प्रेम डोर

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ख्यातिलब्ध लेखक एवं उद्योगपति श्री राजेश माहेश्वरी की यह पुस्तक ‘प्रेम डोर‘ एक लघु उपन्यास है जिसमें दो घनिष्ठ मित्रों की कहानी है जो कि पर्यटन एवं व्यवसायिक यात्रा हेतु अरूणाचल प्रदेश जाते हैं। वहाँ घटित घटनाओं से उन दोनों का जीवन बदल जाता है। इस कहानी मेें काफी उतार चढ़ाव हैं जो रहस्य और रोमांच से भरपूर है। यह कहानी परिस्थितियों से जूझने की शिक्षा प्रदान करती है, वही जीवन में खुशियाँ और तनावमुक्त रहने की सीख भी प्रदान करती है। श्री राजेश माहेश्वरी जी की अनेक पुस्तकें सुप्रसिद्ध प्रकाशनों से प्रकाशित हो चुकी है व उनके लेख, कहानियाँ एवं कविताएँ अनेक पत्र पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होते रहते हैं। इस लघु उपन्यास में देवेन्द्र सिंह राठौर का भी सहयोग प्राप्त होता रहा, उनको साधुवाद देता हूँ। ‘प्रेम डोर‘ निश्चित ही सफलता के नये आयाम स्थापित करेगी ऐसी हमारी आशा है। श्री राजेश माहेश्वरी जी को बधाई एवं शुभकामनाएं। - श्याम सुंदर जेठा

Full Novel

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प्रेम डोर - भाग 1

प्रस्तावना ख्यातिलब्ध लेखक एवं उद्योगपति श्री राजेश माहेश्वरी की यह पुस्तक ‘प्रेम डोर‘ एक लघु उपन्यास है जिसमें घनिष्ठ मित्रों की कहानी है जो कि पर्यटन एवं व्यवसायिक यात्रा हेतु अरूणाचल प्रदेश जाते हैं। वहाँ घटित घटनाओं से उन दोनों का जीवन बदल जाता है। इस कहानी मेें काफी उतार चढ़ाव हैं जो रहस्य और रोमांच से भरपूर है। यह कहानी परिस्थितियों से जूझने की शिक्षा प्रदान करती है, वही जीवन में खुशियाँ और तनावमुक्त ...Read More

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प्रेम डोर - भाग 2

अरूणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के पास एक गांव में किसान के बेटे को सेना में नौकरी प्राप्त हो । जब वह अपने नियुक्ति स्थल पर जा रहा था तो उसकी माँ ने उसे आशीर्वाद देते हुये कहा- युद्ध के समय कभी पीठ मत दिखाना, इससे अच्छा है वीरतापूर्वक लडते हुये शहीद हो जाना। उसने यह बात गाँठ बाँधकर अपने मस्तिष्क में बैठा ली। कुछ महीनों के बाद ही भारत चीन युद्ध छिड गया। उसे तवांग शहर के पास एक चौकी पर तैनात किया गया। चीनी सेना ने उस चौकी पर हमला कर दिया। भारतीय सेना ने भी उसका ...Read More

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प्रेम डोर - भाग 3

मानसी कहती है कि आप जब होटल में चेक इन कर रहे थे तब मैंनें आप लोगों को देखा और मैं आपकेा देखकर बहुत प्रभावित हुयी थी। आप लोगों के होटल में अंदर जाने के बाद मैंने आपका नाम और बाकी जानकारियाँ जो रजिस्टर में भरी थी वह मुझे मेरी पहचान के कारण प्राप्त हो गई थी। जबलपुर का नाम आते ही मैं समझ गई थी कि आप लोगों के विषय में सबकुछ मालूम हो जायेगा क्योंकि यहाँ पर कार्यरत मेरे एक मित्र उच्च अधिकारी का ट्रांसफर जबलपुर हो गया था और वह अभी भी वहाँ पर कार्यरत है ...Read More

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प्रेम डोर - भाग 4 - अंतिम भाग

मानसी, आनंद से कहती है कि मुझे ऐसा महसूस होता है कि इस हवेली में कुछ तो रहस्य छिपा है जिसकी जानकारी हमें नही है। आनंद कहता है कि मैं भी काफी समय से वास्तविकता को जानने का प्रयास कर रहा हूँ परंतु पिताजी के वहाँ ना जाने के सख्त निर्देशों के कारण कुछ नही कर पाया फिर जब से व्यापार संभाला तो समय ही नही मिला की इस दिशा में सोच कर कुछ कर सकूँ परंतु अब तुम भी कह रही हो तो मैं प्रयास करूँगा और सच्चाई का पता लगाने का प्रयास करूँगा ? आनंद इस बारे ...Read More