काफी महीनों से मेरी कलम मुझसे रूठ गई थी या मे खुद लिखने को प्रेरित नहीं होता था, या फिर एसे किस्से मेरे कानो तलक पहुचे नहीं थे जो आप सबको पढ़ने के लिए दे सकू. * फिर प्यार हो सकता है? तो कितना सही है और गलत? जिस ऑफिस मे अविनाश काम कर रहा था, उसी ऑफिस मे एक छोटी सी मासूम लड़की ने जॉइन किया एक क्लर्क की जगह पर, जिसे आने वाले लोगों को चाय पानी और साफ सफाई की जिम्मेदारी दी गई थी, नाम था प्रतिभा जेसा नाम वैसी ही दिखती थी, गोल मुख, आंखे बड़ी
हाय रे मुहब्बत - 1
काफी महीनों से मेरी कलम मुझसे रूठ गई थी या मे खुद लिखने को प्रेरित नहीं होता था, या एसे किस्से मेरे कानो तलक पहुचे नहीं थे जो आप सबको पढ़ने के लिए दे सकू. * फिर प्यार हो सकता है? तो कितना सही है और गलत? जिस ऑफिस मे अविनाश काम कर रहा था, उसी ऑफिस मे एक छोटी सी मासूम लड़की ने जॉइन किया एक क्लर्क की जगह पर, जिसे आने वाले लोगों को चाय पानी और साफ सफाई की जिम्मेदारी दी गई थी, नाम था प्रतिभा जेसा नाम वैसी ही दिखती थी, गोल मुख, आंखे बड़ी ...Read More