धर्म से अंजान प्यार

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प्यार एक भावना है एक एहसास है। जो कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को जोड़े रखती है प्यार से ही दुनिया कायम है। प्यार किसी को भी किसी से भी कभी भी हो सकता है। जैसे एक मां को अपने बच्चे से, एक बेटी को माता पिता से, किसी बच्चे का उसके खिलोने से, भाई का बहन से, दो सहेलियों के बीच प्यार। प्यार भी कई तरह का होता है कुछ प्यार मे स्वार्थ होता है किसी मे अपनापन किसी मे चाहत तो किसी मे दर्द। हर किसी का प्यार करने का अपना अलग अलग तरीका होता है। प्यार एक ऐसा एहसास है जो कि ना उम्र देखता है ना शक्ल ना सूरत ना पैसा ना ही धर्म ना ही जात बस ये हो जाता है।

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धर्म से अंजान प्यार - 1

प्यार एक भावना है एक एहसास है। जो कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को जोड़े रखती है प्यार ही दुनिया कायम है। प्यार किसी को भी किसी से भी कभी भी हो सकता है। जैसे एक मां को अपने बच्चे से, एक बेटी को माता पिता से, किसी बच्चे का उसके खिलोने से, भाई का बहन से, दो सहेलियों के बीच प्यार।प्यार भी कई तरह का होता है कुछ प्यार मे स्वार्थ होता है किसी मे अपनापन किसी मे चाहत तो किसी मे दर्द। हर किसी का प्यार करने का अपना अलग अलग तरीका होता है। प्यार एक ...Read More

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धर्म से अंजान प्यार - 2

कियारा ने बोला क्या हुआ मम्मा आप कुछ क्यू नही बोल रहे हो । कहा है मेरे पापा । के पापा होते है मेरे पापा क्यू नही है कहा रहते है मेरे पापा। फिर भी कियारा की मम्मी ने कुछ नही बताया।अब कियारा जोर जोर से रोने लगी। की मुझे बताओ कहा है मेरे पापा सब अपने पापा के साथ रहते है मुझे भी पापा के साथ रहना है अब कियारा की जिद बढ़ने लगी और उसकी मम्मी इसके आगे बेबस हो गईं। और फिर उन्होंने कियारा को बताया उसके पापा के बारे में।उन्होंने बताया की।में एक बहुत बड़े ...Read More

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धर्म से अंजान प्यार - 3

मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था की ये मेरे साथ क्या हो गया। आज मैने कितने सपने थे। कितनी खुश थी में एसा लग रहा था की मेरे साथ ये अचानक क्या हो गया। में घंटो वही बैठ के रोने लगी। फिर चारो तरफ मेरे गुम होने की अफवाह फैल गई। तब किसी तरह मेने खुद को संभाला और मै सब के पास आ गई और बोली की में आगे मेले में घूम रही थीं। फिर मैं सबके साथ घर चली गई।फिर अगली सुबह में उठी और स्कूल के लिय निकल पड़ी। और जब क्लास में पहुंची ...Read More

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धर्म से अंजान प्यार - 4

उसने मेरे को कई तरह से मना करने की कोशिश की मगर में भी बहुत जिद्दी थी। मेने भी बात नही मानी। और उसे मनाती रही की अगर तुम मेरा साथ दोगे तो कोई भी हमारा कुछ भी नही बिगाड़ सकता है। मगर वो नही माना और मुझे छोड़ के जाने लगा। तभी कुछ स्कूल के बिगड़े लड़के वही खड़े थे । वो मेरे साथ बदतमीजी करने लगे। वो बोलने लगे की कोई बात नही अगर वो नहीं मान रहा है तो हम तो है ना हमसे सेट हो जाओ।और फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया। फिर मैं चिल्लाने ...Read More

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धर्म से अंजान प्यार - 5

दोनो अपने अपने घर चले जाते हैं। फिर सुबह होती है और रोशनी काफी खुश होती है कि आज सब को अपने और रेहान के बारे में बता दूंगीतभी बाहर से शोर शराबे की आवाज़ आती है तो फिर रोशनी बाहर जाकर देखती है कि बाहर बहुत ही भीड़ है वो भी वही जा कर खड़ी हो जाती है। और क्या देखती है कि गांव के बलिया काका सर झुकाए खड़े है और रोशनी के पिता जी उन्हे भला बुरा बोल रहे हैं तुम अपनी बेटी को अच्छे से नही रख सकते थे। उसे अच्छी शिक्षा नही दे सकते थे। ...Read More

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धर्म से अंजान प्यार - 6

अब रेहान और मेने ज्यादा मिलना कम कर दिया था ताकि किसी को हम पर शक ना हो। अब स्कूल में भी ज्यादा बात नहीं करते थे। हमे लगा की धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा। एक दिन में घर में बैठी बैठी अपना स्कूल का काम कर रहीं थीं तभी बाहर से पिता जी आए और उन्होंने मां को अंदर कमरे में बुलाया ।में भी पीछे पीछे चुपक से मां के पीछे गई और। उनकी बाते सुनने लगी। पिता जी मां से कह रहे थे की गांव का माहोल अभी कुछ ठीक नही चल रहा है तुम अभी ...Read More

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धर्म से अंजान प्यार - 7

मै चुप चाप हु ही खड़ी रहीं मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था। तभी वहा पे बलिया भी आ गए । और बोलने लगे की बिटिया तुम यहां क्या कर रही हो वो भी इस लड़के के साथ। तो मैने बोला की में बस यही से गुजर रही थीं तभी मुझे यहां अचानक रेहान मिला तो मै इससे स्कूल के बारे मे पूछने लगीं। क्यू क्या हुआ काका मेने रास्ते में रुक के कुछ गलत कर दिया।मै एकदम सीधी साधी लड़की बन गईं जैसे की मै रेहान को जानती ही नही। तब फिर में जल्दी जल्दी घर ...Read More