सांसारिक दु:ख किसे नहीं है? हर कोई उससे छूटना चाहता है। लेकिन वह छूट नहीं पाता। उससे छूटने का मार्ग क्या है? ज्ञानी पुरूष के मिलते ही सर्व दु:खों से मुक्तिमिलती है। औरों को जो दु:ख देता है, वह स्वयं दु:खी हुए बिना नहीं रहता। सर्व दु:खों से मुक्ति कैसे पायी जाये? सुख-दु:ख मिलने का यथार्थ कारण क्या है? औरों को सुख देने से सुख मिलता है और दु:ख देने से दु:ख मिलता है। यह सुख-दु:ख प्राप्ति का कुदरती सिद्धांत है! जिसे यह सिद्धांत संपूर्ण समझ में आ जाता है, वही किसी को बिलकुल दु:ख न देने की जागृति में रह सकता है। फिर मन से भी वह किसी को दु:ख नहीं पहुँचा सकता है। इसके लिए ज्ञानी पुरुष ही यथार्थ क्रियाकारी उपाय बता सकते हैं। परम पूज्य दादा भगवान, जो इस काल के ज्ञानी हुए, उन्होंने छोटा सा, सुंदर और संपूर्ण क्रियाकारी उपाय बताया है कि हररोज सुबह में हृदयपूर्वक पांच बार इतनी प्रार्थना करो कि ‘प्राप्त मन-वचन-काया से इस जगत् में किसी भी जीव को किंचित्मात्र भी दु:ख न हो, न हो, न हो।’ इसके बाद आपकी ज़िम्मेदारी नहीं रहेगी। किसी भी जीव को मारने का हमारा अधिकार बिल्कुल ही नहीं है, क्योंकि हम उसे बना नहीं सकते!
Full Novel
सर्व दुखों से मुक्ति - 1
दुःख तो only wrong belief ही है। जिसको wrong belief है, वहाँ दुःख है। जिसको wrong belief नहीं, दुःख ही नहीं है। —दादाश्री ...Read More
सर्व दुखों से मुक्ति - 2
दुःख तो only wrong belief ही है। जिसको wrong belief है, वहाँ दुःख है। जिसको wrong belief नहीं, दुःख ही नहीं है। —दादाश्री ...Read More