माई थब थाई दये !! तैं दंदी है | तै हमछे बात न कलिहै | आज यह स्वर कानो मे गूँज कर एक अपराध बोध के साथ हृदय को दृवित करे जा रहा है | बात उन दिनो की है जब हमारी काम वाली जो कि बहुत सालो से लगी थी, ने काम छोड़ दिया कारण उसके पति का बुलावा आ गया था, वैसे यह पहली बार न था , अक्सर ससुराल और मायके का चक्कर उससे कई सारी छुट्टियाँ करवा जाता, किन्तु हमने भी न जाने क्यों तमाम दिक्कतों के बावजूद कभी किसी और को उसकी जगह पर न
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आत्मग्लानि - भाग -1
माई थब थाई दये !! तैं दंदी है | तै हमछे बात न कलिहै | आज यह स्वर कानो गूँज कर एक अपराध बोध के साथ हृदय को दृवित करे जा रहा है | बात उन दिनो की है जब हमारी काम वाली जो कि बहुत सालो से लगी थी, ने काम छोड़ दिया कारण उसके पति का बुलावा आ गया था, वैसे यह पहली बार न था , अक्सर ससुराल और मायके का चक्कर उससे कई सारी छुट्टियाँ करवा जाता, किन्तु हमने भी न जाने क्यों तमाम दिक्कतों के बावजूद कभी किसी और को उसकी जगह पर न ...Read More
आत्मग्लानि - भाग -2
आगे....बार -बार कोमल का मेरी तरफ देखना वहीं मेरी नजर का इत्तेफाकन उससे टकरा जाना जैसे वह मुझसे कुछ चाह रही हो मगर संकोचवश रूक जाती है फिर जैसे थोड़ी सी हिम्मत कर आग्रहपूर्ण शब्दों में "दीदीजी मेरा हिसाब आज ही कर दीजिये | मेरा घरवाला कह रहा था परसो तक नही रुकेगा | जो भी तेरा काम हो आज के आज निपटा लियो |" आज पहला अवसर था जब कोमल ने खुद तनख्वाह की माँगी की हो , महीना पूरा होने से पहले ही तनख्वाह उसके हाथ मे होती थी | पता नही क्यों पर उसका इस तरह ...Read More