ये लगातर तीसरी रात थी, जब शहर में झमाझम बारिश बेसुध होकर बरसती ही जा रही थी। यातायात के तमाम साधन लगभग ठप्प हो चुके थे। पतले,संकरे शहर के सड़को में लबालब पानी भर चुका था। दूसरी तरफ़ शहर से सटा वो एक सरकारी अस्पताल था, उसी के बगल में एक सरकारी मोर्ग भी था। जहां पोस्टमार्टम भी होता था। शायद इसलिए सामने ही एक सरकारी देशी शराब की दुकान भी थी। पोस्टमार्टम होने से पहले बॉडी को चीर फाड़ करने वाले लोग बग़ैर शराब के नशे के ये काम नहीं कर पाते थे। बड़ा दुसाध्य काम भी तो था श्राप एक रहस्य
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श्राप एक रहस्य .. - 1
ये लगातर तीसरी रात थी, जब शहर में झमाझम बारिश बेसुध होकर बरसती ही जा रही थी। यातायात के साधन लगभग ठप्प हो चुके थे। पतले,संकरे शहर के सड़को में लबालब पानी भर चुका था। दूसरी तरफ़ शहर से सटा वो एक ...श्राप एक रहस्य ...Read More
श्राप एक रहस्य.. - 2
तीन दिनों तक एन.आई.सी.यू में रहने के बाद "कुणाल बर्मन" एक अजीब से रिपोर्ट के साथ घर लौट रहा कुणाल बर्मन तीन दिनों पहले बरसात की एक झमझमाती रात में,एक समान्य से सरकारी अस्पताल में जिसका जन्म हुआ था अब अस्पताल के कागजों में उसका नाम कुणाल और पिता से मिला उपनाम बर्मन यानी कुणाल बर्मन दर्ज़ हो चुका था। उसके पिता एक बहुत बड़े बिज़नेस मेन थे लेकिन माँ गृहणी थी। शादी के लगभग चौदह वर्ष बाद इन्हें बच्चे को जन्म देने का सौभाग्य मिला था। कुणाल के पिता अखिलेश बर्मन बहुत अधिक पढ़े लिखें नहीं थे, डॉक्टरों ...Read More
श्राप एक रहस्य.. - 3
शहर के इस हिस्से में पानी की कोई कमी नहीं थी। छोटे छोटे कई सारे झील थे यहां। ये कुआं वैसे भी जर्जरता के आख़िरी चरम पर था। पास के ही मकान में, जो कि अब बस खंडहर में तब्दील होने ही वाला था, किसी समय में यहां एक बंगाली परिवार रहा करता था। माँ, पिता और एक सात आठ वर्ष की उनकी बेटी, प्रज्ञा नाम था उसका। माँ और पिता की लाड़ली थी। कोई कमी नहीं थी इस परिवार को, संपन्नता से भरा था सबकुछ। लेकिन....तक़दीर भी आख़िर कोई चीज़ होती है। बात कोई बीस वर्ष पुरानी होगी, ...Read More
श्राप एक रहस्य .. - 4
कहानी बीस वर्ष पीछे :-क्या ये उम्र मौत के लिए थी..? मतलब वो महज़ सात या आठ वर्ष की तो थी। नाज़ुक सी उम्र, अभी तो ढंग से जीना भी शुरू नहीं किया था उसने। लेकिन वो मर गयी...ईश्वर की असीम भक्ति में डूबा उसका परिवार उसे बचाने तक नहीं आया। क्या वो पूजा उसकी जिंदगी से भी ज़्यादा अनमोल था..?एक मासूम सी रूह मौत के बाद भी ईश्वर से बेइंतहा नफ़रत करने लगी थी। लाश तो जला दी गयी थी उसकी, लेकिन उसकी रूह जुड़ी थी उसके ही बालों से जो कुएं की सीढ़ियों में कहीं फंसी रह ...Read More
श्राप एक रहस्य .. - 5
ये पहली बार नहीं था। शकुंतला देवी ने कई बार घर से भागने की कोशिश पहले भी की थी। भी वे नन्हें कुणाल को लेकर दूर कहीं वीराने में चल जाना चाहती थी। लेकिन नौकर चाकरों से भरे विल्ले में उन्हें ये मौका कभी मिला नहीं। देखते ही देखते डेढ़ साल बीत गए। कई कई बार कुणाल की चोटों से परिवार दहल उठता, लेकिन चोट लगने वाले को कोई फ़र्क ही नहीं पड़ता था। अभी बीते कल की ही बात है, कुणाल के लिए रोटी ख़ुद ही पकाने गयी थी सकुंतला जी। किचन के लंबे चौड़े सेल्फ़ पर एक ...Read More
श्राप एक रहस्य .. - 6
कहानी अब तक :- एक बरसात की रात में ठीक दस बजकर बावन मिनट में एक रईस परिवार में बच्चे का जन्म होता है, जिसका नाम कुणाल है। लेकिन कुणाल को दर्द नहीं होता,जिसकी वजह से उसकी चिंता में उसकी माँ पागल होती जा रही है, और एक दिन उसे लेकर वो घर से भाग जाती है।ठीक कुणाल के जन्म के दिन ही, उसी वक़्त ही, उसी शहर में लेकिन दूसरे हिस्से जो कि घाटियों की तरफ़ पड़ता है वहां एक और अजीब सी चीज़ अपने आप ही जन्म लेता है। उसकी बनावट थोड़ी बहुत कुत्ते और बिल्ली से ...Read More
श्राप एक रहस्य... - 7
शायद उसे किसी इंसान के "हां" का ही इंतजार था। वो बस इतना ही तो चाहता था कि कोई इस घिनौने रूप को नजरअंदाज कर उसकी मदद के लिए आगे आये। और ये पहला इंसान था जावेद। जावेद का हाल अभी भी बहुत बुरा था। उसे लिली की चिंता हो रही थी। लिली जो बेहाल सी इस वक़्त उनके ही वेन में बैठी थी। जावेद ने ग़ौर नहीं किया लेकिन इस वक़्त घिनु के चेहरे में संतुष्टि के सुंदर भाव नज़र आ रहे थे। उसके नुकीले दांत अंदर की तरफ़ धस गए थे। और वो हौले हौले मुस्कुरा रहा ...Read More
श्राप एक रहस्य - 8
वो निम्न दर्ज़े का एक पुलिस स्टेशन था। जैसे कई महीनों से वहां कोई केस ही दर्ज नहीं हुआ सभी कर्मचारी अपने अपने केबिन में सुस्ती से बैठे चाय गुडक रहे थे। ज्यादातर छोटे शहरों के छोटे छोटे थानों का यहीं हाल होता है। इलाक़े के लोग पुलिस के लफड़े में पड़ने से बेहतर छोटी छोटी समस्या का हल ख़ुद ही निकाल लेना मुनासिब समझते है। यहीं वजह होती है की ऐसे थाने के पुलिसकर्मियों की तोंद बाहर और पुलिसिया दिमाग़ काफ़ी अंदर धसा होता है। जावेद को होश कहा था। कल रात से लेकर सुबह तक उसके दिमाग़ ...Read More
श्राप एक रहस्य - 9
ये लगातर तीसरी रात थी, जब शहर में झमाझम बारिश बेसुध होकर बरसती ही जा रही थी। यातायात के साधन लगभग ठप्प हो चुके थे। पतले,संकरे शहर के सड़को में लबालब पानी भर चुका था। दूसरी तरफ़ शहर से सटा वो एक ...श्राप एक रहस्य ...Read More
श्राप एक रहस्य - 10
एक अजीब सी बदबू से पूरा कमरा भर गया था। जैसे कमरे में कई दिनों से कोई सड़ी हुई रखी हो। ओह सांस लेना जैसे दूभर हो गया है। जावेद नाक मुँह सिकोड़ते हुए उठ बैठा। नींद तो उसकी पहले ही खुल गयी थी। कब से उसे महसूस हो रहा था कि उसके जिस्म में चीटियां रेंग रही है, वो हाथ से भगाता तो थोड़ी देर के लिए सभी चीटियां भाग जाती और फ़िर कुछ देर बाद वापास वहीं सिरहन। अब तो इस बदबू ने उसे उठकर बैठने को मजबूर ही कर दिया। अपने दोस्तों के साथ वो अक्सर ...Read More
श्राप एक रहस्य - 11
वो अपनी मौत दोहरा रही थी। लेकिन लिली कहां समझ पाई थी कि ये जो उसने अभी अभी देखा वो तो कई सालों पहले बीत चुका था। वो दौड़कर कुएं के किनारे गई उसने हर तरफ़ आवाज़ दी, घर के भीतर के भीड़ को भी बहुत पुकारा लेकिन सभी तो पूजा में व्यस्त थे। चाह कर भी तो लिली कुछ कर नहीं पा रही थी। किसी चीज़ को हाथ लगाती तो वो चीज़ रेत की तरह उसके हाथो से फिसल जाती। वो चिल्ला रही थी लेकिन उसकी आवाज़ जैसे उसके भीतर ही कहीं घुटकर रह जाती, और फ़िर कुछ ...Read More
श्राप एक रहस्य - 12
कुणाल और उसकी मां को लापता हुए लगभग डेढ़ महीने हो गए थे। इस बीच जावेद और उसके दो मारे जा चुके थे। एक लिली बची थी जो फ़िलहाल लोगों के लिए लापता ही थी,लेकिन वो जिंदा थी। घाटी में मौत का खौफ इन दिनों कुछ कम हो गया था। ठिठुरती ठंड दस्तक दे रही थी। जीवन एक लय में फ़िर से शुरू हो गया था। अखिलेश जी भी इन दिनों सामान्य दिनचर्या में जी रहे थे। अपने काम पर ध्यान देना शुरू किया था उन्होंने। आख़िर डेढ़ महीने बीत गए थे और अब तक वे सकुंतला जी को ...Read More
श्राप एक रहस्य - 13
मौत....कहीं सन्नाटा ओढ़े बैठी थी तो कहीं चीत्कार बनकर गूंजी थी। कुणाल मर गया था। सुबह की धूप निकलने पहले ही बर्मन विला अंधेरे की काली मनहूस चादर ओढ़ चुका था। अखिलेश जी ने जिस पहले वाली पत्नी को वापस पाने की चाह में अपने ही अंश को मरने के लिए छोड़ दिया था, वहीं पत्नी इस वक़्त उनके खून की प्यासी हो गई थी। कुणाल की मौत ने जैसे सकुंतला जी की समस्त चेतनाओं का गोला घोट दिया था। इस वक़्त उन्हें एक कमरे में अकेले बन्द कर के रखा गया था। जब से उन्होंने कुणाल के खून ...Read More
श्राप एक रहस्य - 14
सदियों पहले की बात है। एक चौड़ी नदी के दोनों तरफ़ दो नगर बसा करते थे। बीच में एक कि बनी चौड़ी पुल थी, जो दोनों नगरों को आपस में जोड़ती थी। हालांकि व्यक्तिगत रूप से दोनों के संपर्क काफ़ी बेहतर नहीं थे लेकिन, इसके बावजूद दोनों नगरों के बीच सामानों की अदला बदली हुआ करती थी। नदी के दाहिने तरफ़ पड़ने वाले सम्राज्य के एक राजा थे राजा श्रीकांत। वे उनकी बुद्धि और अत्यधिक कोमल हृदय के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपने पूरे सम्राज्य को एक परिवार की तरह बनाकर रखा था। सबकुछ सुखद था वहां। लेकिन ...Read More
श्राप एक रहस्य - 15
राजा के पुत्र को उनके पिता की बिगड़ी तबीयत और चोटों के विषय में कुछ नहीं बताया गया था। इस वक़्त उनकी उम्र महज़ तेरह साल की थी और वे इन दिनों तरह तरह के महत्तवपूर्ण अभ्यासों में व्यस्त थे। उनके गुरु नहीं चाहते थे कि इस तरह की खबरें उसका ध्यान भंग करें। वो विचलित होकर यहां से चला जाएं। लेकिन दूसरे शिष्य ने जाकर जो बातें उसे बताई उसे सुनकर राजा का पुत्र उसी दिन गुरुकुल से नगर के लिए निकल पड़ा। उसने अपनी वेशभूषा बदल ली थी। फकीरों की तरह वो महल में आया। उसके आने ...Read More
श्राप एक रहस्य - 16
घीनु को मरे तीन दिन बीत गए थे। घाटी में सभी चैन की सांस ले रहे थे...लेकिन एक दोपहर। मैं लिली हूं"।लिली ने घाटी के ही एक सभ्य इंसान को रोककर कहा। वो आदमी शायद किसी स्कूल का शिक्षक था, ये भरी दोपहर का वक़्त था और वो अपने घर लौट रहा था। लिली बेहद मैले कुचैले कपड़ों में अस्त व्यस्त सी थी। उसे देखकर लगता है जैसे वो कब से सोयी ना हो। उसकी आंखें गहरी लाल हो गई थी। शरीर अजीब तरह से सिकुड़ने लगा था। जैसे भीतर ही भीतर कोई डर उसे खा रहा हो। वो ...Read More
श्राप एक रहस्य - 17
घाटी की आधी से अधिक आबादी ख़तम हो गई थी। और....और इस बार पूरा शहर खौफ में समा गया घाटी में कोइ नरभक्षी दानव है, जो बेरहमी से लोगों को मौत के घाट उतार रहा है, लेकिन जरूरी तो नहीं की ऐसा सिर्फ घाटी में ही हो। वो अपनी सीमाएं बढ़ा भी तो सकता है। लेकिन कोई था जो जानता था, हां वो दानव अपनी सीमाएं बढ़ा नहीं सकता। उसकी कमियां जानता है वो। उस रात घाटी के आसमान से मौत बरस रही थी। आसमान में उड़ रहे काले कीड़े इतने भी समान्य नहीं थथे, वो कीड़े थे जो ...Read More
श्राप एक रहस्य - 18
"मेरी डिलीवरी के दिन नज़दीक आ रहे थे, और इसलिए मुझे मेरी मां के घर जाना पड़ा। मेरे पति सुब्रोती भी मेरे साथ ही थे। मेरी मां का घर यहां, मतलब असम में ही था । मैं मेरी मां की इकलौती संतान थी। गर्भावस्था के आख़िरी दिनों में मेरी मां ने ही मेरा ख़्याल रखा। और एक रात मुझे प्रसव पीड़ा शुरू हुई। संयोग से उस दिन मां घर के लिए राशन लाने शहर गई थी, और तेज़ बारिश की वजह से उन्हें शहर में ही उनकी बहन के घर पर रुकना पड़ा। देर रात मुझे दर्द का आभास ...Read More
श्राप एक रहस्य - 19
...." क्या कहा गुड़िया खो गयी है..?.." सनसनी मामले की खबरों से न्यूज़ चैनल भर गए थे। जहां देखो हर जगह घाटी की ही खबरें चल रही थी। आख़िर बात ही इतनी बड़ी थी। प्रेस रेपोर्टसर्स का कहना था लगभग सत्तर लोग मारे गए थे, और अनगिनत लोग घायल। सबसे ग़ौर करने वाली बात थी, घायल लोगों का घाव अजीब तरह से बढ़ रहा था। जैसे घावों में कोई लगातार आहिस्ते आहिस्ते तेज़ाब डाल रहा हो और घाव अपना आकार बढा रहा था।शहर का सरकारी अस्पताल लोगो से और रिपोर्टरों से खचाखच भरा हुआ था। लोगों की चिल्लम पुकार ...Read More
श्राप एक रहस्य - 20
वो लगातार एक घंटे से उल्टियां कर रहे थे। इएलिये तो सोमनाथ चट्टोपाध्याय ने उन्हें बताना नहीं चाहा था। उन्होंने अखिलेश जी को खुदपर बीती ही एक कहानी सुनाई।"तुम्हें पता है....एक बार जर्मनी में मैंने अपना नाईट कॉलेज बंक किया था। हां उस वक़्त मैं सत्रह या अठारह वर्ष का रहा होऊंगा। हम अक्सर कॉलेज बंक कर देते थे, और रात भर पागलों की तरह घूमते रहते थे। जर्मनी में नाईट कॉलेज की सुविधा उन किशोरों को दिया जाता है, जो अपनी पढ़ाई का खर्चा ख़ुद उठाते है। दिन में वे कोई छोटा मोटा काम करते है,और रात में ...Read More
श्राप एक रहस्य - 21
पटक इतनी ज़ोरदार थी की दर्द से उनकी एक हल्की आह निकल गयी। लेकिन उन्हें पटकने वाला घिनु नहीं प्रज्ञा की रूह थी। उसने उन दोनों को अपने पीछे आने का इशारा किया। सोमनाथ चट्टोपाध्याय तो सामान्य थे, लेकिन अखिलेश बर्मन का व्यवहार थोड़ा अलग था। वे डर रहे थे उसके पीछे जाने से। वो जो दिखती भी है, और नही भी। ऐसा लगता जैसे पानी से बनी है वो, हवा चलती तो हवा के बहाव के साथ वो भी हिलने लगती। रात के घुप्प अंधेरे में भी वो साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी।प्रज्ञा की रूह उन दोनों ...Read More
श्राप एक रहस्य - 22
उसे कोई शक्ति नहीं मार सकती। उसे बस एक चीज़ ख़त्म कर सकती है...वो है "छल"। हा, छल से उसे मारा जा सकता है। क्योंकि उसका जन्म ही उसके किये धोखे से हुआ है। लेकिन उसे छलने से पहले उसका बिस्वास पात्र भी बनना होगा"।"लेकिन उसके इतने करीब भला कौन जा सकता है..?" थोड़ा सा परेशान होकर अखिलेश बर्मन ने कहा। "तूम" बड़े आराम से सोमनाथ चट्टोपाध्याय ने जवाब दिया। "क्या कहा मैं..? लेकिन मैं कैसे, और मैं ही क्यों...?""क्योंकि तुमने ही उसके सबसे बड़े दुश्मन को मारा है। तुम्हारा बेटा, वहीं था जिसने इतने दिनों तक उसे रोक ...Read More
श्राप एक रहस्य - 23
कितनी गलतफहमियां लेकर जी रहे थे इन दिनों लोग। ये सबूत था इस बात की....वो बस तेरह वर्ष की लेकिन उसने कल रात जो देखा था, वो देखना भी अपने आप में मौत को बिल्कुल करीब से देखने के बाद लौटने जैसा ही था। उसके माँ और पिता दोनों की मौत हो चुकी थी। और पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स में ये भी क्लियर हो गया था कि उनकी मौत किसी लोमड़ी के हमले की वजह से नहीं हुआ था। और इस बार तो उसने साफ़ साफ़ अपनी आँखों से देखा तक था। वो जिंदा थी लेकिन लगातार रह रह कर वो ...Read More
श्राप एक रहस्य - 24
अदिति से हॉस्पिटल में मिलने के बाद सोमनाथ चट्टोपाध्याय को ये पता चल चुका था, की घिनु ने अपनी बनावट ले ली है। वो आकार बदल सकता है, एक ही समय में दो या फ़िर शायद इस से भी ज़्यादा जगहों पर रह सकता है और वो बूढा हो सकता है,अगर उसे जवान शिकार ही ना मिले तब। वो घाटी से बाहर नहीं जा सकता क्योंकि उसकी सीमाएं वहीं तक है। बहुत मुश्किल नहीं हुई थी उन्हें अस्पताल के अंदर जाने में। उनकी वेशभूषा और उनका व्यक्तित्व ही ऐसा था कि उन्हें किसी ने भी रोका नहीं। और अदिति ...Read More
श्राप एक रहस्य - 25
वाह क्या बात है...मतलब तुमने ख़ुद अपने ही बेटे को मार डाला। तुम तो मुझसे भी बड़े बेईमान लगते तुम्हें अंदाजा भी है, तुमने ये काम कर के मुझपर कितना बड़ा अहसान किया है। मैं उसकी मौत ही तो चाहता था।" बड़े बेशर्मी से घिनु ने कहा। "लेकिन उस छोटे से बच्चे की मौत से तुम्हें भला क्या फ़ायदा होता...?" "अरे फ़ायदा ही फ़ायदा है। तुम्हारा बेटा कोई आम इंसान नहीं था। वो तो एक महान राजा था। जिसे किसीने एक वरदान दिया था कि उसके बाकी के जन्मों में उसे कोई दर्द नहीं होगा और जो उसके साथ ...Read More
श्राप एक रहस्य - 26
वो (चंदन मित्तल ) गाड़ी के पीछे बैठे ऊंघ रहे थे। लेकिन फ़िर उन्हें महसूस हुआ रास्ते घुमावदार होने है। एक झटके में वो उठ बैठे। "अरे यार अखिलेश ये घाटियों वाले रास्ते को क्यों लिया तूने, इधर का माहौल ठीक नहीं है। देख गाड़ी मोड़, हाईवे से होकर चलते है।"लेकिन अखिलेश जी ने कोई जवाब नहीं दिया। वे तेज़ी से कार दौड़ाते रहे। पीछे बहुत देर तक कुछ बुदबुदाने के बाद चंदन मित्तल एक बार फ़िर नींद के आगोश में चले गए। घाटी से थोड़ी ही दूर पर गाड़ी रुकी। यहां झाड़ियों की वजह से घना अंधेरा था। ...Read More
श्राप एक रहस्य - 27
"तुम्हें कहा मिली ये गुड़िया...?"लिली ने चौंककर थोड़ी ऊंची आवाज़ में पूछा था ये सवाल।सवाल सुनकर प्राची थोड़ी घबरा थी। किसी तरह शब्दों को जोड़कर उसने कहा। "देखिए मेरी बात पर शायद आपलोग यक़ीन नहीं कर पाएंगे, ये गुड़िया मेरी बड़ी बहन की है,उसने अपने मरने के बाद इसे तैयार किया था। इस गुड़िया ने ही कभी मेरी जान बचाई थी। लेकिन अब शायद इसकी जरूरत मेरी बहन को है। ....देखिए मैं भी भूत प्रेतों पर यक़ीन नहीं करती,लेकिन ये सब मेरी मां ने मुझे बताया है। उन्होंने ही इस गुड़िया को मुझे दिया था, जब मैं बहुत छोटी ...Read More
श्राप एक रहस्य - 28
इस एक श्राप के साथ अब कितनी कहानियां जुड़ गई थी। जुड़ गई थी लोगो की भावनाएं, उनका गुस्सा उनके दुःख। प्राची से प्रज्ञा की मुलाक़ात बेहद भावुक कर देने वाला पल था। प्राची बस एकटक प्रज्ञा को देख रही थी, और सोच रही थी, कितना शौक था उसे गुड़ियों का अगर उस वक़्त उसे प्राची मिली होती जब वो जिंदा थी तो कितना खेलती वो अपनी इस प्यारी सी गुड़िया के साथ। काश की वो मरी ही ना होती। लेकिन कुछ काश बस यूं ही काश बनकर रह जाती है। कितना सुखद होता दोनों बच्चियों का बचपन,माँ और ...Read More
श्राप एक रहस्य - 29
"सकुन्तला क्या तुम हो..? तुम यहाँ कैसे आयी..?""जैसे हर दिन तुम आते हो...?""लेकिन तुम यहाँ क्यों आयी हो। देखो बहुत ख़तरा है।""खतरा....हम्म जानती हूं तुमसे बहुत ख़तरा है अब, इन दिनों तुम अपने ही लोगो को मार जो रहे हो।"सकुन्तला का इतना बोलना था कि अखिलेश बर्मन के पास खड़े दिलेर साहू के कान ऊंचे हो गए, वे चार कदम पीछे हट गए।"ये क्या बोल रही हो तुम..? लगता है पागलपन अभी तक उतरा नहीं तुम्हरा...मै भला क्यों मारूँगा अपने लोगों को..?" "ये सवाल तो अपने भीतर के आत्मा से पूछना चाहिए तुम्हें, तुमने पहले अपने ही बेटे को ...Read More
श्राप एक रहस्य - 30 - अंतिम भाग
वो फटी आँखों से चारों तरफ़ देखने लगा और उसे सामने ही एक गुड़िया दिखी। बालों से बनी एक सी गुड़िया। लेकिन उसमें भला इतनी ताक़त कहा से आई कि वो घिनु को पछाड़ दे। तभी घिनु के सामने सोमनाथ चट्टोपाध्याय आ खड़े हुए। अब वे मुस्कुरा रहे थे और घिनु इस वक़्त भी ज़मीन पर गिरा अवाक बैठा था। उसकी समझ से सबकुछ परे हो गया था जैसे। उसने तिरछी नज़र से एक बार अखिलेश बर्मन की तरफ देखा तो वे अपनी पत्नी को सीने से चिपकाएं खड़े दिखें। अब उसे सबकुछ दिखने लगा था। लिली,प्रज्ञा की रूह ...Read More