तेरी कुर्बत में

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संचिता जो कि 12थ क्लास में पढ़ने वाली लड़की है । छुट्टी की असमेंबली में खड़ी , एक लड़के को देख रही थी । असेंबली खत्म होते ही , वो उस लड़के के पास आई , जो लगभग नींद में चल रहा था । वो उसी की क्लास का लड़का था , लेकिन वो बी सेक्शन में था और संचिता ए सेक्शन में । लड़का किसी तरह भारी कदमों से चलते हुए गेट तक आया , पर उसका पैर अपने ही पैर में उलझ गया और वह गिरने को हुआ , कि उसी के पास आ रही संचिता ने उसे भाग कर पकड़ लिया और गिरने से बचा लिया । लड़का अधखुली आंखों से उसे देखने लगा और खुद को उसकी पकड़ से छुड़ाते हुए बोला । लड़का - प्लीज लीव मी । आई विल मैनेज । संचिता - ऋषि ....., ऐसे कैसे मैं तुम्हें छोड़ दूं?? तुम ठीक से चल भी नही पा रहे हो ।

Full Novel

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तेरी कुर्बत में - (भाग-1)

संचिता जो कि 12थ क्लास में पढ़ने वाली लड़की है । छुट्टी की असमेंबली में खड़ी , एक लड़के देख रही थी । असेंबली खत्म होते ही , वो उस लड़के के पास आई , जो लगभग नींद में चल रहा था । वो उसी की क्लास का लड़का था , लेकिन वो बी सेक्शन में था और संचिता ए सेक्शन में । लड़का किसी तरह भारी कदमों से चलते हुए गेट तक आया , पर उसका पैर अपने ही पैर में उलझ गया और वह गिरने को हुआ , कि उसी के पास आ रही संचिता ने उसे ...Read More

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तेरी कुर्बत में - (भाग-2)

दो दिन बीत चुके थे , लेकिन ऋषि स्कूल नहीं आया था । थे तो दोनों ही एक सब्जेक्ट , मैथ्स ( साइंस ) । लेकिन दोनों की क्लास के साथ - साथ कोचिंग सेंटर भी अलग अलग थे । ऋषि नोएडा शहर के जाने माने जज बृज चौहान का बेटा था । मां शालिनी चौहान , प्रदेश की जानी मानी वकील थी । घर के बाकी सदस्य भी , ऐसे ही बड़े बड़े आधिकारिक पदों पर थे , जैसे बड़े इंजीनियर , बड़े डॉक्टर , आईपीएस , आईएएस । बस ऋषि की बड़ी बहन ही थी , जो ...Read More

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तेरी कुर्बत में - (भाग-3)

असेंबली में संचिता का अजीब सा बिहेव देखकर , ऋषि हैरत में पड़ गया था । वह अपनी क्लास आया , और जब तक टीचर नही आए , तब तक यही सोचता रहा , कि "आखिर संचिता को हुआ क्या था?? मुस्कुराना तो ठीक था...., लेकिन फिर उसके बाद उसका अजीब तरह से बिहेव करना ....., कुछ समझ नही आया । क्या हो गया है इस लड़की को???" टीचर क्लास में आ गए , तो ऋषि ने अपना सिर झटक दिया , ये सोचकर कि "कैसा भी बिहेव करे वो , मुझे उससे क्या..!!!!" यहां क्लास में आने के ...Read More

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तेरी कुर्बत में - (भाग-4)

संचिता घर आ चुकी थी। लेकिन मैडम का वो खोया हुआ सा दिल , अभी तक वापस अपनी जगह नहीं आया था । शाम को चाय और कुछ स्नेक्स खाने के बाद संचिता अपनी पढ़ाई करने के लिए बैठ गई । घर में जितनी लड़की थी , उतने काम बंटे हुए थे । संचिता सुबह नाश्ता और सबका टिफिन बनाती थी , तो वहीं बाकी की दो बहनें शाम की चाय नाश्ता से शुरू होकर रात के खाने तक का जिम्मा लिए हुएं थी । दोपहर में तीनों बाहर रहती थी , इस लिए दोपहर का काम वगेरह संचिता ...Read More

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तेरी कुर्बत में - (भाग-5)

अगले दिन स्कूल में लंच के टाइम संचिता अपनी नोटबुक लिए नोट्स बना रही थी । आज उसे उठने देरी हो गई थी , इस लिए वह टिफिन तैयार नहीं कर पाई , जिसकी वजह से उसे घर पहुंचते ही मौसी से डांट पड़ेगी , ये बात वह जानती थी । बाकी की दोनों बहने अपने कामों में बिजी थी , इस लिए वे नही बना पाईं , इस लिए संचिता की तरह ही बाकी दोनों भी आज बिना टिफिन के ही स्कूल आ गईं थी । संचिता को कई बार उसकी फ्रेंड्स उनके साथ लंच करने के लिए ...Read More

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तेरी कुर्बत में - (भाग-6)

संचिता ने होठों पर मुस्कुराहट रख कर , अपने आसूं ऋषि से छुप कर साफ कर लिए । लेकिन आसूं नासमझ थे , जो कि बहे ही जा रहे थे । ऋषि ने उसे दोबारा खाने के लिए कहा , पर संचिता को देख चुप हो गया । संचिता भले ही ऋषि से अपनी आखें छुपा रही थी , लेकिन ऋषि ने उसे देख लिया । ऋषि को काफी अजीब लगा , कि संचिता आखिर रो क्यों रही है..? जब उससे रहा नही गया , तो वह पूंछ बैठा ।ऋषि - क्या हुआ संचिता..!!?? तुम रो क्यों रही हो...???संचिता ...Read More

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तेरी कुर्बत में - (भाग-7)

ऋषि की उत्सुकता को भांप संचिता ने खुद के आसूं साफ किए और कहना शुरू किया । संचिता - चार साल की थी मैं , जब बच्चे ढंग से कुछ समझते भी नही हैं, कई बच्चे तो बोलना तक नहीं सीख पाते , उस उम्र में मैने अपने पिता को खोया है । ऋषि को इतनी छोटी उम्र में संचिता के अपने पापा को खोने की बात सुनकर बहुत बुरा लगा । संचिता ने आगे कहना शुरू किया । संचिता - आर्मी में थे पापा । मेजर की न्यू पोस्ट मिली थी उन्हें । एक खतरनाक मिशन पर भेजा ...Read More

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तेरी कुर्बत में - (भाग-8)

अपने अतीत में ,अपने और अपने परिवार के साथ घटित घटनाएं बताकर संचिता सिसकने लगी । सब कुछ जानने बाद , ऋषि और चुप पड़ गया । समझ ही नही आ रहा था उसे , कि एक परिवार एक क्षण में कैसे उजड़ गया । सच ही कहा जाता है , वर्तमान में जो तुम्हारे पास है , उसे वर्तमान में ही जी लो । क्योंकि भविष्य में कब क्या हो जाए , खुद इंसान को भी पता नहीं रहता । अब उसे खुद के सपने को लेकर भी डर लग रहा था , चिंताएं बढ़ रही थी उसकी ...Read More

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तेरी कुर्बत में - (भाग-9)

अगली सुबह सब कुछ बदला - बदला सा लग रहा था । ऋषि रात भर सोया नही था , हैरानी ये थी कि अब भी उसकी आखों में नींद नही थी । संचिता अब कल से ठीक थी । जी भरकर सोने से उसे बहुत राहत मिली थी । स्कूल पहुंचने पर , उसने पहले तो एग्जाम के फॉर्म संबिट किए और फिर अपनी क्लास चली गई । ऋषि ने भी अपने एग्जाम फार्म संबिट कर दिए थे । आज पूरे दिन संचिता और ऋषि की मुलाकात नहीं हुई । दोनों अपने - अपने कामों में इतने ज्यादा व्यस्त ...Read More

10

तेरी कुर्बत में - (भाग-10)

दोनों उसी पुरानी जगह पर बैठ गए । बैठते ही बिना समय जाया किए संचिता ने सवाल पूछा । - अब बताओ ऋषि , क्यों चुप हो , क्यों इग्नोर कर चले जा रहे थे तुम??? ऋषि अब सोचने लगा , "सच कहूं या झूठ । अगर सच कहा , तो यह मेरी बात को समझ पाएगी या नहीं , कहीं मुझे गलत तो नहीं समझ लेगी? और अगर कहीं फिर रोने लगी तो !!??? या परेशान हो गई तो ?? " । संचिता ने दोबारा सवाल दोहराया , तो उसने झूठ ही कह दिया । ऋषि - कुछ ...Read More

11

तेरी कुर्बत में - (भाग-11)

संचिता की दोस्ती के प्रपोजल पर ऋषि उसे हैरानी से देखने लगा । तो संचिता को बड़ा अजीब लगा वह बोली । संचिता - क्या हुआ??? ऐसे क्यों देख रहे हो??? ऋषि - नहीं , वो बस ....., कभी मैंने दोस्त नहीं बनाए न , तो इसी लिए शॉक्ड हूं थोड़ा । संचिता ( उदासी से अपना हाथ वापस खींचते हुए बोली ) - हम्मम , ये भी है । कोई नई...., चल जाएगा......। वह अपना वाक्य पूरा करती , उससे पहले ही ऋषि ने उसका वापस जाता हाथ पकड़ लिया और कहा । ऋषि ( मुस्कुराते हुए ) ...Read More

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तेरी कुर्बत में - (भाग-12)

उस दिन के बाद से ऋषि और संचिता के बीच दोस्ती गहरी होती गई । संचिता तो थी ही और हंसने मुस्कुराने वाली लड़की , तो उसने अपने इसी स्वभाव के चलते ऋषि को भी हंसना मुस्कुराना सिखा दिया था । ऋषि बाकियों के साथ कभी नहीं हंसता था और न ही ज्यादा खुश रहता था , लेकिन संचिता की बातें उसे हंसने पर मजबूर कर देती थीं, वह उसके साथ बेहद खुश रहता था। सेमेस्टर एग्जाम का रिजल्ट आ चुका था , संचिता हमेशा की तरह फर्स्ट आई थी पूरी 12th क्लास में और ऋषि उससे एक नंबर ...Read More

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तेरी कुर्बत में - (भाग-13)

उस लड़के को वहां देख और उसके साथ ही उसे देवी के साथ बेरहमी करते देख संचिता स्तब्ध थी। उसने ज़ोर से चिल्लाकर कहा । संचिता - शुभम .....। छोड़ो मेरी बहन को , वरना मैं अभी पुलिस को कॉल कर यहां बुला लूंगी । शुभम ( वह लड़का ) , जो कि संचिता की ही क्लास का , लेकिन कॉमर्स का स्टूडेंट था , संचिता को वहां देख और देवी के लिए बहन संबोधन सुन हैरान था । संचिता ने उसे देवी से अलग कर कहा । संचिता - स्कूल की लड़कियां कम पड़ गई हैं तुम्हें , जो ...Read More

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तेरी कुर्बत में - (भाग-14)

संचिता और ऋषि के प्री बोर्ड एग्जाम फिनिश हो चुके थे और रिजल्ट आने वाला था । ये एग्जाम्स के फर्स्ट और सेकंड वीक में ही शुरू होकर खत्म हो चुके थे और उसके बाद सारे स्टूडेंट्स मेन एग्जाम्स की तैयारी में लग गए थे । आज प्री बोर्ड का रिजल्ट अनाउंस हो चुका था । संचिता काफी खुश थी , लेकिन ऋषि के चेहरे पर पिछले बार वाली खुशी नहीं थी , बल्कि वह बहुत ही ज्यादा खिन्न सा दिख रहा था । अपना रिजल्ट सर्टिफिकेट और मेन एग्जाम का एडमिट कार्ड लेकर संचिता ऋषि के पास आई ...Read More

15

तेरी कुर्बत में - (भाग-15)

ऋषि के चुप रहने से संचिता के मन में एक उम्मीद सी जगी , कि शायद ऋषि भी उसकी ही कुछ अलग सी फीलिंग रखता हो , जिसका मतलब तो संचिता अभी तक निकाल नहीं पाई थी , लेकिन ये तो वह समझ गई थी , कि ये फीलिंग्स दोस्ती नहीं हैं , बल्कि शायद कुछ और हैं और उसे ऋषि से इस वक्त यही सुनने की अपेक्षा थी । उसे लग रहा था , जैसे वो इन फीलिंग्स को लेकर कुछ तय नहीं कर पा रही है , वैसे ही फीलिंग्स शायद ऋषि के मन में भी हैं ...Read More

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तेरी कुर्बत में - (भाग-16)

संचिता की बात सुनकर ऋषि धीमी आवाज़ में नज़रें झुकाए हुए बोला । ऋषि - इसके लिए मैंने एक ले रखा है । संचिता ( हैरानी से उसे देखकर ) - कैसा फैसला??? ऋषि ( अपने होठों को आपस में दबा कर , आसमान की तरफ देखता है और फिर कहता है ) - मैं कभी शादी नहीं करूंगा और न ही कभी किसी लड़की से मोहब्बत करूंगा । संचिता उसकी बात सुनकर आश्चर्य से उसे देखती है और अचानक से खड़े होकर आखें बड़ी - बड़ी कर कहती है । संचिता - क्या????? ऋषि फिर से होठों को ...Read More

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तेरी कुर्बत में - (भाग-17)

आज शाम को ही ऋषि और उसका पूरा परिवार बेंगलूर से घर के बड़े बेटे , अभिनव की शादी लौटे थे । घर में बहु के गृहप्रवेश की सारी रस्में संपन्न हो चुकी थी , अब बस कुछ छोटी मोटी रस्में बची थी , जो घर के बड़े से हॉल में संपन्न कराई जा रही थीं । ऋषि इन सबसे थक चुका था , तो वह अपने कमरे में आ गया । पूरे तीन दिन बाद वह अपने रूम को देख रहा था । उस दिन के बाद से ऋषि संचिता की बातों से थोड़ा उखड़ा उखड़ा सा जरूर ...Read More

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तेरी कुर्बत में - (भाग-18)

ऋषि को खिलखिलाती हुई संचिता बहुत अच्छी लग रही थी । उसने उसे देखकर कहा। ऋषि - वैसे तुमने एक बात का जवाब नहीं दिया । संचिता - कौन सी बात??? ऋषि - यही...., कि तुमने यहां आने से पहले मुझे बताया नहीं । संचिता ( ऋषि को इशाराकर ) - यहां आओ , अपना कान इधर करो । ऋषि ने उसके कहे अनुसार अपने कान उसके पास किए , तो वह उसके कान में हाथ सटा कर धीरे से बोली । संचिता - अगर बता देती , तो सरप्राइज कैसे देती?? और इतना बोल वह खिलखिलाकर हंस दी ...Read More

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तेरी कुर्बत में - (भाग-19) - अंतिम भाग

जब तक ऋषि की ट्रेन संचिता की आखों से ओझल नहीं हो गई , तब तक वह उस ट्रेन भरी आखों से देखती रही । अनुज ने उसे इस तरह एक टक ट्रेन की दिशा में देखते हुए देखा , तो बोला । अनुज - चलिए दी । ट्रेन जा चुकी है । संचिता - तुम जाओ अनुज , मैं थोड़ी देर बाद आऊंगी । संचिता की हालत देख और उसके जज्बात को समझ अनुज ने उसे कुछ देर अकेला रहने देना ही बेहतर समझा । अनुज वहां से चला गया और संचिता जाने कब तक वहीं जड़वत खड़ी ...Read More