अंत... एक नई शुरुआत

(19)
  • 98k
  • 4
  • 41.5k

कभी किसी नें कहा था मुझसे कि हर एक अंत एक नई शुरुआत का सूचक होता है मगर ये कितना सच है और कितना झूठ,ये तो मैं स्वयं भी नहीं जानती ! अब आपका अगला सवाल कि आखिर ये मुझसे किसने कहा था तो माफ कीजिएगा यहाँ भी आपको मेरी तरफ़ से सटीक जवाब की उम्मीद छोड़नी पड़ेगी क्योंकि कुछ राज़ तो खुद से भी छिपकर करवटें बदलते हैं और ये भी कमबख्त उसी श्रेणी का है ! हाँ तो मैं बात कर रही थी अंत की मतलब कि मेरे अंत की जो मैंने स्वयं अपने लिए चुना है और जिसका समय भी मैं ही तय कर रही हूँ । मेरे हाथ में ये जो ऊषा देवी जी की नींद की गोलियों की शीशी है न बस यही बनेगी मेरे अंत का सामान !!!

Full Novel

1

अंत... एक नई शुरुआत - 1

कभी किसी नें कहा था मुझसे कि हर एक अंत एक नई शुरुआत का सूचक होता है मगर ये सच है और कितना झूठ,ये तो मैं स्वयं भी नहीं जानती ! अब आपका अगला सवाल कि आखिर ये मुझसे किसने कहा था तो माफ कीजिएगा यहाँ भी आपको मेरी तरफ़ से सटीक जवाब की उम्मीद छोड़नी पड़ेगी क्योंकि कुछ राज़ तो खुद से भी छिपकर करवटें बदलते हैं और ये भी कमबख्त उसी श्रेणी का है ! हाँ तो मैं बात कर रही थी अंत की मतलब कि मेरे अंत की जो मैंने स्वयं अपने लिए चुना है और ...Read More

2

अंत... एक नई शुरुआत - 2

मेरी माँ के उस अंजाने सफ़र पर हालाँकि मेरे पिता यानि कि उनके पति परमेश्वर तक ने उनका साथ दिया था मगर एक चीज जो उनके जीवनसाथी से भी ज्यादा वफादार साबित हुई वो थी उनकी भूख और वो भी अपने नवजात शिशु को स्तनपान कराने वाली एक औरत की भूख!!मेरे पिता ने मेरी माँ की बदकिस्मती को यहाँ भी भरपूर मौका दिया उसे सताने का क्योंकि फरमान सुनाते समय उन्होंने अपनी धर्मपत्नी को एक फूटी कौड़ी यह सोचकर भी नहीं दी कि ये संतान अकेले मेरी माँ की करनी का परिणाम नहीं थी बल्कि इस परिणाम में वो ...Read More

3

अंत... एक नई शुरुआत - 3

समीर,मेरा पहला प्यार,मेरी दुनिया और मेरा जीवनसाथी।समीर को अपनी ज़िंदगी में पाकर मुझे लगा कि जैसे मेरी ज़िंदगी की एक परेशानी,हर एक दर्द का इलाज हो गया।मेरी माँ भी मुझे समीर के साथ ब्याहकर निश्चिंत हो गई। उन्होंने मुझसे मेरी पगफेरे की रस्म के वक्त कहा था कि मुझे समीर से ज्यादा प्यार कोई और नहीं कर सकता और उनकी ये बात पूरी तरह से सही भी साबित हुई जिसकी हैरानी मुझे आजतक है कि आखिर वो औरत जिसे स्वयं अपने जीवन में प्यार की एक बूंद भी नसीब न हुई हो वो प्यार के मामले में आखिर किसी ...Read More

4

अंत... एक नई शुरुआत - 4

जीवन के इस पड़ाव पर ज़िन्दगी मुझे ऐसा भी कोई मौका देगी,ये मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा इस सपने को साकार करने का पूरा श्रेय सिर्फ और सिर्फ मेरे पति समीर को ही जाता है।मैं अपने चेहरे की हर एक शिकन,अपनी आँख के हर एक आँसू और अपनी किस्मत या अपने पाँव में पड़े हुए हर एक छाले को समीर की ठंडी और खुशबूदार मोहब्बत के झोंके में पूरी तरह से भूल जाती हूँ। आज मेरे टीचर ट्रेनिंग का पहला दिन है और डर के मारे मेरा बहुत बुरा हाल है जो कि होना लाज़िमी भी है ...Read More

5

अंत... एक नई शुरुआत - 5

कभी-कभी न जाने क्यों कोई पराया हमारे लिए हमारे अपनों से भी ज्यादा खास बन जाता है?जिससे हमारा न खून का रिश्ता होता है और न ही जाति या धर्म का मगर फिर भी उसके लिए हमारे दिल में एक विशेष स्थान खुद ब खुद ही बन जाता है और ऐसी ही एक शख्सियत ने मेरी ज़िंदगी में भी दस्तक दी,जो थी स्मिता वशिष्ठ!जैसा नाम वैसी ही सूरत और सीरत थी उनकी।दूध सा गोरा रंग,सुर्ख गुलाबी होंठ,लम्बे चमकीले बाल और आकर्षक कदकाठी।कहने को तो वो बाकी सब अध्यापिकाओं की तरह ही मेरी एक अध्यापिका ही थीं बस मगर सच ...Read More

6

अंत... एक नई शुरुआत - 6

जब भी हमें अपनी ज़िंदगी में कुछ कीमती मिलता है तो उसके बदले में कुछ कीमती हमसे छिन भी है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण मैंने अपनी प्रिय सहेली पूजा के निजी जीवन में घटते हुए देखा। इधर मेरी इतनी शानदार नौकरी लगी और उधर पूजा को एक शानदार जीवनसाथी मिला,आलोक के रूप में।आलोक के बारे में मैं क्या बोलूं क्योंकि जितना भी बोलूंगी कम ही होगा।आलोक जैसा नाम बिल्कुल वैसी ही उसकी शख्सियत और उसका व्यक्तित्व।वो बस कहने के लिए डॉक्टर था बाकी तो अगर उसे शायर,कवि या लेखक कहें तो बेहतर होगा।पूजा आलोक की सादगी से जितनी प्रभावित ...Read More

7

अंत... एक नई शुरुआत - 7

अगले दिन सुबह पोस्टमार्टम के बाद मेरी ज़िंदगी सफ़ेद कफ़न में लिपटी हुई मेरी आँखों के सामने ज़मीन पर हुई थी और मैं बदहवास सी उसके करीब अपनी मौत की आस लगाए बैठी हुई थी।ठहरना जैसा कोई शब्द समय की किताब में नहीं लिखा है और इसीलिए समय कभी भी नहीं ठहरता,किसी के लिए भी नहीं।तो फिर भला वो मेरे लिए कैसे ठहरता!! मेरी ज़िंदगी के खत्म होने के बाद भी मेरी साँसें अनवरत चलती रहीं और इनके चलते हुए कुछ ही समय में मुझे ये एहसास भी हो गया कि अब इनको चलाने के लिए मेरा चलना भी ...Read More

8

अंत... एक नई शुरुआत - 8

ज़िंदगी प्यार का गीत है, इसे हर दिल को गाना पड़ेगा! ज़िंदगी गम का सागर भी है, हंस के पार जाना पड़ेगा!! मेरी माँ हमेशा यह गीत गुनगुनाया करती थीं।ये मूवी उन्होंने तब देखी थी जब मैं उनके पेट में थी और वो हमेशा मुझे यही कहा करती थीं कि मैं बिल्कुल इस मूवी की नायिका 'पद्मिनी कोल्हापुरी' की तरह ही लगती हूँ।बस मेरा रंग कुछ गहरा हो गया जो कि धीरे-धीरे हल्का पड़ जायेगा मगर वो हल्का नहीं पड़ा,माँ ...माँमममाआआआआआ.....तुम कहाँ हो माँ????मुझे अपनी माँ की जब भी बहुत ज्यादा याद आती है तब अनायास ही ये ही ...Read More

9

अंत... एक नई शुरुआत - 9

ज़िंदगी कब और किस ओर करवट बदल ले इसका एहसास पहले से तो हमें कभी भी नहीं हो पाता जब तक हम इसका एहसास कर पाते हैं ये हमसे हमारा बहुत कुछ लेकर बहुत दूर जा चुकी होती है।हम बस खड़े होकर तो कभी सब कुछ खोकर बैठने की कोशिश करते हुए से इसे चुपचाप जाते हुए देखते रह जाते हैं। समीर,जिसे मैं अपनी ज़िंदगी मानती थी,जिसे मैंने ईश्वर का दर्ज़ा दिया था आज वो मेरा सबकुछ लूटकर जा चुका था।उसनें मेरा मान-सम्मान,मेरा स्वाभिमान और यहाँ तक कि मेरे जीने की वजह भी मुझसे छीन ली थी।उसकी यादें,उसकी मोहब्बत ...Read More

10

अंत... एक नई शुरुआत - 10

इन सबके बीच मैं निर्मोही उस नन्ही सी जान को तो भूल ही गई और जब ख्याल आया तब हालत देखकर मैं बुरी तरह से काँप उठी।उसका बदन बुखार के कारण एकदम आग की तरह तप रहा था और वो बिल्कुल गुमसुम सा लेटा हुआ था,न बोलता था और न ही आँखें ही खोलता था।मैनें आननफानन में उसे गोद में उठाया और उसे लेकर दौड़ती हुई सीधे अस्पताल पहुँच गई जहाँ रात का समय होने के कारण डॉक्टर की उपलब्धता के नाम पर मुझे बस इमरजेंसी-स्टाफ ही मिला और तभी पूजा का फोन बज उठा जो कि एयरपोर्ट पहुँचकर ...Read More

11

अंत... एक नई शुरुआत - 11

समीर - सुमन!बहुत सुंदर नाम है आपका!वैसे आपके नाम का अर्थ मालूम है आपको? सुमन - जी...जी सुमन का है,पुष्प या फूल! समीर - जी बिल्कुल मगर पता है आपको इसका कुछ और भी मतलब होता है! सुमन - वो क्या? समीर - सुमन मतलब कि अच्छा मन!जिसका ह्रदय अच्छा हो और जो हमेशा प्रशन्न रहता हो।तो सुमन जी मैं आपसे आज एक वादा करता हूँ कि मैं आपको हमेशा प्रशन्न रखने का पूरा प्रयास करूँगा। समीर की इस बात को सुनकर मेरी आँखें डबडबा गईं जिन्हें मैं अपनी पलकों तले छिपाकर मुस्कुराने लगी। "आपकी मुस्कुराहट बहुत खूबसूरत है",समीर ...Read More

12

अंत... एक नई शुरुआत - 12

गर्मियों की छुट्टियाँ खत्म हुईं और आज मैं अपने बेटे और मेरे स्कूल के नये स्टूडेंट,सनी के साथ स्कूल रही हूँ । इतनी लम्बी छुट्टियों के बाद स्कूल का पहला दिन सचमुच बहुत ही अच्छा लगता है । सबकुछ नया-नया सा और खिला-खिला सा ! हर एक को एक-दूसरे से इतने दिनों बाद मिलने की उत्सुकता और खुशी होती है । आज स्कूल में सनी को मेरे बाकी सारे स्टाफ़ ने यानि कि मेरे सभी सहयोगी-अध्यापक तथा अध्यापिकाओं नें हाथों-हाथ लिया । सनी इस सबसे बहुत खुश था । वो सभी के मुँह से बस यही सुन रहा था ...Read More

13

अंत... एक नई शुरुआत - 13

काश,कितनी संभावनाएं रखता है ये शब्द खुद में न और कितनी बेबसी भी!न जाने कितनी बार हम सब सोचते कि काश ऐसा होता कि काश ऐसा न होता मगर हमारे सोचने से तो सबकुछ नहीं होता न!कुछ बातें तो सिर्फ नियति पर ही निर्भर करती हैं।आज न जाने क्यों मेरा मन बड़ी ही दार्शनिक बातें करने का कर रहा है,कहीं ये आजकल हमारे घर में हर वक्त चलने वाले दार्शनिक टीवी चैनलों का तो असर नहीं!! आजकल ऊषा देवी के कमरे में हर वक्त भक्ति और दर्शन के ही प्रोग्राम टीवी पर चलते रहते हैं और वो सनी को ...Read More

14

अंत... एक नई शुरुआत - 14

आज सनी पूरे सात साल का हो गया।वो पिछली दो बार की तरह इस बार भी मुझसे अपने जन्मदिन पार्टी करने के लिए जिद्द कर रहा था मगर मैंने इस बार भी उसे जैसे-तैसे बहला दिया।मैं उसे आज सुबह स्कूल जाने से पहले मंदिर लेकर गई थी और फिर स्कूल में मैंने उसकी क्लास में और बाकी सभी क्लासेस में बच्चों और टीचर्स को चौकलेट्स बंटवा दीं।इसके अलावा आश्रम में कुछ पैसे भी मैंने ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिये मगर इससे ज्यादा और कुछ करने की हिम्मत मैं चाहकर इस बार भी नहीं जुटा पायी।न जाने क्यों समीर के साथ ...Read More

15

अंत... एक नई शुरुआत - 15

आज मैं पहली बार सपरिवार खुद गाड़ी चलाकर बाहर सबको घुमाने ले जा रही हूँ । सनी काफी दिनों मुझे गाड़ी खरीदने के लिए कह रहा था और मुझे भी अब बस में आने में परेशानी होने लगी थी जबसे मुझे न्यूरोपैथी जो कि नसों की कमज़ोरी से हो जाती है की शिकायत हो गई है तबसे मुझे बस में चढ़ने व उतरने में काफी दिक्कत होने लगी है और फिर अब सनी की दादी को भी इस उम्र में कहीं बाहर ले जाने के लिए किसी ऑटो या रिक्शा में जाने में असहजता होती है और इसके साथ ...Read More

16

अंत... एक नई शुरुआत - 16

"समय कभी नहीं ठहरता बेटा । ये एक जगह तो टिककर रह ही नहीं सकता जैसे कि तुम कभी एक जगह टिककर नहीं बैठती न बिल्कुल वैसे ही । देखना एक दिन हमारा भी बुरा समय उड़ जायेगा और फिर मेरी बिटिया के जीवन में बस खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी !",मेरी माँ अक्सर मुझसे ये बात कहा करती थी जिसपर मैं झट् से उनसे पूछ पड़ती थी कि माँ ! समय कैसे उड़ेगा ? क्या समय के पंख होते हैं ? और आज मुझे ये बात बहुत अच्छे से समझ में आने लगी है कि समय तो सचमुच कभी ...Read More

17

अंत... एक नई शुरुआत - अंतिम भाग

आज ईश्वर की कृपा से मेरे पास सबकुछ है । एक बहुत अच्छा और अपनी माँ को बहुत प्यार वाला बेटा, सबका सम्मान करने वाली मेरी लाडली बहू और हाँ समीर की माँ भी आज मेरे हर एक फैसले में मेरा साथ देती हैं जो कि अब मेरी सासू माँ बन चुकी हैं और सनी की नये ज़माने वाली भाषा में इस वर्ल्ड की बैस्ट दादी माँ ! उस दिन मैं कितनी बड़ी गलती करने जा रही थी, इस बात का अंदाजा मुझे आज और भी ज्यादा होता है जब मैं मेरी खुशियों को और मेरी वजह से खुश ...Read More