उसने मन में सोचा कितना साधारण सा व्यक्तित्व है आदेश का,इतने अमीर घराने का होने पर भी उसमें जरा भी घमण्ड नहीं है,देखने में भी बुरा नहीं है,गोरा रंग,सुन्दर नैन-नक्श और अच्छी भली कद-काठी है उसकी,कितना सभ्य,शालीन और विनम्र है,विदेश में रहकर आया है लेकिन अभी तक अपने संस्कार नहीं भूला,अच्छा लगा उससे बात करके और इसी तरह सरगम कुछ देर तक आदेश के ख्यालों में डूबी रही और वो कब सो गई ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(१०)

आदेश का यूँ कमरें को गौर से देखना सरगम को कुछ अटपटा सा लगा तो सरगम ने आदेश से "क्या हुआ?आप कमरे को इतने गौर से क्यों देख रहे हैं?" "तुम्हारे कमरें में केवल पंखा ही है,एयरकंडीशनर नहीं है और तुम्हारा कमरा इतना सादा क्यों हैं? यहाँ ना कोई साज-सजावट और ना ही कोई महँगा फर्नीचर है",आदेश ने सरगम से पूछा... "जी!मुझ जैसी मिडिल क्लास लड़की को इन सबकी कोई जरूरत नहीं",सरगम बोली... "तुम ऐसा क्यों सोचती हो,?",आदेश ने पूछा... "जी!यहाँ दिल्ली जैसे शहर में पढ़ने का पता है कितना खर्च लगता है,मेरी पढ़ाई का खर्च तो मेरी माँ ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(११)

कमलकान्त जब शान्त हो गया और सरगम से कुछ ना बोला तो सरगम उससे बोली... "क्या हुआ कमलकान्त बाबू!कहिए कि क्या बात है?" "जी!आप बिना बात सुने ही आगबबूला हो रहीं हैं,जब बात सुन लेगीं तो तब ना जाने क्या होगा"?, कमलकान्त बोला... कमल की इस बात पर सरगम मुस्कुरा कर बोली.... "ऐसी कौन सी बात है जिसे सुनकर मुझे गुस्सा आ जाएगा", "जी!रहने दीजिए",कमलकान्त बोला... "कमलकान्त बाबू!आप कहिए ना!,मैं आपसे वादा करती हूँ कि मैं गुस्सा नहीं करूँगी",सरगम बोली... तब हिम्मत करके कमलकान्त बोला.... "मैं ये कहना चाहता था कि आपका आदेश से नजदीकियांँ बढ़ाना ठीक नहीं,कहीं ऐसा ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(१२)

सरगम यूँ ही कुछ देर तक बिस्तर में मुँह छुपाकर रोती रही और मन में सोचती रही कि उसने से प्यार करके कोई गलती कर दी क्या?,उसकी माँ ने कितने भरोसे के साथ उसे यहांँ पढ़ने के लिए भेजा है और वो अपनी माँ के पीठ पीछे ये सब कर रही है,लेकिन मैनें तो निर्मल मन से आदेश से प्यार किया है अगर वो भी मुझे प्यार करता है तो फिर उसने ऐसी हरकत क्यों की?वो सच में मुझे प्यार करता भी या नहीं या फिर मैं उसके लिए एक खिलौना मात्र हूँ,कहीं कमलकान्त बाबू ने आदेश के बारें ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(१४)

उस रात के बाद सरगम और आदेश में फिर से सुलह हो गई और फिर से वें एकदूसरे के पहले की तरह ही व्यवहार करने लगे,सरगम ने तो आदेश की बातों पर पूरी तरह से भरोसा कर लिया था लेकिन आदेश के मन में तो कुछ और ही चल रहा था,उसे तो बस सरगम से उस रात उसके गाल पर पड़े थप्पड़ का बदला लेना था,उसने तो सरगम से कभी प्यार किया ही नहीं था,लड़कियों को अपने झूठे प्यार के जाल में फँसाकर उनकी जिन्दगी से खिलवाड़ करना ये ही तो उसका शौक था,उसका मानना था कि अपनी दौलत ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(१५)

जब शीतला जी और भानूप्रिया शादी में जाने की तैयारियाँ करने लगी तो सरगम ने शीतला जी पूछा.... "चाची जाने की तैयारियाँ हो रहीं हैं"? "सरगम बेटा!मेरे भान्जे युगान्तर की शादी है,हम सब वहाँ जा रहे हैं",शीतला जी बोलीं.... "ओह...ये तो बहुत अच्छी बात है",सरगम बोली... "सरगम बेटा!तुम भी चलो ना हमारे संग शादी में",शीतला जी बोलीं... "नहीं!चाची जी!मुझे पढ़ाई करनी क्योंकि इग्जाम आने वाले हैं",सरगम बोली.... "दीदी!तुम भी चलतीं तो अच्छा रहता",भानूप्रिया बोली... "ना!मैं यहीं ठीक हूँ",सरगम बोली... "चलो ना दीदी!अच्छा लगेगा,",भानू बोली... "ना!भानू! आप सब लोग जाओ,मेरा वहाँ जाना ठीक नहीं रहेगा,वें सब मुझे पहचानते भी नहीं ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(१६)

कुछ ही देर में दोनों मंदिर पहुँच गए और सरगम ने मंदिर के भीतर जाते समय अपने सिर पर ले लिया फिर दोनों मंदिर के भीतर पहुँचकर पूजा करने लगे,पूजा करने के बाद सरगम आँखें बंद करके और हाथ जोड़कर भगवान से कुछ प्रार्थना करने लगी तो आदेश ने फौरन ही पूजा की थाली से सिन्दूर उठाकर उसकी माँग में भर दिया,आदेश की इस हरकत पर सरगम ने फौरन आँखें खोलीं और आदेश से बोली.... "ये आपने क्या किया आदेश जी?" तब आदेश बोला.... "जब हम दिल से एक दूसरे को अपना मान ही बैठें हैं तो इस प्रेम ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(१७)

आदेश एयरपोर्ट जाने के लिए कार में बैठ गया और सदानन्द जी भी उसके साथ उसे एयरपोर्ट छोड़ने चले बीच आदेश ने सरगम से ना आँखें मिलाईं और ना ही कुछ कहा,सरगम आदेश के विदेश जाने की बात से एकदम हिल सी गई थी लेकिन फिर भी खुद को संतुलित करते हुए उसने शीतला जी से पूछा... "लेकिन चाचीजी! आदेश जी ने तो अपने विदेश जाने के बारें में तो किसी से कुछ कहा ही नहीं" "ये बात तो उसके पापा ने उसे एक महीने पहले ही बता दी थी कि उसे कारोबार के सिलसिले में दो महीनों के ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(१८)

अपने माँ बनने की खबर सुनकर सरगम बहुत डर गई और फूट फूटकर रोने लगी,सिमकी भी इस बात से परेशान हो उठी और उसने सरगम को दिलासा देते हुए कहा.... "घबराओ नहीं दीदी!सब ठीक हो जाएगा" "कैसे ठीक होगा सिमकी.....कैसे ठीक होगा",सरगम कहते कहते और भी जोर से रो पड़ी.... गनपत को सरगम के रोने की आवाज़ बाहर तक सुनाई दी,लेकिन वो मारे संकोच के कमरें के भीतर ना आया,उसने सोचा हो रही होगी आपस में कोई बात ,महिलाओं के बातों के बीच में क्या पड़ना,लेकिन सरगम का रोना उसे कुछ अच्छा नहीं लगा,उसने मन में सोचा कोई ना ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(१९)

जब सरगम आदेश के सीने से लगी तो आदेश बोला... "ये क्या कर रही हो सरगम! कोई देख लेगा क्या समझेगा?"... "ऐसा क्यों कह रहे हैं आप?मैं अब आपकी पत्नी हूँ",सरगम बोली... "ये क्या बक रही हो तुम"?,आदेश बोला... "उस दिन आपने मुझसे मंदिर में शादी की थी ,भूल गए क्या आप"?,सरगम ने पूछा... "तुम्हारे पास क्या सुबूत है कि तुम मेरी पत्नी हो",आदेश बोला.... "ऐसा मत कहिए आदेश जी!मैं आपके बच्चे की माँ बनने वाली हूँ",सरगम गिड़गिड़ाते हुए बोली... "क्या बकवास कर रही हो तुम? चली जाओ यहाँ से नहीं तो मैं शोर मचा दूँगा",आदेश बोला.... "हाँ!मचाइए शोर ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(२०)

सरगम कार में पीछे जा बैठी और गनपत कार स्टार्ट करके कार को कमलकान्त बाबू के घर की ओर चला,सरगम कार में रोते रोते सोचती रही कि जिन लोगों को उसने अपना माना,इतना मान दिया ,इतना सम्मान दिया और उन्हीं लोगों ने मेरे साथ ऐसा बर्ताव किया,आदेश ने कितना बड़ा धोखा दिया मुझे,मैं जानती होती कि वो ऐसा करेगा मेरे साथ तो मैं कभी भी उसके प्यार में ना पड़ती..... शायद ऐसा दिन दिखाकर भगवान मुझे कुछ सबक देना चाह रहे होगें,लेकिन इसमें गलती तो मेरी ही है,मैं क्यों फँसी आदेश के झूठे प्यार के जाल में,मैं क्यों बह ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(२१)

फिर सरगम ने गनपत से कहा.... "गनपत भइया!कार बस स्टैण्ड की तरफ ले लो,मैं बस से जाऊँगी", "लेकिन दीदी!बस क्यों?" गनपत ने पूछा... "रेलवें स्टेशन यहाँ से काफी दूर है और बस स्टैण्ड पास में है,मैं चाहती हूँ कि कितनी जल्दी मैं इस शहर से दूर चली जाऊँ,दम घुट रहा है यहाँ मेरा",सरगम बोली... "ठीक है दीदी!",गनपत बोला... और फिर ऐसा कहकर गनपत कार को बस स्टैण्ड की ओर ले चला,कुछ ही देर में सरगम बस स्टैण्ड पहुँच गई और कार से उतरकर उसने अपना सामान उठाया और गनपत से बोली... "गनपत भइया! आखिर आपने और सिमकी ने मेरी ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(२२)

कुछ ही देर में बूढ़ी सरदारनी का घर आ गया और उन्होंने सावधानीपूर्वक सरगम को रिक्शे से उतारा,फिर रिक्शेवाले दोनों का सामान नीचे उतारा और अपना मेहनताना लेकर चला गया,बूढ़ी सरदारनी ने दरवाजे पर दस्तक दी तो उनकी नातिन ने दरवाजा खोला,दरवाजा खोलते ही नातिन बोली... "तुम आ गई नानी और साथ में ये कौन है?", "मेरा हाल बाद में पूछना,पहले इस बच्ची को भीतर ले जाकर फौरन ही इसका इलाज शुरु कर दें,इसकी हालत बिल्कुल भी ठीक नहीं है", बूढ़ी सरदारनी बोली... और फिर बूढ़ी सरदारनी के कहने पर उनकी नातिन ने सरगम का इलाज शुरू कर दिया,कुछ ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(२३)

बहुत समय पहले की बात है,मनप्रीत और उसका बड़ा भाई किसी गाँव में रहा करते थे, मनप्रीत के माता उसके बचपन में गुजर गए थे जब लगभग वो दस साल की रही होगी ,तब से मनप्रीत की देखभाल उससे पाँच साल बड़े उसके भाई करतार ने की थी,मनप्रीत का बड़ा भाई करतार उसे प्यार से प्रीतो कहता था,धीरे धीरे मनप्रीत बड़ी होने लगी अब वो अठारह साल की हो चली थी लेकिन उसके बड़े भाई करतार ने अभी तक ब्याह नहीं किया था,अगर गाँव का कोई बड़ा-बूढ़ा करतार से ब्याह करने के लिए कहता तो करतार कहता... "दार जी!पहले ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(२४)

भाई की हत्या हो जाने से अब मनप्रीत बिल्कुल अकेली रह गई,वो दिनभर अपने घर में पड़ी पड़ी रोती भाई के जाने का शोक मनाती भी कब तक आखिर धीरे धीरे उसने खुद को सम्भालना शुरू कर दिया,अब वो खुद ही खेतों में काम करने लगी थी,लोग एक बेसहारा लड़की को अकेली खेतों में काम करते देखते तो उसकी थोड़ी बहुत मदद कर दिया करते,ऐसे ही मनप्रीत को खुद को सम्भालते हुए अब तीन महीने होने को आएं थे और तब उसे शंका हुई कि वो माँ बनने वाली है,अब तो मनप्रीत की जान पर बन आई और वो ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(२५)

सरगम ने अपनी माँ को खत लिखकर सूचित ही कर दिया था कि वो कहाँ रह रही है,अब सरगम सोच लिया था कि वो पुरानी बातों को अपनी जिन्दगी में नहीं आने देगी और अब अपनी जिन्दगी नए सिरे से शुरु करेगी और फिर जब वो एक महीने बाद बिल्कुल से स्वस्थ हो गई तो उसने मनप्रीत जी से अपने घर जाने की बात कही तब मनप्रीत जी बोलीं.... "पुत्तर! ठीक है तो कब जाना चाहती है तू"? "सोचती हूँ कि कल ही चली जाऊँ",सरगम बोली.... "इतनी जल्दी क्यों जाना चाहती है पुत्तर"?,मनप्रीत जी ने पूछा... "माँ!इन्तज़ार करती होगी ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(२६)

भाइयों के जाने के बाद सरगम तो जैसे टूट सी गई थी,उसे अभी तक भरोसा नहीं हो रहा था उसके भाई माधव और गोपाल अब इस दुनिया में नहीं हैं और उसकी माँ सुभागी अब तक अपनी सुध बुध बिसराए बैठी थी,सुभागी को मोहल्ले की औरतों ने बहुत रुलाने की कोशिश की लेकिन वो ना रोई और वो बेजान पत्थर सी बनी बैठी रही,अब सरगम से अपनी माँ सुभागी की दशा देखी नहीं जा रही थी,मुहल्ले के लोगों ने सरगम से कहा कि अपनी माँ को रूलाने की कोशिश करो नहीं तो सुभागी के भीतर सदमा बैठ जाएगा और ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(२७)

सरगम को सफर में एक परिवार मिल गया था,जिनसे बातें करते करते और उनके बच्चों के साथ खेलते खिलाते का सफर अच्छे से कट गया था और फिर ट्रेन लगभग सुबह के चार बजे बनारस पहुँच गई,वो परिवार भी बनारस ही जा रहा था और वें सभी भी बनारस रेलवें स्टेशन पर उतरे और सरगम उन्हें अलविदा कहकर रेलवें प्लेटफार्म के बाहर आई ,जहाँ बिलकुल सन्नाटा था,इक्का दुक्का लोग ही दिख रहे थे वो भी चाय की टपरियों पर और फिर सरगम कुछ दूर चली और फिर सोचा पहले पता तो देख लूँ कि मुझे जाना कहाँ है तब ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली --भाग(२८)

जब सरगम राधेश्याम की बात पर हँस पड़ी तो राधेश्याम बोला.... "हँस लीजिए....आप भी हँस लीजिए,मेरी बेबसी पर", "खुद बेबस कहता है नालायक!,बेबस तो मैं हूँ जिसे ऊपरवाले ने ऐसा नकारा बेटा दिया है",,शिवसुन्दर शास्त्री जी बोले... "बाबा! क्या मेरे भीतर कोई भी खूबी नहीं है जो दिन रात मुझे कोसते रहते हो",राधेश्याम शास्त्री ने पूछा... "कोसता नहीं हूँ बेटा! मैं तो बस इतना चाहता हूँ कि तू सही राह पर चले,खूबियाँ तो तुझमें खूब है लेकिन तू उन खूबियों का इस्तेमाल करता कहाँ है,तू मेरी बात सुनता होता तो आज तेरा ये हाल ना होता", शिवसुन्दर शास्त्री जी ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(२९)

राधेश्याम नहाकर आया तो वो रसोईघर में नाश्ते के लिए पहुँचा और सरगम ने उसकी थाली में भी नाश्ता दिया,नाश्ता करके राधेश्याम बोला... "सच! सरगम जी! बहुत सालों बाद ऐसे नाश्ता किया है रसोईघर में बैठकर,जब से माँ गई है तब से हम बाप बेटे ऐसे ही कच्चा-पक्का कुछ भी पकाकर खा लेते थे,ये नाश्ता करके सच में माँ की याद आ गई" "चलिए आपको मेरी वजह से अपनी माँ की याद तो आई",सरगम बोली... "उन्हें तो मैं हमेशा याद करता हूँ,उनके जाने के बाद हम बाप बेटे का जीवन तो जैसे बिखर सा गया है", राधेश्याम बोला... "बहुत ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(३०)

फिर जब शास्त्री जी ने सरगम से ऐसा कहा तो सरगम ने कभी भी शिवसुन्दर शास्त्री जी के घर जाने का नहीं सोचा,कुछ ही दिनों में उसे शास्त्री जी की सिफारिश से एक संगीत विद्यालय में संगीत अध्यापिका का काम मिल गया और वो दो तीन बच्चों को उनके घर पर जाकर ट्यूशन भी देने लगी थी,अब उसे लगने लगा था कि उसकी जिन्दगी पटरी पर आ गई है,उसे रहने को एक घर और शास्त्री जी जैसे पिता समान सज्जन की छत्रछाया मिल गई थी और व्यस्तता के कारण वो अपना अतीत भूलती जा रही थी,मोहल्ले के लोग भी ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(३१)

शास्त्री जी मिसराइन वाली बात को लेकर काफी परेशान थे,रात को जब उन्होंने ठीक से खाना नहीं खाया तो को महसूस हुआ कि बाबा को उसका यूँ सुनन्दा भाभी को उकसाना अच्छा नहीं लगा ,इसलिए जब शास्त्री जी खाना खाकर अपने कमरें में चले गए तो राधेश्याम को खाना खिलाने के बाद सरगम ने भी खाना खाया और फिर सरगम ने राधेश्याम से कहा... "लगता है बाबा को मिसराइन काकी के परिवार के बीच में मेरा पड़ना अच्छा नहीं लगा,तभी वें इतने परेशान हैं", "मुझे भी ऐसा ही लगता है",राधेश्याम बोला... "तो अब मैं क्या करूँ? मैं बाबा को ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(३२)

रामरति ने ये बात मोहल्ले के कोने कोने तक फैला और अब ये खबर उड़ती उड़ती मिसराइन तक भी गई थीं और उसने मन में सोचा.... "अच्छा! तो अब "सौ चूहे खाके बिल्ली हज़ को चली",खुद कुकर्मिन होकर दूसरों को ज्ञान देती फिरती, अब मैं उसे ऐसा मज़ा चखाऊँगी कि जिन्दगी भर याद रखेगीं,बड़ी शरीफजादी बनी फिरती है,अब इसकी अकड़ तो मैं निकालूँगी" और मिसराइन तो मौके की ताक में थी और फिर दूसरे दिन शाम को सरगम को देखने गिरिजेश तिवारी अपने बड़े बेटे,बड़ी बहू,पत्नी और छोटे बेटे सर्वेश के साथ शास्त्री जी के घर आए तो शास्त्री ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(३३)

शास्त्री जी राधेश्याम के संग घर के भीतर पहुँचे तो सरगम उनसे रोते हुए बोली... "आखिर मेरी बदनामी जगजाहिर ही गई बाबा! इसलिए मैं शादी नहीं करना चाहती,मेरी वजह से आज आपकी भी इतनी बेइज्जती हुई,मैं पापन हूँ बाबा! और आपके इस पवित्र घर में रहने का मुझे कोई अधिकार नहीं", "नहीं!बिटिया!ऐसा ना बोल,तू पापन नहीं हैं,पापी तो वें हैं जो तुझे समझ नहीं पाए और तेरे बारें में पूरे मोहल्ले में अफवाह फैला दी",शास्त्री जी बोलें... "बाबा!ये अफवाह नहीं! ये तो सच है,उन लोगों ने सच ही तो कहा है मेरे बारें में,मैं बिनब्याही माँ बनी तो थी,कुछ ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(३४)

शास्त्री जी ने सोचा अब मैं कैसें भी करके सरगम को ही अपने घर की बहू बनाऊँगा और यही वो दिन रात देखने लगे,लेकिन सरगम इस बात के लिए कतई तैयार नहीं थी,ऐसी बात नहीं थी कि वो राधेश्याम को पसंद नहीं करती थी ,बस वो खुद को राधेश्याम के लायक नहीं समझती थी,लेकिन राधेश्याम के मन में ऐसा कुछ भी नहीं था,वो तो सरगम को उसी दिन से पसंद करने लगा था जिस दिन वो उसे रेलवें प्लेटफॉर्म के बाहर मिली थी,बस उसने आज तक अपने मन की बात सरगम से कही नहीं थी,क्योंकि वो सोचता था कि ...Read More

35

मैं पापन ऐसी जली--भाग(३५)

"क्या कहा बिटिया! राधे को बुखार है,दोपहर में कह तो रहा था कि सिर में दर्द है,मैनें सोचा ऐसे हल्का फुल्का दर्द होगा तो बाम लगाने से चला जाएगा,इसलिए मैनें उससे बाम लगाने को कह दिया,मतलब उसकी तबियत सुबह से ही ठीक नहीं थी,चल मैं उसे देखता हूँ", और ऐसा कहकर शास्त्री जी राधेश्याम के कमरें में गए और उन्होंने राधे के माथे पर हाथ धरकर देखा तो उसे सच में बहुत तेज बुखार था और बुखार से उसका चेहरा एकदम लाल पड़ गया था,ये देखकर शास्त्री जी घबरा गए और सरगम से बोलें... "बिटिया! तू इसका ख्याल रख! ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(३६)

अब सरगम राधेश्याम से बात ना करने के बहाने ढूढ़ती रहती क्योंकि उसे पता था कि अगर उसने राधेश्याम बात की तो वो उसे फिर से अपने प्यार की दुहाई देने लगेगा और उसकी बातों से उसका दिल दुखेगा, इसलिए सरगम अपने काम निपटाती और फिर अपने कमरें में चली जाती ताकि उसका सामना राधेश्याम से ना हो ..... अब राधेश्याम बिल्कुल से ठीक हो चुका था और सरगम की छुट्टियांँ भी खतम हो चुकीं थीं,इसलिए उसकी फिर वही दिनचर्या शुरु हो गई,लेकिन अभी राधेश्याम ने काम पर जाना शुरू नहीं किया था,क्योंकि अभी उसे थोड़े और आराम की ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(३७)

जब सरगम ने पाण्डेय जी से ये कह दिया कि वो यहाँ पर रहने वाली किराएदार है तो पाण्डेय ने उससे पूछा.... "तो बिटिया! यहाँ रहकर पढ़ रही हो क्या?" "नहीं! चाचा जी! एक संगीत विद्यालय में पढ़ाती हूँ", "तब तो बहुत अच्छी बात है,नाम क्या है तुम्हारा", पाण्डेय जी ने पूछा.... "जी! सरगम त्रिपाठी",सरगम बोली... "नाम सरगम ,काम संगीत ,तब तो तुम साक्षात् सरस्वती हो",पाण्डेय जी बोले... और फिर पाण्डेय जी की बात पर सभी हँस पड़े,तब सरगम बोली... "मैं अभी आप सभी के लिए चाय नाश्ते का इन्तजाम करती हूँ", और ऐसा कहकर सरगम रसोईघर में चली ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(३८)

शास्त्री जी तो पाण्डेय जी के जाने का ही इन्तज़ार कर रहे थे और जैसे ही वो घर से तो उन्होंने सरगम से कहा... "बिटिया! ये तुमने क्या किया?,मैं तो चाहता हूँ कि तुम इस घर की बहू बनो,लेकिन तुमने तो सारा मामला ही बिगाड़ कर रख दिया,राधेश्याम के बारें में भी तो कुछ सोचा होता", "बाबा! मैं ने उन्हीं के बारें में सोचकर ऐसा किया",सरगम बोली... "ठीक है बाकीं बातें बाद में करते हैं,पहले मैं मंदिर हो आता हूँ", और ऐसा कहकर शास्त्री जी स्नान करके मंदिर चले गए,इसी बीच राधेश्याम पाण्डेय जी को रेलवें स्टेशन छोड़कर घर ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली --भाग(३९)

सरगम ने पहले ही सोच लिया था कि वो अब कहाँ जाएगी और वो मनप्रीत जी के यहाँ जा तो उसे पता चला कि मनप्रीत जी तो नहीं रहीं,उन्हें दिल का दौरा पड़ा था,जसवीर थी घर में जिसकी अब शादी हो चुकी थी,सरगम ने जसवीर से कोई काम दिलवाने को कहा तो जसवीर ने उसे एक अस्पताल में टेम्परेरी नर्स की नौकरी दिलवा दी और उससे कहा कि तुम इसी दौरान नर्सिंग का कोर्स कर लो तो फिर तुम्हें किसी अच्छे से अस्पताल में नर्स की नौकरी मिल जाएगी,जसवीर के लाख कहने पर भी सरगम उसके घर में नहीं ...Read More

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मैं पापन ऐसी जली--(अन्तिम भाग)

और तब तक बच्चे की माँ भी सरगम के पास पहुँच गई थी और जैसे ही उसने सरगम के की ओर देखा तो भौचक्की रह गई और उससे बोली.... "सरगम दीदी! तुम! कैसीं हो दीदी?" "मैं अच्छी हूँ भानू! और तुम कैसीं हो"?सरगम बोली... "मैं भी ठीक हूँ दीदी! मैं ना टोकती त़ो चुपके चुपके निकली जा रही थी और सुनाओ क्या चल रहा है जिन्दगी में",भानुप्रिया बोली.... "सब ठीक ही चल रहा है,अच्छा!मैं तुमसे आधे घण्टे बाद मिलूँ,आधे घण्टे बाद मेरी शिफ्ट खतम हो जाएगी,तब इत्मीनान से बातें करेगें",सरगम बोली.... "ठीक है दीदी! लेकिन मिलना जरूर बहुत सी ...Read More