ब्रह्मकमल : उत्तराखंड की लोक-कथा

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हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में ब्रह्मकमल को एक अत्यन्त पवित्र फूल माना जाता है। यहाँ के लोगों का विश्वास है कि ब्रह्मकमल के दर्शन मात्र से ही जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस फूल के सम्बन्ध में अनेक रोचक किंवदन्तियाँ और मिथ कथाएँ प्रचलित हैं। इनमें कहीं इसे देवलोक का फूल बताया गया है तो कहीं इसे एक अभिशप्त साधु कहा गया है। एक प्रचलित किंवदन्ती के अनुसार ब्रह्मकमल परी लोक की एक अभिशप्त परी है। बहुत समय पहले की बात है। कहते हैं कि उस समय परी लोक की परियाँ धरती पर आती थीं। यहाँ दिनभर विचरण करती थीं और रात का अँधेरा होने के पहले वापस चली जाती थीं। परियों को धरती की स्वच्छ-साफ पानी की नदियाँ, झरने, बड़े-बड़े तालाब और ऊँचे-ऊँचे पर्वत बहुत अच्छे लगते थे। परियाँ हमेशा जंगलों में ऐसे स्थान पर आती थीं जहाँ दूर-दूर तक कोई आदमी न हो। परियाँ आदमी से बहुत डरती थीं और यदि उन्हें कोई आदमी दिखाई पड़ जाता था तो वे उसके पास आने के पहले उड़ जाती थीं और वह स्थान छोड़ देती थीं। इसके बाद वह किसी नए स्थान की खोज करती थीं और फिर वहाँ आना आरम्भ कर देती थीं। परियों को धरती पर अनेक बार कई मुसीबतों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन उन्हें धरती इतनी अच्छी लगती थी कि वे धरती पर आने का मोह छोड़ नहीं पाती थीं और जब भी उन्हें अवसर मिलता, वे धरती पर अवश्य आ जाती थीं।

Full Novel

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ब्रह्मकमल : उत्तराखंड की लोक-कथा - 1

(ब्रह्मकमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है ।)हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में ब्रह्मकमल को एक अत्यन्त पवित्र फूल माना जाता यहाँ के लोगों का विश्वास है कि ब्रह्मकमल के दर्शन मात्र से ही जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस फूल के सम्बन्ध में अनेक रोचक किंवदन्तियाँ और मिथ कथाएँ प्रचलित हैं। इनमें कहीं इसे देवलोक का फूल बताया गया है तो कहीं इसे एक अभिशप्त साधु कहा गया है। एक प्रचलित किंवदन्ती के अनुसार ब्रह्मकमल परी लोक की एक अभिशप्त परी है।बहुत समय पहले की बात है। कहते हैं कि उस समय परी लोक की परिय ...Read More

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ब्रह्मकमल : उत्तराखंड की लोक-कथा - 2

एक बार परियों की राजकुमारी ने अपने साथ की परियों से धरती पर उसे ले चलने का आग्रह किया। परियाँ रानी के क्रोध से बहुत डरती थीं। अतः उन्होंने परियों की राजकुमारी को साथ ले चलने से मना कर दिया।परियों की राजकुमारी बहुत जिद्दी थी। वह वापस अपने महल के बगीचे में आ गई और एक स्थान पर छिप गई।प्रातःकाल का समय था। धरती पर आनेवाली परियों ने अपने-अपने पंख लगाए और धरती की ओर उड़ चलीं। इसी समय परियों की राजकुमारी बाहर निकली और वह भी अपने पंख लगाकर परियों के पीछे-पीछे चल पड़ी। धरती पर जानेवाली परियों ...Read More

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ब्रह्मकमल : उत्तराखंड की लोक-कथा - 3

राजकुमार ने अपनी तलवार निकाली और एक गुफा के सामने आकर खड़ा हो गया। यह दानव की गुफा थी। के द्वार पर एक भारी पत्थर अड़ा हुआ था। इससे यह साफ था कि दानव अपनी गुफा में नहीं है।राजकुमार ने अपनी तलवार पास की एक चट्टान पर रखी और पत्थर हटाने का प्रयास करने लगा। पत्थर बहुत भारी था और टस से मस नहीं हो रहा था। राजकुमार बहुत देर तक पत्थर हटाने का प्रयास करता रहा। अन्त में उसे सफलता मिली और पत्थर इतना खिसक गया कि गुफा के द्वार पर एक व्यक्ति के निकल जाने योग्य जगह ...Read More