मित्रों, मैंने प्रस्तुत ग्रन्थ भक्ति माधुर्य का अनुपम रसास्वादन करने हेतु लघु का प्रयास किया है | इसमें रामचरित मानस के सुन्दरतम भक्ति भाव से पूर्ण अन्यतम प्रसंग दिऐ गए हैं | मै बचपन से रामायण का पाठ सस्वर कीर्तन करते हुए किया करता था | यद्यपि मुझे इस महान ग्रन्थ की गहरी समझ नही थी फिर भी मेरा मन चौपाइयाँ गाते हुए भक्तिभाव में ऐसा लीन हो जाता था कि पाठ के दौरान मेरे अश्रु रोके नहीं रुकते थे | मुझे सुतीक्ष्ण मुनि प्रसंग बहुत ही पसंद है जिसमे जब मुनि श्रीराम के उनके आश्रम की ओर आगमन का समाचार सुनते हैं तो वे श्रीराम के दर्शन भर की कल्पना से आनंद में लीन होकर अपनी सुध बुध खो बैठते है| जब श्रीराम ने उनके भावावेश की अवस्था देखी तो वे मुनि के ह्रदय में प्रकट हो गए | सुतीक्ष्ण मुनि भगवन के गहन ध्यान में इस कदर लीन हो जाते हैं कि स्वयं प्रभु के जगाने पर भी नहीं जागते | रामचरित मानस के अतिरिक्त मैंने महाकवि सूरदास, मीरा, रसखान, कबीर आदि महाकवियों के काव्याम्रत को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है | मित्रों ! मैंने भारत की महा विभूति आदि गुरु शंकराचार्य की सुन्दरतम व वेदांत के गूढार्थ को स्पष्ट करती अत्यंत मनोहर रचना “ निर्वाण षटकम “ को पाठकों के ज्ञानार्जन हेतु उध्रत किया है |
Full Novel
भक्ति माधुर्य - 1
ब्रजमोहन शर्मा समर्पण : भगवान शिव के श्री चरणों में यह पुष्प समर्पित ॐ नमः शिवाय भूमिका, मैंने प्रस्तुत ग्रन्थ भक्ति माधुर्य का अनुपम रसास्वादन करने हेतु लघु का प्रयास किया है | इसमें रामचरित मानस के सुन्दरतम भक्ति भाव से पूर्ण अन्यतम प्रसंग दिऐ गए हैं | मै बचपन से रामायण का पाठ सस्वर कीर्तन करते हुए किया करता था | यद्यपि मुझे इस महान ग्रन्थ की गहरी समझ नही थी फिर भी मेरा मन चौपाइयाँ गाते हुए भक्तिभाव में ऐसा लीन हो जाता था कि पाठ के दौरान मेरे अश्रु रोके नहीं रुकते थे | ...Read More
भक्ति माधुर्य - 2
2राम हनुमान प्रथम मिलनयह प्रसंग रामायण का अत्यंत ही मधुर अमृतमय प्रसंग है | “ आगे चले बहुरि रघुराया रूप स्वामि भगवंत |” ( श्किन्धाकांड ) जब राम व लक्ष्मण सीता को ढूंढते हुए रिष्यमूक पर्वत के समीप से गुजरते हैं तो उन दो महावीर योद्धाओं को देखकर वानर राजा सुग्रीव बहुत भयभीत होता है | वह हनुमान से कहता है, “ अरे हनुमान तुम अपना वेश बदलकर जाकर पता करो कि ये दो योद्धा कौन है ? कहीं बालि ने तो इन्हें मुझे मारने के लिए यहाँ नहीं भेजा है ? यदि ऐसा हुआ तो तुम दूर से ...Read More
भक्ति माधुर्य - 3
3 राम सुग्रीवरामायण का यह प्रसंग अत्यंत मधुर भक्तिभाव से पूर्ण अमृत है | ( रामायण महाअमृत) महाकाव्य रामायण एक अन्य बड़ा सुंदर प्रसंग " राम सुग्रीव प्रथम मिलन " जो भक्तिभाव व वैराग्य से पूर्ण अत्यंत रोमांचक आख्यान है । यह का महामधुर अमर काव्य रचना है | जब सुग्रीव राम कहु देखा ........ सखा बचन मम मृषा न हाई ।" हनुमान, राम लक्ष्मण की निर्वासित वानर राजा सुग्रीव से भेंट कराते हैं। वे दोनों पक्षों में गहरी मित्रता करवा देते हैं | तब लक्ष्मण ने सुग्रीव को श्रीराम की व हनुमान ने राम को सुग्रीव की समस्या ...Read More
भक्ति माधुर्य - 4
4 हनुमान विभीषणरामायण ( महा अमृत ) के सुंदरकांड में एक प्रसंग हनुमान विभीषण प्रथम मिलन भक्तिभाव से ओतप्रोत बड़ा सुन्दर प्रसंग है | हनुमान सीता की खोज में लंका में इधर उधर भटक रहे हैं तभी उन्हें एक बड़ा ही सुन्दर घर दिखाई देता है | उस निवास के द्वार पर राम नाम लिखा हुआ है व बाहर एक तुलसी का पौधा लगा हुआ है । “रामायुध अकित ग्रह.... पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा। " हनुमान विस्मय करते हुए मन ही मन विचार करते हैं कि निशाचरों की नगरी इस लंका नगरी में किसी सज्जन भक्त का निवास कैसे ? ...Read More
भक्ति माधुर्य - 5
5 “सुतीक्ष्ण मुनि”अरण्यकाड का “सुतीक्ष्ण मुनि “ अत्यंत मधुर सर्वश्रेष्ठ प्रसंग, “ॠषि अगस्त्य कर शिष्य सुजाना .... निज आश्रम आनि करि पूजा विविध प्रकार ।“ जब मुनि सुतीक्ष्ण भगवान श्रीराम के उनकी कुटिया की ओर आगमन की खबर सुनते है, तो उनके दर्शन की अभिलाषा में वे अपनी सुधबुध खो बैठते हैं | वे राम से मिलने दौड़ पड़ते है। उनके मन में तरह तरह के विचार आते हैं | उनके मन में रह रहकर अनेक प्रकार के संदेह उठते हैं 'मैं प्रभु के दर्शन के अयोग्य हूं, मेरा मन मलिन है। मैं न तो भजन, न विधिवत पूजा, ...Read More
भक्ति माधुर्य - 7
7सूरदास – भक्ति रस परम माधुर्य अब हों नाच्यौ बहुत गोपाल। काम क्रोध कौ पहिरि चोलना, कंठ विषय की महामोह के नूपुर बाजत, निन्दा सब्द रसाल। भरम भरयौ मन भयौ पखावज, चलत कुसंगति चाल॥ तृसना नाद करति घट अन्तर, नानाविध दै ताल। माया कौ कटि फैंटा बांध्यो, लोभ तिलक दियो भाल॥ कोटिक कला काछि दिखराई, जल थल सुधि नहिं काल। सूरदास की सबै अविद्या, दूरि करौ नंदलाल॥ भावार्थ : संसार के प्रवृति मार्ग पर भटकते-भटकते जीव अंत में प्रभु से कहता है, तुम्हारी आज्ञा से बहुत नाच मैंने नाच लिया। अब इस प्रवृति से मुझे छुटकारा दे दो, ...Read More
भक्ति माधुर्य - 6
6 सूरदास की सुंदरतम कवितामहाभक्त कवि सूरदास ने जन्मांध होने के बावजूद भगवान कृष्ण के नखशिख रुपमाधुर्य का बड़ा वर्णन किया है। उनकी एक सुंदर रचना का आनंद उठाइये - " हरि को बदन रूप निधान। छसन दाडिम-बीज राजत कमल कोष समान। नैन पंकज रूचिर द्वै दल चलन भौहिनि बान।1। मध्य श्याम सुभाग मानौ अली बैठ्यो आन। मुकुट कुंडल किरन करननि किए किरन को हान।2। नासिका मृग तिलक ताकत चिबुक चित्त भुलान। सूर के प्रभु निगम बानी कौन भांति बखान “।3। सरलार्थ श्याम का मुख रूप का खजाना है। उनकी दंतावली ऐसी सुशोभित हो रही है जैसे अनार के ...Read More
भक्ति माधुर्य - 8
8 रसखान महाअम्रत रसखान एक मुस्लिम कवि थे किन्तु कृष्ण प्रेम में लीन होकर उन्होने जो कविताएं लिखी हैं काव्यजगत की अनुपम धरोहर है। हम उनकी भगवान कृष्ण से प्रथम भेंट की अत्यंत रोमांचक दास्तान प्रस्तुत कर रहे है। ऐक दिन महाकवि रसखान एक पान की दुकान पर पान खाने गऐ। पान की दुकान पर कृष्ण के बाल स्वरूप का फोटो लगा था। रसखान उस फोटो को देखकर अत्यंत मोहित होकर अपनी सुधबुध खो बैठे | उन्होंने पान वाले से पूछा, “'भाई! यह सुंदर बालक कौन है? इसके नन्हे सुंदर पैरों में जूते क्यों नहीं है?' पानवाले ने मजाक ...Read More
भक्ति माधुर्य - 9 - अंतिम भाग
9 ऐक अंगेज पुलिस आफिसर को उपदेश,रमण महर्षि 2महर्षि अनेक वर्षों से विरूपाक्ष गुफा में ध्यान में लीन थे एक दिन एक अंग्रेज पुलिस ऑफिसर को महर्षि मुंबई रेलवे स्टेशन पर दिखाई दिए | वह आश्चर्य ही कर रहा था कि उसका ट्रान्सफर थिरुवान्नामलाई के समीप हो गया | वह तंत्र मंत्र का साधक था | उसे संस्कृत पढ़ाने एक विद्वान् पंडित गणपत मुनि आया करते थे | उसे सपने में ऐक साधू किसी गुफा में ध्यानमग्न बैठे दिखाई देते थे | उसने उस साधू व गुफा का चित्र बनाकर अपने गुरु को बताया | गणपत मुनि ने कहा, ...Read More