जु़र्म

(22)
  • 29.6k
  • 2
  • 9.8k

बरसों से बिजली की चमक और बादलों की गड़गड़ाहट संग होती, तेज बारिश अपरा के लिए दहशत का सबब थी| जब कभी तेज बारिश होने का अंदेशा होता, वो खुद को कमरे में कैद कर, कामों में व्यस्त कर लेती| ताकि बारिश होने का एहसास कम से कम हो| शादी के बाद न जाने कितनी बार अतिन ने उसके साथ भीगने की ख्वाहिश की… ‘अपरा चलो न बाहर गार्डन में,दोनों साथ-साथ भीगकर बारिश का आनंद लेते हैं|’ ‘अतिन! मुझे बारिश में भीगना अच्छा नहीं लगता| आप तो जानते ही हैं बारिश मुझे आनंद नहीं देती, डराती है| आप और बच्चे खूब मज़े लीजिए| मैं आप सबके लिए गरमा गरम पकोड़े बनाकर, आपके आनंद को दुगना करती हूँ|’ अपरा हमेशा ही अतिन के इस आग्रह को बहुत प्यार से नकार देती| ‘मैं हूँ न अपरा तुम्हारे साथ| तुम्हारा डर खुद-ब-खुद भाग जाएगा|’... अतिन के मनावने करने पर भी अपरा इनकार करती तो एकांत मिलने पर अतिन पूछते...

Full Novel

1

जु़र्म - 1

1 ------ बरसों से बिजली की चमक और बादलों की गड़गड़ाहट संग होती, तेज बारिश अपरा के लिए दहशत सबब थी| जब कभी तेज बारिश होने का अंदेशा होता, वो खुद को कमरे में कैद कर, कामों में व्यस्त कर लेती| ताकि बारिश होने का एहसास कम से कम हो| शादी के बाद न जाने कितनी बार अतिन ने उसके साथ भीगने की ख्वाहिश की… ‘अपरा चलो न बाहर गार्डन में,दोनों साथ-साथ भीगकर बारिश का आनंद लेते हैं|’ ‘अतिन! मुझे बारिश में भीगना अच्छा नहीं लगता| आप तो जानते ही हैं बारिश मुझे आनंद नहीं देती, डराती है| आप ...Read More

2

जु़र्म - 2

2. मां की लगातार आवाज़ें जब व्यस्त अनुष्का तक पहुंची, वो घबराकर दौड़ती हुई अपरा के कमरे में पहुंच और आते ही बोली... “आप कब से मुझे पुकार रही थी माँ?... सॉरी... मैं आपकी आवाज़ सुन नहीं पाई| मैं अपने कामों में इतना खो हुई थी कि कब बारिश शुरू हुई, आभास भी नहीं हुआ| सॉरी मम्मा अब मैं आ गई हूं न, आप बिल्कुल परेशान मत होइए|” बेटी का बार-बार सॉरी बोलना और बच्चों के जैसे समझाना अपरा को कचोट रहा था| उसको मन ही मन आत्मग्लानि हो रही थी| ताउम्र बच्चों का संबल बनने वाली, खुद बेटी ...Read More

3

जु़र्म - 3 - अंतिम भाग

3. अपरा अपनी बेटी के लाड़ में खोई-खोई, कॉलेज के समय में पहुंच गई| उसने अपना हाथ अनुष्का के से छुड़ाकर उसके बालों में उंगलियों से शुरू कर सहलाना शुरू कर दिया| और बोली... ‘अनुष्का! तुम्हें तो पता ही है, तुम्हारे नाना-नानी मुरादाबाद में रहते थे| उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई के लिए मुझे दिल्ली भेज दिया था| मुझे हॉस्टल में रहना पड़ा| कॉलेज का फाइनल ईयर था| हम चार दोस्तों का बहुत अच्छा ग्रुप था| उस शाम बहुत तेज़ बारिश हो रही थी| हम दोस्तों ने योजना बनाई कि बारिश में कहीं दूर किसी थड़ी पर बैठकर चाय पीते ...Read More