जलपरी और वृक्ष मानव

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अकरोमा की मां एक जलपरी थी। अकरोमा ने दो हजार साल तक घने जंगलों में कठोर तपस्या की। अकरोमा की जटाएं और दाढ़ी - मूंछ पैरों तक बढ़ गये। सारे शरीर पर दीमक की बांबी चढ़ गई। आखिर ब्रह्मा जी अकरोमा राक्षस की कठोर तपस्या से खुश हो गये। ब्रह्मा जी प्रकट हुए और बोले वत्स उठो तुम्हें क्या चाहिए? अकरोमा दीपक की बांबी को तोड़ता हुआ बाहर आया और बोला पितामह मुझे तीन वरदान चाहिए।

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जलपरी और वृक्ष मानव - भाग 1

राक्षस राज अकरोमा अकरोमा की मां एक जलपरी थी। अकरोमा ने दो हजार साल तक जंगलों में कठोर तपस्या की। अकरोमा की जटाएं और दाढ़ी - मूंछ पैरों तक बढ़ गये। सारे शरीर पर दीमक की बांबी चढ़ गई। आखिर ब्रह्मा जी अकरोमा राक्षस की कठोर तपस्या से खुश हो गये। ब्रह्मा जी प्रकट हुए और बोले वत्स उठो तुम्हें क्या चाहिए? अकरोमा दीपक की बांबी को तोड़ता हुआ बाहर आया और बोला पितामह मुझे तीन वरदान चाहिए।1- इच्छा मृत्यु 2-अजेय व अमर रहूं3- अकूत सैन्य बल व अकूत धनसंपदा ब्रह्माजी बोले तथास्तु और अंतर्ध्यान हो गये।अकरोमा ने पास ...Read More

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जलपरी और वृक्ष मानव - भाग 2

कुछ देर बाद वह स्त्री एक 6 फीट लंबी गोरी - चिट्टी स्त्री के साथ वहां आई. नई स्त्री कंधे पर धनुष व पीठ पर तरकश था. उसने भी जानवरों की खाल के वस्त्र पहन रखे थे. उसकी कमर से एक लंबी तलवार लटकी हुई थी. उसके सिर पर चिड़ियों के पंखों से बना एक सुंदर मुकुट था. सोमेश समझ गया कि यह इनकी मुखिया है. मुखिया ने सोमेश से कुछ पूछा लेकिन सोमेश की समझ में कुछ नहीं आया. अंत में मुखिया ने हाथ हिलाया और कुछ ही देर में वहां एक बूढ़ी औरत आई. बूढ़ी औरत ने ...Read More