फूल बना हथियार

(66)
  • 93.8k
  • 11
  • 47.4k

यह उपन्यास जासूसी तो है ही पर बहुत ही इंटरेस्टिंग है। बड़े-बड़े मुखोटे लगाकर बिजनेसमैन क्या-क्या बदमाशियां करते हैं वही नहीं बड़े-बड़े डॉक्टर से भी कई बार इसमें शामिल होते हैं। पैसे के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं। उनका मेन मकसद रुपया ही होता है। उन्हें अपनी फैमिली या किसी और की चिंता नहीं सिर्फ रुपए कमाना वह भी किसी ढंग से चाहे जायज हो या नाजायज उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। हम जो बातें सोच नहीं सकते वह यह सब कर लेते हैं। पढ़कर देखेगा। मूल लेखक राजेश कुमार राजेश कुमार इस उपन्यास के मूल तमिल लेखक राजेश कुमार है। आपने 50 वर्षों में डेढ़ हजार उपन्यास लिखे और 2000 कहानियां लिखी। आपकी उपन्यास और कहानियों के पाठकों की संख्या बहुत ज्यादा है। अभी आपका नाम गिनीज बुक के लिए गया हुआ है। चाहे आपके उपन्यासों हो या कहानियां दोनों ही एक बार शुरू कर दो खत्म किए बिना रखने की इच्छा नहीं होती उसमें एक उत्सुकता बनी रहती है कि आगे क्या होगा | तमिलनाडु में इनकी कहानियों और उपन्यासों की बहुत ज्यादा मांग है | इसीलिए मैंने भी इनकी कहानियों का और उपन्यास का अनुवाद करती हूं। एस. भाग्यम शर्मा

Full Novel

1

फूल बना हथियार - 1

फूल बना हथियार यह उपन्यास जासूसी तो है ही पर बहुत ही इंटरेस्टिंग है। बड़े-बड़े मुखोटे लगाकर बिजनेसमैन क्या-क्या करते हैं वही नहीं बड़े-बड़े डॉक्टर से भी कई बार इसमें शामिल होते हैं। पैसे के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं। उनका मेन मकसद रुपया ही होता है। उन्हें अपनी फैमिली या किसी और की चिंता नहीं सिर्फ रुपए कमाना वह भी किसी ढंग से चाहे जायज हो या नाजायज उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। हम जो बातें सोच नहीं सकते वह यह सब कर लेते हैं। पढ़कर देखेगा। मूल लेखक राजेश कुमार राजेश कुमार इस उपन्यास के ...Read More

2

फूल बना हथियार - 2

अध्याय 2 यामिनी की निगाहें स्लो मोशन में अजीब सा भय फैल गया। फोटो में जो है वह मैं हूं क्या.... नहीं... मेरी जैसी कोई और लड़की की फोटो है? "ए...एक... इसमें.. फोटो में जो है...?" "तुम ही हो..." "मैं..? मैं कैसे...! कोई जयपुर में रहने वाली लड़की की फोटो है बोला....?" "अक्षय मुस्कुराते हुए बीच में बोला। मेरे मन को पसंद आई लड़की। जिस शहर में रहती है वही मेरे लिए जयपुर है।" "सॉरी...! आप जो बोल रहे हैं मैं नहीं समझी... " "समझने लायक बोलता हूं.. मैं शादी करने के लिए जिस लड़की को चाहता हूं वह ...Read More

3

फूल बना हथियार - 3

अध्याय 3 अपने मोबाइल को कान पर लगाए हुए नकुल कुछ सोच रहा था, यामिनी की दूसरी तरफ से की आवाज सुनाई दी। 'क्या है नकुल.... मेडिटेशन में चले गए क्या..? मैंने जो प्रश्न पूछा उसका जवाब नहीं दिया?" "पिछले साल इसी तारीख को हम एक दूसरे को पहली बार देखा। अर्थात हमारे प्रेम का जन्मदिन। उसे मनाना नहीं है क्या पूछा....?" "हुम... हुम.. मनाएंगे।" "तुम्हें क्या हुआ नकुल....? तुम जब भी मुझसे बात करते हो तो तुम्हारे शब्दों में खुशी दिखाई देती है आज उसका अभाव है । अभी तुमने जो 'हुम...हुम... मनाएंगे' इसको तौलकर के देखें तो ...Read More

4

फूल बना हथियार - 4

अध्याय 4 देखा तो उसके दोस्त गुरु का फोन था। "नकुल ! अभी तुम कहां हो?" "क्या बात है "तुम्हारे लिए एक नौकरी का मैंने इंतजाम कर दिया। कल ही ज्वाइन करना है। अभी 2:00 बज रहे हैं। शाम को 4:00 बजे इंटरव्यू है.... इंटरव्यू के खत्म होते ही साथ में अप्वाइंटमेंट लेटर।" "ये... मजाक... मत कर...!" "मैंने तुमसे कब मज़ाक किया....? बेवकूफों जैसे बातें मत कर। तुरंत मेरे ऑफिस के लिए रवाना होकर आ जा...." "अभी रवाना हो रहा हूं।" नकुल ने मोबाइल को बंद कर उसी को देख रही यामिनी को उसने बात बताई तो उसने कहा ...Read More

5

फूल बना हथियार - 5

अध्याय 5 'मैडम.... फिर मैं चलूं....?" आवाज सुनकर 'अपनापन' संस्था के निर्वाही मंगई अर्शी जिस फाइल को देख रही उससे सर ऊपर किया। कंधे पर एक हैंडबैग को टांगे हुए यामिनी एक बड़ी मुस्कान लिए हुए खड़ी थी। "क्या यामिनी इतनी जल्दी ?" "आई एम ऑलरेडी लेट मैडम.... पत्रिका के ऑफिस में मुझे कुछ काम है। आज सुबह ही जो साक्षात्कार लिया था उसके मैटर को कंपोजिंग सेक्शन में देकर लेआउट्स करना है। अभी निकलूं तो ही ठीक रहेगा। मैं और नकुल आज साथ में बैठकर सबके साथ लंच लेंगे सोचा। वैसे ही हमने खाना खाया। मेरे और उसके ...Read More

6

फूल बना हथियार - 6

अध्याय 6 गिंडी के प्रधान रोड से एक किलोमीटर आगे दूर घने अमलतास के पेड़ों के बीच में 'इदम् ट्रस्ट' एक पुरानी बिल्डिंग के रूप में दिखा। 'एक साल पहले ट्रस्ट के चेयरमैन परशुराम जी का इंटरव्यू लेने के लिए आई थी तब पूरी जगह वाहन और लोगों की भीड़ से भरी हुई थी। परंतु अब वही जगह बिल्कुल सुनसान कोई वाहन भी नहीं, ना कोई आदमी | एकदम सुनसान जगह को देखकर यामिनी के मन में एक ड़र समा गया। "क्या हो गया इस संस्था को....?” फिक्र करती, सोचते हुए अंदर गई। एक गुलाबी रंग के यूनिफॉर्म में ...Read More

7

फूल बना हथियार - 7

अध्याय 7 "पुलिस कमिश्नर अंदर आ रहे हैं....!" जल्दी से सेलफोन को बंद कर परशुराम कमरे की तरफ देखकर दी । "मनोज" दूसरे ही क्षण बनियान और लुंगी में लंबा हट्टा-कट्टा नवयुवक युवक बाहर आया। उसके छाती की चौड़ाई भ्रम पैदा कर रही थी। कंधों पर तेल लगाए जैसे चमक रहा था। "साहब!" "इसे पैक करो। आवाज नहीं आनी चाहिए। कमिश्नर अंदर आ रहे हैं ऐसी सूचना है।" परशुराम के बोलते समय ही दौड़ने का प्रयत्न कर रही यामिनी के ऊपर मनोज ने चीता जैसे झपट्टा मारा। उसके 90 किलो वजन का शरीर यामिनी से टकराते ही वह एकदम ...Read More

8

फूल बना हथियार - 9

अध्याय 9 नकुल के मोबाइल पर तेज आवाज में गुस्से से बोलते ही अक्षय मुस्कुराते हुए बोला "नहीं नकुल... मेरी पर्सनल समस्या है। उसमें भी एक लड़की से संबंधित विषय है। मैं ही इसे अपने ढंग से हैंडल कर लूंगा। इसमें तुम अपनी नाक मत घुसाओ।" "अरे तू ऐसा कैसे बोल रहा है रे ?" "और कैसे बोलूं ? एक लड़की के मन में जगह मिलने के लिए सुंदरता रुपए स्टेटस इन तीनों के अलावा और कोई एक बात होनी चाहिए, यह उसने मुझे यह पाठ पढ़ा दिया। इसके बाद ही मैं पढ़ कर समझ कर परीक्षा दूँगा। उसमें ...Read More

9

फूल बना हथियार - 10

अध्याय 10 अक्षय और परशुराम दोनों उस हॉस्पिटल के लंबे बरामदे में धीरे-धीरे चल कर आई.सी.यू. तक पहुंचे। यूनिट पहले कमरे में ऑक्सीजन का सिलेंडर की सहायता से रोहिणी सांस ले रही थी। अक्षय उसके पास जाकर खड़े होकर धीरे से छूकर "अम्मा!" आवाज दिया। रोहिणी का शरीर अक्षय के आवाज को सुनकर थोड़ा सा भी नहीं हिला। आवाज़ को थोड़ी ऊंची करके अक्षय ने फिर से 'अम्मा' बोलते समय ही पास में खड़ी एक नर्स बीच में बोली। "सॉरी सर ! कोमा स्टेज में रहने वाले को फोर्स करके अपने होश में लाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए... ...Read More

10

फूल बना हथियार - 11

अध्याय 11 "मैडम" "क्या बात है नकुल... तुम्हारे पास से कोई फोन नहीं आया। तुम उस ट्रस्ट में गये नहीं ?" "ग..ग.. गया मैडम" "क्या हुआ.... यामिनी वहां है ?" "मैडम...आपके कहे अनुसार ही ट्रस्ट ठीक नहीं है। यामिनी ट्रस्ट के अंदर किसी विपत्ति में फंसी है ?" "कैसे कह रहे हो नकुल.....?" नकुल आसपास देखकर कुछ मिनटों में सेलफोन से सब बातों को कह दिया। दूसरी तरफ मंगई अर्शी गुस्से से उबल पड़ी। "वह परशुराम ठीक नहीं है मुझे पहले ही पता था। उसे छोड़ना नहीं। उसी ने यामिनी को कुछ किया होगा।" "मैडम! अभी मैं ट्रस्ट के ...Read More

11

फूल बना हथियार - 12

अध्याय 12 "क्यों सेल्वम...! वे नीचे चले गए क्या?" "चलें गए साहब!" बोलकर सेल्वम क्या कहकर खड़ा हुआ। रिवाल्वर कमर में खोंस लिया। “साहब आपको देखकर रिवाल्वर को दिखाने के लिए माफ कर दीजिए।” परशुराम मुस्कुराए। "गवर्नमेंट जो पैसे दे रही है उसके बदले तो यह काम भी नहीं करें तो कैसे सेल्वम ?" "साहब...! अभी इस बंगले में एक कबूतर भी नहीं है....?" "कबूतर के रहने का निशान भी नहीं है। सही समय पर तुमने जो इंफॉर्मेशन दी उससे जितने कबूतर थे सबको पन्नैय के घर पर लेकर चले गए। ठीक.... मेरे सेलफोन को मुझे दो। मुझे अक्षय ...Read More

12

फूल बना हथियार - 13

अध्याय 13 अक्षय उस मध्यरात्रि कार को 100 किलोमीटर की स्पीड से चला रहा था, डॉक्टर उत्तम रामन परेशान से माथे पर पसीने के साथ दोनों हाथ बांधे बैठे हुए थे। "अक्षय.... इस रात के समय हमें पड़पई के घर जाना ही है क्या...? कल सुबह भी जा सकते थे ना?" "सॉरी अंकल.... मुझे उस यामिनी को तुरंत देखने की इच्छा है। फार्म हाउस के सुरंग जैसी कमरे में वह एक कागज के कचरे जैसे मसल कर फेंकी पड़ी होगी उसे मुझे देखना है.... तभी मुझे और मेरे मन को एक तसल्ली मिलेगी...¡" "फिर भी इस समय स्थिति ठीक ...Read More

13

फूल बना हथियार - 14

अध्याय 14 बंगले के अंदर से कांच के बर्तन के जोर से नीचे गिर कर टूटने की आवाज को अक्षय और डॉक्टर उत्तम रामन दोनों के चेहरे पर परेशानी उभरी और एक दूसरे को देखने लगे। वॉचमैन ईश्वर डर कर थूक को निकलने लगा। ऐसे ही.... आज शाम से ऐसे ही कोई आवाज अंदर से आ रही है। मैंने भी डर कर अंदर जाकर देखो तो कोई नहीं होता है। जो सामान जहां रखा था वह वैसा ही था....!" "अभी कोई कांच के टूटने की आवाज आई।" "ऐसे ही आवाज आती है साहब। परंतु अंदर जाकर देखो तो टूटा ...Read More

14

फूल बना हथियार - 15

अध्याय 15 उस सुबह के समय अपने घर के बैठक में बैठे नकुल को देखकर उसका चेहरा थोड़ा बदला स्थिर हो गया। "क्या बात है नकुल इतनी सुबह आए हो?" नकुल एक दीर्घ श्वास छोड़ते हुए गर्दन को ऊंचा किया। "तुम्हारी अम्मा अब कैसी है?" "नो प्रॉब्लम... शी इज कंफर्टेबल....! पर तू क्यों कुछ लुटा दिया जैसे लग रहा है?" "सचमुच में लुटा के ही आ रहा हूं।" "क्या बोल रहा है रे?" "मेरे लिए एक ही खुशी थी। वह भी अभी नहीं है ऐसा हो गया...." कहकर नकुल अपने दोनों हाथों से चेहरे को ढक लिया। रोने से ...Read More

15

फूल बना हथियार - 16

अध्याय 16 "आप क्या कह रहे हैं अंकल.... यामिनी के साथ तीनों लड़कियां गायब है....?" अक्षय के पूछते ही हुए चेहरे से परशुराम ने सिर हिलाया। "वॉचमैन ईश्वर का भी पता नहीं कह रहे हो..… उसी ने ही तीनों का अपहरण कर ले गया होगा। कल रात को ही उसकी एक्टिविटी ठीक नहीं थी..... हम इतने दिनों से एक गलत आदमी पर विश्वास करके नौकरी पर रखे हुए थे।" "परशुराम अगल-बगल देखकर आवाज को नीची करके "अभी क्या करें अक्षय...? वह ईश्वर किस उद्देश्य से तीनों लड़कियों को लेकर गया है पता नहीं...?" "और किस लिए.... रुपयों के लिए...! ...Read More

16

फूल बना हथियार - 8

अध्याय 8 "मैं परशुराम। उनका दोस्त, डॉक्टर से मुझे बात करनी है। आप उनकी पत्नी हैं ?" "हां... जी अभी कार ड्राइव कर रहे हैं। कोई जरूरी बात है क्या ?" "हां...!" "एक मिनट!" परशुराम कान पर मोबाइल को लगाकर इंतजार कर रहे थे, अगले कुछ क्षणों में डॉक्टर उत्तम रामन की आवाज सुनाई दी। "कहिए परशुराम..... क्यों इस समय फोन...?" "बिना कारण के फोन करूंगा क्या ?" "बात को बताइए !" "फूल बना हथियार" "अरे.... कब....?" "थोड़ी देर पहले ही....?" "कैसे...?" "आप कार को चला रहे हो। आपकी पत्नी आपके पास बैठी हैं। फूल से बने हथियार के ...Read More

17

फूल बना हथियार - 17

अध्याय 17 अक्षय की आंखों में बहुत ज्यादा डर बैठ गया। मोबाइल को बंद करके उसे हथेली में रख को देखा। "अंकल! ललकारने वाला कौन है पता नहीं चला?" "वह आज रात को 11:00 बजे तिल्लैय गंगा नगर में एक पुराने चर्च पर आने को कहा है...?" "वह पक्का आएगा ऐसा आप सोचते हो क्या अंकल ?" "पक्का आएगा.... यामिनी और दूसरी दो लड़कियों और वॉचमैन ईश्वर को किडनैप करने वाले का ब्लैकमेल करने का उद्देश्य रुपए छीनना होगा...." "अंकल यह ईश्वर का काम क्यों नहीं हो सकता...?" 'व्हाट्सएप' में रिकॉर्ड हुआ वॉइस ईश्वर का नहीं था ." "उसने ...Read More

18

फूल बना हथियार - 18

अध्याय 18 एक नया नंबर। "अप्पा! ऐसा लगता है शायद यह वही होगा। नया सिम कार्ड डाला है लगता "उठाकर बात करो... स्पीकर को ऑन करो!" अक्षय ने फोन ऑन करके धीरे से 'हेलो' बोला। दूसरी तरफ से खर-खर की वही आवाज आई। "क्यों अक्षय! डेविट चर्च को जाकर देखकर आ गये लगता है..…?" कमरे के अंदर शांति रहते हुए भी अक्षय, परशुराम, कोदण्डन, डॉ उत्तम रामन, चारों के निगाहों में डर समाया हुआ था वह एक दूसरे को देख रहे थे। मोबाइल के दूसरी तरफ से वह बात करने लगा। स्पीकर से उसकी आवाज बिखर रही थी। "क्या ...Read More

19

फूल बना हथियार - 19

अध्याय 19 'मैंने उसे देख लिया!' कोदण्डन के कहते ही अक्षय, परशुराम और डॉक्टर उत्तम रामन तीनों अंधेरे में देखने लगे। अक्षय घबराया। अपनी आवाज को बहुत धीमी की। "कहां है वह अप्पा... बोलिए... इसी जगह पर उसकी कहानी को खत्म कर देते हैं!" "थोड़ा रुको...! जल्दबाजी मत करो काम खराब हो जाएगा। मैं जो जगह बता रहा हूं उसे ध्यान से देखो.... चर्च के बाई तरफ एक पिलर है। तुम देख पा रहे हो?" "हां... देख पा रहा हूं..!" "उस पिलर के पीछे छुप कर बैठा हुआ है।" "देख लिया। हवा में उसकी शर्ट थोड़ी हल्की हिल रही ...Read More

20

फूल बना हथियार - 20

अध्याय 20 अक्षय गहरी सोच में डूबा हुआ सेलफोन को बंद किया उसी समय उसके कंधे पर किसी ने रखा तो वह मुड़कर देखा। कोदंडन खड़े हुए थे। "फोन पर कौन है?" "अंकल परशुराम।" "क्या बोलें?" "अपने को धमकी देने वाला ब्लैकमेलर का पता लगा लिया।" "कौन?" "फोन पर कुछ नहीं कहना। 'अप्पा को लेकर 'ग्रीन वेम्स' रेस्टोरेंट में आने को बोला है।" कोदंडन गुस्सा हुए। "वह कौन हैं फोन पर बोलना था ना....?" "परशुराम अंकल के ऊपर गुस्सा मत करो अप्पा। कोई कारण होगा इसीलिए ही ग्रीनवेंस रेस्टोरेंट में आपको और मुझे बुलाया है।" "वह परशुराम एक बेवकूफ ...Read More

21

फूल बना हथियार - 21

अध्याय 21 "ऐसा है तो परशुराम अंकल को नहीं बचा सकते आंटी....?" "सॉरी... आई एम हेल्पलेस। ही इज काउंटिंग लास्ट मिनिट्स.....!" "आंटी! आप गलत न सोचे तो मैं एक बात बोलूं...." "बोलो....!" "बेसेंट नगर में ‘कार्डियो केयर' नामक एक हॉस्पिटल है। परशुराम अंकल को वहां शिफ्ट करके देखें..... क्योंकि वह एक मल्टी स्पेशलिटी कार्डियोलॉजिस्ट बहुत से लोग हैं.... ऐसे पेशेंट के लिए वहां एडवांस कोई ट्रीटमेंट होगा क्या....?" "तुम्हारे मन में ऐसा कोई विचार है तो जरूर प्रयत्न कर देखो!" अक्षय अप्पा की तरफ मुडा। "आप क्या कह रहे हो आप...?" "नहीं अक्षय.... अपनी डॉक्टर कह रही हैं वहीं ...Read More

22

फूल बना हथियार - 22

अध्याय 22 “दोपहर 1:00 बजे डॉक्टर अंकल के साथ आपके सामने खडा होता हूं आंटी!" बात करके सेलफोन को करने पर उसके चेहरे पर पसीने की बूंदें चमकने लगी। रुमाल को लेकर उन्हें पोंछते हुए पोर्टिको में खड़े हुए कार की ओर चला। डॉक्टर उत्तम रामन अपने होश में आकर आंखें खोली तभी पता चला कि वे एक अंधेरे कमरे में हैं इसे महसूस किया। उनका पीछे का सर एक लोहे के जैसे भारी था। आंखों के पलकों को बड़ी मुश्किल से खोला। अजीब-अजीब चीजें हल्के-हल्के नजर में आई। जीभ बिना पानी के सूख गई थी। पेट में भूख ...Read More

23

फूल बना हथियार - 23 - अंतिम भाग

अध्याय 23 अक्षय को देखते ही ईश्वर के होठों पर बड़ी सी मुस्कान शुरू हुई। आवाज को धीमी करके "करीब-करीब सब सच तो बोल दिया सर।" अक्षय ने भी अपनी आवाज को धीमी की। "ज़िद तो नहीं की।" "नहीं सहाब....! परंतु मेरे पूछे पहले प्रश्न का ही झूठा जवाब दिया। मैंने तुरंत कहा आप दुबारा झूठ बोलोगे तो आपके टुकड़े-टुकड़े करके गहरे कुएं में डाल देंगे। ऐसे कहते ही वे डर गए। उसके बाद मृत्यु के डर से पूछें प्रश्नों का उत्तर सही दिया। साक्षात्कार अभी क्लाइमेक्स में था तभी आपने कॉलिंग बेल बजा दिया सर!" "उनके बोले हुए ...Read More