अभिव्यक्ति..

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इज़ाज़त... आज मुझे ये शाम सजाने की इज़ाज़त दे दोदिल-ओ-जान तुम पर लुटानेकी इज़ाज़त दे दोमिले जो दर्द या मिले सुकून - कुबूल है हमेंकभी रिहा ना हो पाए वैसे क़ैद होनेकी इज़ाज़त दे दो कोई ख्वाब सजाने की इज़ाज़त दे दोअब तो मुझे अपना बनाने की इज़ाज़त दे दोअब भी चुभा करते है तेरे इश्क़ के ज़ख़्मइस वीरान से गुलको खिलाने की इज़ाज़त दे दो कर्ज उतारने की मेरे हमदम हमें इज़ाज़त दे दो वफ़ा का फर्ज निभाने की अब तो इज़ाज़त दे दो लूंटती हुई दुनिया की तमन्नाओ की कसममुकद्दर अपना बनाने की बस आज इज़ाज़त दे दो

New Episodes : : Every Monday & Friday

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अभिव्यक्ति.. - 1

इज़ाज़त... आज मुझे ये शाम सजाने की इज़ाज़त दे दोदिल-ओ-जान तुम पर लुटानेकी इज़ाज़त दे दोमिले जो दर्द या सुकून - कुबूल है हमेंकभी रिहा ना हो पाए वैसे क़ैद होनेकी इज़ाज़त दे दो कोई ख्वाब सजाने की इज़ाज़त दे दोअब तो मुझे अपना बनाने की इज़ाज़त दे दोअब भी चुभा करते है तेरे इश्क़ के ज़ख़्मइस वीरान से गुलको खिलाने की इज़ाज़त दे दो कर्ज उतारने की मेरे हमदम हमें इज़ाज़त दे दो वफ़ा का फर्ज निभाने की अब तो इज़ाज़त दे दो लूंटती हुई दुनिया की तमन्नाओ की कसममुकद्दर अपना बनाने की बस आज इज़ाज़त दे दो ...Read More

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अभिव्यक्ति.. - 2

नजर.. कैसी नजर है तेरी, की मुझे नजर सी लग गयी, नजर पड़ी जब उस नजर पे, तो नजर ये भर गयी फिर मेरी नजर, उस नजर को, एक नजर तरस गयीकी किसी और नजर को उस नजर से देखने से डर गयी नजर का कमाल तुम्हारी, एक नजर ही, कर गयी की नजर नजर में बातें सारी नजर में ही बन गयी नजर भरके देखा नजरको तो नज़र नजर से कहे गयी,क्या खूब नजरसे मिली नजर, तेरी नजर कहेर कर गयी नजर से जब नजर हटा दी, तो नजर शिकायत कर गयीनजरसे दूर ना जाने को ये ...Read More

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अभिव्यक्ति.. - 3

आखिरी... पहला ये इश्क था मेरा जो आखिरी हो गया,.. देहलीज़ पे अपनी दुल्हन का ख्वाब आखिरी हो गया,.. नाम का पहला हकदार अब आखिरी हो गया,.. तमाशा ये सरे आम, अब आखिरी हो गया,.. जिसको पा ना सके उसका खयाल आखिरी हो गया.. उसे भूल जाने का काम आखिरी हो गया.. उसकी रुखसत का जाम आखिरी हो गया मयख़ानेको मेरा सलाम अब आखिरी हो गया,.. ~~~~~~~~~~~ पैगाम दिए थे,.. महेंदीवाले हाथोसे सलाम किए थे यूँ अपना जनाजा उठाए हुए थेबेगाने होकर भी हक़ जताए हुए थे बड़ी ही तमीज़ से उसने पैगाम दिए थे खामोशियोंकी वजह ...Read More

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अभिव्यक्ति.. - 4

में नहीं चाहती,... सीता जैसी महान बनकर, में जीना नहीं चाहती फसल की तरह धरती से में होना नहीं चाहती औरत हू में बेबस नहीं, सिर झुकाना नहीं चाहती कुर्बान होकरराजमहलका, ताज बनना नहीं चाहती बेइंसाफी देखकर में, चूपरहेनानहीं चाहती दिया वचन जो ससुरने में, उसे निभाना नहीं चाहती राजा है तो क्या हुआ में हिस्सेदारी नहीं चाहती अपने पतिसेजुदा होकरकेमै जीना नहीं चाहती किसी और के प्रतिशोध से बंदी होना नहीं चाहती बेवजह में महासंग्राम की वजह बनना नहीं चाहती महल नहीं तो ना सही,जंगल मेकुटिया नहीं चाहती बेघर ...Read More

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अभिव्यक्ति.. - 5

इंतकाम,... कसम से इंतकाम का हमें ऐसा सुकून मिले खुदा करे की तुम्हे तुमसा कोई हू-ब-हू मिले तुम बेपनाह चाहो तुम्हे वो इस तरह मिले जैसे की कोई लाइलाज जानलेवा रोग सा मिले तेरे दिलकेहर पहलूमें नाम सिर्फ उसीकामिले और दर्द तुम्हे उस नाम से बे-इन्तिहा मिले जिनके सपने सजाते रहो तुम रोज तुम्हे वो रात मिले पलक खोलो तो तुम्हे खाख होते सारे जज्बात मिले नाक़ाम ना रहो तूम करने को वो एक ही काम मिले की तुम रुस्वा होकर मर जाओ वैसा तुम्हे नाम मिले और हा, तुम सलीके से ...Read More

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अभिव्यक्ति.. - 6

दीदार,... उफ़्फ़, तेरे दीदार का यूँ असर हुआ है कोन सा नशा है ये कि बीनपीए सभीका ये हाल है तारो को आसमान मे खलल हो रहा है चाँद तेरे हूश्नसे पागल हुआ है आफताब को अपनी आग महेसूस नहीं होती इस कदर तेरी जलन में वो जला हुआ है पलक उठने पर, शहंशाहो के सर झुके है तेरे सवार होनेसे, मुसाफिर रुके हुए है तेरी मुस्कुराहट पे ही तो ये फूल खिले है तेरे हुस्न के वैभव से लोग हिले हुए है फ़रिश्तोने तेरा जिक्र खुले आम किया है जन्नतमे महफ़िल का इंतजाम किया हैहवा हो, ...Read More

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अभिव्यक्ति.. - 7

उसकी आवाज़ प्यार चाहना उसके लिए ख्वाब बन कर रहे जाता था इज्जत की दुहाई दे वो अरमान ही रहे जाता था दुल्हन बनने का सपना उसका मिट्टी में मिल जाता था जिस्म बेचना ही उसके लिए रोजगार बन जाता था कोई अपने ही रिश्तेदारोंका शिकार हो जाती थी कोई घर से भाग आती थी - तो कोई अगवा हो जाती थी कोई खरीदी जाती थी - तो कोई खुद बिक जाती थी शरीफों की बस्तीमेवो निलाम होजाती थी बदनाम हो कर वो इस कदर खो जाती थी की - रातोकोसंवरना उसकी किस्मत हो जाती ...Read More

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अभिव्यक्ति.. - 8

कुछ इस तरह उनसे प्यार करना पड़ता है की अपने प्यार से इंकार करना पड़ता है कभी कभी तो इतने करीब होते है की अपने आप को दीवार करना पड़ता है किसीनेपूछा, "थोड़ा EXPLAIN कर दो ... " ~~~~~~~ बात उन दिनों की है जब कृष्णनन्द गांव छोड़ कर मथुरा जाने वाले थे गोकुल और वृन्दावनसब कुछ पीछे छूटने वाला था सभी ये जानते थे की बिना कृष्ण के रहना बड़ा मुश्किल होने वाला है.. सारा गांव कान्हा को रोकने की कोशिश में लगा था ... सिवाय राधा के .. जो पुरेसंसार की खबर रखता ...Read More

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अभिव्यक्ति.. - 9

जरूरत प्यार की जरूरत किस उम्र में नहीं होती है ? मोहोब्बत तो सबको हर उम्र में होती कोख में आते ही ममता की जरुरत होती है और जिंदगी पाने को अनुराग की जरुरत होती है थोड़े बहोत दोस्तों से दोस्ती होती है क्या वो मोहोब्बत से कम होती है ? और हाँ, किसीको देखकर जो पहेली बार उमड़ती है वो कशिश भी उस एक अहसास की जड़ होती है यकीन मानो तब मचलते हुए हर एक दिल को दिल खोलनेके लिए -किसी ख़ास की जरूरत होती है फिर हालात, फिर ख्यालात की तपिश होती है और ...Read More

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अभिव्यक्ति.. - 10 - मेरी रामायण और मेरे सवाल ..

समय के उस कालमें .... अगर में ....सीता होती 1. तो राम को ये सवाल पूछती की - रावण के वहांमेने अपने आपको बिना आपके संभाला ही था तो धार्मिक अयोध्या में उस धोबी के एक सवाल के सामने आपके होते हुए मैअकेली क्यों पड गयी ? 2. कौशल्या माँ को ये जरूर पूछती की राजा बनकर अपनी ही पत्नी का भरोसा नहीं करने वाले राजा का भरोसा अयोध्या की प्रजा किस तरह कर पाएगी ? 3. सुमित्रा माँ को समजातीकी आपके बेटे का कोई कसूरनहीं है, उन्हें समझाइए की मेरी बहन उर्मिला को छोड़कर अपने ...Read More

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अभिव्यक्ति.. - 11

मेरी मोहोब्बत.. कल खुदानेअपने इश्क का मुझसे जिक्र किया था और तब मेने भी कई नामोसे तेरा परिचय था हुआ युथा कीवो मुझे वृन्दावन की राह में मिला था मेरी मोहोब्बत के बारे में वो मुझे पूछ रहा था मेने तुजे खुली आँखों से देखता हु वो ख़्वाब कहा था मंदिर का दिपतुजे अली की अजान कहा था कलम हाथ में लेकर मेने तुजे लफ़्ज़ों का कमाल कहा था और फिर मेने तुजे बंजर मेरी बस्ती की छोटी सी बहार कहा था खुदा से मेनेतुजे मेरे मासूम जज्बात कहा था और दिलकी ...Read More

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अभिव्यक्ति.. - 12 - रेल-वे स्टेशन.

मेरे गांव में बाजार के पास ही एक प्राथमिक स्कूल है... उसके बराबर बाजू मेंही पुलिस-स्टेशन है... वहा से चलो तो एक तालाब और उसी सड़क पर चलते जाओ तो थोड़ी आगे जाकर हाई-स्कूल.. फिर थोड़े आगे एक शिव मंदिर और सड़क ख़तम होते ही रेल-वे स्टेशन.. बात थोड़ी पुरानी है ... समजो किसीकीकहानी है .. सुनी किसी और ने थी... पर उसीकीजुबानी है.... ~~~~~~~ फैसला... ~~~~~~~ रोज की तरह वो रेल-वे स्टेशन की और गुजर रहा था शिव मंदिर की सीढ़ियों पर - यहाँ वहा देख - वो मुझे खोज रहा था जिसने आज ...Read More

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अभिव्यक्ति.. - 13

फिर वापस चली आना.. मेरी सारी नादानियाँ तेरे मुस्कुराने की वजह होती थी आंखोसेबहते अश्कोसे, तेरी हर कमीज़ थी गलतियों के नाम पर तुम मेरी शरारत को पकड़ते थे और जिंदगी के खेल को तुम कुछ लम्हो में बयां करते थे में सूरज की किरणों से रोज़ झग़डा करती थी पलभरमे बज़्म (बांहे) खोलकर तूम मेरी छांव बना करते थे जिस्म की बजाये तूम मेरी ज़ुल्फ़ो में उलझा करते थे मै बेख़ौफ़ बचपना करती थी, तूम चूपचाप मुझको सुनते थे में कपड़ों की बजाए मेरे हर राज़ बेपर्दा करती थी तुम किसी डॉक्टर ...Read More