"पहला प्यार" ये वो एहसास होता है जिसे चाहे आप जिन्दगी के जिस मोड़ पर चले जाये, भुला नही सकते। और ये बात मैं अपने छः साल के अनुभव से कह रहा हूँ। आज से एक महीने बाद उस लड़की की शादी है। ये वही लड़की है जिससे मुझे मेरा पहला प्यार हुआ था। मुझे जाना है उसकी शादी में, पर दूल्हा बन कर नही, बल्कि शादी में काम करने और कमी-बेसी को देखने के लिये। अब आप सोच रहे होंगे की अभी कुछ देर पहले मैं कह रहा था कि पहले प्यार को भुलाया नहीं जा सकता। और अभी
Full Novel
पहला प्यार (भाग:1)
"पहला प्यार" ये वो एहसास होता है जिसे चाहे आप जिन्दगी के जिस मोड़ पर चले जाये, भुला नही और ये बात मैं अपने छः साल के अनुभव से कह रहा हूँ। आज से एक महीने बाद उस लड़की की शादी है। ये वही लड़की है जिससे मुझे मेरा पहला प्यार हुआ था। मुझे जाना है उसकी शादी में, पर दूल्हा बन कर नही, बल्कि शादी में काम करने और कमी-बेसी को देखने के लिये। अब आप सोच रहे होंगे की अभी कुछ देर पहले मैं कह रहा था कि पहले प्यार को भुलाया नहीं जा सकता। और अभी ...Read More
पहला प्यार(भाग-2)
आज लगभग दस दिन बीत गये थे। पर जैसा मैंने सोचा था ऐसा कुछ नही हुआ। इतने करीब होने बावजूद महसूस हो रहा था जैसे मिलो की दुरी हो हम दोनों के बीच। पर जिस प्रयास में मैं असफल होता जा रहा था, उसमें मेरे पापा ने सफलता पाई। भले ही शीतल की और मेरी अभी एक बार भी बात नही हो पाई थी, पर जल्द ही मेरे पिता और शीतल के पिता अच्छे दोस्त बन गये। और ये उनका एहसान ही था कि अब मैंने धीरे धीरे शीतल के घर आना-जाना शुरु कर दिया। अब ऐसा कोई दिन ...Read More
पहला प्यार (भाग-3)
स्कूल से घर आने के बाद अनगिनत विचार मेरे मन में आने लगे। "शीतल से बिना पूछे ये तस्वीर किताब से निकाल कर मैंने कुछ गलत तो नही कर दी???.. क्या वो इसे ढूंढ रही होगी??.. और ऐसे कई सवाल मुझे परेसान करने लगे थे।बैचैनी बढ़ती जा रही थी। मैं छत्त पर गया और शीतल की बालकनी की तरफ देखने लगा। अक्सर वो इस समय वहाँ किताब पढ़ती नजर आती थी। मगर आज मेरे घंटो इंतजार करने के बाद भी वो एक बार भी नजर नही आई।मुझसे अब रहा नही गया और मैं शीतल के घर चला गया।उसके पिता ...Read More