मालिनी ने अपने घर खिड़की से बाहर देखा कि बरसात अब भी हो रही है । आज सुबह से पानी बरस रहा था। टीवी में भी बार-बार यही दिखा रहे थे कि लगातार तीन दिन ऐसे ही झमाझम वर्षा होती रहेगी । उसने खुद को शीशे में निहारा। कमर तक लम्बे बाल, गुलाबी रंग की साड़ी, गुलाबी बिंदी, गुलाबी लिपस्टिक और मैचिंग झुमके। उसने आँखों में लगी काजल की लकीर को और भी काला किया । मुँह के मेकअप को थोड़ा और गाढ़ा किया । शीशे को प्यार से चूमते हुए अपना मोबाइल फ़ोन उठाया, छतरी उठाई और घर की बत्ती बंद करके दरवाज़े पर ताला लगा दिया। फ़िर छतरी खोल संभलकर धीरे-धीरे सुनसान हुई गली से निकल बाहर मेन रोड की तरफ़जाने लगी । छतरी पर गिरती बारिश से उसने अंदाज़ा लगाया कि उसकी रफ़्तार थोड़ी कम हुई है । सावन का महीना उसे बेहद पसंद है । वह बचपन से ही बारिश को देख खुश होती थी। जब उसकी माँ काम पर निकल जाती थी तो वह कागज़ की नाव को पानी भरी सड़को पर चलाती। छप- छपा-छप करके पानी में कूदती रहती। तब तक घर के अंदर नहीं आती थी, जब तक माँ वापिस लौट नहीं आती थीं। वह इस सावन के महीने में इतना कमा लेती है कि दो -तीन महीने आराम से गुज़र जाते हैं। फिर सर्दियों का महीना उसकी गर्मियों को आराम से काट देता है । क्योंकि गर्मी के दिनों में उसे काम करना पसंद नहीं है।
Full Novel
एक लड़की भीगी-भागी सी - 1
1 मालिनी ने अपने घर खिड़की से बाहर देखा कि बरसात अब भी हो रही है । आज सुबह पानी बरस रहा था। टीवी में भी बार-बार यही दिखा रहे थे कि लगातार तीन दिन ऐसे ही झमाझम वर्षा होती रहेगी । उसने खुद को शीशे में निहारा। कमर तक लम्बे बाल, गुलाबी रंग की साड़ी, गुलाबी बिंदी, गुलाबी लिपस्टिक और मैचिंग झुमके। उसने आँखों में लगी काजल की लकीर को और भी काला किया । मुँह के मेकअप को थोड़ा और गाढ़ा किया । शीशे को प्यार से चूमते हुए अपना मोबाइल फ़ोन उठाया, छतरी उठाई और घर ...Read More
एक लड़की भीगी-भागी सी - 2
2. मोहतरमा आप सड़क के बीचों-बीच खड़ी होकर बाऱिश का आनंद ले रहीं है। शायद आपको इसलिए यह याद रहा कि यह चलता-फिरती रोड है। अगर यह मनोरंजन ख़त्म हो गया हो तो रास्ते से हट जाए । युवक बोलकर चुप हो गया और मालिनी उसकी गाड़ी की जलती-बुझती बत्ती से उसकी शक्ल को देखने की कोशिश करने लगी। सुन्दर सा चेहरा, बड़ी-बड़ी आँखें, घुंघुराले बाल, नाक , होंठ सब भगवान ने नाप तोल कर बनाया है । लम्बे अरसे बाद इतना सजीला युवक मिला है । अगर यह हीरो अकेला है तो वह यह मौका हाथ से नहीं ...Read More
एक लड़की भीगी-भागी सी - 3 - अंतिम भाग
3 कोई टैक्सी या ऑटो रुक नहीं रहा । मगर बारिश पूरी तरह रुक चुकी है । एकाएक मालिनी पेट पकड़ सड़क पर बैठ गई। यह क्या ड्रामा है ? उठो यहाँ से, लोग गलत सोचने लग जायेगे । मृणाल मालिनी को उठाते हुए बोला । जब मुझे भूख लगती है तो पेट में दर्द शुरू हो जाता है । अरे यार! अब रात के साढ़े ग्यारह बजे क्या मिलेगा? तभी उसकी नज़र कोने की एक दुकान पर गई। वहाँ तक चलो, शायद कुछ खाने को मिल जाए। दुकान पर दाल-रोटी के पतीले देख मालिनी को होंसला हुआ। वही ...Read More