उसका अपराध क्षम्य नही था।उसने जघन्य अपराध किया था।कानून की नज़र में वह गुनहगार थी।उसका गुनाह उसे हत्यारिन सिद्ध करने के लिए काफी था।हत्यारिन को सजा मिलनी ही चाहिए।जरूर मिलनी चाहिए।और उसकी सजा सिर्फ एके ही थी।अदालत का निर्णय होता मौत।मौत से कम सजा उसे उसके किये अपराध के लिए मिल ही नही सकती थी।और सजा होने के बाद उसे एक दिन फांसी केबतखते पर खड़ा कर दिया जाता।और जल्लाद उसकी नरम नाजुक गर्दन में फंदा डाल देता।और हमेशा के लिए वह मौत की नींद सो जाती।पर नही।उसे यह सजा नही मिली थी।उसके पति राघव ने उसे पुलिस के हवाले
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सजा--अनोखी कथा (पार्ट 1)
उसका अपराध क्षम्य नही था।उसने जघन्य अपराध किया था।कानून की नज़र में वह गुनहगार थी।उसका गुनाह उसे हत्यारिन सिद्ध के लिए काफी था।हत्यारिन को सजा मिलनी ही चाहिए।जरूर मिलनी चाहिए।और उसकी सजा सिर्फ एके ही थी।अदालत का निर्णय होता मौत।मौत से कम सजा उसे उसके किये अपराध के लिए मिल ही नही सकती थी।और सजा होने के बाद उसे एक दिन फांसी केबतखते पर खड़ा कर दिया जाता।और जल्लाद उसकी नरम नाजुक गर्दन में फंदा डाल देता।और हमेशा के लिए वह मौत की नींद सो जाती।पर नही।उसे यह सजा नही मिली थी।उसके पति राघव ने उसे पुलिस के हवाले ...Read More
सजा--अनोखी कथा (पार्ट 2)
पहले तो उसने कभी भी इन बाती पर ध्यान नही दिया था।लेकिन लोग चर्चा करने लगे तो उसे भी हुई थी।आखिर ऐसी कौन औरत होगी जो मा बनना नही चाहती?कौन नही चाहती उसका आँगन किलकरियो से गूंजे?तोतली जबान में माँ की रट लगाकर उसका आँचल पकड़कर गोद मे लेने के लिये मचले।हर विवाहित औरत की साध होती है,मातृत्व।माँ बनकर ही औरत सम्पूर्ण कहलाती है।राधा अब तक बेखबर थी.।लेकिन गांव की औरतो की कानाफूसी सुनकर चिंतित हो गयी।एक दिन वह पति को गांव की औरतो की बातें बताकर बोली,"अब तो मुझे भी चिंता होने लगी है?""कैसी चिंता?"राघव ने पूछा था।"मैं ...Read More
सजा--अनोखी कथा (पार्ट 3)
राधा चली गयी। पर राधव के दिल से नही।वह उसे नही भुला पाया।राधा ने उसकी दूसरी शादी करा तो थी।पर वह दूसरी पत्नी सुधा से खुश नही था।कहाँ राधा का निश्चल प्यार।उसका मधुर स्वभाय।कहां सुधा का इर्ष्यालुपन और चिड़चिड़ा स्वभाव।राधा और सुधा में ज़मीन आसमान का अंतर था।यही कारण था कि राघव अपनी दूसरी पत्नी सुधा के साथ सामंजस्य नही बैठा पाया।जैसे प्यार की उसने सुधा से अपेक्षा की थी।वैसा प्यार उसे नही मिला।एक घर मे एक छत के नीचे रहते हुए भी वे खिंचे खिंचे से रहते।और अब राघव समय निकाल कर जब तब राधा के पास जाने ...Read More