मेरे घर आना ज़िंदगी

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ऑफिस से लौटते हुए नंदिता ने एक जगह अपनी स्कूटी खड़ी की। सामने चार सीढ़ियां थीं। उन्हें चढ़कर वह मेडिकल शॉप के काउंटर पर पहुँची। पहले से मौजूद एक ग्राहक अपनी दवाओं के पैसे चुका रहा था। उसके जाने के बाद केमिस्ट ने कहा, "पर्चा दिखाइए....." नंदिता ने इधर उधर देखकर थोड़े संकोच से कहा, "मुझे प्रेग्नेंसी टेस्ट किट चाहिए।" केमिस्ट ने पास खड़े साथी की तरफ देखा। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। उसका साथी अंदर गया और किट लाकर काउंटर पर रख दी। नंदिता ने उसे उठाते हुए दाम पूछा। केमिस्ट ने बता दिया। दाम चुकाकर नंदिता पहली सीढ़ी उतरी थी कि उसके कानों में पड़ा, "आजकल यह सब कॉमन हो गया है।" नंदिता समझ गई कि केमिस्ट का इशारा किस तरफ है। लेकिन इस समय उसे किसी बात से मतलब नहीं था। वह तो घर पहुँच कर तसल्ली करना चाहती थी। वह अपनी स्कूटी के पास आई। अपना बैग सीट के नीचे रखा। हेलमेट पहना और निकल गई।

Full Novel

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 1

(1) ऑफिस से लौटते हुए नंदिता ने एक जगह अपनी स्कूटी खड़ी की। सामने चार सीढ़ियां थीं। उन्हें चढ़कर मेडिकल शॉप के काउंटर पर पहुँची। पहले से मौजूद एक ग्राहक अपनी दवाओं के पैसे चुका रहा था। उसके जाने के बाद केमिस्ट ने कहा,"पर्चा दिखाइए....."नंदिता ने इधर उधर देखकर थोड़े संकोच से कहा,"मुझे प्रेग्नेंसी टेस्ट किट चाहिए।"केमिस्ट ने पास खड़े साथी की तरफ देखा। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। उसका साथी अंदर गया और किट लाकर काउंटर पर रख दी। नंदिता ने उसे उठाते हुए दाम पूछा। केमिस्ट ने बता दिया। दाम चुकाकर नंदिता पहली सीढ़ी उतरी थी ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 2

(2)मकरंद वॉशरूम में फ्रेश हो रहा था। नंदिता बिस्तर पर बैठी सोच रही थी कि बात शुरू कैसे करे। का दरवाज़ा खुला। मकरंद बाहर आते हुए बोला,"आज अपने मकान मालिक का फोन आया था।"नंदिता ने कहा,"क्या कह रहे थे ?"मकरंद बिस्तर पर बैठकर बोला,"अगले महीने एग्रीमेंट का पीरियड खत्म हो रहा है। कह रहे थे कि या तो शर्त के हिसाब से दस परसेंट किराया बढ़ाओ नहीं तो फ्लैट समय पर खाली कर देना।"यह सुनकर नंदिता भी परेशान हो गई। मकरंद ने कहा,"नया फ्लैट ढूंढ़ने में तो कठिनाई आएगी। मैंने कह दिया कि बढ़े हुए किराए के साथ फिर ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 3

(3)कमरे में एकदम खामोशी थी। मकरंद अपने हाथों में सर रखे बैठा था। मेडिकल रिपोर्ट उसके सामने पड़ी थी। रिपोर्ट को घूरे जा रहा था। जैसे सारी समस्या रिपोर्ट के कारण ही पैदा हुई हो। नंदिता उसकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार कर रही थी। हर बीतते पल के साथ उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो रही थींं। मकरंद ने नंदिता की तरफ देखकर कहा,"मैं कह रहा था कि भगवान ना जाने क्यों मेरे पीछे पड़े हैं। कुछ भी मेरे हिसाब से होने ही नहीं देते हैं। देखो अब यह समस्या सामने आ गई। मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 4

(4)समीर अपने वॉशरूम में लगे आइने में खुद को निहार रहा था। अपने होंठों के ऊपर ‌उभरती पतली सी लकीर उसे पसंद नहीं आ रही थी। पिछले कुछ महीनों में उसने ‌अपने शरीर में कुछ बदलाव महसूस किए थे। उनमें अचानक मोटी होती उसकी आवाज़ और चेहरे पर उभरती काली रेखाएं थीं। यह सब उसे बहुत अजीब सा लग रहा था। उसे लग रहा था कि जैसे यह बदलाव उससे उसकी पहचान छीन ले रहे हों। उसके भीतर की कोमलता को समाप्त कर रहे हों। आइने में खुद को देखते हुए उसका ध्यान अपने बालों पर गया। कंधे तक ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 5

(5)जो कुछ हुआ था उससे अमृता परेशान हो गई थी। वह अपने कमरे में जाकर लेट गई थी। अपनी शादी में समीर का जन्म अमृता के लिए एक सुखद अनुभव था। उसके आने से एक उम्मीद बंधी थी कि शायद उसके पति के रुख में कोई बदलाव आ जाए। वह अपने आप को बदल दे। लेकिन अमृता की उम्मीद बेकार साबित हुई। उसके पति के रवैए में ज़रा भी फर्क नहीं आया। वह पहले की तरह ही बात बात पर उसका अपमान और तिरस्कार करता था। समीर के लिए भी उसके मन में कोई लगाव नहीं था।समीर के जन्म ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 6

(6)नंदिता और मकरंद डॉ. नगमा सिद्दीकी की क्लीनिक में बैठे थे। डॉ. नगमा सिद्दीकी ने उन्हें समझाते हुए कहा,"अब दोनों को ही मिलकर बच्चे की ज़िम्मेदारी उठानी है। नंदिता को अपने खाने पीने और स्वास्थ का खयाल रखना पड़ेगा। मकरंद आपको ध्यान रखना पड़ेगा कि नंदिता की सेहत अच्छी रहे। उसे समय समय पर चेकअप के लिए लाना आपकी ज़िम्मेदारी है। वैसे अभी परेशान होने की कोई बात नहीं है। सब ठीक है।"नंदिता और मकरंद ने एक दूसरे की तरफ देखा। उसके बाद डॉ. नगमा सिद्दीकी की बातों से सहमति जताई। डॉ. नगमा सिद्दीकी ने कुछ दवाएं लिखकर दीं। ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 7

(7)पोस्टर को बेडरूम की दीवार पर लगाने के बाद नंदिता ने उसे ध्यान से देखा। दो नन्हें बच्चों के चित्र थे। एक चित्र लड़के का था और दूसरा लड़की का। वह अपनी सहेली भावना को लेकर पोस्टर लेने गई थी। कई पोस्टर देखने के बाद उसने यह पोस्टर पसंद किया था। भावना को भी पोस्टर अच्छा लगा था। पर उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि नंदिता ने यही पोस्टर क्यों पसंद किया। नंदिता ने उसे समझाया कि जब तक बच्चा पैदा नहीं होता है तब तक वह नहीं कह सकती है कि लड़का होगा या लड़की। इसलिए ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 8

(8)योगेश उर्मिला को लेकर उस संस्था में आए थे जहाँ अल्ज़ाइमर्स से पीड़ित लोगों की देखभाल की जाती थी। संस्था का मुआयना कर लिया था। उन्हें वहाँ मिलने वाली सुविधाएं अच्छी लगी थीं। इस समय वह संस्था की प्रमुख श्रीमती ईशा सचान के ऑफिस में बैठे थे। श्रीमती ईशा ने पूछा,"मिस्टर योगेश शर्मा आपको हमारी संस्था की व्यवस्था कैसी लगी ?"योगेश ने उर्मिला की तरफ देखकर कहा,"बहुत अच्छी लगी। मैं चाहता था कि जब अपने इलाज के दौरान मैं उर्मिला की देखभाल करने में असमर्थ रहूँ तो इस बात की निश्चिंतता रहे कि कोई उसे देखने वाला है। मुझे ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 9

(9)जयपुर ट्रिप से लौटकर समीर ने अमृता को वहाँ के अनुभव के बारे में बताया। उसने कहा कि ट्रिप उसे अच्छा लगा। चार दिन उसने अपने दम पर परिस्थितियों का सामना किया यह उसके लिए आत्मविश्वास को बढ़ाने वाली बात थी। अमृता खुश थी कि जो वह चाहती थी वही हुआ।समीर अपने कमरे में आराम कर रहा था। वह पूरी कोशिश कर रहा था कि ट्रिप से लौटने से एक रात पहले जो कुछ भी उसके साथ हुआ उसे दिमाग से निकाल दे। लेकिन बार बार उसे अपने शरीर पर उस स्पर्श का अनुभव हो रहा था। वह अनुभव ...Read More

10

मेरे घर आना ज़िंदगी - 10

(10)अमृता इंतज़ार कर रही थी कि समीर कुछ कहे। समीर पशोपश में था। इस बात से अमृता की चिंता गई थी। उसने कहा,"समीर इस तरह सोच में पड़े हो। बात क्या है ? खुलकर बताओ।"समीर ने सोच लिया था कि वह सही बात नहीं बताएगा। उसके मन में एक बात आई थी। नमित के साथ उसका झगड़ा जिस वजह से हुआ था उसने वही बता दिया। उसने कहा,"मम्मी मेरी एक लड़के के साथ कहासुनी हो गई थी। वह मुझे परेशान कर रहा था।‌ मुझसे कह रहा था कि मैं आगे चलकर नाच गाना करके लोगों से पैसे मांगूँगा। मैंने ...Read More

11

मेरे घर आना ज़िंदगी - 11

(11)नंदिता ऑफिस जाने के लिए निकल रही थी जब उसने सुदर्शन को सोसाइटी के अंदर दाखिल होते देखा। उसने स्कूटी रोककर उसे आवाज़ लगाई। सुदर्शन और उसकी मुलाकात एकबार योगेश के सामने ही हुई थी। योगेश ने सुदर्शन का परिचय देते हुए कहा था कि यह लड़का मेरी बहुत मदद करता है। उसके बाद भी कई बार उसने योगेश के मुंह से सुदर्शन का नाम सुना था। सुदर्शन ने उसके पास आकर नमस्ते किया। नंदिता ने कहा,"मुझे तो जानते हो। अंकल की बिल्डिंग में ही रहती हूँ।""जी जानता हूँ।""बहुत दिनों से अंकल और आंटी दिख नहीं रहे हैं। तुम ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 12

(12) समीर के ठीक होने के बाद उसका भी बयान लिया गया। लॉज के कर्मचारी का भी बयान दर्ज़ गया। हरीश और मंजीत पर पास्को एक्ट लगाया गया। नमित और चेतन पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मामला दर्ज़ किया गया। सभी ने अपने गुनाह कबूल कर लिए।समीर के केस की बहुत चर्चा हुई थी। सबको पता चल गया था कि वह ट्रांसजेंडर है। इस बात का समीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था। वह पहले से अधिक उदास रहता था। किसी से भी मिलना या बात करना नहीं चाहता था। स्कूल जाने को तैयार नहीं था।‌ बार बार यही ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 13

(13) योगेश उर्मिला का हाथ थामे बैठे थे। बड़े प्यार से उनके सर पर हाथ फेर रहे थे। रह कर उनकी आँखें भरी जा रही थीं। पंद्रह मिनट हो गए थे। पर उर्मिला ने योगेश को देखकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। वह बस खोई खोई सी इधर उधर देख रही थीं। योगेश ने उनसे कहा,"उर्मिला क्या मुझे नहीं पहचान रही हो ?"उर्मिला ने उनकी तरफ देखा। उसके बाद बोलीं,"आप तो दो दिन में ही शादी से लौटने वाले थे। चार दिन लगा दिए। विशाल रोज़ आपके बारे में पूछता था। अभी कुछ देर पहले ही खेलने के लिए ...Read More

14

मेरे घर आना ज़िंदगी - 14

(14) नंदिता अंदर से बहुत हल्का महसूस कर रही थी। शादी के बाद उसने मकरंद पर कभी जाहिर नहीं दिया था पर अपने मम्मी पापा की नाराज़गी से वह बहुत आहत थी। आज कुछ ही घंटों में सब बदल गया था। ऐसा लग रहा था कि जैसे सबकुछ किसी परी कथा का हिस्सा हो। किसी देवदूत ने अचानक जादू कर दिया हो और सबकुछ ठीक हो गया हो। उसका देवदूत मकरंद ही था। उसने ही नंदिता को अपने पापा को फोन करने के लिए प्रेरित किया था। मकरंद उसके बगल में लेटा था। नंदिता ने उसे अपनी बाहों में ...Read More

15

मेरे घर आना ज़िंदगी - 15

(15)समीर स्कूल जाने के लिए तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आया। वह बहुत नर्वस था। अमृता ने उसे से लगाकर कहा,"बेटा डरने की ज़रूरत नहीं है। मैंने कहा है ना कि मैं तुम्हारे साथ हूँ। कुछ भी हो उसका सामना करना। डरना नहीं। अगर कोई कुछ गलत करने की कोशिश करे तो उसकी शिकायत करना।"अमृता ने उसका टिफिन लाकर दिया। स्कूल बस आने का वक्त हो गया था। वह उसे खुद बस में बैठाने के लिए नीचे गई। समीर को बस में बैठाकर वह लौट रही थी तो उसकी मुलाकात नंदिता से हुई। नंदिता उसे देखकर उसकी तरफ ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 16

(16)डॉ. नगमा सिद्दीकी को दिखाने के बाद मकरंद नताशा को उसके मम्मी पापा से मिलाने ले गया था।‌ दोनों बेटी और दामाद को देखकर बहुत खुश थे। खासकर नंदिता के पापा। अब उनकी तबीयत पहले से बहुत अच्छी थी। वह खुलकर हंस रहे थे और बातें कर रहे थे। नताशा भी अपने मम्मी पापा से बातें करते हुए खो गई थी। किसी को ध्यान ही नहीं था कि मकरंद कमरे में एक तरफ चुपचाप बैठा है। उन तीनों को बातें करते हुए देखकर मकरंद‌ सोच रहा था कि उसे जीवन में कभी इस तरह के पल बिताने को नहीं ...Read More

17

मेरे घर आना ज़िंदगी - 17

(17) कुछ ही दिनों में इम्तिहान शुरू होने वाले थे। समीर का बहुत सा कोर्स छूट गया था। जिसका हो पाना मुश्किल लग रहा था। क्लास में टीचर्स बचा हुआ कोर्स पूरा कराने में लगे हुए थे। इसलिए पीछे हो चुके कोर्स पर ध्यान नहीं दे रहे थे। समीर ने समस्या अमृता को बताई तो उसने कहा कि वह प्रिंसिपल से जाकर बात करेगी। ऑफिस जाते हुए वह प्रिंसिपल से मिलने समीर के स्कूल गई थी। उसने समस्या प्रिंसिपल के सामने रखते हुए कहा,"सर समीर बड़े मुश्किल दौर से गुज़रा है। उसका पढ़ाई में भी बहुत नुकसान हो गया ...Read More

18

मेरे घर आना ज़िंदगी - 18

(18)मकरंद एकबार फिर कंस्ट्रक्शन साइट पर गया था। वहाँ उसने पता करने की कोशिश की थी कि उसकी बिल्डिंग काम कब आगे बढ़ेगा। पर इस बार भी वही घिसा पिटा जवाब मिला था। बातचीत चल रही है पर कोई नतीजा नहीं निकल पा रहा है। वहीं उसकी मुलाकात अपने जैसे ही एक भुग्तभोगी पांडे जी से हो गई। उन्होंने रिटायरमेंट के बाद इस प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदने का मन बनाया था। पर उनका पैसा फंस गया था। फ्लैट मिलने की कोई उम्मीद भी नहीं दिख रही थी। पांडे जी ने बहुत दुखी स्वर में कहा,"पत्नी को जीवन भर किराए ...Read More

19

मेरे घर आना ज़िंदगी - 19

(19) कुछ देर पहले ही समीर की ऑनलाइन ट्यूशन क्लास खत्म हुई थी। इस ट्यूशन से उसे फायदा हुआ आज क्लास में वह मैथ्स के सवाल हल कर पा रहा था। इससे उसका आत्मविश्वास भी बढ़ा था। वह दूसरे सब्जेक्ट्स में भी मेहनत करने लगा था। लेकिन इतना होने के बावजूद भी वह जानता था कि पढ़ाई में जो नुकसान उसका हुआ था उसकी भरपाई जल्दी नहीं हो पाएगी। उसने अमृता से कह दिया था कि हो सकता है कि इस बार वह अच्छे नंबर ना ला पाए। पढ़ाई खत्म करके वह आँखें बंद करके लेट गया। वह अपनी ...Read More

20

मेरे घर आना ज़िंदगी - 20

(20) उस दिन नंदिता ने मकरंद से कहा था कि हिसाब लिखना गलत नहीं है लेकिन अपनी गर्भवती पत्नी किए गए खर्च का हिसाब लिखना कोई अच्छी बात नहीं है। उस दिन के बाद से ही मकरंद इस विषय में सोच रहा था।हर खर्च का हिसाब लिखना उसकी आदत बन गई थी। यह आदत उसे मौसी की वजह से लगी थी। जबसे उनके मन में डर बैठा था कि कहीं मौसा जी उसे अपने बेटे की तरह ना अपना लें वह उसे हर बात के लिए टोंकने लगी थीं। उसके पास नया पेन भी देखती थीं तो कहाँ से ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 21

(21)फाइनल एग्ज़ाम्स में अब बस एक हफ्ता ही बचा था। समीर पूरी लगन के साथ एग्ज़ाम की तैयारी कर था। वह चाहता था कि ना सिर्फ वह पास हो बल्कि अच्छा रिज़ल्ट लाए। उस दिन मिसेज़ सेन ने जिस तरह सबके सामने उसकी तारीफ की थी उससे क्लास के लड़कों में उसके लिए कुछ बदलाव आया था। पहले क्लासमेट्स उसे देखकर निगाहें फेर लेते थे। अब अगर उससे नज़र मिलती थी तो मुस्कुरा देते थे। यह छोटा सा बदलाव था। लेकिन इसने समीर को बहुत हिम्मत दी थी। वह समझ गया था कि लोगों की तारीफ पाने के लिए ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 22

(22)मकरंद बेडरूम में गया तो नंदिता अपने हाथ से अपनी आँखों को ढके हुए लेटी थी। मकरंद ने उससे नंदिता। मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"नंदिता उठकर बैठ गई। उसकी आँखें नम थीं। मकरंद उसके पास बैठ गया। उसने अपने हाथ से उसके आंसू पोंछे। उसके बाद बोला,"तुमने कहा कि मैं नहीं समझूँगा। तुम्हारे ऐसा कहने की क्या वजह है।"नंदिता ने कह तो दिया था पर उसके बाद ही उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था। इसलिए वह चुपचाप उठकर बेडरूम में आ गई थी। उसने कहा,"सॉरी मकरंद.....मेरे मुंह से निकल गया।""नंदिता कोई भी बात बस ऐसे ही ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 23

(23)समीर के फाइनल एग्ज़ाम्स ठीक गए थे। इस साल उसकी पढ़ाई में जो व्यवधान आया था उसके बाद उसे था कि वह अच्छा कर पाया। उसने तय किया था कि अब वह खूब मन लगाकर पढ़ेगा। वह समझ गया था कि अगर उसे आगे चलकर अपने हिसाब से रहना है तो उसे पहले लोगों के बीच अपनी एक जगह बनानी होगी। इसका एक ही रास्ता उसके पास था। पढ़ लिखकर वह अपने पैरों पर खड़ा हो। इन दिनों स्कूल बंद था। समीर अपना वक्त इंटरनेट पर बिताता था। वह ट्रांसजेंडर लोगों से संबंधित जितनी भी जानकारी उपलब्ध थी उसे ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 24

(24)मकरंद और नंदिता अपने फ्लैट में लौट आए थे पर यह तय हो गया था कि दोनों अब नंदिता मम्मी पापा के साथ ही रहेंगे। मकरंद ने अपने मकान मालिक को बता दिया था कि इस महीने के अंत में वह फ्लैट खाली कर देगा। दोनों मिलकर थोड़ा थोड़ा सामान नंदिता के मम्मी पापा के घर पहुँचाने भी लगे थे। नंदिता कुछ कपड़े दो बैग में भरकर अपनी मम्मी के घर रखने जा रही थी। साथ में मकरंद भी था। जब दोनों फ्लैट का दरवाज़ा बंद कर रहे थे तब अमृता भी अपने फ्लैट से बाहर निकल रही थी। ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 25

(25)अमृता के साथ जो बहस हुई थी उसके बाद समीर समझ गया था कि उसके लिए राह बहुत अधिक होने वाली है। अपनी मम्मी का रुख जानने के बाद समीर को बहुत धक्का लगा था। जो लड़ाई वह लड़ना चाहता था उसमें उसे अपनी मम्मी के साथ की बहुत अधिक आवश्यकता थी। लेकिन अमृता ने तो उससे अपनी लड़ाई छोड़कर समझौता कर लेने को कहा था। वह ऐसा करना नहीं चाहता था।समीर बहुत अधिक निराश हो गया था। उसकी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था। किसी भी चीज़ में उसका मन नहीं लगता था। उसके मन में ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 26

(26)अमृता के मन में डर आ गया था इसलिए वह काम में मन नहीं लगा पा रही थी। उसका कर रहा था कि एकबार समीर से बात कर ले। जिससे उसके मन को तसल्ली हो जाए। लेकिन कुछ समय पहले ही उसे देर से आने के लिए डांट पड़ी थी। अब अगर वह काम के बीच में फोन करती तो सबकी निगाह‌ में आ जाती। अजीब स्थिति थी। ना वह काम में मन लगा पा रही थी और ना ही फोन कर पा रही थी। कुछ देर तक वह काम में मन लगाने की कोशिश करती रही। पर मन ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 27

(27)नंदिता के पापा मुस्कुरा रहे थे। नंदिता को समझ नहीं आया कि बात क्या है। उसने कहा,"क्या बात है ?"उसके पापा ने कहा,"देखो कौन आया है ?"नंदिता ने आगे बढ़कर देखा। उसके पापा के पीछे दो सीढ़ियां नीचे उसकी मौसी और मौसा खड़े थे। नंदिता अपनी मौसी के गले लग गई। उन्हें अंदर लाकर लॉबी में बैठाया। उसके बाद मकरंद को बुलाकर लाई। मकरंद ने उसके मौसा मौसी के पैर छुए। नंदिता के मौसा मकरंद से उसकी नौकरी के बारे में बातें करने लगे। उसकी मौसी बड़े ध्यान से इधर उधर देख रही थींं। नंदिता के पापा ने कहा,"चलो ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 28

(28)समीर अमृता को लेकर उस होटल में पहुँचा था जहाँ शोभा मंडल ठहरी हुई थीं। शोभा ने उसे ईमेल ज़रिए होटल का नाम और अपना रूम नंबर बता दिया था। साथ में उसे अपना मोबाइल नंबर भी दिया था। यहाँ आने से पहले समीर ने फोन पर बात कर ली थी। शोभा ने उसे आने के लिए कहा था।‌ समीर अमृता के साथ होटल की लॉबी में था। वह लिफ्ट की तरफ बढ़ रहा था। उसके मन में शोभा के साथ मुलाकात को लेकर एक हलचल सी मची थी। लिफ्ट के अंदर पहुँच कर उसने फ्लोर का बटन दबाया। ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 29

(29)अमृता को शोभा की बातें समझ आ‌ रही थीं। वह भी श्याम के शोभा बनने की कहानी को जानना थी।‌ उसने कहा,"आपने जो कुछ कहा मैं उसे समझने की कोशिश कर रही थी। ऐसा नहीं है कि मैं समीर की तकलीफ को बिल्कुल नहीं समझती हूँ। लेकिन समाज के व्यवहार के बारे में सोच कर डर जाती हूँ। मुझे लगता है कि समाज क्या समीर के उस रूप को स्वीकार कर पाएगा।"शोभा ने कहा,"मैं आपकी चिंता को समझती हूँ। एक माँ होने के नाते आपकी चिंता जायज़ भी है। अगर आप समीर को समझती हैं तो उसे हौसला दीजिए। ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 30

(30)मकरंद को ऑफिस में कुछ देर हो गई थी। आज नंदिता को डॉ. नगमा सिद्दीकी के पास ले जाना उसने नंदिता को फोन किया कि वह तैयार होकर बैठे। वह बस आ रहा है। नंदिता ने उससे कहा कि उसे परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। वह अपने पापा के साथ चली जाएगी। मकरंद ने उसे समझाया कि वह ऐसा ना करे। उसे डॉक्टर के पास ले जाना उसकी ज़िम्मेदारी है। वह बस निकल रहा है। कुछ ही देर में पहुँच जाएगा। लेकिन जब वह घर पहुँचा तो नंदिता की मम्मी ने बताया कि वह अपने पापा के साथ ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 31

(31)नंदिता को गुस्सा आ रहा था। उसे लग रहा था कि सिर्फ मकरंद की वजह से उसे इतना सुनना रहा है। अगर उसे बात बुरी लगी थी तो उसे ज़ाहिर करने का यह क्या तरीका हुआ। उसे रुकना चाहिए था। जब वह ऊपर जाती तो बात करनी चाहिए थी। अब वह क्या करे ? कहाँ ढूंढ़े उसे ? फोन भी लेकर नहीं गया है। पता नहीं किस हाल में होगा ? उसने सोचा कि जब मकरंद लौटकर आएगा तो उससे पूछेगी कि उसने ऐसा क्यों किया।नंदिता के पापा ने कहा,"अब तो बहुत देर हो गई है ? बताओ क्या ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 32

(32)मकरंद कुछ वक्त पहले ही ऑफिस से लौटकर आया था। अब उसकी चोट ठीक हो गई थी पर जो घटा था उससे उसका दिल बहुत दुखा हुआ था। नंदिता अब उससे और अधिक दूर हो गई थी। वह पूरी तरह से‌ अपने मम्मी पापा के कहने पर चल रही थी। किसी भी चीज़ में उसकी सलाह लेना ज़रूरी नहीं समझती थी। इसका नतीजा यह हुआ था कि मकरंद जो पहले ही कम बोलता था, अब जब तक बहुत ज़रूरत ना हो कुछ बोलता ही नहीं था।मेन डोर पर दस्तक हुई। मकरंद ने दरवाज़ा खोला। खाना बनाने के लिए कुक ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 33

(33)सुदर्शन को संस्था से फोन मिला कि उर्मिला फिसल कर गिर गई हैं। उनके सर पर चोट लगी है। संस्था के ही अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वह फौरन उर्मिला को देखने अस्पताल पहुँचा। वहाँ जाकर पता चला कि उर्मिला गंभीर रूप से घायल हैं। उनका पैर फिसल गया था। गिरते हुए उनका सर बिस्तर के कोने से टकरा गया था। डॉक्टरों का कहना था कि उनकी चोट बहुत गहरी है और बचने की उम्मीद बहुत कम है। ऐसे में उनके पति योगेश को सूचित किया जाना बहुत ज़रूरी है।योगेश ने कल ही सुदर्शन से उर्मिला के साथ ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 34

(34)खाना बनाने के बाद नंदिता ने एक टिफिन में भरकर कोफ्ते कुक के हाथ नीचे भिजवा दिए थे। वह बेसब्री से मकरंद के आने की राह देख रही थी। आज मकरंद को लौटने में रोज़ से बहुत अधिक देर हो गई थी।‌‌ नंदिता ने उसे फोन किया था तो उसने मैसेज करके कह दिया था कि ज़रूरी काम है इसलिए आने में देर हो जाएगी। नंदिता बालकनी में खड़ी थी। उसकी निगाहें गेट पर थीं। उसे मकरंद की बाइक की लाइट दिखाई पड़ी। मकरंद ने बाइक गेट पर रोकी। गेट खोलकर बाइक अंदर की। बाइक खड़ी करके गेट बंद ...Read More

35

मेरे घर आना ज़िंदगी - 35

(35)पढ़ते हुए समीर ने घड़ी देखी। अमृता के ऑफिस से आने का समय हो रहा था। उसने किताबें बंद दीं और किचन में जाकर अपनी मम्मी के लिए चाय बनाने लगा। उसने अपना चाय बनाने का नियम फिर से शुरू कर दिया था। अमृता के आने पर वह चाय के साथ तैयार रहता था। फ्रेश होने के बाद अमृता उसके साथ बैठकर चाय पीती थी और दिनभर की बातें करती थी। शोभा मंडल से मुलाकात के बाद बहुत कुछ बदल गया था। समीर में एक आत्मविश्वास पैदा हुआ था। अमृता के मन में अब कोई दुविधा नहीं रह गई ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 36

(36)नंदिता कुछ समय पहले ही योगेश के शांति हवन से लौटकर आई थी‌। वह उदास थी। उसे योगेश और से एक लगाव था। पहले अक्सर शाम को जब योगेश उर्मिला के साथ नीचे पार्क में आते थे तो उसकी मुलाकात उनसे होती थी। तब उनके बीच बातचीत भी होती थी। इससे उनके बीच एक रिश्ता बन गया था। लेकिन कुछ ही समय के फासले में उर्मिला और योगेश दोनों दुनिया छोड़कर चले गए थे। इस बात से नंदिता दुखी थी। उसने मकरंद से कहा,"योगेश अंकल बहुत अच्छे इंसान थे। जाते हुए अपना फ्लैट सुदर्शन को दे गए।"मकरंद ने कहा,"उनका ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 37

(37)नंदिता का नौवां महीना शुरू हो गया था। डॉ. नगमा सिद्दीकी ने उसकी डिलीवरी की डेट दे दी थी। कहना था कि सब सही है। बच्चे की पैदाइश में कोई दिक्कत नहीं आएगी। नंदिता की मम्मी अब उसका हर पल खयाल रखती थीं। मकरंद ने सारी व्यवस्था कर ली थी। सबको बच्चे के आने का इंतज़ार था। सबसे अधिक उत्साहित पापा थे। वह अक्सर आने वाले बच्चे के बारे में तरह तरह की बातें करते थे। नेट से उन्होंने लड़की और लड़के के कई अच्छे नाम चुनकर एक डायरी में लिख लिए थे। उनका कहना था कि बच्चे के ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 38

(38)फ्लैट की रजिस्ट्री हो चुकी थी। पज़ेशन मिल चुका था।‌ मकरंद बहुत खुश था। वह मम्मी पापा को फ्लैट के लिए लाया था।‌ वह उन्हें बड़े उत्साह के साथ फ्लैट दिखा रहा था।‌ बता रहा था कि वह फ्लैट में क्या क्या काम करवाना चाहता है। मम्मी पापा भी उसे सलाह दे रहे थे कि उसे क्या करवाना चाहिए। फ्लैट दिखाने के बाद मकरंद बालकनी में खड़ा आसपास का नज़ारा ले रहा था। वह बहुत भावुक था। इस समय उसे लग रहा था कि जैसे उसने जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि पा ली हो। उसका बचपन अपने मौसा मौसी ...Read More

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मेरे घर आना ज़िंदगी - 39 (अंतिम भाग)

(39) अन्नप्राशन की पार्टी बहुत अच्छी तरह से निपट गई थी। सुबह पूजा के बाद तय हुआ था कि रात सारा परिवार फ्लैट में ही रहेगा। इसलिए पार्टी के वेन्यू से सब लोग फ्लैट में ही आ गए थे। फर्नीचर नहीं था। इसलिए फर्श पर गद्दे और चादर बिछाकर सोने का इंतज़ाम किया गया था। जब सब लोग फ्लैट में पहुँचे तो रात के बारह बज रहे थे। काशवी सो रही थी। सब लोग बातें कर रहे थे। पापा बहुत खुश थे। उन्होंने कहा,"तुमने पार्टी का इंतज़ाम बहुत अच्छा किया था मकरंद। सब लोग तारीफ कर रहे थे।"मम्मी ने ...Read More