यादों के कारवां में

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प्रेम के विविध रूप हैं।यह दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास है।रात्रि में अंबर के चंद्र,तारे, बादल,आकाशगंगा की धवल पट्टिका,पूरी पृथ्वी में पसरी निस्तब्धता और चारों ओर फैली चांदनी........ये सब उस विराट सत्ता की ओर संकेत करते हैं जो प्रेम का उत्कर्ष है।अपने घर परिवार और आसपास से शुरू जीवन पथ के विभिन्न बिंदुओं से होती हुई हर प्रेमगाथा अंततः ईश्वर से प्रेम की आत्मिक ऊंचाई तक ही जा पहुंचती है, तो पढ़िएगा अवश्य,प्रेम पर लिखी विविध कविताओं के मेरे इस मौलिक काव्य संकलन यादों के कारवां में को …

Full Novel

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यादों के कारवां में - भाग 1  

काव्य संग्रह:यादों के कारवां में :भाग 1 प्रेम के विविध रूप हैं।यह दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास है।रात्रि में के चंद्र,तारे, बादल,आकाशगंगा की धवल पट्टिका,पूरी पृथ्वी में पसरी निस्तब्धता और चारों ओर फैली चांदनी........ये सब उस विराट सत्ता की ओर संकेत करते हैं जो प्रेम का उत्कर्ष है।अपने घर परिवार और आसपास से शुरू जीवन पथ के विभिन्न बिंदुओं से होती हुई हर प्रेमगाथा अंततः ईश्वर से प्रेम की आत्मिक ऊंचाई तक ही जा पहुंचती है, तो पढ़िएगा अवश्य,प्रेम पर लिखी विविध कविताओं के मेरे इस मौलिक काव्य संकलन यादों के कारवां में को ….️ तुमसे बढ़कर है तुम्हारी ...Read More

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यादों के कारवां में - भाग 2

यादों के कारवां में :अध्याय 2 (3) प्रेम की तरंगें प्रेम की तरंगें होती हैं विशिष्ट रेडियो प्रसारण सी उससे थोड़ी भिन्न, एक एकदम अलग फ्रीक्वेंसी की, इसीलिए इसे आम रेडियो प्रसारण की तरह सब डीकोड नहीं कर सकते, और यह पहुँचती है इसे डीकोड कर पाने वाले दुनिया के शायद किसी एक के पास ही, और शायद केवल वही महसूस कर पाता है इन अदृश्य तरंगों को, और भेज पाता है फीडबैक इसी तरह। सचमुच ये दो लोगों से बनी एक अलग ही दुनिया होती है और मीलों दूर से भी वे दोनों एक हो जाते हैं और ...Read More

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यादों के कारवां में - भाग 3

अध्याय 3: (6) शापित हो गया है चांद,(7)प्रेम, (8)प्रेम होता है केवल प्रेम (6) शापित हो गया है चांद सचमुच शापित हो गया है चाँद, मानव के लोभ,स्वार्थ के स्याह धब्बों से। कांक्रीट के जंगलों में तब्दील होते शहरों की, प्रदूषित हवाओं ने इसे कर दिया है धुंधला और मलिन। (2) प्लेटफार्म पर लंबी प्रतीक्षा कराती ट्रेन हो गया है चाँद, प्रिया के लिए, जब उस शाम नदी के किनारे पूछने पर, प्रिय ने कहा था उससे- "हो तो तुम खूबसूरत चाँद से भी बढ़कर, लेकिन अभी का समय है नहीं, तुम्हें कहने को यह,कि "तुम हो दुनिया में ...Read More

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यादों के कारवां में - भाग 4

यादों के कारवां में: अध्याय 4 (9) ध्रुव तारे से अटल आषाढ़ की इस ढलती अँधेरी शाम और गहराती के बीच आसमान में छाए हैं हर कहीं गहरे काले बादल और बारिश की आंख-मिचौली के बीच क्षितिज में जैसे चांद भी है छिपा, दुबका हुआ सा और तभी फूट पड़ती है उजाले की एक रेख आसमान के किसी कोने से और दूर हो जाता है मेरे अंतर्मन का समूचा तम कि घोर निराशा और घोर अंधियारे के बीच भी है आशा की यह एक किरण और इसने भर दिया है मेरे पूरी अस्तित्व को एक दिव्य रोशनी से और ...Read More

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यादों के कारवां में - भाग 5

यादों के कारवां में :अध्याय 5 पुरानी यादें ..... जैसे डायरी के पन्ने पलटते हुए अतीत में पहुंच जाना.............. एल्बम देखते हुए पुरानी तस्वीरों का वर्तमान में सजीव हो उठना....... और कुछ पाने की खुशी तो कुछ खो देने की कसक..... पर पुरानी यादों की रील में कुछ डिलीट करनी की नहीं होती कोई सुविधा... इसीलिए ये आंखें भिगो जाती हैं कई बार कभी खुशी में तो कभी अफ़सोस में..... (14) चाय और इंतजार चाय के दो प्यालों में आकर जैसे ठहर जाती है सारी दुनिया जैसे रोज की भागदौड़ और जद्दोजहद के बीच कहीं मिल जाता है एक ...Read More

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यादों के कारवां में - भाग 6

18. खत तेरा और हौसलों की उड़ान बड़े दिनों के बाद आना खत तेरा….. और सदियों से लंबे इंतज़ार एक-एक पल का किस्सा महज़ चंद लफ्ज़ों में अनकहे ही बयां कर जाना और करा जाना एहसास कि कभी न मिलने की मजबूरी पर भी नदी के दोनों किनारे साथ-साथ चलते हैं और नदी में उठने वाली एक लहर हर दिन इसके दोनों किनारों को जाकर छुआ करती है और संवेदनाओं की समान अनुभूति के लिए करती है पुल का काम…… इसकी धारा की ही तरह सतत अविरल गतिमान और उड़ने के लिए प्रदान करती है हर पल पंखों से ...Read More

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यादों के कारवां में - भाग 7

अध्याय 7 आज यादों के कारवां के अंतर्गत अध्याय 7 में दो कविताएं प्रस्तुत हैं :-22. दोस्ती में इश्क़ से एहसास माता-पिता,भाई-बहन,पति-पत्नी,मित्र अन्य सगे संबंधी सभी रिश्ते बंधे होते हैं प्रेम की डोर से नाम चाहे जो हो उस प्रेम का….. जैसे स्नेह, वात्सल्य, प्रेम,इश्क, आराधना ,भक्ति अपनापन आदि, और जब रिश्तों की डोर उलझती है तो उसे सुलझाया जाता है दोस्त बनकर ही या कुछ रिश्तो के लिए समय निकाला जाता है सब काम छोड़कर, जैसे रूठे बच्चे को मां का मनुहार करके मनाना जैसे स्कूल में दोस्त के नाराज हो जाने पर शाम उसे फोन कर कहना ...Read More

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यादों के कारवां में - भाग 8

24 साथी मेरे एकांत के एकांत के पल में रात छत पर, मन अंबर में उमड़ते-घुमड़ते हैं विचारों के और बनने वाली अनेक भूरी,मटमैली,काली,धुंधली,सफेद आकृतियों में चित्रपट से उभरते हैं दृश्य अनेक, रात्रि में अंबर के चंद्र को देखकर किलकारी भरता बच्चा और उसे पकड़ने की जिद करते बच्चे की दोनों हथेलियां मोड़ कर चंद्र को पकड़ने का उपक्रम करवाती मां, इस क्षण को अपने मोबाइल कैमरे में कैद करने को तत्पर। नौकरी की खोज में अपना रिज्यूम लेकर दिनभर एक से दूसरी जगह भटकते युवा मन को नींद नहीं आने पर मध्य रात्रि को टहलते हुए छत पर, ...Read More

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यादों के कारवां में - भाग 9

26 प्रेम की पाठशालामां की लोरियों में होता है खास एहसास स्नेह का इसलिए इसे सुनते-सुनते ही आ जाती बच्चे को गहरी नींद मां की गोद में सिर रखे हुएऔर रात भर वह विचरण करता हैसुखद स्वप्नलोक में।पिता की कहानियों में होता हैखास एहसास वात्सल्य काइसलिए संरक्षण और सुरक्षा के सबसे बड़े एहसास,पिता के जीवन भर केअनुभवों का अनमोल खजानाहस्तांतरित होते रहता है बातों- बातों में ही संतान को।जीवनसाथी की बातों में होता हैखास एहसास प्रेम काइसलिए वहां 'तुम' और 'मैं' मिलकरबन जाते हैं सदा के लिए 'हम'और दो शरीरों के प्राण भीहो जाते हैं एक ही तासीर के।मित्र ...Read More

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यादों के कारवां में - भाग 10

अध्याय 1028.साधनाभागदौड़ और शोरगुल से तंग आकरकभी,मन होता है पीछा छुड़ाकर इन सबसेचले जाएं एकांत में,हिमालय की किसी गुफा-कंदरा बैठकर,लीन हो जाएं ध्यान की अतल गहराइयों में,औरप्राप्त कर लें उत्तर,नए संदर्भों में उन प्रश्नों के,जिनमें मानवता का हित है,पर तभी याद आते हैं,आकाश में श्वेत बादलों की पृष्ठभूमि मेंपंक्तिबद्ध होकर उड़ते,बगुलों के पंखों के समान सफेद वर्दी पहने हुए हार्नविहीन गाड़ियों के निर्माण में देरी और प्रचलन तक,चौराहे पर दिन भर खड़े यातायात पुलिस के सिपाही,कानफोडू आवाजों के बीच भीकर्मरत हैं,शांत और मौन अनवरत,फिर याद आते हैं,चिमनियों से निकलते,गाढ़े काले धुएं के कारणआकाश में उड़ते बगुलों के, काले पड़ ...Read More

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यादों के कारवां में - भाग 11

32 थाम लो हाथ बढ़कर हे ईश्वर! थाम लो मेरा हाथ बढ़कर औरमैं जानता हूं किस्वयं द्वारा थामा गया कभी नहीं छोड़ते,और आप देते हैं मजबूती उन हाथों को,जो संकटों में थामते हैं किसी का हाथ,औरजो आते हैं मेरे जीवन में भीथामने मेरा हाथ,तुम्हारा प्रतिनिधि बनकरकिसी भी रूप में। डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय33 चाय या कॉफी साथ साथी केप्रेम से पिलाई गईचाय या कॉफी मेंआ जाता है स्वाद अमृत सा,जब साथ मिल बैठते हैंदोस्त,प्रिय,सखा,मित्र,संग साथअन्यथा,वही चाय और कॉफी हो जाती है,बेस्वादजो रखी जाए सामने बेमन से,इसीलिए,स्वाद नहीं होता चाय या कॉफी में,जायका होता है,मित्रता मेंइसलिए,बराबरीपन की चाय और कॉफी ...Read More

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यादों के कारवां में - भाग 12

38.सावन और मेघ पानी बरस रहा झमाझम,धरती पर मेघों की छाया,सूरज भी अंतर्धान हो गए,देखो सावन है आया।गिरती फुहारें रिमझिम,श्वेत धुआंसा छाया,तप्त धरा को शीतल करने,देखो सावन है आया।हुए गांव नगर लबालब,सड़कें पानी में डूब रहीं,गली में छपछप दौड़ते बच्चे,देखो सावन है आया।थम जाता है जनजीवन,नदी-नालों की मर्यादा टूटीपड़ती मार गरीबों की छत पे,कैसा सावन ये आयासावन का है रूप मनोहर,प्रिय की याद लिए आयाफिर प्रेम के बनते मेघदूत,देखो सावन है आया।बारिश का तो ओर न छोर,सारी सृष्टि पानी-पानी,विश्व प्रेम का लिए संदेसा,देखो सावन है आया।डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय©39 होना साथ तेराजैसे छाया तन से अलग नहीं,जब धूप न ...Read More

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यादों के कारवां में - भाग 13

अध्याय 13 यादों के कारवां में43. ये शाम हमारी हैहरेक की शाम सुनहरी होती हैउसकी अपनी होती है,दिन भर सफर, संघर्ष ,परिश्रम के बाद;ज्ञान के लिएरोटी के लिए अपनी संतुष्टि के लिएऔर,संघर्ष भी अपने-अपनेजैसे,शहरों के हाथ ठेलों में खींचते भारी बोझमें अपनी जिंदगी को खींचते मजदूर,कि जीवन है तो जीना है, वाले ढर्रे पर।जैसे,कारखानों में शिफ्ट का भोंपू बजते हीभीतर जाकर श्रम करने को तत्पर श्रमवीर पंक्तिबद्ध,जो शिफ्ट खत्म होने का भोंपू बजते- बजते खुद मशीन में पूरी तरह तब्दील हो चुके होते हैं,जैसे,सब्जी बेचने को निकली बुढ़िया की टोकरी की बची सब्जियां जेठ की धूप और लू के ...Read More