क्षमा करना वृंदा

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......एक गुमनाम नर्स की असाधारण कथा मैं क़रीब दो साल की रही होऊँगी, तभी मेरे पेरेंट्स का डायवोर्स हो गया था। इसके बाद मदर मुझे लेकर ननिहाल आ गईं। ननिहाल में तब नाना-नानी थे। उन्हें बहुत शॉक लगा कि उनकी बेटी का वैवाहिक जीवन चार साल भी नहीं चला। उन्हें शॉक इस बात का भी लगा कि बेटी डायवोर्स लेकर सिलवासा से दिल्ली आ गई, लेकिन उन्हें इस बात की भनक भी नहीं लगने दी कि डायवोर्स लेकर आई है। कभी फ़ोन पर बात-चीत में या जब साल भर पहले आई थी, तब भी यह संकेत तक नहीं दिया था कि उन दोनों पति-पत्नी में कोई मन-मुटाव चल रहा है। मत-भेद, मन-भेद इतने हो चुके हैं कि अब साथ रहना मुश्किल हो गया है। जब बच्ची को लेकर आई तो अपने व्यवहार से यह पता ही नहीं चलने दिया कि जीवन का इतना बड़ा निर्णय लिया है। और निश्चित ही कड़क स्थितियों से गुज़र कर आई है। “अकेली ही क्यों आई बेटा?” नानी के यह पूछने पर अटपटा सा जवाब दिया था, “मॉम वह वहीं पर हैं।” यह नहीं बताया कि डायवोर्स लेकर आई हैं। उनका बहुत उखड़ा-उखड़ा सा चेहरा देखकर जब अगले दिन नानी ने काफ़ी पूछा तो मदर ने संक्षिप्त सा जवाब दे दिया था, “मॉम हमारा डायवोर्स हो गया है।” यह सुनकर नाना-नानी उन्हें अवाक्‌ देखने लगे, तो उन्होंने बड़ी आसानी से जवाब दिया था, “मॉम हमने महसूस किया कि हम अब एक साथ नहीं रह सकते तो यह स्टेप उठाया। हमारे सामने और कोई रास्ता नहीं बचा था। हम-दोनों को ही मन-भेद के साथ रिश्ते को झेलते रहना पसंद नहीं था। अब हम-दोनों आज़ाद हैं।”

Full Novel

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क्षमा करना वृंदा - 1

प्रदीप श्रीवास्तव भाग -1 ......एक गुमनाम नर्स की असाधारण कथा मैं क़रीब दो साल की रही होऊँगी, तभी मेरे का डायवोर्स हो गया था। इसके बाद मदर मुझे लेकर ननिहाल आ गईं। ननिहाल में तब नाना-नानी थे। उन्हें बहुत शॉक लगा कि उनकी बेटी का वैवाहिक जीवन चार साल भी नहीं चला। उन्हें शॉक इस बात का भी लगा कि बेटी डायवोर्स लेकर सिलवासा से दिल्ली आ गई, लेकिन उन्हें इस बात की भनक भी नहीं लगने दी कि डायवोर्स लेकर आई है। कभी फ़ोन पर बात-चीत में या जब साल भर पहले आई थी, तब भी यह संकेत ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 2

भाग -2 मैं सोचती कि क्या लड़की केवल पुरुषों के भोग लिए बनी, एक जीती-जागती मशीन भर है। घर कहीं भी, क्या वह निश्चिंत होकर नहीं जी सकती। ऐसे क्षणों में मुझे किशोरावस्था में घर पर बार-बार आने वाले अपने एक अंकल ज़रूर याद आते। जो किसी चर्च से जुड़े हुए थे। शौक़िया फ़ोटोग्राफ़र भी थे। कोई ख़ास काम-धाम नहीं करते थे, फिर भी न जाने कैसे उनके पास बहुत पैसा था। अपनी दोनों लड़कियों को अमरीका में पढ़ा रहे थे। जब भी आते तो मेरे लिए पेस्ट्री, कैडबरीज़ चॉकलेट का बड़ा गिफ़्ट पैक ज़रूर लाते। यह सब मुझे ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 3

भाग -3 एक दिन मन में ऐसी ही पुरानी बातों को सोचती हुई मैं वॉर्ड बिज़ी में थी। सुबह ही तनाव के कारण हल्का-फुल्का नाश्ता करने के अलावा कुछ नहीं खाया था। दोपहर के कुछ समय बाद ही एक एमर्जेन्सी डिलीवरी का केस आ गया। शुरू में लगा कि मामला सीरियस है। लेकिन घंटे भर में नॉर्मल डिलीवरी हो गई। जब शाम को मेरी ड्यूटी ऑफ़ हुई तो मैं घर नहीं गई। रेस्ट-रूम में लेटी मोबाइल पर सोशल-मीडिया के ज़रिए अपने माँ-बाप को ढूँढ़ने में लगी रही। थोड़ा ही समय बीता था कि एक साथी नर्स ने आकर कहा ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 4

भाग -4 सोते ही मैं सपना देखने लगी कि मैंने लियो को अपनी छाती पर लिटाया हुआ है, उसके बातें कर रही हूँ। मेरी बातों पर वह ख़ूब हाथ-पैर चला रहा है। बीच-बीच में थक जाता है, तो अपने नन्हें-नन्हें नाज़ुक से हाथों से मेरी छाती से कपड़े हटाने की कोशिश करने लगता है। उसे चिढ़ाने के लिए मैं कपड़ों पर हाथ रख लेती हूँ। जब वह कपड़े नहीं हटा पाता है, तो रोने लगता है। उसका रोना देख कर मैं एकदम भाव-विह्वल हो ख़ुद ही कपड़े हटा देती हूँ। स्तनों को देखते ही वह जल्दी से निपल मुँह ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 5

भाग -5 मुझे सबसे ज़्यादा कष्ट दुःख तब होता, जब लियो खाने-पीने की चीज़ें माँगने के लिए हाथ से के संकेत करता, लेकिन मैं समझ ही न पाती। ऐसे ही बाथरूम जाने की बात कहता, लेकिन वह भी समझ न पाती, जिससे उसके कपड़े ख़राब हो जाते। एक दिन जब वो बच्चों वाले कमोड पर बैठा हुआ था, तभी मेरे दिमाग़ में आया कि क्यों न मैं भी लुइ ब्रेल की तरह प्रयास करूँ। लियो, लियो जैसे बच्चों को पढ़ाने की प्रणाली ढूँढ़ूँ। यह सोचते ही मेरे दिमाग़ में एक प्रणाली की रूप-रेखा कुछ-कुछ स्पष्ट होने लगी। मैंने लियो ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 6

भाग -6 जब मैं पहुँची तो मुझे बता-बता कर हँसते-हँसते, लोट-पोट होंने लगी। कहा, “तुम्हारा बेटा बहुत स्मार्ट है। उसे उसकी एक्चुअल एज से तीन गुना ज़्यादा बड़ा कर दिया है। “अब जल्दी से जल्दी इसकी शादी भी कर दो, नहीं तो ये ख़ुद ही कर लेगा। या कहीं मैं ही इस स्मार्ट बॉय को दिल न दे बैठूँ, और कर लूँ शादी। देखने में ज़रूर नन्हा-मुन्ना है, लेकिन वास्तव में स्मार्ट हस्बैंड बन जाएगा।” उसकी बातें सुनकर मैं भी हँसी। लेकिन सच यह था कि भीतर-भीतर मेरा मन रो था। फिर भी ऊपरी मन से साथी से कहा, ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 7

भाग -7 उस समय मैंने बड़ा गर्व महसूस किया कि लियो की नाक अब मेरे माथे को छूने लगी मेरे समझाने से उसकी घबराहट तो कम हो गई, लेकिन अपने संशय को क्लियर करने की ज़िद करने लगा। उसने तौलिया हटा कर, वहाँ उसके किशोरावस्था की घोषणा करते हुए उग आए कई सुनहरे बालों को खींच कर दिखाया। और पूछा यह क्या है? वह उन्हें कोई बड़ी समस्या समझ कर घबरा उठा था। मैंने उसे बेड पर बैठाया। कई दिन बाद प्यार से उसका पूरा बदन पोंछा। अब-तक वह सारा काम ख़ुद कर लेता था। मैंने उसकी बाँहों की ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 8

भाग -8 एक दिन नहाने के समय मैं उसे साफ़-सफ़ाई के बारे में कुछ बातें समझा रही थी। तभी से जो कुछ हुआ, उसे देख कर मुझे हँसी तो आई ही, संकोच के भाव भी पैदा हुए थे। उसी समय मैंने यह भी सोचा कि जो कुछ हो रहा है, जो कुछ मुझसे, लियो से जाने-अनजाने हो जाता है, वह सब-कुछ वास्तव में नेचर के सिस्टम का ही एक हिस्सा है। नेचर ही की एक प्रक्रिया है, जो इस तरह पूरी हो रही है। इसके बाद मैंने इस विषय में ज़्यादा सोचना, ध्यान देना बंद कर दिया। एक दिन ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 9

भाग -9 मैंने सोचा, मेरा लियो तो तीन बातों को छोड़कर बाक़ी शरीर से एक स्ट्रॉन्ग मैन है। ऐसा जिसके साथ कोई भी लड़की बहुत ख़ुश रह सकती है। मैं बड़ी गंभीरता से ऐसी लड़की की तलाश में सक्रिय रहने लगी। दृढ़ निश्चय कर लिया कि इक्कीस साल पूरा होते-होते लियो की शादी कर दूँगी। यह सब सोचते हुए मैं बिज़नेस को बढ़ाने के लिए जितना ज़ोर लगा सकती थी, वह लगा दिया। डिलीवरी मैन को पहले जहाँ छुट्टी के ही दिन बुलाती थी, अब उसे हर दिन आने को कह दिया। मेरी अनुपस्थिति में फ़हमीना माल देने लगी। ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 10

भाग -10 यह सुनते ही वह कुछ सहम सी गई। लेकिन तुरंत ही सँभलती हुई बोली, “नहीं दीदी ऐसी बात नहीं है। शौहर कहाँ है, कैसा है, सालों से कुछ पता ही नहीं है। और फिर मैं तो उसका मुँह भी नहीं देखना चाहती, ख़्वाबों में भी नहीं। जिसने मुझे, बच्चों को लातों, घूँसों, चमड़े की बेल्ट से मार-मार कर, अधमरा करके सड़क पर फेंक दिया बच्चों सहित मरने, भीख माँगने के लिए, उससे मैं आख़िरी साँस तक नफ़रत ही करूँगी। “आप ही बताइए एक और निकाह कर सौतन लाने के लिए मना करके मैंने कोई गुनाह किया था ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 11

भाग -11 आख़िर परेशान होकर मैंने अगले दिन अबॉर्शन के लिए अनरजिस्टर्ड हॉस्पिटल में सब-कुछ करवा कर, देर शाम एक महीने की एडवांस सैलरी देकर, ऑटो से उसे घर तक छोड़ आई। जाते समय उसके लिए पैक फ्रूट जूस के अलावा काफ़ी फ़्रेश फ्रूट, ड्राई फ्रूट और ढेर सारी दवाइयाँ भी ले लीं थीं। वह एक लेबर कॉलोनी जैसी बस्ती में टिन शेड पड़े एक कमरे में रहती थी। उसके दोनों बच्चे भी मुझे माँ का इंतज़ार करते मिले। घर की हालत बता रही थी, कि किसी तरह खाना-पीना चल रहा है। बच्चों की कॉपी-किताबें भी दिखीं। दोनों शायद ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 12

भाग -12 अगले दिन उसे हॉस्पिटल ले गई। वह जाने को तैयार ही नहीं हो रहा था। मैंने डॉक्टर फ़हमीना प्रकरण छुपाते हुए सारी बातें बताईं। डॉक्टर ने वही कहा जिसका मुझे शक था। यह सोचकर कि उसका दिमाग़ दूसरी तरफ़ डायवर्ट हो सके, उसे पूरा दिन हॉस्पिटल में ही रखा। दवा के असर के चलते उस दिन वह पूरी रात आराम से सोया। मगर आगे चल कर चार-पाँच दिन के अंतराल पर यह समस्या बार-बार होने लगी तो उसे एक नामचीन डॉक्टर को दिखाया; फ़हमीना प्रकरण को विस्तार से बताते हुए। क्योंकि मुझे लगा कि समस्या का मूल ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 13

भाग -13 “कहा जा रहा है कि कोविड-१९ गले और फेफड़ों को ख़राब कर रहा है, इसी से लोग रहे हैं। और तुम तो जानती ही हो कि यक्ष्मा यानी टीबी बीमारी भी फेफड़ों को ख़राब करती है। हर साल लाखों लोग टीबी से मरते हैं। “आयुर्वेद में टीबी का उपचार है, तो मैंने सोचा कि टीबी बैक्टीरिया से होता है। जो वायरस से बड़ा होता है। इसकी कोशिका भित्ति पेप्टिडोग्लाईकन की होती है। दूसरी तरफ़ वायरस में कोशिका भित्ति तो नहीं होती लेकिन वह प्रोटीन कोट से कवर रहता है। “दोनों की बनावट में भले ही अंतर हो, ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 14

भाग -14 मेरी उस स्थिति को देखने वाला मुझे पागल ही कहता। मेरे दिमाग़ में लॉक-डाउन को लेकर ग़ुस्से ज्वालामुखी फूटता था। मैं बार-बार वृंदा को फ़ोन करती। उससे कहती कि इस बंदी को लॉक-डाउन कहना पूरे देश को धोखा देना है। यह तो लोगों को सरकारी शक्ति, सख़्ती से हॉउस-अरेस्ट करना हुआ। लॉक-डाउन में लोग क्या करें, क्या न करें, आप ऐसी एक गाइड-लाइन जारी कर दीजिए और लोगों के विवेक पर छोड़ दीजिए कि वो उसका पालन करें या न करें, या कितना करें। मैं कहती हूँ कि सभी अपने आप बचने की पूरी कोशिश करेंगे। हाँ ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 15

भाग -15 भविष्य की चिंता में भीतर ही भीतर डूबती-उतराती मैं टीवी पर एक हॉलीवुड मूवी देख रही थी। भी फ़्यूचर को लेकर एक क्लासिक फ़िल्म थी। परमाणु युद्ध से तबाह हुई दुनिया के, फिर से उठ खड़े होने की कोशिश की कहानी थी। रात के बारह बज रहे थे, लियो सो रहा था कि अचानक ही दौरा पड़ गया। जो पहले के सभी दौरों से न सिर्फ़ बहुत तेज़ था, बल्कि ज़्यादा समय तक भी रहा। मैं उस पर किसी तरह से नियंत्रण नहीं कर पाई। विवश आँसू बहाती रही, उसे पकड़े रही कि वह बेड से नीचे ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 16

भाग -16 मैंने स्पष्ट देखा कि लियो के चेहरे पर हतप्रभ होने की रेखाएँ साफ़ दिख रही हैं। वह सन्नाटे में दिख रहा था। उसकी यह हालत देखकर सोचा कि यह कहीं किसी और टेंशन में न पड़ जाए, इसलिए हमेशा की तरह उसके होंठों के दोनों कोनों को अंगूठे, उँगली से फैला दिया कि अब हँसो। इसका प्रभाव भी दिखा। कुछ ही सेकेण्ड में वह करवट लेकर मुझसे लिपट गया। हम-दोनों ने एक दूसरे को अपनी पूरी शक्ति से जकड़ लिया और बड़ी जल्दी ही गहरी नींद में सो गए। लेकिन मुझे सुबह जल्दी ही जाग जाना पड़ा। ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 17

भाग -17 लियो के लिए यह पहला अनुभव था कि मैं रो रही थी। मैं भी रोती हूँ यह लिए आश्चर्यजनक था। उसे इतना घबराया हुआ मैंने पहले कभी नहीं देखा था। मैं बहुत देर बाद स्वयं को सँभाल पाई। लियो को चुप कराने लगी, लेकिन वह चुप होने का नाम नहीं ले रहा था। किसी छोटे बच्चे की तरह लगातार रोता ही जा रहा था। बड़ी मुश्किल से कुछ सोचकर उसे लेकर बेड से नीचे उतरी। और बड़े प्यार से उसे किचन में ले गई। रेफ्रिज़रेटर से निकाल कर उसे एक चॉकलेट दी। पानी पिलाया। फिर उसका हाथ ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 18

भाग -18 सब जानते हैं कि मेरा कोई पार्टनर नहीं है। मैं सिंगल हूँ। ऐसे में सबकी ज़ुबान पर ही बात तुरंत ही आएगी कि इतने दिनों से एक जवान लड़के के साथ घर में बंद रही। ख़ूब ऐश की। उसी का रिज़ल्ट है यह प्रेग्नेंसी, सब मुझ पर ही टूट पड़ेंगे। मुझे पापी ही कहेंगे। कोई मेरी इस थ्योरी को सुनेगा ही नहीं कि मैंने महामारी के सबसे भयानक दौर मैं, अत्यंत कठिन स्थितियों का अकेले ही सामना करते हुए, एक स्पेशल यंग बॉय की जान बचाने के लिए यह सब किया था। यह दुनिया के सबसे बड़े ...Read More

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क्षमा करना वृंदा - 19 - अंतिम भाग

भाग -19 नाश्ता अब भी जस का तस रखा था। हम-दोनों ने एक-दो घूँट कॉफ़ी ही पी थी बस। की बातें सुनकर मैं बहुत भावुक हो गई। मैंने कहा, “सच वृंदा तुम जैसे लोग ही इस पृथ्वी पर साक्षात्‌ देव-दूत हैं। लेकिन मेरी प्यारी वृंदा, यह क्यों भूल रही हो कि इसके ट्रीटमेंट में कोई दस-बीस हज़ार नहीं, दस-बीस लाख रुपए लगना एक मामूली बात है . . .” वृंदा ने मुझे यहीं रोकते हुए कहा, “जानती हूँ। ईश्वर की कृपा से हस्बैंड बिज़नेसमैन हैं। और बिज़नेस इतना बड़ा है कि यह रक़म उनके लिए कुछ भी नहीं है। ...Read More