हमने दिल दे दिया

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हमारी कहानी में वर्णित किए गए सभी पत्रों, जाती एवं जगह के नाम काल्पनिक है इसका किसी जगह या नाम से मेल होना संजोग मात्र है | हमारी कहानी मनोरंजक तौर पे लिखी गई है जो किसी भी धर्म या जाती का अपमान नहीं करती | हमारी कहानी सिर्फ एक कहानी नहीं है बल्कि एक सोच है जो पुरे समाज को बदलने की ताकत रखती है जिसे आज में आपके बिच रख रहा हु अगर आपको यह सोच सही लगती है तो इसे समाज के हर एक लोगो के पास पहुचाने में सहयोग करे | शुरुआत | में दिव्या, में कहानी का वो किरदार हु या यु कहो की यह जो ऐतिहासिक घटना गुजरात के जनमावत तालुके के नवलगढ़ गाव में घटित हो रही है उसकी जड़ हु में | मुझे भी अभी आप ही की तरह कुछ समझ नहीं आ रहा की हो क्या रहा है | मुझे जो दिख रहा है और महसुस हो रहा है वो कुछ इस तरह का है |

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हमने दिल दे दिया - अंक १

सोच के गुलाम अंक १ हमारी कहानी में वर्णित किए गए सभी पत्रों, जाती एवं के नाम काल्पनिक है इसका किसी जगह या नाम से मेल होना संजोग मात्र है | हमारी कहानी मनोरंजक तौर पे लिखी गई है जो किसी भी धर्म या जाती का अपमान नहीं करती | हमारी कहानी सिर्फ एक कहानी नहीं है बल्कि एक सोच है जो पुरे समाज को बदलने की ताकत रखती है जिसे आज में आपके बिच रख रहा हु अगर आपको यह सोच सही लगती है तो इसे समाज के हर एक लोगो के पास पहुचाने ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक २

सुबह होते ही उन लडको की लाशो को अपने अपने घर आत्म हत्या का बहाना कर के पंहुचा दी है | जिले का हर एक आदमी जानता था की उन लडको ने आत्म हत्या नहीं की है उनको मानसिंह जादवा ने मार डाला है पर किसी में इतनी हिम्मत कहा की वो आकर मानसिंह जादवा के खिलाफ खड़ा हो सके क्योकी की यहाँ का कानुन भी मानसिंह जादवा की गुलामी करता था और तलवे चाटता था | वो बरगद का पेड जिसने एसे कई सारे किस्से और घटनाये देखी है जहा दानव ने सच्चाई को परेशान किया ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ३

अंश के साथ झगडे की बात लेकर मानसिंह जादवा का कार्यकर्ता जादवा सदन पहुचता है जहा पर मानसिंह जादवा विश्वराम केशवा हाजिर थे और दोनों मिलकर कुछ फाइल्स देख रहे थे | कार्यकर्ता जादवा सदन में आकर वहा बझार में जो भी हुआ वो सबकुछ मानसिंह जादवा को बताता है | हम ठीक जो भी हुआ सही नहीं हुआ है वो जो कोई भी है उसे ढूढो और हमारे सामने हाजिर करो हम उसको दंडित करेंगे ... मानसिंह जादवा ने उस कार्यकर्ता से कहा | कार्यकर्ता अंश को पहचानता नहीं था और विश्वराम और ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ४

रोड से लगभग ६० मीटर बहार वीर की कुचली हुई कार पड़ी थी जिसमे वीर की लाश थी और कई लोगो की भीड़ खड़ी हुई थी | बहुत से लोग इस दृश्य को देखकर सोच रहे थे और अपना अनुमान लगा रहे थे की यह अकस्मात कैसे हुआ होगा और बहुत से लोग इस अकस्मात का वीडियो अपने मोबाइल में बना रहे थे सोसीअल मिडिया पे किसी दुसरे लोगो को भेज रहे थे | आज की यही हकीक़त है की लोग अपने आप-पास हो रही सारी घटनाओ को एक दुसरे से बाटना चाहते है पर कोई ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ५

अंक ५श्रध्धांजली एक औरत पे हो रही अत्याचारों की मार आज अंश ने पहली बार देखी थी यह देख कर उसके अंदर उदासीनता का वातावरण फेल चूका था जिसे समेटकर अपनी आखो में आशु लिए अंश आधी रात को अकेला अपने घर आता है और अपने आप को एक कमरे में केद कर लेता है और जाकर उस कमरे के कोने में बेठ जाता है | बारिश अभी भी तेज बिजली के कडाको के साथ चल रही थी और पुरे गाव में तेज बारिश के कारण बिजली जा चुकी थी | अंश कमरे के कोने में डरा ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ६

अंक ६ तहकीकात भवानी सिंह और अपने दो हवालदारो के साथ मिलकर उस जगह करने पंहुचा था जहा पर वीर का अकस्मात हुआ था | रोड से थोड़ी दुर जहा वीर की गाडी लुडकती हुई आ पहुची थी अकस्मात के बाद जो पुरी तरह से तुट चुकी थी और उसके आस-पास कार का तुटा-फूटा सामान पड़ा हुआ था साथ ही वीर का ख़ून भी | भवानी सिंह और उसके हवालदार हर एक चीज को अच्छी तरह से देख रहे थे और और तलाश रहे थे और यह जानने की कोशिश कर रहे थे की ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ७

अंक ७ मदद छत पर एक दुसरे की तकलीफे एक दुसरे के साथ बाट अंश और ख़ुशी की बाते छत पर जाने वाले दरवाजे के पास खड़ी सुरवीर भाई की पत्नी सुन लेती है | सुरवीर की पत्नी का नाम है मधु | कही इन दोनों के बिच मित्रता से कुछ ज्यादा तो नहीं है ना | देखना पड़ेगा अगर कुछ चल रहा है तो इसका कुछ निर्णय लेना होगा एसे कैसे चलेगा ... सुरवीर की पत्नी मधुने मन ही मन बडबडाते हुए कहा | १४ दिन का ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ८

अंक - ८ - जीवन तेरे दिमाग में घुसा भरा हुआ है | इतना कम था हम मानसिंह जादवा की बहु को मिलने गए एक अपराध करके की अब तु भरी दुपहर में उसकी लड़की को लेकर उस हवेली में घुसेगा और उनकी बहु से मिलन करवाएगा जो मानसिंह जादवा की नजरो में बहुत बड़ा गुनाह है | साले तेरे जैसा इंसान नहीं देखा तु एक बार में सैतान की बेटी और बहु दोनों को छेड़ रहा है और तो और छेड़ रहा है उसकी तो बात छोडो उसमे हमें भी सामिल करना चाहता है | ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ९

अगर आपने आगे के ८ अंको को अभी तक नहीं पढ़ा है तो सबसे पहले उन अंको को पढ़ ताकी आपको यह अंक अच्छे से समझ आए | भाई मुझे बहार जाना ही होगा मुझे जोर से पेशाब आई है भाई ... पराग ने खरे मौके पर कहा | अबे बहार बा पहुचती ही होगी अगर तु गया तो दुसरी बार कभी पेशाब नहीं लगेगी ... अंश ने पराग से कहा | जो भी हो में जा रहा हु मुझसे नहीं रहा जाएगा ... अपनी जगह से खड़े होकर पराग ने ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक १०

अंक १०गुस्ताखी भवानी सिंह ने आखिरकार वह ट्रक ढूढ़ ही लिया था जिसकी टक्कर वीर की से हुई थी और उस वजह से वीर की मौत हुई थी पर अभी तक भवानी सिंह यह तय नहीं कर सकते थे की ट्रक ने ही सबसे पहले टक्कर मारी है क्योकी वीर भी शराब के नशे में कार चला रहा था तो इस बात की भी शक्यता है की टक्कर वीर से लगी हो पर भवानी सिंह को उस ट्रक वाले पर शक किस वजह से हुआ होगा यह जानना बहुत ही रसप्रद है | भवानी सिंह ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ११

अंक ११जीवन तेरे दिमाग में घुसा भरा हुआ है | इतना कम था की हम मानसिंह की बहु को मिलने गए एक अपराध करके की अब तु भरी दुपहर में उसकी लड़की को लेकर उस हवेली में घुसेगा और उनकी बहु से मिलन करवाएगा जो मानसिंह जादवा की नजरो में बहुत बड़ा गुनाह है | साले तेरे जैसा इंसान नहीं देखा तु एक बार में सैतान की बेटी और बहु दोनों को छेड़ रहा है और तो और छेड़ रहा है उसकी तो बात छोडो उसमे हमें भी सामिल करना चाहता है | नहीं भाई नहीं ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक १२

अंक १२अकेलापन ख़ुशी, अंश और दिव्या तीनो साथ मिलकर खाना खा रहे थे और साथ ही में के भी मजे ले रहे थे | तीनो अब एक दुसरे से घुल-मिल चुके थे और इस वजह से अंश और दिव्या के बिच एक एसी तो पहचान बन चुकी थी जिससे अब दोनों अकेले मिले तो बात जरुर कर सकते है और दिव्या के अंदर अंश को लेकर वह भरोसा भी आ चूका था | वाह ख़ुशी कितना बढ़िया खाना है मतलब बात मत पूछो यह तुम ने बनाया है ... अंश ने खाना खाते हुए कहा | ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक १३

अंक १३हलचल मुझे आप से कुछ कहना है पर आप पहले वचन दो की जो भी कहूँगी वो आप ध्यान से सुनोगे और उस पर सोच विचार करके ही निर्णय लोगे और मै जो भी कहूँगी वह आप बापूजी को नहीं बताएँगे ... मधुने गभराहट के साथ अपने पति सुरवीर से कहा | सुरवीर मधु के बोले वचन को सुनने के बाद कुछ देर तक चुप रहता है और फिर प्रत्युतर करता है | चलो ठीक है बताओ ... सुरवीर ने कहा | एसे नहीं ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक १४

जन्मदिन रात का समय था | समय रात के लगभग लगभग ११ बजकर ३० मिनिट हुए थे सारे दोस्त दिव्या के जन्मदिन को मनाने के लिए तैयार थे लेकिन सबकी चिंता थी ख़ुशी क्योकी ख़ुशी को रात के ११:३० बजे उसके घर से निकालकर जादवा परिवार की उस हवेली में ले जाना जहा जाने के लिए जादवा परिवार ने मना किया हुआ है | सबसे बड़ा रिश्क तो यही था की जादवा परिवार की लड़की को रात में कही बहार अपने साथ ले जाना अगर इसका पता या भनक एक बार भी मानसिंह जादवा को लग जाये ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक १५

अंक १५ -दोस्ती और प्यार की शुरुआत हम राक्षसों के बिच है अंश हम से कुछ नहीं सकता अब तो बस जैसे तैसे यह जीवन कट जाए ...दिव्या ने कहा आप एसा मत बोलिए ...अंश ने कहा एसा ना बोलु तो क्या बोलु में एक बार मेरे जैसा जीवन जीके देखो तब आपको पता चलेगा एसा जीवन जीने के बाद तो मौत भी आसान लगने लगती है अंश तुम कुछ करो मै एसा जीवन नहीं जी सकती पहले लग रहा था की एसे ही जिंदगी कट जायेगी पर नहीं मुझसे ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक १६

अंक १६ -रुतबा और ताकत अंश के जाने के बाद ख़ुशी वापस जैसे आई थी वैसे ही अपने घर की छत पर पहुच जाती है और जैसे ही निचे उतरने के लिए छत का दरवाजा खोलती है तो सामने अपनी मधु भाभी को पाती है जिनके मनमे ख़ुशी के लिए शायद कोई सवाल था | भाभी को देखकर ख़ुशी गभरा जाती है | अरे भाभी आप यहाँ पर ...ख़ुशी ने अपने भाभी को देखते हुए कहा | यही सवाल में आपको पुछना चाहती हु की ख़ुशी बहन आप यहाँ पर क्या कर रही ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक १७

अंक १७ -बढती उलझने कहानी अब हर तरफ से करवटे लेने लगी थी जिसकी वजह से अब बहुत अंश, ख़ुशी और दिव्या के जीवन में भूचाल आने वाला था | इस तरफ भवानी सिंह जो वीर के कॅश में जरासा भी इच्छुक नहीं था उसके बजाय अब उस ट्रक के तालाब में से मिलने के कारण अब वह इस कॅश में बहुत ध्यान देने लगा है क्योकी उसे अब लगने लगा है की वीर का कोई अकस्मात नही हुआ था उसका जरुर मर्डर हुआ है तो अब सवाल यह है की यह मर्डर किया किसने है ? ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक १८

अंक १८ - ब्लड प्रेसर अंश हवेली के अंदर जाता है और दरवाजा खटखटाता है पर दिव्या नहीं खोल रही थी अंश के कही सारे प्रयासों के बाद भी जिस कारण से अंश खिड़की से जाके देखता है तो उसे दीखता है की दिव्या कक्ष के बीचो बिच बेहोश अवस्था में पड़ी हुई है | वो इस दृश्य को देखकर गभरा सा जाता है और मन ही मन सोचने लगता है की अब वह क्या करे क्योकी वो किसी को फोन करके बता नहीं सकता अगर किसी को बताएगा तो सब को सबसे पहले यह सवाल नहीं ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक १९

अंक १९ - दिव्यांश दिव्या की हालत आराम करने लायक हो गई थी लेकिन अंश की हालत हराम जैसी हो गई थी | डोक्टर ने दिव्या को ६ से ७ दिन तक अस्पताल ले जाने को कहा था और वहा पर दिव्या को इतने दिन तक लेके जाना मतलब खुद शेर के मु में अपना मु रखकर ५ मिनिट देखना की हम बचेंगे की नहीं यहाँ पर वो शेर मानसिंह जादवा थे और उनके मु में शिर अंश का था जिसे मानसिंह जादवा कभी भी ख़त्म कर सकते थे | सारे दोस्त अंदर थे और अंश ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक २०

अंक २० -सच या गलत कोनसे रास्ता सही ? यार अंश पता नहीं क्यों पर अब तुम्हारे बगेर नहीं जाता | मेरा चेन मेरी नींद सबकुछ जैसे खो सा गया है क्योकी हमें लगता है की तुम हमें मिल से गए हो जिस वजह से सबकुछ खो सा गया है | जब तुम नहीं होते तो ना तो खाना अच्छा लगता और ना ही सोना अब यही तो प्यार है की जब साथ ना हो तो चेन नहीं पड़ता और प्यार की भाषा क्या हो सकती है ...अपने झरुखे में बैठी ख़ुशी मन ही मन सोच रही थी ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक २१

तीनो दोस्त ख़ुशी के घर के पीछे की और पहुचते है जहा से पिछली बार ख़ुशी को लेने अंश अशोक आए हुए थे | ख़ुशी अपने घर की छत से होकर जैसे पहली बार निचे आई थी वैसे ही निचे आती है | आओ जी पधारो जी ख़ुशी बा आपका हार्दिक स्वागत है ह्रदय से ...ख़ुशी की मजाक करते हुए पराग ने कहा | आज लगता है इसको किसी ने गुटखा नहीं दी लगती मु खाली लग रहा है ...अंश के पीछे बैठते हुए ख़ुशी ने कहा | आज कल कुछ ज्यादा ही बोलने ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक २२

अंक २२. ख़ुशी और अंश सारे दोस्त और ख़ुशी देर रात तक दिव्या के साथ बैठने के वहा से घर जाने के लिए निकलते है | सुबह के लगभग लगभग ४ बज चुके थे और इस तरफ जादवा सदन में मधु भाभी हर बार की तरह इस बार भी सुबह के ४ बजने के कारण जग चुके थे और ख़ुशी के कक्ष की और से गुजर रहे थे जहा उनकी नझर ख़ुशी के कक्ष की खिड़की पे पड़ती है जहा उन्हें ख़ुशी अपने बेड पर नहीं दिखती जिस वजह से उनके मन में कई सारे सवाल उठते ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक २३

अंक २३. अस्पताल जाने की तैयारी सुबह के करीब १० बज चुके थे और अंश उसके दोस्त दिव्या को अस्पताल ले जाने के लिए तैयार थे | अंश अभी तक अपने घर पर ही था | अंश अपने फ़ोन से अशोक को फोन लगाता है | अशोक के फोन की घंटी बजते ही अशोक फोन उठाता है | हा अंश बोल ...अशोक ने फोन उठाते ही कहा | कितनी देर अशोक तुम्हे पता तो है जितना हो सके उतना जल्दी आना था ...अंश ने घर में इधर उधर चक्कर लगाते हुए कहा ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक २४

अंक २४.आजादी की पहेली सास विधवा होकर जब पहेली बार दिव्या हवेली में आई उसके बाद आज बार दिव्या इस हवेली से बहार निकल रही है जो समाज के लिए और जादवा परिवार के लिए किसी अपशकुन से कम नहीं था पर नियती जब अपना खेल शुरू करती है तो कुछ एसा ही होता है जो शायद पहेली किसी ने भी ना सोचा हो | अंश और दिव्या दोनों पिछले रास्ते से होते हुए बहार आते है जिनकी दीवार पर चढ़ने में और उतरने में अंश के दोस्त मदद करते है | अंश के दोस्त ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक २५

अंक २५.किस्सा सही है पर एसा नहीं था क्योकी कॉलेज में एक लड़के के साथ उसने सबके जो किया उसके बाद मैंने उसके साथ जो किया वो होने के बाद पुरी दुनिया को पता लग गया की हरमन से सुहानी सिर्फ और सिर्फ पैसो के लिए ही प्यार करती थी और कुछ नहीं था सुहानी की तरफ से ...दिव्या ने अंश से कहा | एसा क्या किया था तुम ने उसके साथ ...अंश ने सवाल करते हुए कहा | तुम सोचो एसा क्या किया होगा मैंने सोचो सोचो लगाओ अपना दिमाग चलो ...दिव्या ने अंश ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक २६

अंक २६ सारवार अंश और दिव्या दोनों दुनिया की सारी झंझाल छोड़कर अपनी अलग ही में खोए हुए थे और अपनी कहनिया और किस्से एक दुसरे को बता रहे थे | मेरा छोडो तुम जब से मिले हो तब से मेरे बारे में ही पुछे जा रहे हो कुछ अपना भी बताओ जरा ...दिव्या ने अंश से कहा | अभी मेरे बारे में क्या बताऊ मुझे तो तुम अच्छी तरह से जानती ही हो ...अंश ने दिव्या से कहा | अरे कोई तो तुम्हारा भी प्रेम प्रकरण रहा होगा ना जैसे तुम्हारा ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक २७

अंक २७. डायरी आगे आपने देखा की शांतिलाल झा सबसे पहले डोक्टर से मिलते है और उनसे बात के बाद अपने लोगो के साथ अस्पताल के सारे दर्दी लोगो को फल का अनावरण करने की शुरुआत करते है और साथ में एक अख़बार वाला भी था जो उनका फलो का अनावरण करते हुए फोटो खीच रहा था | दिव्या शांतिलाल झा को देख लेती है लेकिन उसे शांतिलाल झा से कोई डर नहीं था क्योकी ना तो दिव्या शांतिलाल झा को जानती थी और ना ही शांतिलाल झा दिव्या को पर दिक्कत यह थी की अगर शांतिलाल झा ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक २८

अंक २८. आसमान से गिरे अंगुर में जा अटके अंश सोचो कुछ सोचो अगर इसने हमारी ही को कल अखबार में छापा तो बहुत बड़ी दिक्कत हो जाएगी और सबको हमारे बारे में पता चल जाएगा में तो कहेती हु इस दवाई को अधुरा छोड़कर चले जाते है ...दिव्या ने गभराहट के साथ कहा | अरे नहीं एसे नहीं निकल सकते एसा करेंगे तो जिसको हमारे उपर शंका नहीं हो रही होगी उसे भी होने लगेगी | तुम शांति से बैठो में कुछ करता हु | शांतिलाल झा फलो का अनावरण करते हुए दिव्या और ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक २९

अंक २९.गरमाहट ठीक है कोई बात नही ऐसा करते हैं एक मेहरबानी हम आपके उपर करते और एक आप हम पर कर दीजिए और इसके लिए आप मना नहीं करोगे यह वादा करो... शांतिलाल झाने राजनैतिक दाव खेलते हुए कहा । बाप रे यह आदमी तो उपर ही चढ़ता जा रहा है... अंश ने मन ही मन कहा। ठीक है बोलिए ... अंश ने कहा । इनका मास्क नही निकालते है ऐसे ही फोटो खींच लेते है और आप इतनी समाज सेवा कर रहें हो तो हमारा फर्ज बनता ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ३०

अंक ३०.दोस्ती में दरार ? सारे दोस्तों के बिच बात चल ही रही थी उतने में में दरवाजे का आलाम बजना मोबाइल में शुरू होता है और सभी वो आवाज सुनकर गभरा से जाते है की इस वक्त कौन आया होगा और अगर कोई आया होगा तो इस खाने को कैसे छुपाया जा सके क्योकी खाने की सुगंध पुरे कक्ष में फ़ैल चुकी थी | बाप रे बाप मर गए सच में आज अगर पकडे गए तो गुटखा कभी भी नहीं खा पाउँगा ...पराग ने रोतलु सा मु करते हुए कहा | एक ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ३१

अंक ३१तेज होती हुई राजनीती सारे दोस्त हवेली से बहार निकलकर अपने अपने रास्ते निकल जाते है आज पहेली बार चिराग और अंश की लड़ाई की वजह से सारे दोस्तों के बिच दरार पड़ गई थी | आज दोनों अपनी अपनी जगह पर सही थे | ना तो चिराग गलत था और ना ही अंश दोनों की बात सही थी लेकिन दोनों का बात करने का तरीका गलत था जिस वजह से आज दोस्ती में थोड़ी सी दरार आ चुकी थी | आपकी बात कभी कभी भले ही सही हो लेकिन आपका बात करने का तरीका अगर ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ३२

अंक ३२. दाव-पेच दुसरे दिन सुबह | सुबह के लगभग लगभग ११ बज रहे थे और मानसिंह आज अपने घर पर ही थे और अपने बैठक रूम में बैठकर टेलीवीजन का लुप्त उठा रहे थे तभी अचानक उनके घर वनराज सिंह आते है और सीधा बैठक रूम में पहुचते है | जादवा साहब आ सकता हु ...वनराज सिंह ने कहा | अरे आओ आओ वनराज सिंह बैठो बैठो भाई ...मानसिंह जादवा ने वनराज सिंह को बैठने के लिए कहा | जी धन्यवाद और जय माताजी ...वनराज सिंह ने कहा | जय माताजी ...अरे ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ३३

अंक ३३ कई सारे सवाल ? एक दिन डोक्टर के काम के कारण सारवार टालने के बाद फिर से अंश और दिव्या अस्पताल जाने के लिए निकल पड़े थे | दोनों के बिच जाते वक्त कुछ बाते चल रही थी | अंश अभी कृपा करके अपनी वो अधूरी दास्तान सुनाओगे की नहीं ...दिव्या ने अंश से कहा | अरे यार तुम भी ना उसके बारे में जानकार क्या करोगी | मुझे फिर से वही दिन नहीं याद करने है यार ...अंश ने कार चलाते हुए दिव्या से कहा | अबे अंश बताओ ना अब ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ३४

अंक ३४.डायरी का रहस्य ? क्या बात कर रहा है अंश इसमें मानसिंह जादवा यानी मेरे ससुर से बिच में आ गए में कुछ समझ नहीं पा रही हु ...दिव्या ने अपनी उलझन की बात करते हुए अंश से कहा | में तुम्हारी सारी उलझन का उत्तर दूंगा लेकिन सबसे पहले तुम मेरी पुरी दास्तान जान लो ताकि तुम्हे सबकुछ समझने में आसानी हो ...अंश ने दिव्या से कहा | ठीक है अंश अब में बिच में नहीं बोलूंगी तुम मुझे सारी कहानी जहा से हम अटके थे वहा से सुनाओ ...दिव्या ने अंश से ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ३५

अंक ३५ अंश और गोपी की प्रेमकथा अच्छा अच्छा सॉरी बाबा सॉरी मुझे माफ़ कर देना तुम को ग़लतफहमी हो गई है यह डायरी और इस डायरी में लिखी हुई सारी बाते मेरी नहीं है किसी और की है जैसे यह तुमको मिली थी वैसे ही तुम्हारे पहले मुझे | पढ़ा मैंने सब इस डायरी में जो लिखा है वो बहुत प्यार करती है तुम से और जैसा तुम्हारे बारे में लिखा है अगर तुम वैसे ही हो तो मुझे भी तुम से प्यार हो जाएगा यार सच में तुम एसे इंसान हो ...गोपी ने डायरी का सच ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ३६

अंक ३६.प्रेमकथा का अंत हम को एक दुसरे से बहुत लगाव हो गया था | हम एक से जान से भी ज्याद प्यार करने लगे थे और यह मेरे दोस्त पराग, चिराग और अशोक को अच्छे से पता था और इसलिए उन्होंने हमें भाग कर शादी करने की सलाह भी दी पर हम उतने भी बड़े नहीं हुए थे की हम भागकर शादी कर सके इस वजह से हमने तय किया की जब हमारी उम्र १८ साल हो जाएगी तो तब हम भागकर शादी कर लेंगे लेकिन उससे पहले ही मानसिंह जादवा ने कुछ एसा कदम लिया ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ३७

अंक ३७अधुरी बात अगर अभी तक आपने इस प्रेमकथा के आगे के अंको को नहीं पढ़ा है सबसे पहेले उन अंको को पढले ताकि आप को आगे की कहानी पढने में सही आनंद आ सके | पता नहीं पर वो कभी मिली नहीं मुझे ...अंश ने दिव्या से कहा | कैसे मिलती उसने भी कुछ एसा देखा था जिस वजह से उसने तुम से ना मिलने का प्रण ले लिया था ...दिव्या ने कहा | दिव्या ने कुछ एसी बात बोली जिसे सुनकर अंश के चौक गया होगा शायद की दिव्या एसा क्यों ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ३८

अंक ३८बिच बारिश प्यार का इजहार बाप रे मर गए अब क्या करेंगे ...अंश ने आगे की और हुए कहा | क्या हुआ अंश इतना ट्रैफिक क्यों है ...दिव्या ने अंश से कहा | मर गए दिव्या आगे पुलिस का चेकिंग चल रहा है और साला चेकिंग कर कौन रहा है ...अंश ने आगे भवानी सिंह की और देखते हुए कहा | कौन और चेकिंग क्यों चल रहा है ... दिव्या ने अंश से कहा | भवानी सिंह यहाँ का PI और मानकाका का सबसे बड़ा चेला जो २४ घंटे पैसा ऐठने की तलाश ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ३९

अंक ३९.मौसम अंश आज से तुम्हारा दिल मेरा और मेरा तुम्हारा | ना में विधवा और ना ही कुवारे अब से हम एक है और हमारा सबकुछ एक अगर तैयार हो तुम तो में ना बिजली में वो जमीन जिससे मिलती है बारिश अगर हो तैयार तो आओ मिल जाए जन्मो जन्म तक ...दिव्या ने भी अपने अलग ढंग में प्यार का इजहार करते हुए कहा | दोनों ने आज मन से एक दुसरे से विवाह कर लिया था और मानो एसा लग रहा था की जैसे बारिश ब्राह्मण बनकर दोनों की शादी के मंत्र जप रही ...Read More

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हमने दिल दे दिया - अंक ४०

अंक ४०. सुहानी सुबह ? दुसरे दिन सुबह | सुबह के लगभग लगभग ७ बज रहे थे | हमेशा की तरह अपने घर की छत पर सोता है लेकिन आज वो घर ही नहीं आया हुआ था क्योकी वो हवेली पे दिव्या के साथ ही रुक गया था और दिव्या और अंश दोनों हवेली की छत पर सोए हुए थे | दोनों एक दुसरे की बाहोमे बड़े प्यार से सोए हुए थे | आसमान शिर चढ़ चूका था फिर भी दोनों गहेरी नींद में थे और शायद बड़े दिनों बाद आज दिव्या को चेन की नींद आई होगी ...Read More