कर्तव्य

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व्यक्ति को अपने जीवन में माता-पिता,भाई -बहन का ध्यान रखना चाहिए; जब शादी हो जाये तो जीवन पर्यंत जीवन साथी का पूरा ध्यान और भरणपोषण करना चाहिए।जब बच्चे हों तो उनकी पूरी ज़िम्मेदारी से शादी विवाह करने के बाद,उनके बच्चों का भी भरपूर ध्यान रखना आवश्यक है ।जो अपनी सभी ज़िम्मेदारियों को बख़ूबी निभाता है वही समाज में एक अच्छा व्यक्ति कहलाता है ।ऐसा सदियों से सुनने में आता रहा है । लेकिन कुछ भारत-माता के सपूत , माता पिता के बेहद लाड़ले ऐसे भी इस संसार में हैं जो कि अपनी पत्नी बच्चे न होते हुए भी सब का भरण पोषण बड़े ही अच्छे ढंग से करते हुए अपना जीवन ख़ुश होकर निछावर कर देते है ।स्वरचित कहानी—-

Full Novel

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कर्तव्य - 1

कर्तव्य (1) व्यक्ति को अपने जीवन में माता-पिता,भाई -बहन का ध्यान रखना चाहिए; जब शादी हो जाये जीवन पर्यंत जीवन साथी का पूरा ध्यान और भरणपोषण करना चाहिए।जब बच्चे हों तो उनकी पूरी ज़िम्मेदारी से शादी विवाह करने के बाद,उनके बच्चों का भी भरपूर ध्यान रखना आवश्यक है ।जो अपनी सभी ज़िम्मेदारियों को बख़ूबी निभाता है वही समाज में एक अच्छा व्यक्ति कहलाता है ।ऐसा सदियों से सुनने में आता रहा है ।लेकिन कुछ भारत-माता के सपूत , माता पिता के बेहद लाड़ले ऐसे भी इस संसार में हैं ...Read More

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कर्तव्य - 2

कर्तव्य (2) मैं जैसे ही अंदर गई भाभीजी ने मुझे गले लगा लिया और मेरी पहनी फ्राक की खूब तारीफ़ की । मुझे भी अच्छा लगा और मैं उनसे बातें करने लगी ।भाभीजी— “गुड़िया तुम्हारी ड्रेस बहुत सुंदर है,कौन लाया था ।” मैंने बताया—“भाभीजी यह ड्रेस रक्षा बंधन पर बड़े भैया लेकर आये थे, आज ही मैंने पहनी है ।देखो भाभीजी मेरे लिए भैया माला भी लाये थे , यह भी मैंने पहली बार पहनी है; कैसी लग रही है ।” भाभीजी— “अरे वाह क्या बात है ...Read More

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कर्तव्य - 3

कर्तव्य (3) मॉं रसोई में कुछ बना रहीं थीं , बहुत अच्छी ख़ुशबू आ रही थी; हम भैया रसोई में गये तो देखा मॉं मिसरानी चाची के साथ पकवान और भोजन बनाने में लगीं थीं । मैंने मॉं से पूछा— मॉं खाना तो सुबह बन गया हम सबने खा लिया , अब आप किसके लिए खाना बना रहीं है? मॉं तो अपने काम में लगीं थीं । मिसरानी चाची ने हमें बताया— आज कुछ मेहमानों के लिए नाश्ता बन रहा है । जब भी मॉं ...Read More

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कर्तव्य - 4

कर्तव्य (4) वहाँ पर खेलने में बहुत आनंद आ रहा था, सभी रिश्ते के भाई-बहिनों के हम खेल रहे थे । हमें खेलते हुए देख कर भाभीजी के रिश्तेदारों के बच्चे भी वही हमारे साथ खेलने लगे । हमें भाभीजी को सजे हुए देखने का मन था, इसलिए हम अन्य बच्चों के साथ अंदर चले गए; पूर्व भैया वहीं खेलते रहे । जब हम अंदर गये तो भाभीजी तैयार हो रही थी उनके पास जाने की अनुमति नहीं मिली । हमारी नई सहेलियों ने वही ...Read More

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कर्तव्य - 5

कर्तव्य (5) बारात में हमारी कुछ नई सहेलियों से मुलाक़ात हुई तो उनके साथ खेलने में आनंद आ रहा था । घर पर आने के बाद उन सब की याद आ रही थी लेकिन भाभीजी के सानिध्य में ज़्यादा कमी नहीं खली । शाम की दावत के लिए पूरी तैयारी हो रही थी, हम यह तय करना चाह रहे थे कि हम और पूर्व भैया कौन सी ड्रेस पहनें । हम अंदर से अपनी-अपनी ड्रेस ले आए और भाभीजी को दिखाने लगे, तभी दीदी ने कहा— “तुम लोग भाभीजी को ...Read More

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कर्तव्य - 6

कर्तव्य (6) भैया की शादी के बाद जब हम स्कूल गये तो हमारी सहेलियों ने कहा— “अरे अनुराधा तुम शादी की मिठाई नहीं खिलाओगी ?” मै मिठाई के डिब्बे अपने साथ ले गई थी वह मैंने सविता को दे दिए । उसने पहले एक मिठाई का डिब्बा स्टाफ़ रूम में ले जाने के लिए रख लिया, बाक़ी मिठाई सभी सहेलियों में बॉट दी। सबने मिठाई खाते हुए भाभीजी के बारे में पूछा, मैं भाभीजी की बहुत प्रशंसा कर रही थी तो मेरी सहेली भावना ने कहा— “अभी भाभीजी ...Read More

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कर्तव्य - 7

कर्तव्य (7) सुबह से ही हम सब भाई बहिन ने मिलकर योजना बनाई कि दिन में रामलीला का मंचन करेंगे। सुबह की दिनचर्या पूरी करने के बाद हमने भोजन किया और अपने आस-पास की मित्र मंडली को तैयार किया । सभी तैयार होकर व्यवस्था में जुट गए,हमारे मित्र जिस पर जो उपलब्ध था पात्र के अनुसार वेशभूषा तैयार करने लगे। हमारे घर के ही पास एक परिवार रहता था, उनके बच्चे भी हमारी मित्र मंडली में शामिल थे । उन दोनों भाई बहन का नाम ...Read More

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कर्तव्य - 8

कर्तव्य—(8) स्कूल से आने के बाद , जब घर में प्रवेश किया तो माहौल कुछ बोझिल सा लग था । “भैया क्या बात है ?””मैंने अपूर्व भैया से पूछा ।“पता नहीं , मैं अभी अपने स्कूल से आया हूँ ।” भैया ने कहा । हम दोनों अलग-अलग स्कूल में पढ़ने जाते थे। मैंने देखा बड़े भैया बहुत ग़ुस्से में है, मंझले भैया चुपचाप बैठे हुए थे । मैंने कहा— “क्या हुआ भैया?” उन्होंने कुछ जबाब नहीं दिया और अंदर कमरे में जाकर लेट गए । किसी से बात भी नहीं कर रहे ...Read More

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कर्तव्य - 9

कर्तव्य (9) मॉं ने पूछा-“क्या तुम बड़े लल्ला को बताकर आये हो?” भैया ने कोई नहीं दिया और बाहर चले गये । भैया हमारे पास ही रहने लगे, सुबह जाते और शाम को आकर खाना खाकर सो जाते । एक दिन बड़े भैया का तार आया जिससे सूचना मिली कि भैया बिना बताए ही वहॉं से चले आए हैं । “बेटा तुम चले जाओ वरना नौकरी नहीं रहेगी।”मॉं ने बहुत समझाया । भैया ने मॉं से कहा “मैं वहाँ नहीं जाऊँगा आप वहाँ ख़बर भेज दीजिए ।” कोई भी ...Read More

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कर्तव्य - 10

कर्तव्य (10) हम सब घर पर थे और मंझले भैया बाहर अपने किसी काम से गए थे, बाहर कुछ शोरगुल सुनाई दिया । बाहर के दरवाज़े पर जाकर देखा तो हमारे पड़ौस में रहने वाले देवी दत्त चाचा जी ने बताया कि तुम्हारे भाई और सामने की गली में रहने वाले बिल्लू जो कि बदमाश है ,दोनों में लड़ाई हो रही है । उन्होंने बताया “मैंने बीच बचाव करने की कोशिश की लेकिन कोई बात मानने को तैयार नहीं ।” मैंने दौड़ कर अंदर जाकर सब को ...Read More

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कर्तव्य - 11

कर्तव्य (11) सुबह अपूर्व भैया सोकर उठे तो ऑंखें सूज रही थी रात को वह बहुत रोये थे । पिताजी ने कहा “अपूर्व क्या बात है तुम कुछ उदास लग रहे हो क्या बात है?” “कुछ नहीं पिताजी “ कहकर वह प्रतिदिन की तरह दुकान खोलने चले गये ,वहीं दिनचर्या पूरे दिन दुकान खोलना और सभी बच्चों की ज़रूरतों के लिए पैसे देना। उनकी किसी को कोई चिंता नहीं और भैया जब बाहर से आते तो उनकी ग़लतियों पर उन्हें डाँटते तो वह चुप रहकर सब कुछ सहन ...Read More

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कर्तव्य - 12

कर्तव्य (12) उदास बैठे भैया बहुत ही गहरी सोच में डूब गये ,उनके सामने दिन चलचित्र की तरह घूमने लगे ।अम्मा की बहुत याद आ रही थी । अम्मा उनके लिए रात को ही पराँठे बना कर रख दिया करतीं, उन्हें बड़े प्यार से जगाती। अपूर्व भैया पिछली बातें सोचने लगे । जब मैं सुबह सो कर उठता,फिर दैनिक क्रिया से निवृत्त होता तो मुझे सुबह सवेरे ही भूख लग जाती , मैं मॉं से कहता “मुझे भूख लगी है तो वह जल्द ही रात के रखे हुए बासी पराठे ...Read More

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कर्तव्य - 13

कर्तव्य (13) “बहुत दिनों तक भैया घर पर नहीं आये पिताजी को भी चिंता है और मेरा भी नहीं लग रहा है”अपूर्व भैया ने अपने दोस्त से कहा । तभी अपूर्व भैया ने देखा कि मंझले भैया रिक्शे से उतरे, उनके साथ बेग नहीं था । जब वह उतरे तो एक व्यक्ति का सहयोग लेकर बहुत ही परेशानी से उतरे । उन्हें देख कर सभी आसपास के लोग इकट्ठे हो गए ।उनकी परेशानी देख पड़ौस के चाचा जी उन्हें अस्पताल ले गए,दुकान भी ...Read More

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कर्तव्य - 14

कर्तव्य (14) दो बहिनों का घर बड़े भैया के शहर के ही पास था, भाई-बहन का रक्षाबंधन,भैया दौज और अन्य त्यौहारों पर वह ज़रूर जाते ।उनके घर में सभी उनके आने पर बहुत खुश होते । सभी बच्चे ज़िद करते और करते “बाबा आज हमारे घर रुक जाओ” तो वह कहते“नहीं आज नहीं फिर कभी तुम्हारे पास रुक जाऊँगा, भाभीजी इंतज़ार कर रहीं होंगी । धीरे-धीरे उनका मन लग रहा था और भाभीजी उनका बहुत ख़्याल रखतीं । जब काम पर से आने में देर हो ...Read More

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कर्तव्य - 15 - अंतिम भाग

कर्तव्य (15) देखते ही बच्चे ने आवाज़ दी “दादी,मम्मी जल्दी से आओ।” भाभीजी जी ने दौड़कर तो वह निढाल होकर गिर गये। उन्हें नीचे बिस्तर लगा कर लिटाया, डाक्टर को बुलाया; “माफ़ कीजिएगा इनमें अब कुछ नहीं ।” कहकर डाक्टर साहब चले गये । डाक्टर के अनुसार उन्हें कोई ग़म था जिससे उन्हें हार्ट अटैक हुआ था । उनके चले जाने पर पता लगा कि इतने सालों से भैया सब से छिपाकर बिना बताए, बाहर जाकर जो काम करते थे वह किशनलाल ...Read More