मित्रों यह अत्यंत रोमांचक कहानी एक ऐसे आयुर्वेदिक वैद्य की दास्तान है जो हिमालय के जंगलों में मनुष्य के सभी दुखो व बुढ़ापे की समस्याओं को दूर करने वाली बूटी की खोज करता है | वह हिमालय के जंगलों में किसी सिद्ध संत की खोज में भटकता है | इस दौरान उसकी कहीं कुछ चमत्कारिक संतों से तो कहीं बनावटी संतों से भेंट होती है | तब उसे किसी संत के पास उसे चिरयुवा बूटी के होने की पक्की खबर मिलती है .... मंनुश्य के दुःख दूर कने वाले एवं उसे सर्वदा जवान बनाये रखने वाली बूटी के लिए किए गए अनुसंधानों की रोमांचक यात्रा पर निकालने के लिए आगे पढ़िए ....... राहत मेाहन शीला से तलाक पाकर बड़ा खुश था। वह स्वयं को स्वच्छंद हवा मे पंछी जैसा अनुभव कर रहा था। शीला के कारण उसकी समाज मे बहुत बदनामी हुई थी। जब भी कभी जाने अनजाने में उसकी चर्चा वलती तो उसका दिल दुख के समंदर मे डूब जाता था। कम से कम अब चर्चा निकलने पर वह यह कह सकता था कि उसका उस बदनाम बदचलन लड़की से कोई संबंध नही है। शीला के द्वारा दिए गये धोखे को याद करके वह दुख,घृणा,क्रोध,सहानुभूति व अपमान की अनेक मिश्रित भावनाओं से भर उठता था। शीला उसका घर छोड़कर चली गई |
Full Novel
चिरयुवा बूटी - 1
ब्रजमोहन शर्मा (हिमालय के जंगलों में व्रद्धावस्था दूर करनेवाली चिरयुवा बूटी की खोज की सनसनी दास्तान) समर्पण : भोलेनाथ के श्री चरणों में ******* भूमिका : मित्रों यह अत्यंत रोमांचक कहानी एक ऐसे आयुर्वेदिक वैद्य की दास्तान है जो हिमालय के जंगलों में मनुष्य के सभी दुखो व बुढ़ापे की समस्याओं को दूर करने वाली बूटी की खोज करता है | वह हिमालय के जंगलों में किसी सिद्ध संत की खोज में भटकता है | इस दौरान उसकी कहीं कुछ चमत्कारिक संतों से तो कहीं बनावटी संतों से भेंट होती है | तब उसे किसी संत के ...Read More
चिरयुवा बूटी - 2
(2) डूबना मोहन हरिद्वार पर उतर गया । वहां गंगा नदी को दो भागों में बाँट दिया गया । एक तरफ गंगा को बांध कर रखा था । उसे हर की पौउ़ी कहते हैं। नदी में बउ़ी संख्या मे लोग तैर रहे थे । नदी का प्रवाह बहुत तेज था | कुछ लोग नदी पर बने ऊँचे पुल से नदी में कूद रहे थे। मेाहन अच्छा तैराक था । अनेक लोगों को तैरता देख वह भी तैरते हुए नदी को पार करने का प्रयास करने लगा । आधी दूरी तक तो वह भारी प्रयास करके ठीक से नदी ...Read More
चिरयुवा बूटी - 3
(3) दाढ़ीवाले बाबाऋषिकेश में हिमालय की एक एकांत पहाड़ी पर रहने वाले संत दाढ़ीवाले बाबा का नाम बड़ा प्रसिद्ध एक दिन भेार होते ही मोहन उनके दर्शन हेतु निकल पड़ा । उनके आश्रम में पहुंचने के लिऐ उसे दूर जंगल मे करीब ढाई कि.मी. पैदल एक पहाड़ी पर चढ़ना पड़ा । वह सुनसान जगह जंगली जानवरों से भरी हुई थी । वहां जंगली जहरीले साँपों बिच्छुओं व अन्य खतरनाक जीव जंतुओं का बड़ा खतरा था | पहाड़ी की चोटी पर एक झोपड़ी बनी हुई थी । झोपड़ी के बाहर एक मंच था। संत कुछ देर बाद कुटिया से बाहर ...Read More
चिरयुवा बूटी - 4
(4) ‘चोरी का माल मोरी मे’ सुबह मोहन नींद से जागा | हिमालय की वादियों में खिलती धूप को वह बड़ा प्रसन्न हुआ । चारों और लम्बे लम्बे देवदार के वृक्ष व नीचे बहती अलकनंदा नदी बड़ी ही मनोहारी लग रही थी । रात को बरसात होने से चारों ओर धरती गीली थी । मानवता के हित के लिए चुराए अपने बूटियों के खजाने को देखने मोहन पास के कमरे में गया । किन्तु यह क्या ! अपने बूटियों से भरे थैले को न देखकर वह स्तब्ध रह गया । उसने कमरे का एक एक कोना छान मारा किन्तु ...Read More
चिरयुवा बूटी - 5
(5) दानएक दिन एक व्यक्ति मोहन से मिला | उसने अपना परिचय दिया, “ मै विनयकुमार हूँ | दिल्ली मेरी टायर की बड़ी कंपनी है | मैंने अख़बारों में मनुष्य को चिरयुवा बनाने के आपके महान कार्य के विषय में पढ़ा | मुझे बहुत ख़ुशी हुई | मै आपके मानवता के खातिर किए जा रहे कार्यो की प्रशंषा करता हूँ |” उसने एक बड़ी राशि का चेक देते हुए कहा, “ आपके महान कार्य के लिए मेरी एक तुच्छ भेंट स्वीकार कीजिए” | मोहन ने कहा, “ बहुत बहुत धन्यवाद “ वह कहने लगा, “ मै आपसे अपनी समस्या ...Read More
चिरयुवा बूटी - 6 - अंतिम भाग
(6) जतिवाद ड्रामाआम लोगो में जन जाग्रति फ़ैलाने के लिए मोहन ने कुछ युवाओ की टीम बनाई व देश अनेक गावों व शहरों में नाटक प्रस्तुत करने के आयोजन करने का बीड़ा उठाया | नाटक प्रस्तुतिकरण जनजाग्रति की दिशा में एक सशक्त माध्यम है | ( दो प्रेमी युवक व युवती गांव से अँधेरी रात में भाग रहे हैं। ) युवकः हम अलग अलग जाति के हैं । हमारे संबंध से गांव वाले हमे मार डालेंगे। युवतीः जल्दी भागो । पास के शहर मे हम विवाह कर लेगे व सुख से रहेंगे। ( वे भागकर शहर मे आ जाते ...Read More