भट्टी में डाली गई लकड़ी कोयला बनकर अंगारों का रूप धारण कर चुकी हैं। थोड़ी देर पहले तक इसमें कल की जली हुई लकड़ियों की राख बिखरी थी। पर अब ये आग का कुआँ बन चुकी हैं। इस कुएँ के मुहाने पर कढ़ा में रखा दूध खुद को धीरे-धीरे समेटने की तैयारी कर रहा हैं। उसी दूध में पड़े पलटे को पकड़े और आग की लपटों से निकलते धुँए से अपने चेहरे को बचाते हुए सुनील चुप होकर अपने दोस्त विकास की बातें लगातार सुने जा रहा हैं। एक घंटे पहले इस बार यार फिर वेलेंटाइन बीत गया। पिछले दो सालों से लगातार ये वेलेंटाइन नाम का दिन ऐसे ही बीत रहा हैं। पिछली साल जब आया था मुझे लगा था। कि कुछ अच्छा होगा मेरे साथ, पर मुझे क्या पता था। पिछली बार तो पिछली बार, इस बार वाला भी नीरज का शेर “अबके सावन ये शरारत हमारे साथ हुई हमारा घर छोड़कर सारे शहर में बरसात हुई” की पैरवी करता बीत जाएगा। यार तू सुन भी रहा हैं। सब दोस्त अब मुझे चिढ़ाने लगे है। कि तुझसे सही तो हम ही हैं। ना ज्यादा सुंदर, ना ज्यादा होशियार, ना ज्यादा पैसे वाले, फिर भी लड़की को लेकर घूमते हैं। और एक तू हैं। जिसके पास से कोई गुज़रती तक नहीं। और कुछ तो ज्यादा ही आगे बढ़कर कहते हैं। भाई किसी साइकेट्रिस्ट से सलाह लेले। कही शरीर से मर्द हो और ख़यालों से लड़की; यार साफ तौर पर वे मुझे नपुंसक कहने लगे हैं। इस चक्कर में कई बार मेरा झगड़ा भी हो गया हैं।
थ्री गर्लफ्रैंड - भाग 1
20 Feb 2015Time: 13:25भट्टी में डाली गई लकड़ी कोयला बनकर अंगारों का रूप धारण कर चुकी हैं। थोड़ी देर तक इसमें कल की जली हुई लकड़ियों की राख बिखरी थी। पर अब ये आग का कुआँ बन चुकी हैं। इस कुएँ के मुहाने पर कढ़ा में रखा दूध खुद को धीरे-धीरे समेटने की तैयारी कर रहा हैं। उसी दूध में पड़े पलटे को पकड़े और आग की लपटों से निकलते धुँए से अपने चेहरे को बचाते हुए सुनील चुप होकर अपने दोस्त विकास की बातें लगातार सुने जा रहा हैं।एक घंटे पहलेइस बार यार फिर वेलेंटाइन बीत गया। पिछले ...Read More
थ्री गर्लफ्रैंड - भाग 2
कोचिंग वाली लड़कीबकरा ईद थी। उस दिन, वो दिन जिस दिन नालियों में पानी का रंग लाल होता हैं। वो दिन होता हैं। जिस दिन आस्था में विश्वास के लिए मासूमों को बेरहमी से काटा जाता हैं। पर मेरे लिए उस दिन इसके कुछ और मायने थे। मुझे आने वाले वक्त में जैसे कोई रास्ता मिल गया था। जिस पर मुझे चलना था। यूँ तो मैं उसे पिछले दो महीनों से लगातार देख रहा था। पर उस दिन उसको देखने में कुछ था।, कुछ ऐसा जो पहले नहीं था। कभी नहीं था। पर उस दिन तो मेरा पूरा जिस्म ...Read More
थ्री गर्लफ्रैंड - भाग 3
भाग- 3उस दिन जो प्यार को लेकर बातें हुईं लगा था। आगे की मुलाकातों में बात आगे बढ़ सकती पर अफ़सोस बात आगे बढ़ने की बजाय पीछे चली गयी थी। सोचकर भी कितना अजीब लगता है। दो जवान लड़के-लड़की की दोस्ती की शुरुआत में होने वाली ज़्यादातर बातें बैग में बंद किताबों में छपी थी। हमारी दोस्ती पूरे दिन में अपना व्यवहारिक रूप केवल पंद्रह से बीस मिनट के लिए ही लेती थी। वो भी तब, जब बस घड़ी में बनी सुइयों के अस्तित्व को नकार दें। और दोस्ती अपनी दोस्ती का हवाला देकर साथ चलने के लिए ना ...Read More
थ्री गर्लफ्रैंड - भाग 4
ग्रेजुएशन की सेकंड ईयरफर्स्ट ईयर पास करके जब हम दोनों सेकंड ईयर की फिजिक्स पढ़ने के लिए कोचिंग क्लास मिलें। तो हमारे बीच कोई भी गीले शिकवे नहीं थे। हम पहले की तरह ही बात करने लगे थे। लेकिन जो चीज़ हमारे बीच आ गई थी। वो थी। अमन शर्माअमन शर्मा की हम दोनों से बढ़ती नज़दीकी में, मैं दुनियाभर की कोशिशें करता था। कि इस बंदे को हम दोनों के बीच ना आने दूँ। पर मेरी लाख कोशिश के बाद भी वो हमारे बीच आने से नहीं रुका। जिसका सीधा सा मतलब था। रुचि उसे निमंत्रण देती थी। ...Read More
थ्री गर्लफ्रैंड - भाग 5
फेसबुक वाली लड़कीये फेसबुक वाली लड़की, इसका किरदार मैं अपनी ज़िंदगी में अब तक समझ नहीं पाया किस तरह था, पर जितना था, वो आज तक मिली हुई लड़कियों में सबसे बेहतर था। इसलिए शायद इससे भी मुझे एक तरह का प्यार……जिसे क्रश भी कह सकते हैं। 'हो गया था।इससे मेरी बात शुरू हुई थी, बीएससी फर्स्ट ईयर के एग्जाम के बाद और रिजल्ट आने से पहले, यानि कि तकरीबन दो महीने लगातार; बात मेरी भले ही इससे दो महीने हुई हो, पर मैं जानता था, इसे तकरीबन पिछले तीन सालों से, ये मेरी सहपाठी रह चुकी थी।, ग्यारहवीं ...Read More
थ्री गर्लफ्रैंड - भाग 6
बस वाली लड़कीमेरी कहानी के इस हिस्से में जो हैं। उसे लड़की कहना बेजा लगता हैं। और औरत कहना हुस्न की तौहीन, उसकी उम्र पेतींस के करीब थी। पर चेहरे की सुंदरता उसे बीस का बनाती थी। इसलिए शायद अब तक कुंवारी थी। पर सबकुछ हमारे हाथ में नहीं होता, कई बार घटित होने वाली घटनाओं के साथ हमें खुद को ढालना होता हैं। तभी हम ज़िंदा रह सकते हैं। लेकिन अगर हम ऐसा नहीं करते हैं। तो हम देखते हैं, अपने उस हर पल को बर्बाद होते, जिसे वर्षों की मेहनत के बाद हमने बनाया होता हैं। वो ...Read More
थ्री गर्लफ्रैंड - भाग 7
आने वाली मुलाकातों में, मैं जैसे-जैसे उसे जानता गया, मैं उसके और करीब हो गया था। मैं उसके दर्द जुड़ रहा था या मुझे उससे प्यार हो रहा था, मैं दोनों ही बातों से पूरी तरह अनजान था, पर एक बात "मैं पक्के तौर पर जानता था कि उसका साथ मुझे बदल रहा था।, नए रंग में रंग रहा था और उस नए रंग में ख़ुशबू उसकी थी।उसने मुझे बताया था। कि वो चार बहनें हैं। जिनका पिता एक ही हैं। लेकिन माँ अलग-अलग हैं। उसकी अपनी माँ वर्षों पहले जब वह नौ साल की थी और बाकी दो ...Read More
थ्री गर्लफ्रैंड - भाग 8
3 मार्च 2015Time: 19:45लगता हैं। सारी उम्र पलटा चलाते हुए गुजारने का इरादा है। तेरा, विकास बोलते हुए बड़े से कुर्सी पर बैठ गया।“लगता हैं। कोई आज ज्यादा ही खुश हैं।“, सुनील‘किसी के दिल का बाबू बनना जो खुशी देता हैं। वो किसी सल्तनत का राजा बनने में भी नहीं हैं।, विकास“ओह! अच्छा…तो किसके दिल के बाबू बन गए। ज़रा समझाओगे, सुनील दोनों हाथों को फैलाकर बोलते हुएयूँ तो बस मैं, उसके नाम का पहला अक्षर बता दूं। तु इसी से समझ जाएगा। लेकिन इसमें मुझे ख़ुशी नहीं मिलेगी। क्योंकि मैं तेरे चेहरे पर बारह बजते हुए देखना चाहता ...Read More