स्वप्न--भुलाए नही भूलता

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पचास साल से ज्यादा हो गए पर मुझे आज भी वह सपना ऐसे याद है मानो कल की ही बात हो।भूल भी कैसे सकता हूँ।उस सपने ने साकार होकर मेरे उज्ज्वल भविष्य के सपने को निगल लिया था।उस सपने की टीस का एहसास मुझे आज भी कचोटता रहता है। आज से पांच दशक पहले।सन 1969 उन दिनों में जोधपुर यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा था।मेरे पिताजी जिन्हें हम सभी भाई बहन बापू कहते थे।आबूरोड में रेलवे सुरक्षा बल में इंस्पेक्टर के पद पर पोस्टेड थे।उन दिनों शिक्षा इतनी आसान नही थी।कॉलेज हर जगह नही होते थे।इसलिए मुझे जोधपुर में एड्मिसन लेना पड़ा था। मैं जोधपुर में हाईकोर्ट रॉड पर मुरलीधर जोशी भवन में किराय पर रहता था।उस जगह और भी स्टूडेंट रहते थे। एक रात मै अपने कमरे में सो रहा था।नींद में अचानक एक सपना आया।चार आदमी अर्थी उठाकर जा रहे है।उनके पीछे लोग मुह लटकाकर चल रहे है।पीछे चल रहे लोगो मे से कुछ के चेहरे जाने पहचाने से लगे। अर्थी किसकी जा रही है?

Full Novel

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स्वप्न--भुलाए नही भूलता-1

पचास साल से ज्यादा हो गए पर मुझे आज भी वह सपना ऐसे याद है मानो कल की ही हो।भूल भी कैसे सकता हूँ।उस सपने ने साकार होकर मेरे उज्ज्वल भविष्य के सपने को निगल लिया था।उस सपने की टीस का एहसास मुझे आज भी कचोटता रहता है।आज से पांच दशक पहले।सन 1969 उन दिनों में जोधपुर यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा था।मेरे पिताजी जिन्हें हम सभी भाई बहन बापू कहते थे।आबूरोड में रेलवे सुरक्षा बल में इंस्पेक्टर के पद पर पोस्टेड थे।उन दिनों शिक्षा इतनी आसान नही थी।कॉलेज हर जगह नही होते थे।इसलिए मुझे जोधपुर में एड्मिसन लेना पड़ा ...Read More

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स्वप्न--भुलाए नही भूलता-2

बापू का पत्र आने के बाद कुछ दिनों के लिए वह सपना दिखना बन्द हो गया।कुछ दिन बेहद आराम चेन से गुजरे।लेकिन कुछ दिनों के अंतराल के बाद फिर वो ही डरावना ,ख़ौफ़ज़दा कर देने वाला सपना मुझे फिर से दिखने लगा।और फिर एक दिन बापू का पत्र आया था।मेरा एक कजिन आबूरोड में हमारे साथ ही रहता था।उसे बापू ने लोको शेड में एडहॉक पर नौकरी पर लगवा दिया था।उसके भी नवजात शिशु की मृत्यु का समाचार पत्र में लिखा था।बापू आबू से गांव बसवा और बांदीकुई भी गए थे।पत्र में उन्होंने वहां के समाचार भी लिखे थे।इस ...Read More

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स्वप्न--भुलाए नही भूलता-3

टेंट बड़े लगाए गए थे।एक टेंट में 10 केडिट को रखा गया था।कैम्प की दिनचर्या बड़ी व्यस्त थी।सुबह पांच ही अलार्म बज जाता।नित्य कर्म से जल्दी जल्दी निवर्त होकर पीटी, खेल अन्य कार्यक्रम रात दस बजे तक लगातार चलते रहते।आराम तभी मिलता जब रात को टेंट में अपने बिस्तर पर हम लेटते।और रात को बिस्तर में लेटते ही वह स्वप्न नींद में चला आता।दिन में व्यस्त जरूर रहता लेकिन मन न लगता।क्योकि दिन में जगते हुए भी मुझे वह सपना नजर आता था।माउंट आबू के इन सी सी कैम्प में गुजारे वो दस दिन भयंकर यंत्रणा से भरे हुए ...Read More

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स्वप्न--भुलाए नही भूलता-4

हम दोनों चाय पीते हुए बाते करते रहे।काफी देर बाद हम होटल से बाहर आये।पूरन अपने घर और मैं घर के लिए चल दिया।घर लौटने का रास्ता वो ही था जिस रास्ते से मैं बजरिया गया था।मैं वापस प्लेटफॉर्म पर बापू के आफिस के सामने से आया।बापू अपने चेम्बर के अंदर बैठे हुए थे।मैं उनकी तरफ देखता हुआ निकला था।धीरे धीरे चलकर मैं घर आया।आते समय भी मन अशांत था और वो डरावना सपना आंखों के सामने तैर रहा था।मैने घर आकर कपड़े बदले थे।मेरे पीछे पीछे ही बापू भी घर चले आये थे।उन्हें जल्दी आया देखकर मा बोली,"जल्दी ...Read More

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स्वप्न--भुलाए नही भूलता - अंतिम भाग

सुबह चार बजे बापू के पेट मे भयंकर दर्द उठा।दर्द इतना भयंकर था कि दर्द की वजह से वह पर नही लेट सके।बापू दर्द की वजह से चीखने लगे।हम घबरा गए।सामने के क्वाटर में काशीराम गौतम जी रहते थे।वह रेलवे में ड्राइवर थे और सादाबाद के रहने वाले थे।उन्हें बुला लिया।दर्द से तड़पते हुए बापू आंगन में चक्कर लगाने लगे।सर्दी के मौसम में भी शरीर से पसीना छूटने लगा।काशीराम बापू के साथ घूमते हुए पसीना पोंछने लगे।मैं और इन्द्र रेलवे डॉक्टर के पास गए।जौहरी नए डॉक्टर थे।युवा थे।इन्द्र बोला,"दूसरे डॉक्टर पर चलते है।"डॉक्टर माहेश्वरी रेलवे में पुराने डॉक्टर थे।उनका ...Read More