पूरे गाँव में रामलाल काका की ही चर्चा थी। जब से उस विशाल घर परिवार के मुखिया की जिम्मेदारी उन्हें मिली थी, उन्होंने कई क्रांतिकारी फैसले लिए जिनके खिलाफ उनके पुरखे सदैव ही रहे। साहूकार के हाथों खेत खलिहान गिरवी रखकर पुश्तों से बेरंग पड़ी हवेली के मरम्मत व रंग रोगन का कार्य जोरों से चल रहा था। इस रंग रोगन व मरम्मत के चक्कर में कई बार घर की रसोई ठंडी रह जाती लेकिन घर के भूखे सदस्य घर के बदलते रूप को देखकर अभिभूत थे व रामलाल काका की शान में कसीदे पढ़ना नहीं भूलते। एक दिन किसी बात को लेकर उनके दो पुत्रों में बेहद गंभीर विवाद शुरू हो गया। नौबत मारपीट तक पहुँच गई लेकिन रामलाल काका सब कुछ देखते सुनते हुए भी खामोश रहे। घर के अन्य सदस्य चाहते थे कि रामलाल काका उनके झगड़े में हस्तक्षेप करें व घर में शांति लाएँ लेकिन वह फिर भी मौन रहे। रंग रोगन के ठेकेदार ने रामलाल काका के सम्मान में अपने घर पर एक समारोह का आयोजन किया।
New Episodes : : Every Tuesday, Thursday & Saturday
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 1
क्रमांक :1एक थे रामलाल काका******************पूरे गाँव में रामलाल काका की ही चर्चा थी। जब से उस विशाल घर परिवार मुखिया की जिम्मेदारी उन्हें मिली थी, उन्होंने कई क्रांतिकारी फैसले लिए जिनके खिलाफ उनके पुरखे सदैव ही रहे। साहूकार के हाथों खेत खलिहान गिरवी रखकर पुश्तों से बेरंग पड़ी हवेली के मरम्मत व रंग रोगन का कार्य जोरों से चल रहा था। इस रंग रोगन व मरम्मत के चक्कर में कई बार घर की रसोई ठंडी रह जाती लेकिन घर के भूखे सदस्य घर के बदलते रूप को देखकर अभिभूत थे व रामलाल काका की शान में कसीदे पढ़ना नहीं ...Read More
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 2
क्रमांक 3सोहनलाल *********बाहर झुलसा देने वाली चिलचिलाती धूप थी, बावजूद इसके तहसील में आवश्यक कार्य होने की वजह से घर से बाहर जाने की तैयारी कर रहा था। भगवान की मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर उसने चारखाने वाला खादी का गमछा सिर पर लपेटा और बाहर निकल ही रहा था कि उसकी चौदह वर्षीया पोती अचानक सामने आ गई। "दादू ! यह चारखाने का गमछा लपेटकर तो आप पूरे मुस्लिम लग रहे हो।" कहकर खिलखिलाते हुए वह घर के अंदर भाग गई। "अरे बेटा, किसी कपड़े के इस्तेमाल से कोई हिन्दू- मुस्लिम नहीं हो जाता...और फिर मैंने यह गमछा ...Read More
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 3
लघुकथा क्रमांक 6विरोध प्रदर्शन************एक गोदाम में मोमबत्तियों के एक समूह की आपस में बातें हो रही थीं। एक मोमबत्ती अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, "भला हो इस कोरोना का, जिसने सारे असल दरिंदों को घरों में कैद कर दिया है, नहीं तो अब तक न जाने कितनी निर्भयाओं की इज्जत लूटी जाती, हत्याएँ होतीं और फिर उनके विरोध प्रदर्शन के नाम पर हमें जलना पड़ता।" दूसरी मोमबत्ती ने रहस्य भरे स्वर में कहा, "इंसानों की दरिंदगी की शिकार ये मासूम अबलाएं ही नहीं इंसानों की एक प्रजाति भी है जिसे मजदूर कहा जाता है। सुना है कि इसी ...Read More
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 4
लघुकथा क्रमांक 9जमाखोरी*********जंगल का राजा शेरसिंह भोजन करने के बाद आराम कर रहा था कि अचानक चुन चुन चूहे न जाने क्या सूझी, वह उछलते कूदते शेरसिंह के पेट पर जा पहुँचा और कूदने लगा। उसके कूदने से शेरसिंह को पेट में गुदगुदी सी हुई और वह हँस पड़ा। उसको हँसते देखकर जंगल का प्रधान मंत्री भोलू भालू भी हँस पड़ा और बोला, " महाराज ! चूहे की इतनी बड़ी गुस्ताखी के बाद भी आप इसको सजा देने की बजाय उल्टे हँसे जा रहे हैं ?"शेरसिंह भोलू की तरफ देखकर मुस्कुराया और बोला, " भोलू ! हम जानवर तो ...Read More
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 5
लघुकथा क्रमांक 12रणचंडी *******रजनी आज बहुत खुश थी। शारदा विद्यालय के प्राचार्य ने आज सुबह ही उसे फोन करके किया था कि अध्यापिका की नौकरी के लिए उसके आवेदन को स्कूल के प्रबंधकों ने मंजूर कर लिया है। अपना नियुक्ति पत्र लेने वह प्रधानाचार्य के दफ्तर में पहुँची। बड़ी गर्मजोशी से उससे हाथ मिलाते हुए प्रधानाचार्य ने उसे सिर से लेकर पैर तक चश्मे के पीछे से ऐसा घूरा कि रजनी भीतर ही भीतर सिहर गई। नियुक्ति पत्र उसके हाथों में थमाते हुए प्रधानाचार्य चेहरे पर कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए बोला, "बधाई हो ! तुम्हारा चयन हमारे इस प्रतिष्ठित ...Read More
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 6
लघुकथा क्रमांक 15रोटी------रज्जो का पति कल्लू शहर में दिहाड़ी मजदूरी का काम करता था। बेरोजगारी की मार झेल रहे ने बहुत दिन हुए शहर से कुछ नहीं भेजा था। आज लगातार तीसरा दिन था जब घर में चूल्हा नहीं जला था। बड़ी बेटी ग्यारह वर्षीया निशा का भूख के मारे बुरा हाल था। वह अपनी परवाह न कर भूख की वजह से बिलख रही सात वर्षीया मुनिया को चुप कराने का प्रयास करते हुए खुद भी रोये जा रही थी। दोनों बच्चों को रोता बिलखता देखकर रज्जो का कलेजा मुँह को आ गया। घर में बर्तन के नाम पर ...Read More
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 7
लघुकथा क्रमांक 18कोरोना *******"अरे रमेश ! वो अपने कालू अंकल नहीं दिखे पिछले कई दिनों से ? तुझे कुछ है ?" "कौन कालू अंकल ?"" अरे वही ...जो हरदम शेखी बघारते रहते हैं। मास्क लगानेवालों पर अक्सर हँसा करते हैं। अभी उस दिन तेरे सामने ही तो बोल रहे थे 'कोरोना वोरोना कुछ नहीं ,सब ढकोसला है, झूठ है।"" अच्छा.. वो ? ..वो तो परसों ही स्वर्ग सिधार गए !" " हे भगवान ! भले चंगे तो थे। फिर अचानक क्या हो गया था उनको ?" "कोरोना !"**********************************************लघुकथा क्रमांक 19बस ! अब और नहीं ------------------------"तो क्या सोचा है तुमने ...Read More
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 8
लघुकथा क्रमांक 21 भय का भूत--------------रात आधी से अधिक बीत चुकी थी। हॉरर लघुकथाएँ पढ़ते पढ़ते अमर सो गया हमेशा की तरह आज भी बिजली गुल थी। अमावस की रात पूरे शबाब पर थी। अँधेरे का साम्राज्य पसरा हुआ था। हाथ को हाथ सुझाई नहीं दे रहे थे। अचानक तेज हवा चली। खिड़की के पट खुल गए और खिड़की पर लगे परदे उड़ने लगे। हवा की तेज सरसराहट से अमर की नींद खुल गई। उसने उठकर खिड़की से लहराते हुए परदे को सही करते हुए बाहर झाँककर देखा। बाहर मौसम एकदम शांत लग रहा था। 'फिर ये अचानक इतनी ...Read More
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 9
लघुकथा क्रमांक -24पर्दा -----"अरे अरे ....रुको ! कहाँ जा रहे हो ? जानते नहीं अब घर में नइकी बहुरिया आ गई है?" सुशीला ने घर के अंदर के कमरे में जा रहे रामखेलावन को आगे बढ़ने से रोका।"अरे वही बहुरिया है न गोपाल की अम्मा, जो ब्याह के पहले स्टेज पर गोपाल के बगल वाली कुर्सी पर बैठी रही .....? अब उसमें का बदल गया है कि हम उसको देख नहीं सकते और उ हमरे सामने नहीं आ सकती ?" रामखेलावन ने कहा।**************************************लघुकथा क्रमांक -25नेक काम --------------गाँव में एक बार फिर हड़कंप मचा हुआ था। मुखिया के बेटे ने ...Read More
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 10
लघुकथा क्रमांक 27श्रीमती मोरारजी देसाई******************हम सातवीं कक्षा के विद्यार्थी थे। हमारे मुख्याध्यापक जिन्हें हम बड़े गुरुजी कहते थे, हमें पढ़ाने के साथ ही सामान्य ज्ञान भी बताते रहते थे।काल के भेद समझाने के बाद उन्होंने प्रश्न किया, ”अच्छा बच्चों ! हमारे देश के भुतपूर्व प्रधानमंत्री का क्या नाम है ?"चूँकि उस समय भी आज की ही तरह राजनीती की चर्चा चरम पर थी सो सभी बच्चों को इसका जवाब पता था। सभी बच्चों ने अपने अपने हाथ खड़े कर लिए।एक लड़की जिसका नाम मीनाक्षी था, उससे बड़े गुरूजी ने पूछा, ”मीनाक्षी, तुम बताओ !"उसने खड़े होते हुए चट से ...Read More
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 11
लघुकथा क्रमांक 30जब जागो तभी सवेरा****************** विधानसभा चुनाव चल रहे थे। गाँव के चौपाल पर कुछ ग्रामीण जिनमें हर वर्ग के लोग शामिल थे कल होनेवाले मतदान के लिए अपनी अपनी पसंद के उम्मीदवारों के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास कर रहे थे। कुछ युवाओं की बातें सुनने के बाद बुजुर्ग रामदीन बोले, "तुम लोग कुछ भी कह लो, मेरा वोट तो बाबू लालाराम को ही जाएगा।"" काहें, ताऊ ? कउनो वजह भी तो हो,उन्हें वोट देने की ?""अरे वजह काहें नाहीं है ? लालाराम अपनी बिरादरी के हैं।"" ताऊ ! इ चुनाव बढ़िया नेता चुनने के वास्ते ...Read More
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 12
लघुकथा क्रमांक 32जनता के सेवक************** "माननीय नेताजी ! क्या कहूँ उस सिरफिरे पत्रकार से ? किसी भी तरह से का नाम ही नहीं ले रहा। कह रहा है आप हमारे प्रतिनिधि हैं तो आपको हमारे सवालों का जवाब देना ही होगा।" नेताजी के मुख्य सचिव ने कहा।"हूँ... एक काम करो। उसे अंदर भेज दो। आज उसे इंटरव्यू दे ही देते हैं।""जी ठीक है..लेकिन वह बड़ा शातिर पत्रकार है, ध्यान रखिएगा।" कुछ देर बाद पत्रकार अपनी टीम के साथ नेताजी के कक्ष में पहुँचा। कैमेरा व माइक वगैरह की उचित सेटिंग के मध्य ही नेताजी कुनमुनाये, " पत्रकार महोदय ! ...Read More
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 13
लघुकथा क्रमांक 35प्यार ही पूजा----------------" ओए, अमर ! क्या बात है ? कहाँ खोया हुआ है ? कबसे आवाज रहा हूँ..सुन ही नहीं रहा है !"" सॉरी यार ! आज बहुत दिन बाद रजनी का मैसेज आया है , वही पढ़ने में इस कदर डूबा हुआ था कि तेरी तरफ ध्यान ही नहीं गया। तू तो जानता ही है न रजनी के बारे में ? "" हाँ ..हाँ ! जानता हूँ रजनी के बारे में ..! वही रजनी न जो जहाँ भी अपना फायदा देखती है उससे जोंक की तरह चिपक जाती है। जी भर कर उससे फायदा उठाती ...Read More
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 14
लघुकथा क्रमांक : 37नेतागिरी------------अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ वह छुटभैया नेता भगवान श्री गणेशजी की शरण में जा पहुँचा। और उनकी फ़्लैश लाइटें चमकने लगीं। अपने चरणों में झुके नेता को देखकर भगवान विघ्नविनाशक रहस्यमयी हास्य के साथ बोले, "वत्स ! अपनी पार्टी के नेता की गिरफ्तारी से दुःखी होकर उसे छुड़ाने की आस लिए हुए तुम मेरे पास आए हो।"उनके चरणों में नतमस्तक वह नेता बोला, "क्षमा करें प्रभु ! आप तो अंतर्यामी हैं। आपसे क्या छिपाना ? दुनिया चाहे जो समझे, मैं तो आपका शुक्रिया अदा करने आया हूँ भगवन ! आपसे प्रार्थना है, इसी तरह एक ...Read More
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 15
लघुकथा क्रमांक 40 जानवर कौन ?************वह एक पशु चिकित्सक थी। पशुओं के प्रति प्रेम और करुणा ने उसे हमेशा चिकित्सक बनने के लिए प्रेरित किया था। वह अक्सर राह चलते हुए किसी भी घायल जानवर की मरहम पट्टी और दवाई कर देती थी। इससे मिलनेवाले आत्मिक खुशी की चाह में उसे अपने आर्थिक नुकसान की भी परवाह नहीं थी।उस दिन भी हमेशा की तरह रात आठ बजे वह दवाखाना बंद करके अपनी स्कूटी से घर के लिए रवाना हुई। अचानक एक जगह स्कूटी का टायर पंचर हो गया।वह सुनसान जगह थी और घर अभी दूर था। बढ़ रहे अँधेरे ...Read More
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 16
लघुकथा क्रमांक -42उधार की चमक************सौरमंडल में अपने इर्दगिर्द घूम रहे ग्रहों की बात सुनकर धरती के कान खड़े हो बात ही कुछ ऐसी थी।सभी नौ ग्रह अपनी अपनी चमक के बारे में डींगें हाँक रहे थे। शुक्र ने इतराते हुए कहा, "तुम लोग कुछ भी कह लो, लेकिन पूरे सौरमंडल में मेरे जैसा चमकदार कोई ग्रह नहीं।"दूर खड़ा प्लूटो अपनी सर्द आवाज में बोला, "साथियों, ये जो चमकता हुआ सूर्य तुम्हें नजर आ रहा है न, उसकी चमक के पीछे भी मेरा ही हाथ है। जब से मैंने अपनी चमक को नियंत्रित किया है लोगों को सूर्य की चमक ...Read More