गुजरात में सबसे सफ़ल नारी अदालत :

(0)
  • 12.5k
  • 0
  • 4.6k

जैसे चाँद, सूरज, ज़मीन, और समुद्र एक बड़ा सच है ऐसे ही स्त्री प्रताड़ना भी एक बड़ा सच है., कुछ अपवादों को छोड़कर. सन ११९९ में मैं डभोई तलुका की महिला सामाख्या की नारी अदालत से चमत्कृत होकर लौटी थी. ऐसी अदालत देखना अपने आप में एक अजूबा था. इस अदालत में वादी प्रतिवादी अपने पक्ष रख रहे थे व जिरह कर रहे थे उनके साथ में आये हुए लोग. कोर्ट की भागदौड़ से बचने के लिए सुलह कर लेते थे, इस तरह उन्हें बिना पैसे खर्च किये न्याय मिला जाता था. मेरा लिखा वह सर्वे हिंदी में लिखा पहला आलेख था नारी अदालत के बारे में इतनी हिंदी पत्रिकाएं होते हुए भी जिसे कोई पत्रिका प्रकाशित करने को तैयार नहीं हुई थी. उसे मैंने सन २००२ में प्रकाशित होने वाली अपनी पुस्तक "जीवन की तनी डोर; ये स्त्रियाँ "में ले लिया था. सन१८८६ से राष्ट्रीय नीति में पहली बार सोचा गया की शिक्षा ही ऐसा माध्यम है जोकि स्त्री के स्तर को पूरी तरह बदल सकता है. इस काम के लिए दो विशेषज्ञों को रक्खा गया. उन्होंने स्त्रियों के लिए काम करने वाली संस्थाओं, नारीवादी व्यक्तियों और शिक्षाविदों को बुलाकर नारी की मूलभूत समस्यायों का अध्ययन किया.

New Episodes : : Every Tuesday & Thursday

1

गुजरात में सबसे सफ़ल नारी अदालत : महिला सामाख्या योजना - 1

नीलम कुलश्रेष्ठ एपिसोड -1 जैसे चाँद, सूरज, ज़मीन, और समुद्र एक बड़ा सच है ऐसे ही स्त्री प्रताड़ना भी बड़ा सच है., कुछ अपवादों को छोड़कर. सन ११९९ में मैं डभोई तलुका की महिला सामाख्या की नारी अदालत से चमत्कृत होकर लौटी थी. ऐसी अदालत देखना अपने आप में एक अजूबा था. इस अदालत में वादी प्रतिवादी अपने पक्ष रख रहे थे व जिरह कर रहे थे उनके साथ में आये हुए लोग. कोर्ट की भागदौड़ से बचने के लिए सुलह कर लेते थे, इस तरह उन्हें बिना पैसे खर्च किये न्याय मिला जाता था. मेरा लिखा वह सर्वे ...Read More

2

गुजरात में सबसे सफ़ल नारी अदालत : महिला सामाख्या योजना - 2

एपीसोड -2 पुरुषों के विरोध के उत्तर में वे कहतीं हैं "ज़ाहिर है पुरानी मान्यताएं टूट रहीं हैं. पहले में स्वयं निर्णय लेकर सरपंच ग्राम पंचायत की सद्स्यायों के दस्तखत करवाने उनके घर भेज देते थे. अब वे कहतीं हैं हमें मीटिंग में बुलवाकर हमारी भी राय लो. पंद्रह अगस्त को पुरुषों ने विरोध किया कि स्त्री सरपंच झंडा आरोहण नहीं करेगी लेकिन वह अपना अधिकार क्यों छोड़ती ? बहुत से गाँवों में ग्राम सभा नहीं होती थी, वह महिलायों ने शुरू करवाई. महिलायों के कारण कागज़ की जगह सच में कम हो रहा है. " मजदूर औरतों को ...Read More