मत्स्य कन्या

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नैस्टी ओसियन...खतरो का दूसरा नाम लेकिन खुबसूरती में बेमिसाल है...जो भी यहां आता उसकी सुंदरता में खो जाता था.... लेकिन सुरज ढलते ही सबको यहां से जाने की चेतावनी दी जाती थी... जिसने भी सुरज ढलने के बाद यहां रूकने की कोशिश की वो अगले दिन सुबह बहुत बुरी तरह मरा हुआ मिलता...इस कारण लोग सुरज ढलते ही यहां से चले जाते थे..... नैस्टी ओसियन की शाम तो खतरनाक थी ही लेकिन दिन के समय में भी ...जाइंट गुफा किसी को भी डराने के लिए काफी थी... कई अस्थियों और कंकालों के देखने के बाद लोग जाइंट गुफा के आस पास भटकना भी नहीं चाहते थे. ...ये सब ‌क्यू होता है किसी को कुछ नहीं पता और शायद कोई जानना भी नहीं चाहता है.... ‌‌इतना सबकुछ जानने के बाद भी पर्यटकों की एक लम्बी लाइन लगी रहती थी घंटों अपनी बारी‌‌ ‌‌का इंतजार करना पड़ता था......अब मिलिये त्रिश्का से जिसको सब वाटर रेंजर कहते हैं... बिना आक्सीजन मास्क लगाएं पानी की गहराई में जाकर वापस आना उसके लिए आसान बात थी.... जितना सबको इससे हैरानी थी उतनी ही त्रिश्का दिन प्रतिदिन हो रही अपनी घटनाओं से परेशान थी..... त्रिश्का अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद रोज शाम को अपने फ्रेंड्स के साथ टाइम स्पेंड करके ही घर जाती थी....रोज की ही तरह आज त्रिश्का फ्रोस्टी कैफे पर पहुंची जहां काफी देर से उसके दोस्त उसका ही इंतजार कर रहे थे....

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मत्स्य कन्या - 1

नैस्टी ओसियन...खतरो का दूसरा नाम लेकिन खुबसूरती में बेमिसाल है...जो भी यहां आता उसकी सुंदरता में खो जाता था.... सुरज ढलते ही सबको यहां से जाने की चेतावनी दी जाती थी... जिसने भी सुरज ढलने के बाद यहां रूकने की कोशिश की वो अगले दिन सुबह बहुत बुरी तरह मरा हुआ मिलता...इस कारण लोग सुरज ढलते ही यहां से चले जाते थे..... नैस्टी ओसियन की शाम तो खतरनाक थी ही लेकिन दिन के समय में भी ...जाइंट गुफा किसी को भी डराने के लिए काफी थी... कई अस्थियों और कंकालों के देखने के बाद लोग जाइंट गुफा के आस ...Read More

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मत्स्य कन्या - 2

अविनाश जी के पुछने पर त्रिश्का उन्हें बताते बताते डर जाती है...........अब आगे..त्रिश्का अपने सपने के बारे में सोचकर जाती है..….." त्रिशू तू भूल जा सपनों के बारे में .." त्रिश्का के सिर पर हाथ फेरते हुए मालविका जी ने कहा " ठीक है मां... लेकिन पता नहीं वो अजीब सा इंसान मुझे क्यूं दिखाई देता है..." त्रिश्का ने खोते हुए मन से कहा " बेटा उन‌‌ सबको भूल जा... अच्छा तेरी ड्यूटी कैसी चल रही है..." त्रिश्का को ख्यालों से बाहर लाने के लिए अविनाश जी ने कहात्रिश्का : ठीक ही चल रही पापा...एक दिन का भी रेस्ट ...Read More

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मत्स्य कन्या - 3

कौन हो तुम..?...और कौन है तुम्हारे महाराज..." त्रिश्का के इतना कहते ही समुंद्र की ऊंची ऊंची लहरें उठने लगती और पानी एक इंसान का रुप लेने लगती है.... जैसे जैसे वो आकृति उभरती है तभी त्रिश्का चिल्लाती है...अब आगे...................जैसे ही त्रिश्का चिल्लाती है तभी उसकी आंख खुलती हैं और खुद को अपने रुम में देख अपने को रिलेक्स करने के लिए लम्बी लम्बी सांसें लेने लगती है..... त्रिश्का जैसे ही उठकर बैठी थी तभी वो मोती आकर उसके सामने गिरता है ..उस मोती को देखकर त्रिश्क गुस्से में इधर उधर देखनी लगती है लेकिन उसे कोई नहीं मिलता... त्रिश्का ...Read More

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मत्स्य कन्या - 4

अविनाश : तुम तो‌ बेमतलब की टेंशन लेती हो.....खाओ पियो और निश्चित रहो.....मालविका : आप अपना फार्मूला अपने पास मुझे तो बस मेरी त्रिशू की चिंता है....वो बार बार उसके सपने में आकर उसे परेशान कर रहे हैं....." कौन‌ परेशान कर रहे हैं...?...."अब आगे..................मालविका जी हैरानी से पीछे मुड़ती है तो देखती त्रिश्का हाथ में टाॅवल लिये खड़ी थी.....मालविका जी हड़बड़ा कर कहती हैं.." बेटा तू आई मतलब आज बहुत जल्दी अरे... मैं भी न चल आ जा जल्दी से ब्रेकफास्ट कर ले....त्रिश्का पास जाती हुई कहती हैं..."मां कौन परेशान कर रहा है.....?.."मालविका जी नजरें चुराते हुए कहती हैं..." ...Read More

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मत्स्य कन्या - 5

काफी देर मालविका जी के समझाने पर देवांश कहता है...." ठीक है मैं आपकी बात मानता हूं आज उन्हें के लिए छुट्टी दे देता हूं लेकिन प्लीज़ आपको किसी भी डाक्टर से कंसल्ट करना पड़े आप बेझिझक करिएगा बस देवांश शेट्टी के नाम से और उन्हें जल्दी ठीक करिएगा...." मालविका जी ठीक है कहकर काॅल कट कर देती है... त्रिश्का को छुट्टी मिलने से सब खुश थे तो वहीं त्रिश्का गुमसुम सी हो गई थी......अब आगे...............त्रिश्का को अचानक परेशान देखकर पायल उससे कहती हैं...." अब तू कहां खो गई...?... तेरे चेहरे पर खुशी होने के बजाय उदासी लग रही ...Read More

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मत्स्य कन्या - 6

अशवीश्वर जी मालविका जी से उनकी परेशानी पूछते हैं...." बताइए आपको क्या कष्ट है जिसका समाधान हम कर सकते मालविका जी त्रिश्का को दिखाते हुए कहती हैं..." महाराज जी मेरी बेटी को कुछ सपने बहुत परेशान करते हैं जिसकी वजह से ये बहुत परेशान रहती है...."अब आगे.............अशवीश्वर महाराज त्रिश्का के हाथ को पकड़कर उसकी लकीरों को ध्यान से देखते हुए कहते हैं...." असंभव...?..... मत्स्य वंश की वरदानी कन्या....." अशवीश्वर महाराज इतना कहते ही अपनी आंखें बंद कर लेते हैं लेकिन उससे पहले सबको शांत रहने के लिए कह देते हैं...." आप सब थोड़ी देर शांत रहना मैं अभी इनके ...Read More

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मत्स्य कन्या - 7

आगे की बात अ‌शवीश्वर महाराज अपने आप से कहते हैं..." उस कन्या का जन्म किसी खास उद्देश्य से हुआ ये उसके उद्देश्य को अवरोध कर रही है प्रभु जाने आगे इनका क्या होगा.....?..."अब आगे...............मालविका जी अशवीश्वर महाराज से कहती हैं....." महाराज जी आगे बताईए मैं कैसे उसे उसके सपनों से दूर करू....?.."अशवीश्वर महाराज उन्हें एक बाजूबंद देते हुए कहते हैं ..." ये कोई साधारण बाजूबंद नहीं है इसके मोती अभिमंत्रित है जो विशेषकर समुद्री रेत को अभिमंत्रित करके बनाया गया हैइससे कोई भी जल जीव आपकी बेटी के पास नहीं आएगा लेकिन...अशवीश्वर महाराज की पूरी बात सुने बिना मालविका ...Read More

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मत्स्य कन्या - 8

त्रिश्का काॅल रिसीव करती है..." हेलो..."दूसरी तरफ से एक घबराई हुई आवाज आती है..." हेलो मिस गौतम जल्दी से के पास पहुंचिए इमरजेंसी है...."अब आगे...............त्रिश्का इमरजेंसी का नाम सुनकर परेशान सी होकर पूछती है...." क्या हुआ है...?...."दूसरी तरफ से आवाज़ आती है...." मिस गौतम बाॅस इस सिचुएशन को हैंडल नहीं कर पा रहे हैं सो प्लीज़ जल्दी आ जाइए...." काॅल कट हो जाती है और त्रिश्का परेशान सी फोन को देख रही थी, उसके अचानक ऐसे परेशान हो जाने से सिद्धार्थ और पायल उससे पूछते हैं....." क्या हुआ त्रिशा....?...तुम इतनी परेशान क्यूं हो गई...?..."त्रिश्का उन्हें बताती है....." मुझे जल्दी ...Read More