इस संसार में बहुत -कुछ ऐसा देखने -सुनने और अनुभव करने को मिल जाता है जिस पर पढ़ा -लिखा ,वैज्ञानिक मन विश्वास नहीं कर पाता पर उसको अस्वीकार करना भी मुश्किल होता है। आइए आपको ऐसी ही रहस्य -रोमांच से भरी कहानियों से परिचित कराती हूँ। पहला भाग--औघड़ बाबा की रूह बचपन की बात है। मेरे घर का ऊपरी माला बन रहा था।राज मिस्त्री के साथ कई मजदूर भी काम कर रहे थे।मजदूरों में एक नचनिया भी था।पहले गाँव- कस्बों में नाचने-गाने का काम लड़के करते थे।वे लड़कियों की तरह कपड़े पहनकर और उनकी तरह सज-धजकर फिल्मी गानों पर नाचते -गाते थे।हर मेले- ठेले,शादी -ब्याह,नाटक -नौटँगी,पूजा-उत्सव में वे अवसर के अनुकूल गानों पर नाचते थे।जनता में उनकी बड़ी मांग रहती थी।वे खूब लोकप्रिय भी होते थे।पर जबसे लड़कियाँ उनके क्षेत्र में आईं उनकी मांग कम होते -होते लगभग खत्म ही हो गई।सारे नचनियां बेरोजगार हो गए।
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बंद है सिमसिम - 1
अविश्वसनीय होते हुए भी कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जिसकी हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है.ऐसी घटनाओं से करा रहा है यह धारावाहिक उपन्यास--बंद है सिमसिम. ...Read More
बंद है सिमसिम - 2 - देवी का गुस्सा
घटना मेरी माँ के साथ घटी थी।मेरे पिताजी उन दिनों नागपुर में काम करते थे।माँ की नई शादी हुई ।वे उत्तर -प्रदेश के एक छोटे कस्बे की थीं और मात्र आठवीं पास थीं।बोलचाल की भाषा भी भोजपुरी थी।वे अपने रिश्ते के एक भाई को भी अपने साथ नागपुर ले गईं थीं ताकि उस अजनबी शहर में उनका मन लगा रहे। भाई की उम्र दस साल थी।माँ को उससे बहुत लगाव था।पिताजी दिन -भर काम पर रहते पर भाई माँ के साथ हमेशा रहता।माँ को अपने पास पड़ोसियों के घर जाना होता तो उसे भी अपने साथ ले जातीं।नागपुर की ...Read More
बंद है सिमसिम - 3 - डायन की छम- छम
घटना नानी के गांव मानपुर की है।यह गांव उस समय बिहार के बहुत ही पिछड़े गांवों में से था।पहाड़ियों और जंगल से घिरा हुआ। इसे डाकुओं का इलाका भी कहा जाता था।नानी के पिता सात भाई थे सभी लठैत और दबंग थे।पूरे गाँव पर उनका दबदबा था।लोग तो ये भी कहते थे कि वे रात को डकैती का काम भी करते थे।सात भाइयों की सात बेटियां थी,पर कुल को आगे ले जाने वाला कोई बेटा न था।एक यही दुःख सातों भाइयों को सताता था।नानी के पिता सबसे ज्यादा दुःखी रहते थे क्योंकि भाइयों में सबसे बड़े वही थे।एक दिन ...Read More
बंद है सिमसिम - 4 - मैं जिन्न हूँ जिन्न
वे मेरे सगे बड़े मामा थे।माँ और बड़ी मासी के बाद उनका जन्म हुआ था,इसलिए सबके दुलारे थे ।उनके छोटी मासी और छोटे मामा पैदा हुए। वे अपनी छोटी बहन यानी छोटी मासी पर जान छिड़कते थे।जब वे चौदह साल के हुए तब तक माँ और बड़ी मासी ब्याह हो चुका था।मामा जब आठवीं कक्षा में पहुँचे ,तभी से हीरो लगने लगे थे।गोरा रंग,ऊंची डील -डौल के साथ बेहद खूबसूरत चेहरा।किशोर होते ही उनके लिए रिश्ते आने शुरू हो गए थे। एक दिन वे स्कूल से घर पहुंचे तो नाना और उनके बड़े भाई के बीच जबर्दस्त झगड़ा हो ...Read More
बंद है सिमसिम - 5 - वो डायन नहीं थीं
बड़े मामा ने बताया कि अब वे जिन्न बन चुके हैं और ओझा और बड़े नाना उनकी सेवा- टहल हैं तो मेरे नाना -नानी भोंकार पार कर रो पड़े।जिस बेटे के जवान होने पर उसकी शादी करने का उनका सपना था।जिसके बच्चों को गोद में खिलाने का अरमान था,वह अब किसी तीसरी दुनिया का वासी बन गया था।बड़े नाना के थोड़े से लालच ने यह कैसा अनर्थ कर दिया? उन्हें रोते देख मामा बच्चों की तरह मचले--बाउजी सबको जिलेबी खिलाते हैं हमारी जिलेबी कहाँ है? नाना रोते- रोते बोले--अभी लेकर आता हूँ बेटा भरपेट खा लेना। नाना उठने को ...Read More
बंद है सिमसिम - 6 - काली जुबान का रहस्य
मासी टोनहीन नहीं थीं पर टोनहीन कही जाती थीं।एक तो उनका व्यक्तित्व आम औरत से अलग किस्म का था उनकी सारी गतिविधियां भी रहस्यमयी थीं।उनका मूड कब क्या से क्या हो जाए,कोई नहीं जानता था।वे बहुत स्वादिष्ट भोजन बनाती थीं।कम सामग्रियों में भी लज़ीज़ भोजन तैयार कर देतीं।उनका बेसन से बनाया आमलेट मुझे बहुत पसंद था।मैंने उनसे उसकी रेसिपी भी सीखी पर उनके हाथ जैसा स्वाद खुद के बनाए आमलेट में नहीं मिला।माँ कहती कि कुछ स्त्रियों के हाथ में ही स्वाद होता है।वे कुछ भी बना दें अच्छा लगता है।मासी ढोलक बजाकर गीत गाने और नृत्य करने में ...Read More
बंद है सिमसिम - 7 - मौत के बाद का प्यार
मासी की कहानी में तो जिन्न सगे भाई थे इसलिए मासी का शारीरिक उत्पीड़न नहीं हुआ।पर सुगनी चाची कहानी में जिन्न उनका प्रेमी था।सुगनी जब किशोरी थी तभी एक लड़का उसका आशिक बन गया था।वह सुगनी के पीछे- पीछे घूमता था।उनकी गलियों के चक्कर लगाता।स्कूल से घर तक उनका पीछा करता।सुगनी बहुत ही सुंदर व संस्कारी लड़की थी।उसने उस लड़के को कभी भाव नहीं दिया।उसकी माँ ने कहा था कि लड़की को शादी से पहले किसी से प्रेम नहीं करना चाहिए।शादी के बाद सिर्फ पति से प्रेम ही धर्म है।सुगनी ने माँ की यह बात गांठ में बांध ली ...Read More
बंद है सिमसिम - 8 - मर के भी न रहूँगा जुदा
सुगनी का पति परेशान था।वह नाम-मात्र का पति रह गया था।हर रात जाने कैसे वह बेसुध होकर दूसरे में पहुंच जाता और दिन में सुगनी उसे अपने पास फटकने तक नहीं देती थी।उसे शक हुआ कि जरूर रात के उसके खाने में सुगनी कुछ नशीला पदार्थ मिला देती है और अपने किसी अमीर प्रेमी के साथ रात बिताती है।सुबह होने से पहले अपने प्रेमी को भगा देती है और भीतर से दरवाजा बंद कर सो जाती है।उसकी पसन्द की चीजें उसका प्रेमी ही लाता होगा। उसका सन्देह दिन पर दिन पुख्ता होता गया और एक दिन उसके सब्र का ...Read More
बंद है सिमसिम - 9 - वह भय था कि भूत
हाईस्कूल पास होने तक मैं कभी बीमार नहीं पड़ी थी।वैसे थी तो बहुत ही दुबली पतली पर ऊर्जा,उत्साह और से भरी हुई।गर्मियों की छुट्टियां थीं ।मेरी दो घनिष्ठ सहेलियां थीं।दोनों सहेलियाँ गांव से पढ़ने के लिए कस्बे में आती थीं।दोनों के पिता हमारे ही इंटर कॉलेज के प्रवक्ता थे।मेरा घर कस्बे में और कॉलेज के पास था।मेरी दोनों सहेलियाँ अक्सर मेरे घर आया करतीं पर मैं मीलों दूर उनके घर नहीं जा पाती थी।इस बार छुट्टियों में एक सहेली मीना के गांव जाने का प्रोग्राम बन गया।अवसर भी था क्योंकि उसके बड़े भैया का गौना था।उसके घरवालों ने हम ...Read More
बंद है सिमसिम - 10 - भूत की सवारी
मेरे घर के ठीक बगल वाले घर में एक बेलदार परिवार था।तीन भाइयों का परिवार एक साथ रहता था।उनमें भाई को कोई संतान नहीं थी।उसकी पत्नी ने सारे जप -तप ,व्रत- उपवास,पूजा- पाठ कर डाले पर उसकी कोख फलित नहीं हुई।फिर उसे दौरे पड़ने लगे।दौरा उसे वर्ष में एक बार ही पड़ता था।वह भी बाले मियाँ के विवाह के अवसर पर। बाले मियाँ मुस्लिमों में पूज्य हैं।वे कोई मुस्लिम सन्त थे। हजरत सैयद मसूद गाजी मियां (बाले मियां) रहमतुल्लाह अलैह हजरत अली करमल्लाहू वजहू की बारहवीं पुश्त से है। गाजी मियां के वालिद का नाम गाजी सैयद साहू सालार ...Read More
बंद है सिमसिम - 11 - प्रेत-बाधा का सच
बाले मियां की दुआ मुझे नहीं लगी तो माँ चिंतित हो गई। किसी ने उन्हें एक पंडित जी के में बताया।रेलवे में अच्छे पद पर काम करने वाले उन पंडित जी को देवी की सिद्धि प्राप्त थी।वे बड़ी मुश्किल से किसी के घर पूजा -पाठ करने आते थे।जिसके भी घर वे पूजा-पाठ कर देते, उस घर से सारी बुरी शक्तियां भाग जातीं हैं--ऐसी मान्यता थी।पूजा- पाठ करने के लिए वे खासी रकम भी लेते थे। पिता जी के एक मित्र से पंडित जी की काफी घनिष्ठता थी।उन्हीं के सौजन्य से पंडित जी मेरे घर आने को तैयार हो गए।वे ...Read More
बंद है सिमसिम - 12 - श ..श ...श आपके घर में कोई है
इलाज के बाद मैं ठीक हो गई।उम्र बढ़ने के साथ ही भूत- प्रेतों का डर पीछे छूटता गया ।अब घर में अकेले रह लेती थी । मुझे डर नहीं लगता था,यह तो नहीं कह सकती ,पर अब पहले वाली बात नहीं थी।उसके बाद कभी -कभार ही ऐसी स्थिति आई कि मैं डरी। पर अक्सर ऐसा होता था कि रात को सपने में लगता कि कोई भारी बोझ मेरे ऊपर लदा जा रहा है।मेरी सांसें अवरूद्ध होने लगतीं ।तब उसी सुषुप्तावस्था में ही मैं हनुमान -चालीसा पढ़ने लगती।तब जाकर वह बोझ मेरे शरीर से उतरता।सुबह होते ही मैं इस बात ...Read More