लेखांक – १ मुंबई से रात को निकली बस की ये सवारी सुबह की पहली किरन के साथ अपने आखरी मुकाम तक पहुच चुकी थी शहर की भीड़ में बसने अपनी रफ़्तार कम कर ली थी सुबह की धुप के साथ ये शहर मानो फिर से सजने लगा था मुंबई से भले ये छोटा शहर हो मगर यहाँ पर भी लोग सुबह में लोग घर छोड़कर रास्तो पर निकल आये थे, कोई दौड़ रहा था तो कई लोग मिलके सुबह की चाय का आनंद ले रहे थे घर में बीबी के हाथ की चाय भले ही
Full Novel
अच्छाईयां
लेखांक – १ मुंबई से रात को निकली बस की ये सवारी सुबह की पहली किरन के साथ अपने मुकाम तक पहुच चुकी थी शहर की भीड़ में बसने अपनी रफ़्तार कम कर ली थी सुबह की धुप के साथ ये शहर मानो फिर से सजने लगा था मुंबई से भले ये छोटा शहर हो मगर यहाँ पर भी लोग सुबह में लोग घर छोड़कर रास्तो पर निकल आये थे, कोई दौड़ रहा था तो कई लोग मिलके सुबह की चाय का आनंद ले रहे थे घर में बीबी के हाथ की चाय भले ही ...Read More
अच्छाइयां - 2
भाग – २ सूरजने सालो बाद अपने कोलेज आया | वे अपनी उम्मीदे लेकर और सालो बाद सबसे मिल वो सोचकर जल्दी सबसे मिलाना चाहता था... मगर सूरज नहीं जानता था की अब उनकी जिन्दगी बदल चुकी है.... क्या सूरज को अपना पुराना प्यार मिल पायेगा ? क्या सूरज फिर से वैसी ही जिंदगी जी पायेगा जो वो पहले जीता था ? और क्या उसका बिता हुआ कल आज भी उनके आनेवाले भविष्य को प्रभावित करेगा? ...Read More
अच्छाईयां - 3
भाग – ३ सूरजने सालो बाद उनका पहला कदम कोलेज के अंदर रखा | काफी छोटा था जब वो कोलेज में पहलीबार आया था, आज फिर उन्हें वो दिन याद आये | उसवक्त दादाजी उसे यहाँ ले के आये थे, उन्होंने ही मुझे सड़को की दुनिया से मुक्त किया था, उसवक्त मेरी इतनी समझ थी की दुनिया के लोग जहा भी ले चले वहा चलते जाना है | मेरे बाबा हाथमें एकतारा लेके वो प्यारा सा गीत गाते थे और वो धून मुझे भी शिखाते थे | आज तेरा कोई न हो तो कल तेरा जहाँ होगा तुझे बस ...Read More
अच्छाईयां -४
भाग – ४ सूरज अब अपने काम में खो गया | कोलेज में कुछ कुछ छात्र आ रहे थे, सूरज को देख रहे थे मगर वो कोई पियानो ठीक करनेवाला होगा ऐसा सोच के अपने अपने क्लास की ओर चले जाते थे | करीब दो घंटे निकल गए... सूरज वो पियानो में फिरसे जान भर देना चाहता था, वो हरएक सूर को सही करके अपना कम कर रहा था.... और आखिरकार उनको सफलता मिल ही गई | दूरसे एक छोटी लड़की सूरज को ही देख रही थी... वो करीब चार-पांच साल की होगी... उनके हाथोमें छोटी सी बांसुरी थी, ...Read More
अच्छाईयां - ५
भाग – ५ सूरज की आँखे विश्वास नही कर पाई की ये आवाज उनकी हो सकती है ? सूरज ओर देख के हैरान हो गया...!! सूरज को लगा की उनकी आँखोंमें जो आजतक प्यार ही प्यार था वहा से आज अंगारे उगल रहे थे | सूरजने उनकी आवाज और उनकी आँखों का गुस्सा नजर अंदाज किया और वो पास जाकर उनके पैरोमें बैठ गया, वैसे ही जैसे वो जब छोटा था तब बैठा करता था....! उनके पैरो की छाँव में सूरज को शुकून मिलाता था | वो उसके प्यारे दादाजी पंडित दीनानाथजी थे | सूरजको पैरोमें बैठता हुआ और ...Read More
अच्छाईयां - 6
भाग – ६ सूरज सुनने को बेताब था की कोलेज की ऐसी हालत किसने की...? मगर दादाजी कुछ देर चुप रहे तो सूरज को दादाजी की खामोशी बैचेन करने लगी, उससे रहा न गया इसलिए वो बोला, ‘ मैंने देखा की मेरा नाम सुनते ही सारे स्टूडेंटस मुझे नफ़रत करने लगे.... मैंने देखा की कोलेज पहले जैसा नहीं है, यहाँ संगीत नहीं है... यहाँ पहले जैसी खुशीयाँ नहीं है... मुझे यहाँ सब बदलाबदला सा लगता है....! ऐसा क्यों...?’ सूरज फिर चुप हो गया दादाजी की आँखे अब सूरज पर थी, वो सूरज को अपने दिल की बाते सुनाना ...Read More
अच्छाईयां – ७
भाग – ७ सूरज और दादाजी दोनोंने ऊपर बालकनीमेंसे देखा तो कोलेज के नीचे बगीचेमे कुछ गुंडे लड़कीओ परेशान कर रहे थे, सूरजने तुरंत ऊपरसे ही छलांग लगाईं और जहा ये लोग खड़े थे उस बिच पहुँच गया | वो बदमाशोमें से कुछ तो शराबी थे और कुछ अपनी मनमानी कर रहे थे, उनकी बातो से लगता था की वे इस जगह पे पहले भी आ चुके थे और उन्हें किसी का डर नहीं था | वहा से दूर खड़े कोलेज के कई लडके उनको देख रहे थे, सूरज से ये सहा नहीं गया और उसने तुरंत सामनेवाले दो ...Read More
अच्छाईयां – ८
भाग – ८ करीब छ घंटे पहले सूरज जब कोलेज आया था तो सालो के बाद फिर अपनो मिलने और अपनी जिन्दगी सजाने के सपने उसके दिलमे उछल रहे थे, मगर अभी वो अपनी सारी उम्मीदे छोड़कर और अपने सपनो को तोड़कर उस कोलेज से दूर अनजान राहो पर चलने लगा |सरगम से वो मिल नहीं पाया, उसका तो उम्रभर साथ रहने का वादा था मगर वो भी साथ छोड़कर चली गई, दादाजी आज उन्हें कोलेजमे रखना भी नहीं चाहते थे | कोलेज के हालत बिगड़ चुके थे और इस सबका जिम्मेदार सूरज खुद था ऐसा सब मान चुके ...Read More
अच्छाईयां – ९
भाग – ९ गुलाबजामुन का नाम लेते ही छोटू के चहेरे पर अलग सी मुश्कुराहट छा गई थी | कुछ कहने ही वाला था तभी सामने रेलवे स्टेशन पर ट्रेन आने की व्हिसल बजी तो उसने अपनी बात बदल दी और वो बोला, ‘अभी मेरे धंधे का वक्त हो गया है.... मैंने तुम्हारा ये तुनतुना बजानेवाला स्टाइल देखा अब तु मेरा स्टाइल देख |’ वो कुछ दिखाने जा रहा था | छोटूने अपने पायजामे की जेब से एक कोयला निकाला और उसको अपने हाथ पे रगड़कर फिर अपने हाथो को चहेरे पर कही कही जगह पे लगाने लगा, वो ...Read More
अच्छाईयां – १०
भाग – १० सूरज जब गुलाबजामुन से मिलकर निकला तो कई सारे सवाल खड़े हो गए थे | गुलाब से वो पहले कभी मिला नही था, बदमाशो से भी वे कभी मिला नहीं फिरभी इतने सालो बाद ये सब मुझे कैसे जानते है ? छोटू और ये बच्चे को भीख मंगवानेवाला उनका उस्ताद भी इन सबके साथ जुड़े हुए है क्या ? सूरज को इन सारे सवालों के जवाब के लिए अब रात होने का इंतज़ार था | वैसे तो वे सारे रिश्ते नाते छोड़कर सुबह से ही निकल चुका था मगर गुलाबजामुन से मिलने के बाद उसको लगा ...Read More
अच्छाईयां – ११
भाग – ११ अब तक आपने देखा की.... सूरज को फुटपाथ से नई जिन्दगी देनेवाले उनके दादाजी दीनानाथ भी नफ़रत करने लगे थे | संगीत की विश्व की प्रतियोगितामे फर्स्ट होने के बाद उनको ड्रग्स सप्लाय में पाच साल केद हुई थी | उनका अतीत आज भी उनका पीछा नहीं छोड़ रहा था | वो फिर फुटपाथ पे आ गया वहा उनकी मुलाक़ात छोटू और फिर गुलाब जामुन से हुई और उनकी जिंदगी के कई सवाल खड़े हो गए...... अब आगे.... ‘सुगम..... बेटा सुगम.... कहाँ गई...? देख मम्मी तेरे लिए क्या लाइ है ?’ सरगमने घरमें आते ही सुगम ...Read More
अच्छाईयां – १२
भाग – १२ अब तक आपने देखा की.... सूरज को फुटपाथ से नई जिन्दगी देनेवाले उनके दादाजी दीनानाथ भी नफ़रत करने लगे थे | संगीत की विश्व की प्रतियोगितामे फर्स्ट होने के बाद उनको ड्रग्स सप्लाय में पाच साल केद हुई थी | उनका अतीत आज भी उनका पीछा नहीं छोड़ रहा था | वो फिर फुटपाथ पे आ गया वहा उनकी मुलाक़ात छोटू और फिर गुलाब जामुन से हुई और उनकी जिंदगी के कई सवाल खड़े हो गए...... अब आगे.... सरगम को निंद नहीं आ रही थी | दादाजी भी आज बैचेन थे | वो आज की कोलेज ...Read More
अच्छाईयां – १३
भाग – १३ छोटू के चहेरे पर खुशिया झलक रही थी | उसने दो तीन बार पैसे गिन भी | उसकी खुशी का कारन ये था की आज उन्हें अच्छे पैसे मिले थे | पैसे ज्यादा मिलते ही कल्लूदादा की महेरबानी हो जाती थी | मगर छोटू इस महेरबानी को लेना नहीं चाहता था इसलिए कुछ पैसे अपने दोस्त रंगा को दिए और कुछ रुपये छीपा के रख दिए | उनको पता था की कल्लू के पास जो पैसे जाते थे वो फिर कभी वापस नहीं आते थे | कल्लू दाहिने पैर से लंगड़ाता था और देखने में भी ...Read More
अच्छाईयां – १४
भाग – १४ सूरज कल सुबह कितनी उम्मीदे लेकर आया था... मगर आज तो उनकी सारी उम्मीदे टूट चुकी प्यार और अपनापन पाने की ख्वाहिश में वो कई साल के बाद वापस आया था मगर उन्हें कही से अपनापन नहीं मिला दादाजीने और कोलेज के सभी लोगोने सूरज को अपनी जिन्दगी से दूर कर दिया था सूरज सोचता था की सरगमने भी शादी करली तो फिर दूसरे का तो क्या भरोसा ? सुगम, सरगम की प्यारी बच्ची थी, सूरज और सरगम दो शब्द मिलके सुगम का नाम बनता था सालो पहले एक दिन जब सरगम ...Read More
अच्छाईयां – १५
भाग – १५ जैसे जैसे गुलाबो के मुह से लब्स निकलते गए वैसे वैसे सूरज सच्चाई को समजमें | गुलाबो कह रही थी, ‘ देख सूरज, ये पुलिस इन्स्पेक्टर सही में कोई पुलिस वुलिस नहीं है, वो भी पप्पू का आदमी था | ये सब पप्पू की चालाकी है | यदि लड़की सही तरीके से मान जाए तो ठीक है वरना ऐसा भी ड्रामा कर लेते है |’ ‘मगर इससे क्या होगा?’ सूरज अभी समझ नहीं रहा था | ‘वो लड़की अब उस पुलिस पर पूरा भरोसा करेगी | वो अब वहां जायेगी जहाँ ये नकली पुलिसवाला उसे ले ...Read More
अच्छाईयां – १६
भाग – १६ इधर गुलाबो चिंता में थी की सूरज का क्या हुआ होगा ? जब से बच्चू की का आदमी मारा गया तो इसके लिए वो कुछ न कुछ तो जरुर करेगा | उधर सूरज उस लड़की को उसकी सही जगह पर छोडकर कुछ दिन उस शहर से दूर रहना चाहता था | उसने भी नहीं सोचा था की वो आदमी सीधा पत्थर पे गिरेगा और मर जाएगा | और सरगम भी सूरज की फिक्र कर रही थी | सूरज कोलेज में आया था मगर फिर भी वो उसे इतने दिनों तक मिलने क्यूँ नहीं आया ? दादाजी ...Read More
अच्छाईयां – १७
भाग – १७ सरगम कोलेज गई तो उसके टेबल पर एक लिफाफा आया हुआ था | सरगमने खोला और तो पता चला की इस साल उस ही देश के शहरमें विश्व की सबसे बड़ी संगीत प्रतियोगिता होनी वाली है.... सालो पहले ऐसी ही बात हुई थी और तभी सूरजने उसकी जिम्मेवारी अपने सर पर ले ली थी | सूरज ने सबको साथ रखा था और वो प्रतियोगिता जीतने का सबको सपना दिखाया था | सरगम उन पुरानी यादो में खोने लगी, ‘पिछले साल इस कोलेज से स्पर्धा के लिए जो स्टूडेंट चुने गए थे जिसमे सूरज, रज्जू, गुंजा, मुस्ताक, ...Read More
अच्छाईयां – १८
भाग – १८ उस रात के हादसे से बच्चू के आदमी की जान चली गई थी इसलिए सूरज से कुछ दिन दूर ही रहा | बच्चू और उसके गूँडे लड़की को कही से भी खोज निकालेंगे और उसके जरिए मुझ तक पहुँच शकते है इसलिए उसने अँधेरे में ही लड़की को उसके सही ठिकाने पर पहुंचा के वो तुरंत ही वहा से निकल चूका था | वह लड़की को खुद का नाम और पता भी नहीं दिया था और खुदने भी उसका नाम-पता भी नहीं पूछा था, क्युंकी सूरज जानता था की शायद वो लड़की को फिर से बच्चू ...Read More
अच्छाईयां – १९
भाग – १९ गुलाबो के घर से निकलते ही सूरज अनवर का चहेरा देख चूका था ‘तो ये है अनवर....! और गुलाबो मुझे इनसे दूर रहने के लिए चेतावनी दे रही थी ’ सूरज की आँखे गुस्से से लाल हो गई और अपनी उंगलिया मुठ्ठीमें दबा के बंध कर ली उस दिन जब वो जेल से निकला था तभी कुछ गुंडोंने मिलकर उनके चहेरे पर काले कपडे से नकाब लगा दिया था और अगवाह करके कही दूर ले गए थे मगर तभी किसीने अनवर का नाम लिया था वो सूरज कैसे भूल शकता है ? उस दिन ...Read More
अच्छाईयां – २०
भाग – २० ‘सालो बाद मिले तो भी किस हालत में....? सरगम को मिलने की तो दूर कुछ मिनीटो लिए उसे देख भी नहीं पाया था... और पुलिस से वो बाते भी कर रही थी... शायद उसे छोटू के बारेमे पता भी चल गया होगा | और हालात भी ऐसे थे की वो कुछ भी नहीं कर शकता था |’ सूरज सोच में डूब गया था | सरगम और सूरज ऐसी हालात में मिले थे की दोनों के बिच की दुरिया बढ़ सकती थी | सूरज छोटू को बचाके निकल तो गया था मगर सरगम की नजरो से वो ...Read More
अच्छाईयां – २१
भाग – २१ ‘मुझे हमारे सारे दोस्तों के नंबर चाहिए |’ सूरजने सरगम से अपने सारे दोस्त के नंबर और वो क्लास की ओर जाने लगा | ‘तूम उधर कहाँ जा रहे हो ?’ सरगमने सूरज को कोलेज के अन्दर जाते देख के कहा | ‘मुझे देखना है की तुम्हारे शीखाये संगीतमें कितना दम है ? प्लीझ, तुम मेरे लिए उन दोस्तों के नंबर ले आओ जो पिछले साल जीत के आये थे...’ सूरजने चलते चलते जवाब दिया | ‘तुम चले जाओ... यहाँ कोई तुम्हे पसंद नहीं करता...!!’ सरगम सूरज को रोकने के लिए बोल रही थी मगर सूरज ...Read More
अच्छाईयां – २२
भाग – २२ सूरज कोलेज से दूर निकल गया था और उसके पास सभी दोस्तों के नंबर थे | अब उनसे बात करने के लिये बेताब था | सूरज सबके नाम और नंबर देख रहा था उसकी आँखे आखीरमें लिखी गई लाइन पर रुक गई | सरगमने खुद वहां अपना नंबर लिखा था और उसके सामने ये भी लिखा था की , ‘आज रात ग्यारह बजे के बाद इस नंबर पे फोन करना | मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगी|’ ये पढ़ते ही सूरज की आँखों की चमक बढ़ गई | सरगम भी कुछ बात करना चाहती है यही सूरज के ...Read More
अच्छाईयां – २३
शहर से दूर एक होटलमें अनवरने सभी लोगो को बुलाया था | अनवरने पुलिस का रवैया देखकर शहर से इस जगह को पसंद किया था की यहाँ उसके आदमी के अलावा कोई नहीं आ शकता | अनवर टेंशनमें भी था की शहरमें ड्रग्स की सप्लाई में बाधा बढ़ती चली जाती थी | पुलिस भी अब अपने शहर को ड्रग्स के चुंगाल से बचाना चाहते हो ऐसे सबके अड्डे बंध करवा रही थी | पुलिस की इस सख्ती के कारन दुसरे गलत धंधो पर भी असर हो रहा था | आज अनवर, बच्चू और दूसरे बदमाश लोग इस उलझन को ...Read More
अच्छाईयां – २४
भाग – २४ सूरजने दोपहर तक तो सब दोस्तों को फोन से बात कर ली थी | उस टेलीफोन को बता भी दिया था की मैं रात को ग्यारह बजे कोल करने आऊंगा अपनी दूकान खुली रखना | मोबाइल तो अभी कुछ लोगो के पास ही दिखाई देने लगा था | ज्यादातर लोग लेंडलाइन पर ही निर्भर थे, इसलिए उसवक्त सड़क पे रखे गए ऐसे बूथ पे भी भीड़ रहती थी | ‘फोरेन कोल है ?’ उस बूथवाले को पता था की रात को देर से होनेवाले कोल्स परदेश के होते थे और उसवक्त रात को किये जानेवाले कोल्स ...Read More
अच्छाईयां – २५
भाग – २५ इन्स्पेक्टर तेजधार की हुई मुलाक़ात से सूरज एक नई उलझन में फंस चुका था | तेजधार ड्रग्स का धंधा करता होगा ? उसने मुझे ही क्यों इसके लिए बात की ? वो मुझे फिरसे फंसाना तो नहीं चाहता होगा ? सरगम और मेरे बीच शायद वो खाई बन भी शकता है...! सूरज सच ही में समझ नहीं पा रहा था की ये तेजधार उसकी जिन्दगी में क्या करेगा ? हां.. उसकी नजरो से और जुबान से वो बैखोफ हो ऐसा लगने लगा था | दूसरी और गुलाबो भी कई सारे मेरे राझ जानती है मगर वो ...Read More
अच्छाईयां - २६
भाग – २६ सूरज जैसे जैसे गुलाबो की बाते सुनता गया वैसे वैसे कुछ कडीयाँ जोड़ने लगा | ये जो सालो से हमारे देशमें ड्रग्स भेजता है और इसके लिए वो देशविदेशमें घूमनेवाले आर्टिस्ट को ज्यादा पसंद करता है | उसके जरिए वो आसानीसे ड्रग्स को सप्लाई कर पाता था | सालो पहले ऐसे ही वो सूरज फंस गया था | उस वक्त मुस्ताकने डी. के वो मदद की थी और शायद वो ही था जिसने म्युझिकल इंस्ट्रूमेंटमें ड्रग्स के पेकेट रख दिए थे | उनका पूरा नेटवर्क काम करता था | उस देश की कस्टम पुलिस से ले ...Read More
अच्छाईयां – २७
भाग – २७ सूरज अब तेजधार के सिकंजेमें बुरी तरह से फंस रहा था | इन्स्पेक्टर तेजधार जानबूझ के कर रहा था या वो सूरज को फ़साने की साजिस कर रहा था वो सूरज के लिए भी समझ पाना मुश्किल था | मगर गुलाबो के मिलने के बाद ये तय हो चूका था की सूरज को किसी भी हाल में वे करोडो के नायाब हीरे का पता लगाना बेहद जरुरी बन गया था | इसका राझ शायद ये तेजधार भी जान चूका होगा वरना वो मेरे पीछे क्यों पड़ा है ? सुलेमान जो सालो पहले डी.के. के लिए काम ...Read More
अच्छाईयां – २८
भाग – २८ मुस्ताक और सूरज दोनों आमने सामने थे | कुछ पल के लिए सूरज सोचने लगा की बहुत कुछ जानता है मगर उससे सच का पता कैसे चलेगा ? गुलाबो के साथ डी.के. को देखकर भी कई सारे सवाल खड़े हो गए थे | डी.के. और गुलाबो क्यों साथ थे ? गुलाबो उससे साथ भी थी और उससे नफ़रत भी करती थी | मेरे पास करोडो के हीरे आये ही नहीं मगर ये सबको ये क्यूँ लग रहा है की वे अभी भी मेरे पास है..? तेजधार अचानक मेरी जिन्दगी में क्यों आया? डी.के., मुस्ताक या सुलेमान ...Read More
अच्छाईयां – २९
भाग – २९ कोलेज से बहार निकलते ही सूरज मुस्ताक को फिर से मिलना चाहता था, मगर कहीं दूर निकल गया था | सूरज को लगा की अभी ओर कई सच्चाई मुस्ताक जानता था मगर शायद मौका देखकर वो दूर चला गया था | उसकी और सरगम की बात से ये तय था की मुस्ताक गुलशन को प्यार करता था और उस वजह से शायद वो कुछ भी करके श्रीधर से उसे दूर करना चाहता था | सरगमने भी कहा था की श्रीधर और गुंजा याने गुलशन के सर के पीछे चोट के गहरे निशान थे जो एक्सीडेंट ...Read More
अच्छाईयां – ३०
भाग – ३० छोटू और रंगा के लिए ऐसा दिन जिन्दगीमें शायद पहलीबार आया था की बड़ी होटल का खाना नहीं मगर अन्दर बैठ के खाना मिला हो | पहले सूप आया | छोटू और रंगा तो देखते रहे की ये क्या है ? सूरजने उसे पीने के लिए ईशारा किया | सूरजने चमच से कैसे पिते है वो बताया मगर छोटू और रंगाने एकसाथ पूरा कटोरा हाथ में उठाया और वो पीने लगे | सामने के टेबल पे बैठा लड़का ये देखकर हंसने लगा | छोटू को पता नहीं था की वो क्यों हंस रहा था | छोटू ...Read More
अच्छाईयां –३१
भाग – ३१ सूरज छोटू और रंगा को खुशी खुशी उनकी जगह पर छोड़कर दूर हो गया छोटूने जो बात कही थी वो शायद सच थी की सरगम कोई चिठ्ठी के कारण की मुंबई आई थी और वो मुझे उसवक्त कुछ सच्चाई बतानेवाले थी मगर पुलिस पूछताछ के लिए मुझे वहां से दूर ले गई थी, इसलिए सरगम के साथ मिलना नहीं हुआ था | उसवक्त मेरी तलाशी शायद इसलिए ले जा रही थी की मैं अपने साथ क्या लेकर आया हूँ ? और उस बड़े कमरे में मुझे कुछदेर अकेला रखा था | उसके बगलवाले एक छोटे ...Read More
अच्छाईयां – ३२
भाग – ३२ काली घनी रात में इन्स्पेक्टर तेजधार अपनी वर्दी का खौफ दिखा रहा था | वो सूरज डराना चाहता था | सूरज को तेजधार पे गुस्सा आ रहा था मगर वो चुप बैठा था | तेजधारने उस खँडहर के कुछ दूरी पे जीप रोकी और पेशाब करने नीचे गया | सूरज को याद आया की ये वही जगह है जहाँ उसकी बच्चू के आदमी के साथ हाथापाई हुई थी और वो मारा गया था | तेजधारने भी उस बात का अभी कुछ देर पहले ही जिक्र किया था | क्या तेजधार वो सच जानता होगा ? ...Read More
अच्छाईयां –३३
भाग – ३३ काली घनी रातमें इन्स्पेक्टर तेजधार सूरज को सालो पहले की कुछ सच्चाइयाँ सूना रहा था | जैसे बात आगे चल रही थी वैसे वैसे तेजधार में बदलाव दीख रहा था | वो पैसो के कारन या किसी और वजह से आज अपना दिल हल्का कर करा था, ये बात तेजधार के सिवा ओर कोई नहीं जानता था | सूरज भी तेजधार की एक एक बात गोर से सुन रहा था | तेजधारने दारु की एक घूंट लगाईं और बात आगे बढाई, ‘तुम सुलेमान को तो पहचानते होंगे | तुम जानते होंगे की वो गुलशन का अब्बू ...Read More
अच्छाईयाँ - ३४
भाग – ३४ दुसरे दिन सूरज और निहाल कोलेज के लिए निकले रास्ते में निहाल कई सारे सवाल करने ‘सूरज तु रात को कहाँ था ? वो इन्स्पेक्टर तुझे कहाँ ले गया था? तुम उस छोटू के खिलौने की क्या बात कर रहे थे ? कल रात तु कोई रिस्क की भी बात कर रहा था, क्या कर रहा है तु ?’ निहालने पूछे कई सवाल के सामने सूरज चुप ही था तो आखिर निहालने गुस्से से उसे रोककर बोला, ‘सूरज तेरी खामोशी से मुझे तो ये भी शक को रहा है की तु क्या फिर से ड्रग्स के ...Read More
अच्छाईयां –३५
भाग – ३५ सूरज के हाथमें श्रीधर की चिठ्ठी थी और वो उसे पढ़ रहा था, ‘वैसे तो मैं के लायक भी नहीं फिर भी आप मुझे माफ़ कर देंगे ऐसी आशा रखता हूँ | ये चिठ्ठी मैं सूरज के लिए ही लिख रहा हूँ क्यूँकी मुझे पता है की सूरज को इसकी जरुरुत पड़ेगी | मैं कुछ बात आपसे बताना चाहता था मगर मैं आप से कभी बता नहीं पाया | जिन्दगी की करवटे कैसे बदलती है वो मैं अब समझ रहा हूँ | मैंने आप सबका दिल दुखाया है | मैं क्या करता ? गुंजा और मैं ...Read More
अच्छाईयां – ३६
भाग – ३६ कोलेजमें पुलिस आते देखकर सरगमने जल्दी से दादाजी और झिलमिल को कुछ कहा और वो चिठ्ठी पीछे के दरवाजे से निकल गई | वो पहले अपने रूम में गई और अलमारी में रखी मोती की माला निकाली जो सूरजने सुगम को दी थी | सुगम घर पर थी, सरगम को वो मोती की माला देखती हुई देखकर सुगम बोली, ‘मम्मी ये तो सूरज अंकल तुम्हारे लिए लाये थे...!’ सरगम का ध्यान वो माला में ही था, उन्होंने उस माला के कुछ मोती को गीना और फिर उस माला को तोड़ दी | मम्मी को ऐसा करते ...Read More
अच्छाईयां - ३७ - अंतिम भाग
भाग – ३७ अंतिम भाग ‘फिर क्या हुआ गुड्डी का...?’ सूरजने पूछा | ‘वो बारबार भागने की कर रही थी, उसके बाप तेजधार को डराना चाहते थे मगर उस रात कुछ नशा ज्यादा हो गया था तो गुड्डी मेरी आँखों में बस गई...और उस रात गुड्डी के साथ रंगीन रात हो गई | उसके बाप की अक्कल ठीकाने लागे के लिए वो करना जरुरी था फिर उसको एक गंदी नाली फेंक दिया... **** तेजधार फिर कभी हमारे पास भीख माँगने नहीं आया..!’ अनवर की बात अभी ख़तम ही नहीं हुई थी और पीछे की ओर से एकसाथ दो ...Read More