कल रात यह क़ुबूल कर लिया कि तुम जा चुकी हो। यूं तो तुम्हारे जाने का सिलसिला महीनों पहले सुरु हो चुका था मगर दिल तुम्हारे चले जाने को कबूल नहीं कर पा रहा था। कल समझ आया कि रिश्ता ख़त्म होने से ख़त्म नहीं होता। रिश्ता ख़त्म तब होता है, जिस लम्हे में हम रिश्ते की मौत कबूल कर लेते हैं। पिछले पांच सालों में यह पहला मौक़ा है जब लिखते समय मेरे हाथ कांप रहे हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि क्या लिखूं। मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं यह क्यों लिख रहा हूं। तुम्हें इतनी मोहब्बत करने के बाद यह लिखना किस चीज की कमी पूरी करेगा, मैं समझ नहीं पा रहा। लिखना मुझे आजाद करता है, मगर यह सब लिखकर और आजाद होकर मैं क्या हासिल करूंगा, मुझे समझ नहीं आ रहा। मगर लिखे बिना अजीब बेचैनी है। मैं इस बेचैनी से निजात चाहता हूं। इसलिए यह लिखना शुरू कर दिया है।
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आख़री मोहब्बत - 1
कल रात यह क़ुबूल कर लिया कि तुम जा चुकी हो। यूं तो तुम्हारे जाने का सिलसिला महीनों पहले हो चुका था मगर दिल तुम्हारे चले जाने को कबूल नहीं कर पा रहा था। कल समझ आया कि रिश्ता ख़त्म होने से ख़त्म नहीं होता। रिश्ता ख़त्म तब होता है, जिस लम्हे में हम रिश्ते की मौत कबूल कर लेते हैं।पिछले पांच सालों में यह पहला मौक़ा है जब लिखते समय मेरे हाथ कांप रहे हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि क्या लिखूं। मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं यह क्यों लिख रहा हूं। तुम्हें इतनी ...Read More