रीगम बाला

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उत्तरीय पूर्वीय पहाड़ों का सबसे अधिक सुंदर शहर रीगम बाला था । एक और यह आधुनिक नगर था और दूसरी और प्राचीन गुरुकुलों और मठो का संसार था । आधुनिक आबादी उन प्राचीन मठों के सामने ऐसी ही लगती थी जैसे किसी नइ नस्ल ने पिछलों से नाता तोड़ कर अपनी दुनिया अलग बसा ली हो । आधुनिक आबादी में वह सब कुछ था जो एक मार्डन नगर में होना चाहिये – और सच्ची बात तो यह है कि आधुनिक आबादी उन यात्रियों पर ही निर्भर करती थी जो रीगम बाला की प्राचीन दुनिया का दर्शन करने के लिये आते है । आधुनिक आबादी में एक ऐसी पाठशाला भी थी जिसमें देशीय और विदेशीय विध्यार्थीयों को पुरातत्व संबंधी शिक्षा दी जाती थी । विदेशीय विध्यार्थीयों के लिये एक उत्तम बोर्डिंग हाउस भी बनाया गया था – मगर उसमें देशीय विध्यार्थी भी ठहरते थे । निलनी कारमाउन्ट वेलजियम से आई थी और बौध्ध दीक्षा पर रिसर्च कर रही थी । वेलाजियम के पुरातत्व विभाग ने उसे यहाँ स्कालर शिप पर भेजा था । अपने साथ वह कई परिचय पत्र भी लाई थी और उन तमाम लोगों से मिली थी जिनके नाम पत्र लिखे गये थे । विलियम लेकरास नाम के आदमी ने उसे बहुत प्रभावित किया था । वह बहुत ही हमदर्द और निर्मल स्वाभाव का आदमी साबित हुआ था – उसका संबंध फ़्रांस के पुरातत्व विभाग से था और वह भी यहाँ बौध्ध मूर्तियों पर रिसर्च कर रहा था, मगर उसका संबंध पाठशाला से नहीं था । अपने रिसर्च में उसे किसी की सहायता लेनी थी – इस सहायता के लिये उसने निलनी ही को चुना था ।

Full Novel

1

रीगम बाला - 1

(1) उत्तरीय पूर्वीय पहाड़ों का सबसे अधिक सुंदर शहर रीगम बाला था । एक और यह आधुनिक नगर था दूसरी और प्राचीन गुरुकुलों और मठो का संसार था । आधुनिक आबादी उन प्राचीन मठों के सामने ऐसी ही लगती थी जैसे किसी नइ नस्ल ने पिछलों से नाता तोड़ कर अपनी दुनिया अलग बसा ली हो । आधुनिक आबादी में वह सब कुछ था जो एक मार्डन नगर में होना चाहिये – और सच्ची बात तो यह है कि आधुनिक आबादी उन यात्रियों पर ही निर्भर करती थी जो रीगम बाला की प्राचीन दुनिया का दर्शन करने के लिये ...Read More

2

रीगम बाला - 2

(2) “अरे बाप रे ---“ हमीद बौखला कर बोला। “मगर मैं ऐसा नहीं होने दूँगी!” रीमा ने धीरे से हमीद को उसकी आंखों में पूर्ण संकल्प की ज्योति दिखाई दी।वह चुपचाप उसे देखता रहा। वह अत्यंत गंभीर नजर आ रही थीं। होंठ मींचे हुये थे और भवें सिकुड़ गयी थीं। “सुनो..”थोड़ी देर बाद वह हाथ उठा कर बोली “ किसी प्रकार कर्नल तक सूचना भिजवा दो कि अब अगर विमल हाथ आये तो वह उस पर बिलकुल विश्वास न करे।“ “ क्या मतलब ?” वह संभल कर बैठ गया। “अब वह कर्नल से दगा करेगा।“ “साफ साफ़ कहो।” “इस ...Read More

3

रीगम बाला - 3

(3) इस पर कासिम ने शरमा जाने की एक्टिंग आरंभ कर दी। इतने में नर्स आ गई । उसके असिस्टेंट मैनेजर भी था। उसने कहा। “अब आप लोग अपने कमरों में जा सकते हैं ।” “जी हां –जी हां --” कासीम भन्ना कर बोला “ मैं अब ख़ुद भी यहाँ नाही रुकना चाहता ।” निलनी उसे आश्चर्य से देखने लगी और सोचने लगी कि आखिर किस बात पर इसे क्रोध आ गया। वह उठा था और दरवाजे कि ओर बढ़ गया था –उसके बाद निलनी और असिस्टेंट मैनेजर भी कमरे से निकले थे।कासिम करीदार में खड़ा मिला।मैनेजर तो उस ...Read More

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रीगम बाला - 4

(4) “हां –मैं कैप्टन हमीद को दिलो जान से चाहती हूं –उसके बिना जिन्दा नहीं रह सकतीं। मैंने उसे सब कुछ बता दिया है जो मैं जानती थी। मैंने उसे यह भी बता दिया है कि मुझे संस्था से घृणा हो गई है।कल के सुंदर संसार के लियेमैं आज की बरबरता सहन नहीं कर सकती। आज का रक्त कल के फूलों की लालिमा बने –मैं इसे पसंद नहीं करती ..संस्था के बड़ों ने मेरे पंगुल बाप को इसलिये मार डाला कि वह उनके काम का नहीं रह गया था—तुम लोग आदमी को मशीन समजते हो –मैं तुम सब पर ...Read More

5

रीगम बाला - 5

(5) “लेकिन लेफरास की अध्यक्षता एक रहस्य है । उसे हमारे अध्यक्ष की हैसियत से कोई नहीं जानता । जियोलोजिस्ट दूसरा आदमी है...और वह हमारे गुप्त कार्यो के बारे में कुछ भी नहीं जानता ।” “और जिस देश की ओर से यहाँ काम कर रहे हो....उस देश के वफादार भी हो या नहीं ?” “वफादारी केवल पचीस प्रतिशत है ।” “क्या मतलब ?” हमीद ने आंखें फाड़ी । “खनिज तेल से सम्बंधित प्राप्त होने वालो सूचनाओं का केवल चौथा भाग तुम्हारे या उस देश के हवाले किया जायेगा....पचहत्तर प्रतिशत जीरो लैंड के लिये होगा...इसे इस प्रकार समझो कि हमने ...Read More

6

रीगम बाला - 6

(6) यह गुब्बारा भी पहेले ही के समान ज़ोरदार धमाके के साथ फटा और हेलीकाप्टर चक्कर पूरा किये बिना की ओर उडाता चला गया –उसकी आवाज़ अब भी सुनाई दी रही थी –लेकिन ख़ुद नज़रों से ग़ायब हो चुका था। विनोद उन्ही चट्टानों की ओट लेता हुआ फिर पहली वाली दराड़ में दाखिल हुआ और हेलीकाप्टर की आवाज़ निकट आती हुई महसूस हुई और फिर वह उसके सर पर से गुजर गया –मगर उड़ान ऊँची थी –अगर नीची भी होती तब भी कोई अंतर नहीं पड़ता क्योंकि काफ़ी ऊंचाई पर दराड़ के दोनों ओर वाली चट्टानें एक दुसरे से ...Read More

7

रीगम बाला - 7

(7) दुसरे ही क्षण जिन खां का रिवाल्वर होल्स्टर से निकाला और उसके साथी असलम खां की पस्ली से लगा, फिर उसने कहा । “मोसियो ! इसका कालर नीचे गिरा दीजिये और तुम अपने हाथ ऊपर उठाओ वर्ना शूट कर दूंगा ।” लेफरास के चेहरे पर परेशानी के लक्षण नजर आये । जिन खां फिर बोला । “जल्दी कीजिये मोसियो लेफरास यह मेरा साथी असलम नहीं मालूम होता ।” लेफरास ने हाथ बढ़ा कर उसके ओवर कोट का कालर नीचे गिरा दिया और चकित रह गया । “तुम कौन हो ?” जीन खां उसकी पसली पर रिवाल्वर की नाल ...Read More

8

रीगम बाला - 8

(8) “तुम झूठ बोल रहे हो ।” हमीद ने कहा “मुझे हर हाल में मरना है – फिर मैं चीफ का जीवन क्यों खतरें में डालूँ – नहीं नहीं मैं अपने चीफ का पता नहीं बता सकता – तुम शौक से मुझे मार डालो ।” विदेशी किसी सोच मैं पड़ गया, फिर कबालियों की ओर मुड़ कर किसी प्रकार का संकेत किया । दो आदमी आगे बढ़े और उन्होंने हमीद को खोलना आरंभ कर दिया । पल भर में वह आजाद था, रीमा जहाँ रुकी थी वहीँ अब भी खाड़ी थी और कटार उसके हाथ में थी । “लड़की ...Read More

9

रीगम बाला - 9

(9) आज मौसम ऐसा था कि यात्री होटलों से बाहर निकल सकें । सुमन नागरकर की तबियत संभल तो थी मगर डाक्टर ने उसे आराम करने का परामर्श दिया था, इसलिये वह कमरे से बाहर नहीं निकलना था । नर्स अब भी उसकी देख भाल कर रही थी । कासिम उसका नाश्ता कमरे में भिजवा कर ख़ुद डाइनिंग हाल में आ बैठा था । निलनी कारमाउन्ट अभी तक उससे संध्या ही को मिलती रही थी मगर आज उसने नाश्ता के बाद मिलने का वादा किया था । कासिम बड़ी बेचैनी से उसकी प्रतीक्षा करने लगा । कासिम को उसकी ...Read More

10

रीगम बाला - 10

(10) कासिम कभी आश्चर्य से हमीद को देखता था और कभी बौखला कर निलनी की ओर देखने लगता था। हमीद झुक कर उसके कान में धीरे से बोला। ‘मेरे साथ इससे भ ज्यादा पासिं लड़की है...तुम बिलकुल परवाह न करो। हम दोनों बहुत भूखे हैं, कुछ खाने को हो तो दो।” “कहाँ है लड़की?” कासिम ने पूछा। “उधर गुफा में --” हमीद बाईं ओर हाथ उठा कर बोला। “देखे बिना यखीन नाही कर सकता समझे !” “ठहरो ...मैं उसे यहीं लाता हूं ।” “जाओ ...ज़रूर ...लाओ।” हमीद गुफा की ओर लपका ज़ “यह कौन था ..क्या कह रहा था ...Read More

11

रीगम बाला - 11

(11) “तुम्हें गालियाँ देता है ?” “हाँ...उर्दू में ।” “मुझे भी सिखा दो उर्दू की गालियाँ ।” “अरे जियाओ....ही ही ।” तुम से तो बनेगी भी नाहीं ।” “बताओ भी तो !” “नाहीं – मुझे शरम लगती है ।” “तब तो सिखानी ही पड़ेगी नहीं दोस्ती ख़त्म ।” “अरे नाहीं नाहीं....अच्छा ।” एक हलकी सी गाली बताता हूँ – पता नाही कि कह भी सकोगी....सुनो, हराम जादा ।” “हराम जादा.....हराम जादा....हराम जादा ।” वह रटती रही और कासिम ही ही ही करता रहा । “अब यह बताओ कि यह गाली किस वक्त दी जाती है ?” निलनी ने पूछा ...Read More

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रीगम बाला - 12

(12) हमीद कुछ कहने ही जा रहा था वह फिर बोल पड़ी । “तुम्हारे पास तो कुछ भी नहीं.....फिर इस होटल के खर्च कैसे पूरा करोगे ?” “मेरा चीफ मुझसे इतना बेखबर तो नहीं....।” हमीद मुस्कुरा पड़ा । “क्या तुम ख़ुद चीफ से मिले थे ?” “नहीं...!” “क्या तुम उन तमाम लोगों को पहचानते हो जो उसके लिये काम कर रहे है !” “नहीं...।” “तब फिर तुम धोखा भी खां सकते हो ।” “वह किस प्रकार !” हमीद ने चौंक कर पूछा । “क्या वह आदमी तुम्हारा जाना पहचाना था जो तुम्हें चट्टान की ओट में ले गया था ...Read More

13

रीगम बाला - 13

(13) “हाँ – वह उसी समय कमरे में दाखिल हुआ होगा जब हम दोनों डाइनिंग हाल में थे ।” बात समझ में नहीं आती ।” “और यहाँ तो कोई भी बात समझ में नहीं आती ।” हमीद ने टालने वाले भाव में कहा । इतने में दरवाज़ा फिर खुला और बाथ रूम वाला अंदर दाखिल हुआ । “मुझे दुख हाई कैप्टन कि वह निकल गया – क्या आप मुझे कुछ समय दे सकते है ?” उसने कहा । “हाँ हाँ ।” हमीद उसे टटोलने वाली नजरों से देखता हुआ बोला । “तो फिर जरा डाइनिंग हाल तक ।” हमीद ...Read More

14

रीगम बाला - 14

(14) “सुनो कैप्टन ...मेरा बाप मार डाला गया और मैं प्रतिशोध की आग में जाल रही हूं ..कर्नल ने तक मुझे रोके रखा है वर्ना कभी का वीरान किले में पहुंच गई होती।” “वीरान किले में क्या है ?” हमीद ने पूछा। “तुम नहीं जानते ?” “नहीं ..” हमीद ने कहा। इतने में दूसरा बखेड़ा खडा हो गया। असिस्टेंट मैनेजर एक स्थानीय पुलिस इन्स्पेक्टर के साथ कमरे में दाखिल हुआ। कमरे में क़दम रखते ही दहाड़ने लगा। “यह है फ्राड लोग .पता नहीं क्या चाहते है। मैं अब इन्हें यहाँ नहीं ठहरने दूंगा।” “क्या बात है ?” इन्स्पेक्टर ने ...Read More

15

रीगम बाला - 15

(15) “यह सब किया हो रहा है हमीद भाई...।” कासिम कपकपाती हुई आवाज में बोला । “अरे जहन्नुम में सबको – चलो अब तुम्हारी वाली को तलाश करें – सुमन भूत बन गई है और मेरी वाली तो पहले ही से चुड़ैल थी ।” “मैं कासी को नहीं तलाश करता – औरत है लानत पर ।” “औरत है लानत पर....।” हमीद ने आश्चर्य से दुहराया “अबे यह क्या है ।” “ठेंगे से – मुझे इस वख्त गलत सही का होश नाहीं है....अगे यह बाप गे- फिर जिन्दा हो गई ।” “अगर यहीं बात है तो चलो – इन सबसे ...Read More

16

रीगम बाला - 16

(16) “मैं इसे जल्द से जल्द होश में लाना चाहता हूँ ।” हमीद ने कासिम की ओर संकेत कर कहा । “बेहोशी का कारण मालूम हुये बिना मैं क्या कर सकूँगी ।” “किसी ने मेरे चेहरे पर कोई तरल पदार्थ फेंका था ।” हमीद ने कहा और मैं बेहोश हो गया । “मैं इसकी बेहोशी का कारण पूछ रही थी ?” “इसके साथ भी वही किया गया होगा ।” रीमा के चेहरे पर चिंता के लक्षण और गहरे हो गये । “क्या सोचने लगी ?” हमीद ने टोका । “अब मेरी भी बुध्धि भी काम नहीं कर रही है ...Read More

17

रीगम बाला - 17

(17) “तुम सब लोग गोलियों के निशाने पर हो ..अपने हथियार जमीन पर डाल दो ..चारों ओर से घेरे चुके हो .” कबायली के कराठ से गुर्राहट निकलने लगी । आवाज फिर आयी। “तुम सब की पोज़ीशन मेरी नज़रों में है ..जो अपने स्थान से हिला ..मारा गया ।” “तुम कौन हो और क्या चाहते हो ?” कबायली गुर्राया । “सड़क की ओर मुंह करके खड़े हो जाओ ..” आवाज आई। “यह नहीं हो सकता ..जो चाहे करो” “नहीं ..नहीं ..” उस कबायली के दोनों साथियों की आवाज़ें सुनाई दी।” “अरे चुप रहो ...नामर्दों ..” कबायली दहाड़ा । फिर ...Read More

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रीगम बाला - 18

(18) “मैं नहीं जानता ..उसकी अंग्रेजी मेरी समझ में नहीं आती ।” “अमे जियाओ ..” कासिम हाथ नाचा कर “उल्लू मत बनाओ।मैं सब समझता हूं ।” “चुप चाप समझते रहो बकवास की जरुरत नहीं है ..” कासिम बैठ कर उसे घूरने लगा। कुछ देर बाद सीमा वापस आई । कुछ क्षण मौन खाड़ी रही फिर बोली। “वह गहरी नींद सो रही है, इतनी गहरी नींद कि कपड़ा पहनाते समय भी नहीं जागी ।” “और अब मुझे भी नींद लग रही है ..सुबह के चार बज रहे है ..” हमीद ने कहा। “जाओ ...सो जाओ ...” रीमा ने प्यार भरे ...Read More

19

रीगम बाला - 19

(19) “मेरी बहन इसकी कैद में है ..मगर इसके अतिरिक्त कोई नहीं जानता की वह कहाँ कैद है,,” रीमा रुक रुक कर कहा “मैं चाहती हूं कि तुम इससे मालुम करो ..यह लो कटार ..।” उसने आगे बढ़ कर एक चमचमाती हुई कटार उसके हाथों में थमा दी और बोली। “इसके शरीर में चुभो चुभो कर पूछो कि नातुना कहाँ है ..यह मुंह खोलने पर विवश हो जाएगा।” हमीद ने बौखला कर विनोद की ओर देखा, मगर अब भी उसके चेहरे पर किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं था,,उसी प्रकार की जड़ता छाई थी ..ऐसा लग रहा था जैसे सोचने ...Read More

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रीगम बाला - 20 - अंतिम भाग

(20) अंतिम भाग विमल चीखता चिल्लाता ही रह गया, मगर उसे उसी सरकश घोड़े की पीठ पर बैठा दिया । “यह क्या हो रहा है .यह क्या हो रहा है ...” वह पागलों के समान चीख रहा था । मगर उसकी चीख पुकार पर किसी ने कुछ ध्यान नहीं दिया, फिर विमल के दोनों हाथ घोड़े की गर्दन से बांध दिये गये। इसमें बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ा था, अगर ख़ुद विनोद ने भी उन आदमियों का हाथ न बटाया होता तो शायद यह काम पूरा न हो सकता ..। फिर विनोद ने एक घोड़े पर हमीद को ...Read More