रचना काल 2015 अभी वाशरूम में हूँ कि मोबाइल की घंटी बजी है। सुबह-सुबह कौन हो सकता है। सोचता हूँ और घंटी बजने देता हूँ। पता है जब तक तौलिया बाँध कर बाहर निकलूंगा, घंटी बजनी बंद हो जायेगी। घंटी दूसरी बार बज रही है, तीसरी बार, चौथी बार। बजने देता हूं। बाद में भी देखा जा सकता है, किसका फोन है। बाहर आकर देखता हूँ अंजलि का फ़ोन है। कमाल है, अंजलि और वह भी सुबह-सुबह। उनसे तो बोलचाल ही बंद हुए महीना भर होने को आया। फोन मिलाता हूँ – हैलो, आज सुबह-सुबह, सब ठीक तो है ना? मेरी हैलो सुने बिना सीधे सवाल दागा जाता है – इतनी देर से फोन क्यों नहीं उठा रहे? बताता हूं - नहा रहा था भई और मैं नहाते समय अपना मोबाइल बाथरूम में नहीं ले जाता। - डोमेस्टिक एयरपोर्ट पहुँचने में आपको कितनी देर लगेगी? मैं हैरान होता हूं। अंजलि और मुंबई एयरपोर्ट पर? मैं कारण चाहता हूँ लेकिन वही सवाल दोहराया जाता है - डोमेस्टिक एयरपोर्ट आने में आपको कितनी देर में लगेगी? मैं बताता हूँ – ट्रैफिक न मिले तो पन्द्रह मिनट, नहीं तो आधा घंटा।
Full Novel
लहरों की बाांसुरी - 1
1 रचना काल 2015 अभी वाशरूम में हूँ कि मोबाइल की घंटी बजी है। सुबह-सुबह कौन हो सकता है। हूँ और घंटी बजने देता हूँ। पता है जब तक तौलिया बाँध कर बाहर निकलूंगा, घंटी बजनी बंद हो जायेगी। घंटी दूसरी बार बज रही है, तीसरी बार, चौथी बार। बजने देता हूं। बाद में भी देखा जा सकता है, किसका फोन है। बाहर आकर देखता हूँ अंजलि का फ़ोन है। कमाल है, अंजलि और वह भी सुबह-सुबह। उनसे तो बोलचाल ही बंद हुए महीना भर होने को आया। फोन मिलाता हूँ – हैलो, आज सुबह-सुबह, सब ठीक तो है ...Read More
लहरों की बाांसुरी - 2
2 - एक बात तुमसे और शेयर करती हूं और तुम्हें यह जान कर खुशी होगी समीर कि लगातार बरस का कंपनी का बेस्ट परफॉर्मर का एवार्ड तुम्हारी इस मित्र अंजलि को ही मिला है और मैं यह एवार्ड लेने ही गोवा जा रही थी। हंसी आ रही है, पैसे मिलते गोवा में और मैं खर्च कर रही हूँ दमन में। बस एक ही बात है, बेशक समंदर वहां भी होता, तुम न होते। अचानक अंजलि रुकी हैं - और फिर तुमसे अपने खराब व्यवहार के लिए माफी भी तो मांगनी थी। - किस बात की माफी? मैं हैरान ...Read More
लहरों की बाांसुरी - 3
3 मैं भी बेड की टेक लगा कर लैपटॉप के सामने हो गया हूं। हम दोनों बेहद नज़दीक हैं। कि एक दूसरे की सांसों की आवाज़ तक सुनायी दे। उनके खुले बालों से तो महक आ ही रही है, उनके बदन से उठती खुशबू की अनदेखी नहीं कर सकता। किसी तरह खुद पर कंट्रोल करके हर तस्वीर के बारे में उन्हें बता रहा हूं। एक अच्छी बात ये हो गयी है कि उन्होंने लगभग सारी तस्वीरें पहले से देख रखी हैं। पिकासा में हर फोल्डर पर नाम लिखा है और फोटो लेने या सेव करने का महीना और वर्ष ...Read More
लहरों की बाांसुरी - 4
4 हम दिन भर खूब घूमे हैं। पैदल। एक एक दुकान में जा कर झांकते रहे। अंजलि ने ढेर चीज़ें खरीदीं और सारी चीज़ें आखिरी दुकान में दे दीं कि होटल पहुंचवा दें। खाना भी हमने एक सरदार जी के ढाबे में खाया है। सबसे ज्यादा वक्त वहीं गुज़ारा। वहां बिछी चारपाई पर पसरे रहे और अंजलि सरदार जी से घर परिवार की बातें करती रही। पता चला कि सरदार जी की पचास बरस पहले यहीं पर स्पेयर पार्ट्स की दुकान थी। लेकिन जब देखा कि नार्थ इंडियंस यहां आकर खाने के लिए बहुत परेशान होते हैं तो पंजाब ...Read More
लहरों की बाांसुरी - 5
5 जिस वक्त रेत पर हमारी कुर्सियां लगायी गयी हैं बारह बज रहे हैं। अचानक अंजलि ने वेटर को है और एक पैकेट सिगरेट और लाइटर लाने के लिए कहा है। हमम। मैं मुस्कुराता हूं - इसी की बस कमी थी। अंधेरे में अंजलि सामने विशाल समंदर की बार बार पास आती और सिर पटक कर लौट जाती लहरों की तरफ देख रही हैं। जैसे खुद को अपनी कहानी सुनाने के लिए तैयार कर रही हैं। सिगरेट मंगवाना भी उसी तैयारी का हिस्सा है। उन्होंने सिगरेट सुलगायी है और पहला कश लगाया है - 17 बरस की थी जब ...Read More
लहरों की बाांसुरी - 6
6 - एक दिन उसने मुझे एक रेस्तरां में चाय पीने के लिए बुलाया था। ये पहला मौका था हम इस तरह से चाय पर मिल रहे थे। उसने मेरे सामने एक पैंफलेट रखा था। पूछा था मैंने-क्या है ये। - खुद ही पढ़ लो। उसने कहा था। एक बड़ी कंपनी अपने प्रोडक्ट की डायरेक्ट मार्केटिंग के लिए शहर में डायरेक्ट सेलिंग नेटवर्क बनाना चाहती थी। उन्हें ऐसे एजेंट चाहिये थे जो पार्टटाइम या फुल टाइम काम कर सकें। ये हमारे शहर के लिए बिल्कुल नयी बात होती। पहले एक हजार रुपये देकर सामान खरीद कर उनका एजेंट बनना ...Read More
लहरों की बाांसुरी - 7 - अंतिम भाग
7 वे फिर उठी हैं और मेरे लिए जग भर के पानी में नमक, चीनी का घोल बनाया है। उन्होंने संतरे का जूस और नींबू का रस मिलाया है। वे हर पाँच मिनट बाद गिलास भर कर मुझे ये घोल पिला रही हैं ताकि डीहाइड्रेशन न हो जाये। थोड़ी देर पहले मेरे सीने से बच्ची की तरह लग कर सो रही अंजलि अब दादी मां बन कर मेरा इलाज कर रही हैं। यह पता चलने पर कि मैंने खाया ढंग से नहीं खाया था, वे मेरे लिए फ्रूट बॉस्केट में से केले ले आयी हैं और मुझे जबरदस्ती खिलाये ...Read More