जिद है तुझे पाने की

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सुबह के दस बज रहे थे. मैं अपने कमरे में बैठी उदास नजरों से खिड़की के बाहर देख रही थी. अचानक डोर ओपन होने की आवाज सुनकर मेरा ध्यान उस तरफ चला गया. डोर ओपन होते ही मेरी नजरें उससे जा मिली. हमेशा की तरह ब्लैक बिजनेस सूट में वो बहुत हैंडसम लग रहा था. लेकिन वो कहते हैं न ... नेवर जज अ बुक बाय इट्स कवर. वैभव भी कुछ ऐसा ही था. वैभव को हमेशा सब कुछ साफ़ सुथरा और सलीके से चाहिए होता था. यही वजह थी कि वो खुद भी हमेशा एकदम परफेक्ट दिखता था. क्लीन शेव्ड फेस... गोरा रंग, सलीके से सेट किये बाल और उसकी वो गहरी आँखें. जो न जाने खुद में ही कितने राज छुपाये हुए थे. कुल मिलाकर उसकी पर्सनालटी किसी मूवी के हीरो से कम नहीं थी. लेकिन असल जिंदगी में मैंने उससे बड़ा विलेन शायद ही कभी देखा था. “ये क्या जान ... तुम अब तक यहीं हो?” उसने अपनी रिस्ट वॉच पर एक नजर डालते हुए कहा. “मैं कब से नीचे ब्रेकफास्ट के लिए तुम्हारा वेट कर रहा हूँ.” इतना कहते हुए वो मेरे बगल में आकर बैठ गया. उसने जैसे ही अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाया मैं तुरंत उससे दूर हट गई. एक पल के लिए उसकी आँखें सिकुड गई लेकिन उसने दोबारा मुझे अपनी तरफ घुमाने की कोशिश की और इस बार मैंने उसका हाथ बुरी तरह झटक दिया और तेजी से नीचे की तरफ बढ़ गई. फ्रस्ट्रेशन में वैभव ने कसकर अपनी आँखें बंद कर ली और एक गहरी सांस लेते हुए उठकर खड़ा हो गया. मेरे पीछे वो भी नीचे तक आया और डाइनिंग टेबल पर बैठने ही जा रहा था कि उसने नोटिस किया मैं बाहर की तरफ जा रही हूँ.

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जिद है तुझे पाने की - भाग 1

सुबह के दस बज रहे थे. मैं अपने कमरे में बैठी उदास नजरों से खिड़की के बाहर देख रही अचानक डोर ओपन होने की आवाज सुनकर मेरा ध्यान उस तरफ चला गया. डोर ओपन होते ही मेरी नजरें उससे जा मिली. हमेशा की तरह ब्लैक बिजनेस सूट में वो बहुत हैंडसम लग रहा था. लेकिन वो कहते हैं न ... नेवर जज अ बुक बाय इट्स कवर. वैभव भी कुछ ऐसा ही था. वैभव को हमेशा सब कुछ साफ़ सुथरा और सलीके से चाहिए होता था. यही वजह थी कि वो खुद भी हमेशा एकदम परफेक्ट दिखता था. क्लीन ...Read More

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जिद है तुझे पाने की - भाग 2

“ओह गॉड... फिर से लेट हो गई मैं तो आज.” संध्या ने अपनी रिस्ट वॉच पर एक नजर डाली कॉरिडोर में और तेजी से अपने कदम आगे बढ़ा दिए. आज कॉलेज के असाइनमेंट सबमिट करने की लास्ट डेट थी. लेकिन हमेशा की तरह आज वो फिर से लेट हो गई थी. अपने हाथ में पकडे पेपर्स को संभालते हुए वो तेजी से आगे बढ़ती जा रही थी. अचानक हवा का एक तेज झोंका आया और फ़ाइल में से कुछ पेपर्स निकलकर वहीँ कॉरिडोर में बिखर गए. “अरे यार ...एक तो मैं वैसे ही लेट हो चुकी हूँ ऊपर से ...Read More

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जिद है तुझे पाने की - भाग 3

वरुण ने तय कर लिया था आज वो हर हाल में पता लगाकर रहेगा कि उसके पीछे कौन आकर कॉलेज की क्रेजी गर्ल्स के सारे लव नोट्स उसके लॉकर्स से हटाकर चला जाता है. उसकी कार खराब हो गई थी सो आज वो अपनी न्यू कार से कॉलेज आया था. हमेशा की तरह वो आकर चुपचाप क्लास में बैठ गया. प्रोफेसर अपने लेक्चर में न जाने क्या क्या समझा रहे थे लेकिन उसका ध्यान तो अब भी अपने उस सीक्रेट हेल्पर पर ही टिका हुआ था. अचानक बीच क्लास में वो अपने जगह से उठ कर खड़ा हो गया. ...Read More

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जिद है तुझे पाने की - भाग 4

वरुण ने एक बार अपनी नजरें उठाकर ड्राइवर की तरफ देखा जो अब तक वहीँ खड़ा था. “कोई और तो नहीं रह गया?” उसका सवाल सुनकर ड्राइवर ने कुछ सोचते हुए जवाब दिया, “नहीं सर... लेकिन ये लड़की पिछले कुछ दिनों से आपपर नजर रख रही थी. यहाँ तक कि इसने कॉलेज के कम्प्यूटर लैब से आपके बारे में डिटेल्स भी निकाली थी. मुझे इसके इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे.”वरुण के चेहरे पर एक तिरछी सी स्माइल आ गई थी. उसने लापरवाही से अपना पैर कॉफी टेबल पर रखते हुए अपनी पीठ सोफे से टिका दी, “मुझे पता ...Read More

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जिद है तुझे पाने की - भाग 5

संध्या इस वक्त सिर झुकाए चुपचाप अपने सारे फ्रेंड्स के सामने खड़ी थी और वो सब अपने हाथ बांधे गुस्से में ऐसे देख रहे थे जैसे वो अभी अभी कोई क्राइम करके आई है. “तो तुम ये कहना चाह रही हो कि वरुण रस्तोगी... जिसपर यहाँ की सारी लड़कियां मरती हैं... जिससे फ्रेंडशिप करने के लिए यहाँ का हर स्टूडेंट बेताब है उसने खुद आगे बढ़कर तुमसे फ्रेंडशिप की है?” आकाश ने उसे गुस्से से घूरते हुए पूछा. संध्या ने बिना कुछ बोले बस हाँ में अपनी गर्दन हिला दी. वरुण के पास से वापस आने के बाद समीरा, ...Read More