ये बात आज से बहुत पहले की है जब सामाजिक कुरीतियों और वीभत्स प्रथाओं का समय हुआ करता था। उस समय एक राज्य था नागोनी होरा, ये एक आदिवासी राज्य था यहाँ उस समय सभी प्रकार की सामाजिक कुरीतियाँ और प्रथाएँ प्रचलन में थीं। इस राज्य के भौगोलिक आकर की वजह से इसका नाम नागोनी पड़ा क्योंकि उसका आकार ऐसा था जैसे कई सारी नागिन अपने बिल में से निकल कर भाग रही हों और इसका अंतिम नाम होरा यहाँ राज करने वाले आदिवासी राजा की जाति के आधार पर रखा गया। यहाँ के राजा का नाम था तेम्बू होरा, वो यहाँ अपनी बेटी कस्तूरी, बेटा हलक और कई सारी पत्नियों के साथ रहता था, उसकी प्रमुख पत्नी का नाम सुहागा था। राजा तेम्बू को देख कर ही उसके क्रूर और वहसी होने का पता लगता था, उसका चेहरा कई जगह से कटा हुआ था पर एक निशान जो दाई आँख के ऊपर माथे से चालू होकर उसकी नाक को पार करता हुआ बाएँ गाल के आखिर तक जाता था, उसे देख कर कोई भी उसकी दहशत में आये बिना नहीं रह सकता था। तेम्बू होरा के मंत्री भी उसी की तरह खूंखार और दरिंदे थे इनमें सबसे ज्यादा बदनाम और कमीना मंत्री था सुकैत, इसी राज्य में एक ओझा भी था जिसे बहुत सी काली शक्तियां प्राप्त थीं, राजा भी इसकी राय के बिना कोई काम नहीं करता था और पूरा राज्य इससे खौफ खाता था इसका नाम था हरेन। राजा अपने सभी काम बहुत ही गुप्त तरीके से किया करता था, यहाँ तक की इनका ये राज्य भी गुप्त था। सिर्फ नागोनी होरा के लोगों को ही इस राज्य के बारे में जानकारी थी इसके अलावा संसार और कोई भी नहीं जानता था की इस नाम का कोई राज्य भी है, और अगर कोई भूल से भटक कर इस राज्य की तरफ आ जाता था वो फिर बच कर बापस नहीं जा सकता था।
प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 1
प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 01 ये बात आज से बहुत पहले की है जब सामाजिक कुरीतियों और वीभत्स प्रथाओं का हुआ करता था। उस समय एक राज्य था नागोनी होरा, ये एक आदिवासी राज्य था यहाँ उस समय सभी प्रकार की सामाजिक कुरीतियाँ और प्रथाएँ प्रचलन में थीं। इस राज्य के भौगोलिक आकर की वजह से इसका नाम नागोनी पड़ा क्योंकि उसका आकार ऐसा था जैसे कई सारी नागिन अपने बिल में से निकल कर भाग रही हों और इसका अंतिम नाम होरा यहाँ राज करने वाले आदिवासी राजा की जाति के आधार पर रखा गया। यहाँ के राजा का ...Read More
प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 2
प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 02 “तो तुम चाहते हो की वो बच्चा तुम्हें दे दिया जाए जिससे की तुम्हें और पत्नी को बच्चे का सुख मिल सके और बुढ़ापे की एक उम्मीद, सही कहा मैंने” तेम्बू कुमार की बात पूरी सुने बिना ही बोल पड़ा। अब आगे, “जी सरदार, अगर आप हाँ करें तो” कुमार सिर्फ इतना ही कह पाया। तेम्बू ने अपने मंत्री को उस लड़के को सभा में लेकर आने को कहा, कुछ ही समय बाद वो लड़का सभा के बीचों-बीच खड़ा था। “क्या ये वही लड़का है कुमार?” तेम्बू ने कुमार की ओर देखते हुए पूछा। “ ...Read More
प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 3
हरेन एक मांसल शरीर का स्वामी है और उसका रंग बिल्कुल काला है, चेहरे पर नाक बहुत ही बड़ी ऐसा लगता है की उसे अलग से लगाया गया हो उसकी आँखें हमेशा लाल रहती हैं, उसके शरीर की बनावट, उसका रंग, चेहरे पर अजीब सी नाक और लाल आँखों की वजह से वो बैसे ही बहुत भयानक दिखता है उस पर वो इस समय अपने घर पर नंगा, पसीने से नहाया जिस बेढंगी मुद्रा में बैठा है उसे देख कर सुभ्रत भय से कांप गया। अब आगे - इतनी सुंदर और मादक स्त्री सुभ्रत ने कभी स्वप्न में भी ...Read More
प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 4
प्रेमी-आत्मा मारीचिका 04 सुभ्रत का शरीर एक रोमांच से भरा हुआ था, उसके अंदरूनी अंगों में खून का संचार तेज गति से हो रहा था, इस हालत में कस्तूरी का उसे छोड़ कर चले जाना उसे सही नहीं लगा, पर करता भी तो क्या? अपने मन को मसोस कर वो वहां से चला जाता है। अब आगे... सूरज देवता अपनी रौशनी की छटा को समेट कर रात की चाँदनी के आगोस में आने को बेताब हो कर अस्त होने की कोशिश में थे और उधर दूसरी तरफ सुभ्रत शाम से ही रेत के एक टीले पर बैठा है जहाँ ...Read More
प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 5
प्रेमी आत्मा मारीचिका - 05 घर पहुँच कर भी उसका गुस्सा कम नहीं हुआ, उसकी मूँह बोली माँ उसे कर बहुत प्यार से बोली “आ गया बेटा, कहाँ था अब तक”। “कहीं नहीं बस अपना हक मांगने गया था” सुभ्रत गुस्से में तमतमाता हुआ बोला। “हक कैसा हक, माना की तु नागोनी होरा की मिटटी से पैदा नहीं हुआ पर बचपन से लेकर आज तक यहाँ रहते हुए तूने यहाँ के सारे रीत -रिवाज तो देखे ही हैं, तूं बहुत अच्छे से जानता है की सरदार के खिलाफ जाना मतलब मौत के मुंह में हाँथ डालने के बराबर है।(ये ...Read More
प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 6
अगर सुभ्रत पहले से उसके इस वार को पहचान नहीं लेता तो इस बार उसकी हड्डियों का चूरमा बन होता, हरेन के वार करते ही सुभ्रत दूसरी दिशा में उछल गया इससे उसे चोट तो लगी पर उससे से कम जो उसे हरेन के उस लोहे के बैंत से लग हरेनथी। “कौन.....कौन...मधुलिका? हरेन” अपनी पूरी ताकत से लगभग चिल्लाते हुए सुभ्रत ने हरेन से पुछा। अब आगे ...........प्रेमी आत्मा मरीचिका - ०६ “हरामीसाले, उसका लहजा कहर भरा था वो नथुने फूला-फुलाकर हवा में किसी जानी-पहचानी बूं को सूंघने लगा था। सुबह के धुंधले में सुभ्रत की मुंहबोलीमाँहमेशा की तरह ...Read More
प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 7
इस वक्त मधुलिका का हसीन वजूद उसके अहसासों पर छाता जा रहा था। मुंहबोली प्यारी मां की मौत का अनजाने में कहीं गहराइयों में जा सोयाथा। अब आगे - प्रेमी आत्मा मरीचिका - भाग ०७ फिर अचानक उसे मधुलिका नजर आ गई थी अपने शाही अदाज में होंठों पर अजीब-सी मुस्कान लिए। घर में जमा भीड़ के पीछे वो कुछ ऊंची नजर आ रही थी, जैसे किसी पत्थर वगैरह पर खड़ी हुई हो। उसको देखते ही सुभ्रत के होंठ सिकुड़ गए। खून का दौरा उसके बदन में सनसनाहट पैदा करने लगा था और वो बेचैन होकर अपनी जगह से ...Read More
प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 8
अचानक सुभ्रत के दिमाग में धमाका हुआ। उसके इस सवालने सुभ्रत को अंधे बूढ़े और रहस्यम हरेन की याद दी वो जिसने मधुलिका की खातिर उसे सजा दी थी और जिसके खण्डहरके दायरे में सुभ्रत इस वक्त भी मौजूद था। अब आगे - प्रेमी आत्मा मरीचिका - भाग ०८ "सूरज निकलने से पहले हरेन मेरे घर पर आया था।" सुभ्रत की आवाज अचानक लरजने लगी थी - "उसे तुम्हारी तलाश थी। रात तुम मेरे ख्वाब में आई थीं और हरेन ने मुझे उसकी कड़ी सजा दे डाली थी।' "हरेन...।" वो मुठ्ठियाँभींचकर नफरत से बोली। फिर उसकी नजरें सुभ्रत के ...Read More
प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 9
"अब मैं बस्ती में जाकर चीख-चीखकर लोगों सें बताऊंगा कि हरेन ने तुम्हें कैद कर रखा है।' सुभ्रत जोशीले में बोला था - "हरेनकातिलिस्म टूटकर रहेगा और मैं तुम्हें अपनी जीवन साथी बना लूंगा।" अब आगे.....प्रेमी आत्मा मरीचिका - भाग ०९ "नहीं... नहीं...सुभ्रत ऐसा न करना ।" वो अचानक बौखला गई थी। "तुम्हीं ने बताया था न...?" सुभ्रत विजयीदम्भ से बोला- "जिस दिन नागोनीके हर वासी को मालूम हो गया कि हरेन ने तुम्हें कैद कर रखा है, तो तुम्हें इस कैद से छुटकारा मिल जाएगा।" "हां। यह सच है।" बो सुभ्रत के गले मैं बाहें डालते हुए बोली- ...Read More
प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 10
उसने खुद स्वीकार किया था, अपनी दिल दहला देने वाली दास्तान सुनाई थी, मोहब्बत के वादे इरादे किए थे यह कस्तूरीकहां से आ गई। अब आगे ............प्रेमी आत्मा मरीचिका - भाग १० "लानत हो मेरे मुकद्दर पर!" सरदार तेम्बूजुनून में अपना मुंह पीटता हुआ बोला था -"तूने मेरी लड़की की आबरू को दागदार किया है। मगर मैं खुद तुझ पर हाथ नहीं उठा सकता।" तेम्बूके इन शब्दों ने सुभ्रत को वस्तुस्थिति का अहसास दिला दिया। वर्ना वो तो घबराहट में कस्तूरीके साथ किसी भी शारीरिक सम्बन्ध से इंकार करने वाला था। यहां के रिवाज के अनुसार नागोनीमें अगर कोई ...Read More
प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 11
सुभ्रत खामोश ही रहा। सरदार फिर बोला-"महीने की आखिरी रात को तेरी जिंदगी का साज खामोश हो जाएगा और कस्तूरी को चौपाल में पहुंचा दिया जाएगा, क्योंकि जिन दासियों के मालिक मर जाते हैं, वो भी लावारिस ही कहलाती है।" तेम्बूने जमीन पर पड़ी हुई कस्तूरी की तरफ देखते हुए कहा। कस्तूरी जमीन पर रेत में मुंह औंधा किए रोये जा रही थी । अब आगे..........प्रेमी आत्मा मरीचिका - भाग ११ "नहीं।" सुभ्रत नै ठोस लहजे में कहा- "पांच महीने तो इंतजार करना ही होगा। कौन जाने तब तक कस्तूरी की कोख में मेरा वारिस पनपना शुरू हो जाए ...Read More