दुनिया भर में लोग कुत्ते पालने का शौक़ सबसे ज़्यादा रखते हैं। हज़ारों नस्लों के छोटे - बड़े डॉगी इंसानों के पसंदीदा मित्र बन कर उनके पालतू के रूप में उनके साथ रहते थे। इन कुत्तों में हर रंग, हर आकार, हर कौशल के एक से बढ़कर एक श्वान होते जो आदमियों के साथ उनके घर में एक फ़ैमिली मेंबर की तरह ही रहते। मज़े की बात ये थी कि बाक़ी जानवरों को तो लोग किसी न किसी काम या सेवा के लिए पालते पर कुत्ते बिना किसी स्वार्थ के उनके दोस्त बन कर ही रहते थे। जैसे गाय भैंस को लोग दूध के लिए पालते, घोड़े को सवारी के लिए, पर कुत्ते को यूंही पालते। इन कुत्तों की पहुंच साहब की गाड़ी से लेकर मेमसाब के बेडरूम तक रहती। कहीं कोई रोकटोक नहीं। जो साहब लोग खाते, वही डॉगी को भी मिलता। बल्कि कभी कभी तो उससे ज़्यादा मिलता। साहब की कुकीज़ तो किसी भी शॉप से आ जाती पर कुत्ते के लिए ख़ास दुकान या ख़ास बाज़ार जाना होता। कुछ लोग कहते थे कि कुत्ते भी घर की रखवाली करते हैं इसलिए वो भी उपयोगी जानवर की श्रेणी में आते हैं। मगर कुछ डॉगी तो ऐसे होते कि उनकी रक्षा या रखवाली ख़ुद उनके मालिक को करनी पड़ती। फ़िर भी वे पाले जाते थे। इस बात से कुत्तों का कॉन्फिडेंस ज़बरदस्त ढंग से बढ़ गया। कई बार पार्कों या दूसरी सार्वजनिक जगहों पर वो अपने - अपने मालिकों के साथ बड़ी संख्या में आते तो उनका एक दूसरे से परिचय भी हो जाता जिससे उनका आत्म विश्वास और बढ़ जाता।
Full Novel
डोर टू डोर कैंपेन - 1
( 1 )दुनिया भर में लोग कुत्ते पालने का शौक़ सबसे ज़्यादा रखते हैं। हज़ारों नस्लों के छोटे - डॉगी इंसानों के पसंदीदा मित्र बन कर उनके पालतू के रूप में उनके साथ रहते थे। इन कुत्तों में हर रंग, हर आकार, हर कौशल के एक से बढ़कर एक श्वान होते जो आदमियों के साथ उनके घर में एक फ़ैमिली मेंबर की तरह ही रहते।मज़े की बात ये थी कि बाक़ी जानवरों को तो लोग किसी न किसी काम या सेवा के लिए पालते पर कुत्ते बिना किसी स्वार्थ के उनके दोस्त बन कर ही रहते थे। जैसे गाय ...Read More
डोर टू डोर कैंपेन - 2
( 2 )आख़िर कुत्तों के वार्तालाप का असर पड़ा। उनके कुछ सियार और लोमड़ी जैसे मित्र कहने लगे- बिल्कुल बात है, आप लोग चाहें तो कुछ भी कर सकते हैं। आदमी आपको बहुत मानता है। यहां तक कि इंसानों में जो चोर निकल जाते हैं उन्हें पकड़ने के लिए आपकी मदद ली जाती है।उनकी बात से उत्साहित होकर एक बुजुर्ग से कुत्ते ने लोमड़ी से ही कहा- तुम तो बहुत समझदार हो बहन, तुम्हीं कुछ बताओ कि हमें क्या करना चाहिए?लोमड़ी इस प्रशंसा से फूल कर कुप्पा हो गई, बोली- भैया, जब इस जंगल में हम जानवरों की दुनिया ...Read More
डोर टू डोर कैंपेन - 3
( 3 )नन्हा पॉमेरियन जैसे ही कुत्तों की टोली में पहुंचा उसने एक सांस में सारी कहानी सबको सुना उसकी बात सुन कर सारे ख़ुशी से उछलने लगे। कोई नन्हे को गोद में उठा कर झुलाता तो कोई उसका मुंह चूमता।एक विशालकाय बड़े शिकारी कुत्ते ने कहा- इस छोटे बच्चे ने बड़ा काम कर दिखाया है, किंतु अब हम सब को सोच समझ कर आगे कदम बढ़ाना है। शेर दूसरे जानवरों को भी राजा बनाने पर सहमत हो गया है यह जानकर कई बड़े- बड़े जानवर सामने आ जाएंगे। राजा तो सभी बनना चाहेंगे। लेकिन हम लोग सावधानी के ...Read More
डोर टू डोर कैंपेन - 4
( 4 )उन्हें ये सुन कर सुखद आश्चर्य हुआ कि अब जानवरों की दुनिया में भी लोकतंत्र आने को और उसे शेर की मंजूरी भी मिल चुकी है।हाथी बाबू ने कुत्तों की बात को पूरी गंभीरता से सुना क्योंकि वो जानते थे कि इनकी पहुंच आदमियों की दुनिया में ज़बरदस्त ढंग से है। वो लोग केवल इन्हें अपनी गाड़ियों में ही लिए नहीं घूमते, बल्कि कभी कभी किसी पॉश इलाक़े में तो इनकी पॉटी तक उठाते पाए जाते हैं।ऐसे में जब एक कुत्ते ने उनसे कहा कि आप अपनी प्रॉब्लम्स बताइए, हम उन्हें दूर करेंगे तो हाथी बाबू ने ...Read More
डोर टू डोर कैंपेन - 5
लेकिन आज कुत्तों का असली इम्तहान था। आज वो जहां जाने वाले थे वहां अपनी बात समझा पाना टेढ़ी थी।आज उन्होंने भैंस के घर जाने का प्लान बनाया था। सब जानते थे कि भैंस के आगे बीन बजाना बेहद मुश्किल काम है क्योंकि अभी तक ये फ़ैसला ही नहीं हो सका है कि अक्ल बड़ी या भैंस?पर कुत्तों को अपने पुरुषार्थ पर पूरा भरोसा था। चल दिए भैंस के तबेले की ओर।पहले - पहले तो कुत्तों की बात सुन कर भैंस गुस्सा ही हो गई। जब एक कुत्ते ने कहा कि शेर हमेशा से हमारा राजा बना हुआ है, ...Read More
डोर टू डोर कैंपेन - 6
आज मामला कुछ टेढ़ा था। आज डोर टू डोर कैंपेन के लिए कुत्तों के दल ने एक बड़े तालाब किनारे मगरमच्छ के पास जाने का विचार किया था।कुत्तों में ग़ज़ब का उत्साह था कि वो ख़ुद जाकर इस विशालकाय जलचर से मुलाक़ात करेंगे। लेकिन मन ही मन वो भयभीत भी थे कि मगर न जाने उनसे कैसा बर्ताव करे।ख़ैर, राजा का पद पाने के लिए ख़तरा तो उठाना ही था। जोखिम के बिना तो कोई सफ़लता मिलती भी नहीं है। जो उपलब्धि जितनी मेहनत और रिस्क से मिले वो उतनी ही मीठी भी होती है।आज कुछ विशेष चुनिंदा नस्ल ...Read More
डोर टू डोर कैंपेन - (अंतिम भाग)
जंगल में इतना दिलचस्प मुकाबला आज तक कभी नहीं हुआ था। लोगों में ग़ज़ब का उत्साह था। नदी के किनारे दर्शकों से खचाखच भर चुके थे। जानवर तो जानवर, नदी किनारे इंसानों की भी भारी भीड़ जमा हो गई। कुत्तों के सभी मालिक लोग तो बड़ी संख्या में आए ही थे, बहुत से मछुआरे भी सांस रोक कर तमाशा देखने आ जुटे थे। उन्हें भय था कि कहीं मछलियां रेस जीत कर राजा बन गईं तो उन्हें पकड़ने पर रोक लग जाएगी और तब मछुआरों के समक्ष रोजगार व रोज़ी रोटी का संकट आ खड़ा होगा। उधर बेचैनी की ...Read More