गरीब की इज्जत

(15)
  • 32.3k
  • 4
  • 18.4k

आंखे खुलते ही लाजो अपनी अवस्था को देखकर हतप्रद रह गयी।फारेस्ट अफसर जिसे वह जंगल का अफसर मानती थी।उसके बेडरूम में वह निर्वस्त्र पड़ी थी।वह पलंग पर निर्वस्त्र पड़ी थी और उसके कपड़े पलंग से नीचे पड़े थे।जंगल के अफसर का कंही पता नही था।बेडरूम में पलंग पर वह अकेली थी।अपनी अवस्था देखकर उसे समझते हुए देर नही लगी कि उसके साथ क्या हुआ होगा। अपनी हालत देखकर वह तुरंत पलंग से उठी।उसने अपने कपड़े जो नीचे पड़े थे।उठाये और जल्दी जल्दी उन्हें पहनकर वह बंगले से निकलकर भागी। शाम ढलान पर थी।आसमान से अंधेरे की परतें जमीन पर उतर आई थीई।अंधेरे में जंगल उसे बेहद डरावना लग रहा था।भोर होते ही पक्षी अपने बसेरों से भोजन की तलाश में निकल जाते है और शाम ढलने पर लौट आते है।पेड़ो पर उनके चहकने की आवाजें उनके लौटने का सबूत दे रही थी।रह रहकर जंगली जानवरों के बोलने की आवाजें उसके कानों में पड़ रही थी।नीचे उसके पैरों तले रौंदे जाते पत्तो की खड़खड़ाहट का स्वर था।

Full Novel

1

गरीब की इज्जत - पार्ट 1

आंखे खुलते ही लाजो अपनी अवस्था को देखकर हतप्रद रह गयी।फारेस्ट अफसर जिसे वह जंगल का अफसर मानती थी।उसके में वह निर्वस्त्र पड़ी थी।वह पलंग पर निर्वस्त्र पड़ी थी और उसके कपड़े पलंग से नीचे पड़े थे।जंगल के अफसर का कंही पता नही था।बेडरूम में पलंग पर वह अकेली थी।अपनी अवस्था देखकर उसे समझते हुए देर नही लगी कि उसके साथ क्या हुआ होगा।अपनी हालत देखकर वह तुरंत पलंग से उठी।उसने अपने कपड़े जो नीचे पड़े थे।उठाये और जल्दी जल्दी उन्हें पहनकर वह बंगले से निकलकर भागी।शाम ढलान पर थी।आसमान से अंधेरे की परतें जमीन पर उतर आई थीई।अंधेरे ...Read More

2

गरीब की इज्जत - पार्ट 2

उस समय लाजो का जी मिचला गया था।ऐसा लग रहा था पेट के अंदर का सब बाहर आ जायेगा।लेकिन धीरे दिन गुजरने के साथ सब सामान्य हो गया।अब यह उसकी आदत में शुमार हो गया या इसका अभ्यास हो गया था।जस्सो का दारू पीना उसे बुरा लगता था।उसे दारू से घिन्न थी।वह यह भी जानती थी उसे चाहे दारू से कितनी ही चिढ़ हो,उसका पति दारू छोड़ने वाला नही है।जस्सो का घर पहाड़ की तलहटी में बसे गांव रुतपुर में था।जस्सो रोज सुबह खा पीकर घर से निकलता था।वह आस पास के गांव में काम की तलाश में चला ...Read More

3

गरीब की इज्जत - पार्ट 3

रोज की तरह उसे जंगल का अफसर बेसब्री से उसका इंतजार करता हुआ मिला।लाजो को देखते ही वह मुस्कराकर तो तुमने देर कर दी।कब से तुम्हारी राह देख रहा हूँ""क्यो/""तुम्हारा सुंदर मुखड़ा देखकर दिल खुश हो जाता है।मन प्रफुल्लित हो जाता है।"लाजो अपने रूप और सुंदरता की प्रशंसा सुनकर खुश हो गयी थी।पति न सही कोई तो है जो उसके रंग रूप की कद्र तो करता है।लाजो लकड़ियां तोड़ने लगी।जंगलात का अफसर उसके साथ लकड़ी तुड़वाने लगा।उसने लाजो के साथ गट्ठर बनवाने मे भी उसकी बहुत मदद की।जब गट्ठर बन गया तब जंगलात का अफसर उससे बोला,"आज तुम्हे मेरे ...Read More

4

गरीब की इज्जत - पार्ट 4

जब वह गहरी नींद में चली गयी तब उसने मोके का भरपूर फायदा उठाकर उसकी इज्जत लूट ली थी।बदहवास,परेशान लौटते समय लाजो उस दानव जंगलात के अफसर के बारे में ही सोच रही थी।औरत को सबसे ज्यादा अपनी अस्मत प्यारी होती हैं।इज्जत औरत की दौलत है।आबरू की रक्षा के लिए वह अपने प्राण भी दे सकती है।इज्जत,इज्जत होती है।वह चाहे गरीब औरत की हो चाहे अमीर औरत की।इज्जत की रक्षा के लिए पद्मावती जैसी न जाने कितनी औरतों ने जौहर करके अपने प्राण दे दिए।लाजो सोच रही थी।वह अपनी इज्जत लूटने वाले से बदला जरूर लेगी।अपने पति जस्सो को ...Read More

5

गरीब की इज्जत - पार्ट 5 - अंतिम भाग

लाजो का मन कोई काम करने का नही था।वह अपने घर मे घुसते ही कमरे में बिछी खाट पर व्रक्ष की तरह धम्म से गिर गयी।"अंधेरा क्यो कर रखा है?"जस्सो रोज की तरह नशे में झूमता हुआ घर लौटा था।जब कोई आवाज नही आई तो फिर वह एक बार बोला,"लेम्प क्यो नही जलाया?"जब लाजो फिर भी नही बोली तब जस्सो ने खुद लेम्प जलाया था।कमरे में उजाला होते ही जस्सो कि नजर खाट पर लेटी लाजो पर पड़ी।"अरे तुम यहाँ।क्या बात है तुम्हारी तबियत खराब है क्या?"जस्सो,लाजो को खाट में लेटे देख कर उसके पास जा बैठा।वह लाजो के ...Read More