"मॉटर जी खाना लग गया है, आप जल्दी से आ जाओ हम दोनो को बहुत जोरों की भूख लगी है", आवाज सुनकर भूपेंद्र जी ने जल्दी से अपनी किताब बंद की और डायनिंग टेबल पर पहुँच गए, जहाँ उनका इंतजार बेसब्री से हो रहा था। खाने के दौरान तीनों लोग अपनी अपनी बातें बता कह -सुन रहे थे।" मॉटर जी खाना बनाने के लिए अब कुक रख दो, मेरे पेपर आने वाले हैं, खाना बनाने की दिक्कत होगी"! "मुझे पता है बेटा, मैंने बात कर ली है, लीला काकी कल से ही आ जाएगी"!
Full Novel
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-1)
मॉटरनी का बुद्धु.....(भाग-1)"मॉटर जी खाना लग गया है, आप जल्दी से आ जाओ हम दोनो को बहुत जोरों की लगी है", आवाज सुनकर भूपेंद्र जी ने जल्दी से अपनी किताब बंद की और डायनिंग टेबल पर पहुँच गए, जहाँ उनका इंतजार बेसब्री से हो रहा था। खाने के दौरान तीनों लोग अपनी अपनी बातें बता कह -सुन रहे थे।" मॉटर जी खाना बनाने के लिए अब कुक रख दो, मेरे पेपर आने वाले हैं, खाना बनाने की दिक्कत होगी"! "मुझे पता है बेटा, मैंने बात कर ली है, लीला काकी कल से ही आ जाएगी"!भूपेंद्र जी की बात सुन ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-2)
मॉटरनी का बुद्धु (भाग-2)भूपेंद्र का जवाब सुन वो खिलखिला कर हँस दी और वो उसे देखते ही रह गए। की भाषा में सोचे तो मैगी जैसे बाल थे हल्के भूरे रंग के, रंग कुछ ज्यादा ही सफेद था और आँखे सुंदर तो थी पर ज्यादा बड़ी नहीं थी। मुस्कुराते हुए दोनो गालो में पडने वाले गड्डे देखते ही बन रहे थे। अगर लड़की से पिटने का इरादा नहीं तो घूर क्यों रहे है, भूपेंद्र जी को अपनी और एकटक निहारते देख वो चिल्लाती हुई सी बोली और आगे चलने लगी, उसे जल्दी थी अपनी सहेलियों के पास जाने की.....पर ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-3)
मॉटरनी का बुद्धु (भाग-3)भूपेंद्र का M.A हो गया और संध्या की B.A...!दोनो एक दूसरे के टच में रहे। एक को बातें बताना उन दोनो को ही अच्छा लग रहा था। भूपेंद्र को टीचर बनना था तो उसने बी.एड में एडमिशन ले लिया उसने संध्या को भी बी.एड करने के लिए मना लिया। अनमने मन से ही सही उसने एडमिशन ले लिया। धीरे धीरे संध्या को भी अच्छा लगने लगा। भूपेंद्र के घर के हालात ज्यादा अच्छे नहीं थे तो उसने अपने दोस्त के कहने पर जूनियर्स को पढाना शुरू कर दिया। उसके अंदर अपने परिवार के लिए कुछ करने ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-4)
मॉटरनी का बुद्धु (भाग-4)सुबह सुबह वॉक पर जाना भी तो उन्होंने संध्या की वजह से शुरू किया था। वो उन्हें आलसी और लापरवाह कह कर चिढाया करती और कई बार चिढ़ भी जाते तो बस उलझ जाते अपनी बीवी से और कहते," तुम्हें मेरी कद्र नहीं है, तुमसे अच्छी तो हमारी पड़ोसन मिस चंचल है, कुँआरी और ऊपर से ब्यूटीफुल भी है.. .....कितने प्यार से अपने घर बुलाती है, वो तो मैं तेरा सोच कर जाता नहीं, वरना वो तो पलके बिछाए बैठी है", कह वो तो नहाने चले गए पर जब बाहर निकले तो बाथरूम के बाहर ही ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-5)
मॉटरनी का बुद्धु...(भाग-5)"गुप्ता सर कैसे आना हुआ आपका"? भूपेंद्र ने पूछा तो वो बोले," सर मुझे 15 दिन की चाहिए, मेरी वाइफ की तबियत ठीक नहीं है, पर स्कूल में बच्चों के एग्जाम्स हैं और अभी कोर्स बाकी है"। गुप्ता जी बहुत परेशान थे...."गुप्ता जी आप सुचित्रा मैडम से बात कर लीजिए वो एडजस्ट करेगी आपने भी किया था न जब वो शादी मैं गयी थीं"भूपेंद्र जी ने सुझाव दिया पर गुप्ता सर की टैंशन कम होती दिखी नहीं उनके चेहरे से। "सर सुचित्रा मैडम से बात की थी पर वो भी कुछ दिनो की छुट्टी पर जाने का ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-6)
मॉटरनी का बुद्धु...(भाग-6)स्कूल से आ कर भूपेंद्र जी का अभी भी वही रूटीन है जो शुरू से ही था। हो कर संध्या और वो लेट कर पूरे दिन की बातें कर लेते थे। संध्या कुछ भी होने से पहले उनकी सबसे अच्छी दोस्त थी। संध्या पर अपना हाथ रख कुछ देर लेटे रहे। फिर ठीक 5:30 बजे बाहर आ कर हॉल में बैठ गए। संभव की नौकरी दिल्ली NCR में लगी थी तो उसके जाने की तैयारी भी करनी है, सोच कर उन्होंने दिल्ली में अपने ससुराल में फोन किया।" पापा संभव की जॉब लगी है HCL में वो ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-7)
मॉटरनी का बुद्धु....(भाग-7)"पापा आप अभी तक लेटे हैं? आपकी तबियत तो ठीक है न"? संभव ने कमरे की लाइट की और भूपेंद्र जी के माथे को छू कर देखा। " मैं ठीक हूँ शायद आँख लग गयी थी और टाइम का पता नहीं चला, तुम कब आए"? "पापा थोड़ी देर पहले ही आया, खाना तैयार है चलिए डिनर कर लेते हैं", संभव ने कहा तो भूपेंद्र जी बिस्तर से उठ बैठे, "तुम चलो मैं अभी आता हूँ", कह कर बाथरूम में चले गए। संभव अपनी मॉम पर एक नजर डाल बाहर चला गया। भूपेंद्र जी आए तब सभ्यता ने ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-8)
मॉटरनी का बुद्धु---(भाग-8)मॉटरनी के मनाने का अंदाज भी उसकी तरह अनोखा था। न वो गले लगती न किस करती ही प्यार भरी बातें और सॉरी बोलना तो मनाही थी उसकी जगह"I LOVE YOU" कहा जाता था, पर वो तो ये भी न कह कर कभी कहती, "मॉटर जी मुझे बुखार लग रहा है न छू कर देखो तो कभी कहती सुबह से सर दर्द कर रहा है पर किसी को तो लड़ने से फुर्सत ही नहीं"! वो जानते थे कि नौटंकी होती है उसकी पर फिर भी झट से सर दबाने लगते या फिर माथा छू कर बुखार देखते ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-9)
मॉटरनी का बुद्धु--(भाग-9)सभ्यता ने चाय टाइम देखा और चाय बना ली पर पापा वॉक से नहीं आए सोच कर चाय पीने बैठ गयी। वो रोज रात को 11 बजे सो कर सुबह 4:30-5-00 बजे उठ जाती है पढने के लिए। चाय खत्म होने तक पापा नही आए सोच कर वो उनके कमरे की तरफ चल दी। दरवाजा खोलने लगी तो अंदर से बंद था, मतलब पापा वॉक पर नहीं गए। उसने दरवाजा खटखटा दिया। भूपेंद्र जी अलसाए से उठे और दरवाजा खोल कर फिर से पलंग पर बैठ गए....." क्या हुआ मॉटर जी आज वॉक का बंक मार लिया? ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-10)
मॉटरनी का बुद्धु---(भाग-10)"मॉटर जी, मुझे संभव को अच्छे से प्रिपेटरी स्कूल में डालना है...उसका बेस अच्छा होगा तभी आगे फिर सभ्यता को भी आगे पढाना होगा, ढूँढिए कोई स्कूल", मॉटरनी ने तो अपना फरमान सुना दिया पर भूपेंद्र जी सोच में पड़ गए। " मॉटरनी जी इस गाँव में ऐसा कोई स्कूल नही है, उसके लिए तो शहर रहना पड़ेगा और अपनी तो जॉब यहीं है तो बताओ कैसे करे"? "देखो ये तुम समझो, यहाँ सरकारी स्कूल में 6Th से अंग्रेजी शुरू होती है, बताओ बच्चे कैसे सब सीखेगें", भूपेंद्र की बात सुन कर संध्या भी अड़ गयी। द्ददा, ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-11)
मॉटरनी का बुद्धु--(भाग-11)भूपेंद्र जी और उनके बाबा का मानना था कि औरतों के बीच के मामलों में न पड़ो ही अच्छा। तभी परिवार को जोड़ कर रखा जा सकता है। संभव के साथ बैठे टीवी देखते हुए भी उनका ध्यान संध्या पर ही था, पर वो बेटे को भी अकेला नहीं छोड़ना चाहते थे वो भी तब जब उन्हें पता है कि वो बिल्कुल उन पर गया है। डिनर करके ही वो अपने कमरे में आए और हमेशा की तरह संध्या के सिरहाने बैठ कर उसका माथा सहलाने लगे," संधु कल कुछ टेस्ट करवाने जाना है तुम्हारे, मुझे पता ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-12)
मॉटरनी का बुद्धु---(भाग-12)संध्या के साथ अपने सफर को रात में दोहराते हुए भूपेंद्र जी सो गए। सुबह अलार्म बजते उठ गए। रोज के टाइम से थोड़ा जल्दी आ गए। सभ्यता को पता नहीं था कि पापा जल्दी आने वाले हैं तो वो अपने रूम से बाहर नहीं आयी थी। भूपेंद्र जी न्यूज पेपर पढने बैठ गए, पर मन नहीं लगा तो किचन में जा कर दो कप चाय का पानी रख दिया। चाय बनते तक सभ्यता भी आ गयी। पापा को हॉल में भेज चाय छान कर ले आयी। जब भी उन्हें डॉ. संध्या के टेस्टस के लिए कहते ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-13)
मॉटरनी का बुद्धु---(भाग-13)अपने बीते दिनों को याद करते करते कई बार भूपेंद्र जी सो जाते तो कई बार जागते ही रात बीत जाया करती। अगली सुबह अपने टाइम पर उठ कर गेट को बाहर से लॉक करके वॉक पर चल दिए। पार्क में मिलने वाले दोस्तों में राजीव जी के अलावा राघव और विनोद जी भी मिल गए। राघव और विनोद दोनो ही प्राइमरी स्कूल के टीचर थे। कई बार पढाई संबंधी या सरकारी कामों से रिलेटड बातें भूपेंद्र जी से पूछ लिया करते थे तो दोस्ती वाला रिश्ता कायम हो गया था। जहाँ भी मिले अभिवादन का आदान ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-14)
मॉटरनी का बुद्धु--(भाग-14)कार में दोनो चुपचाप बैठे थे। जब हम बहुत खुश होते हैं या दुखी दोनो हालातों में ही नहीं पाते कैसे रिएक्ट किया जाए। संभव को भी समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे!! भूपेंद्र जी ने उसे हलवाई की दुकान पर रूक कर जलेबी रबड़ी लाने को कहा, वो चुपचाप बिना सवाल किए लेने चला गया।भूपेंद्र जी को जलेबी रबड़ी जितनी नापसंद थी ,संध्या को उतनी ही ज्यादा पसंद, वो आज संध्या की मनपसंद चीज ले कर घर जाना चाहते थे। शाम का वक्त था और हलवाई जलेबी बना रहा था तो संभव को ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-15)
मॉटरनी का बुद्धु---(भाग-15)बच्चे आगे बढते जा रहे थे और संध्या के पास टाइम ज्यादा बचने लगा था, क्योंकि बच्चे और साइंस पढा दिया करते पर 10में संभव को साइंस की ट्यूशन रख कर देनी पड़ी। सभ्यता पापा से पढ लेती थी। संध्या को बच्चों को भेजने के बाद जो थोड़ा टाइम मिलता आस पास के बच्चों को पढाने में निकाल देती या फिर पास के गाँव चली जाती उनको अपने बच्चों को स्कूल भेजने को कहती और औरतों को भी जागरूक करती रहती। खाली बैठना उसे आता ही नहीं था।वो अपनी ही दुनिया में मस्त थे कि सभ्यता अपनी ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-16)
मॉटरनी का बुद्धु---(भाग-16)भूपेंद्र जी बच्चों के साथ लगभग दौड़ते हुए वहाँ पहुँचे। उस आदमी ने अपना नाम विनायक बताया। को सर में चोट आयी थी तो उसे ऑपरेशन थियेटर ले जाया गया। विनायक ने ही पुलिस को फोन करके पहले ही बुला लिया था जिससे हॉस्पिटल वाले कार्यवाही पूरी होने का इंतजार ही न करते रहें। वैसे तो अब कानूनन भी ये हो गया है कि जब ऐसी कोई वारदात हो तो पहले डॉक्टर्स को मरीज का इलाज करना होगा और पुलिस को भी ताकीद की गयी है कि जो घायल की मदद करे उसे बेवजह परेशान न किया ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-17)
मॉटरनी का बुद्धु---(भाग-17)संध्या के साथ घूम कर भूपेंद्र जी खुश थे और फ्रेश भी फील कर रहे थे। संभव को खुश देख कर खुश था। संडे था तो भूपेंद्र जी घर पर ही थे, फिर उनके दोनो भाई भी परिवार के साथ आ रहे थे। सभ्यता ने काकी को सब बता दिया था। काकी अपने साथ अपनी बेटी को भी ले आयी थी। दोनो ने मिल कर रसोई संभाल ली। बीच में भूपेंद्र जी ने उसे घर पर पढने के लिए भेज दिया। कढाही पनीर भी बनना था तो वो काकी नहीं बना सकती थी सो भूपेंद्र जी ने ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-18)
मॉटरनी का बुद्धु---(भाग-18)संभव हर वीकैंड पर आ रहा था। सभ्यता के पेपर भी शुरू हो गए थे। डॉ. ने को समझा कर भेज दिया था तो रोज संध्या का सैशन हो रहा था। नर्स सुनिता की देखरेख में हो रहा था तो भूपेंद्र जी स्कूल में थोड़े रिलैक्स रहते। गर्मियों की छुट्टियाँ नजदीक थी ...... पूरा एक महीना चलते रहे सभ्यता के पेपर इस दौरान संभव नहीं आया क्योंकि वो सभ्यता को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था पर फोन पर बातों का सिलिसला चल रहा था। संभव धीरे धीरे ऑफिस के माहौल में एडजस्ट हो रहा था, पर इसका ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-19)
मॉटरनी का बुद्धु---(भाग-19)भूपेंद्र जी संध्या को सीने से लगाए गाना सुनाते सुनाते कब सो गए, उन्हें खुद ही पता चला। जब अलार्म बजा तब जा कर नींद खुली तो देखा संध्या वैसे ही लेटी उनकी तरफ एकटक देख रही थी। रात जितनी अच्छी और गहरी नींद भूपेंद्र जी को मुद्दतों बाद आयी थी। संध्या को अपनी तरफ अपलक देखते ही भूपेंद्र जी किसी अनहोनी होने के अंदेशे से घबरा गए, उनका हाथ तुरंत संध्या के माथे पर चला गया तो संध्या ने पलके झपकायीं तो उनकी साँस में साँस आयी वो भी क्या करें, इतना कुछ इस बीमारी के ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-20)
मॉटरनी का बुद्धु---(भाग-20)हॉस्पिटल से आ कर संध्या को उसके कमरे में लिटा दिया। दिनभर की चहल पहल से वो गयी थी तो वो चाय पी कर सो गयी। भूपेंद्र जी हॉल में बच्चों के पास आ गए।" पापा हमें नाना नानी और चाचा बुआ को मॉम के बारे में फोन करके बता देना चाहिए न"!संभव ने भूपेंद्र जी से पूछा तो वो बोले," मैं भी यही सोच रहा था पर अभी रूक जाते हैं, वो एक लंबी नींद से जागी है तो थोड़ा उसे एडजस्ट होने दो, बातें करने लगे और थोड़ा चले फिरे, हम सबको बताएँगे तो सब ...Read More
मॉटरनी का बुद्धु - (अंतिम भाग)
मॉटरनी का बुद्धु--(भाग-21)संध्या अपने दोनो परिवार वालों से मिल कर बहुत खुश हो गयी थी। उसका आत्म विश्वास धीरे लौट रहा था। भूपेंद्र या सभ्यता के आसपास न होने से वो पहले जैसी बेचैन नहीं हो रही थी। कई बार बीच में संभव आया तो सब के साथ कार में भी गयी। ट्रैफिक की आवाजें और शोर से लगने वाला डर कम हो रहा था। फिर भी वो तीनो को पैदल सड़क पार नही करने देती। संभव को बाइक कभी न चलाने के लिए उसने मना लिया। संभव को मॉम वापिस मिल गयी थी, वो उनके लिए खुशी खुशी ...Read More