प्रेम का कमल

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दोस्तों प्यार बहोत अनमोल होता है। जब यह होता है तो जिंदगी बदल जाती है। दिल मे प्यार के फूल खिल जाते है। पर कभी कभी प्यार का यह कमल नफ़रत की कीचड़ में भी खिलता है। आज की यह कहानी बहोत खास है और आइए देखें नीरज औऱ नीलिमा की जिंदगी मे नफरत की कीचड़ में कमल कैसे खिला? नीरज कुमार ठाकुर खानदान में पैदा हुआ नीरज दो बहनों का एक लौता भाई था जो बचपन से ही अपने घर का लाडला था। सभी उस पर जान छिड़कते थे। उसकी हर इच्छा को पूरा करते थे। जिस वजह से उसने ना सुनना नही सीख था। काली आंखे गौरे रंग और 5फुट 6इंच लम्बे कद वाला नीरज ब्रांडेड जीन्स और महंगी शर्ट आँखो पर एक लाख गॉगल्स पहन कर BMW से दिल्ली के कॉलेज में जब भी उतरता उसके आसपास लड़कियों और उसके दोस्तों की लाइन लग जाती थी। उसके सभी अध्यापक उसकी बुद्धिमता के कायल थे। अपनी पूरी कक्षा में वो ही था जिसकी सब से बनती थी। वह सबको खुश करने का हुनर था जिसपर उसको अपनी इस बात पर बहोत नाज था।

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प्रेम का कमल - 1

दोस्तों प्यार बहोत अनमोल होता है। जब यह होता है तो जिंदगी बदल जाती है। दिल मे प्यार के खिल जाते है। पर कभी कभी प्यार का यह कमल नफ़रत की कीचड़ में भी खिलता है। आज की यह कहानी बहोत खास है और आइए देखें नीरज औऱ नीलिमा की जिंदगी मे नफरत की कीचड़ में कमल कैसे खिला?नीरज कुमार ठाकुर खानदान में पैदा हुआ नीरज दो बहनों का एक लौता भाई था जो बचपन से ही अपने घर का लाडला था। सभी उस पर जान छिड़कते थे। उसकी हर इच्छा को पूरा करते थे। जिस वजह से उसने ...Read More

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प्रेम का कमल - 2

यूँ तो ठाकुर परिवार की सुबह हमेशा की तरह होती थी पर आज की सुबह कुछ ख़ास थी आज घर के चश्मों चिराग अपनी दो बहनों के एक लौते भाई और अपने माता पिता के लाडले बेटे नीरज का जन्मदिन था। आज ठाकुर मेंशन फूलों और लाइट से सजा हुआ था और किसी राज दरबार से कम नही लग रहा था माँ ने गले मे नौ लखा हार गले मे पहना हुआ था माथे पर चमकदार बिन्दी और बदन पर लाल सफेद साड़ी पेहने वो किसी रहज माता से कम नही लग रही थी। वह हाथ मे पूजा की ...Read More

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प्रेम का कमल - 3

जब नीरज तैयार होकर नीचे गया तो उसकी माँ ने रास्ते के लिये लज़ीज पकवान बनाये फिर नीरज से कि उन्हे वह अपनी कार में मंदिर छोड़ दे। नीरज मान गया। जब तक उसकी माँ तैयार होकर आती तब तक वो अपना खाना नाश्ता खाने लगा माँ ने उसकी पसंद का हलवा और आलू पूरी बनाया था वो उसे बड़े चाव से खाने लगा। खाते खाते उसने रामदीन को आवाज़ लगाई"रामदीन गाड़ी साफ करदो एयरपोर्ट जाना है"। रामदीन उसके घर का ड्राइवर था वह सफेद यूनीफॉर्म पहने एक मुस्कान के साथ अंदर आया बोला "जी साहब गाड़ी की चाबी ...Read More

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प्रेम का कमल - 4

उस रात नीरज सो नहीं पाया। उसके आँखो के आगे नीलिमा का ही चेहरा घूम रहा था। जिसके चलते रात भर करवट बदल रहा था। जैसे तैसे उसे 4 बजे नींद आई तो 5बजे वेक अप अलार्म बज गया। वह धीरे- धीरे आँख मलता हुआ उठा तैयार हो कर अपने तम्बू से बाहर निकला तो वह नीलिमा से टकरा गया। तब उन दोनों की आंख पहली बार चार हुई थी। पहली बार चार हुई थी। नीलिमा का संतुलन बिगड़ गया और वह उसके बाहो में आ गिरी नीरज उसकी सुराई दार गर्दन से अपनी नजरे हटा नही पा रहा ...Read More

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प्रेम का कमल - 5

इतना कह कर नीलिमा वहां से चली गयी पर नीलिमा की यह बात मानो वहां की वादियां बार बार रहीं थीं। जिसको सुनकर नीरज स्तब्ध रह गया उसके कानों में बस नीलिमा की आवाज गूंज रही थी"हम गरीबो के लिए जान की कीमत अनमोल होती है। तुम अमीर क्या जानो जान की कीमत अपने पैसे अपने पास रखो क्योंकि जब भी तुम इन पैसों को देखोगे तुम्हें याद रहेगा कि तुम्हारी जिंदगी किसी गरीब की कर्जदार है। ये मेरा एहसान रहा तुमपर। " उसकी गरीबो को लेकर जो विचार धारा थी वो बदलने की ओर इशारा कर रही ...Read More

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प्रेम का कमल - 6

फिर एक दिन मंगलवार की सुबह थी मार्च की हल्की सी ठंड में सूरज देवता भी मुस्कुरा रहे थे। रोज की तरह अपनी माँ के साथ दिल्ली के हनुमान मंदिर में दर्शन करने के बाद नीलिमा को कॉलेज के लिये पिक करने के लिए पहोंचा नीलिमा नीरज के बगल की सीट पर आकर बैठी हर रोज की तरह नीलिमा की सादगी नीरज के दिल को धड़का रही थी। नीलिमा उस दिन सादे कपड़ों में ही थी। फिर भी उसकी खूबसूरती नीरज को उसका दीवाना बना रही थी। उन्होंने अपने जीवन को लेकर कई फैसले लिये। उन्होंने बाते करते करते ...Read More