अरे! बाप रे! इतना समय हो गया,मुझे जल्द ही घर भागना पड़ेगा नहीं तो वो मेरी हिटलर दादी इतनी खरी-खोटी सुनाएगी कि मुझे अपनी मरी हुई नानी याद आ जाएगी,फिर इतना सुनातीं हैं कि कलेजा हलक़ तक आने लगता है,शिवन्तिका ने अपनी सहेली सुहासा से कहा।। कितना डरती है तू अपनी दादी से शिवी! सुहासा बोली।। डरना पड़ता है मेरी जान! वो तो उन्होंने स्वतंत्रतासंग्राम की लड़ाई नहीं लड़ी,नहीं तो अंग्रेज कब का भारत छोड़कर चले गए होते,शिवन्तिका बोली।। सच! तेरी दादी इतनी खतरनाक हैं क्या? सुहासा ने पूछा।। खतरनाक़ मत बोल,बहन! बम का गोला हैं....बम का गोला,नही...नहीं...बम का गोला भी कम है...एटम बम कहो...एटम बम...शिवन्तिका ने बड़ी बड़ी आँखें बनाते हुए कहा।। ओहो...तो फिर आज तो तेरी जिन्दगी में वाकई तूफान आने वाला है क्योंकि सच में बहुत देर हो गई है,सुहासा बोली।। तू ही तो है इतनी देर तक पिकनिक मनाती रही,मैं ने कब बोल दिया था कि घर चलते हैं,शिवन्तिका बोली।। चल..झूठी ...कहीं की,तेरा ही मन नहीं हो रहा था पार्क से उठने का,सुहासा बोली।। सही कहती है तू! सच में मेरा घर जाने को जी नहीं चाहता,वो घर नहीं कैदखाना है...कैदखाना,शिवन्तिका बोली।। तुझे सच में,अपने घर में अच्छा नहीं लगता,सुहासा ने पूछा।।
Full Novel
तड़प--भाग(१)
अरे! बाप रे! इतना समय हो गया,मुझे जल्द ही घर भागना पड़ेगा नहीं तो वो मेरी हिटलर दादी इतनी सुनाएगी कि मुझे अपनी मरी हुई नानी याद आ जाएगी,फिर इतना सुनातीं हैं कि कलेजा हलक़ तक आने लगता है,शिवन्तिका ने अपनी सहेली सुहासा से कहा।। कितना डरती है तू अपनी दादी से शिवी! सुहासा बोली।। डरना पड़ता है मेरी जान! वो तो उन्होंने स्वतंत्रतासंग्राम की लड़ाई नहीं लड़ी,नहीं तो अंग्रेज कब का भारत छोड़कर चले गए होते,शिवन्तिका बोली।। सच! तेरी दादी इतनी खतरनाक हैं क्या? सुहासा ने पूछा।। खतरनाक़ मत बोल,बहन! बम का गोला हैं....बम का ...Read More
तड़प--भाग(२)
शिवन्तिका ने रास्ते में सुहासा से कहा.... अच्छा हुआ जो मोटर चल पड़ी नहीं तो जंगल में कैसे बिताते? वो जो भी रहा हो भगवान उसका भला करें,सुहासा बोली।। वो सब तो ठीक है लेकिन दादी को कैसे सम्भालूँगी? शिवन्तिका बोली।। अब ये तो तेरी परेशानी है और तू ही निपट,सुहासा बोली।। वो घर चलकर ही पता लगेगा क्या अब मेरे साथ क्या होने वाला है? क्योंकि आज फिर देर हो गई,शिवन्तिका बोली।। जब रोज रोज की बात है तो इतना क्योंं डरती है? सुहासा बोली।। बस ऐसे ही आदत पड़ गई है ...Read More
तड़प--भाग(३)
मतलब तू उसे पसंद करने लगा है,सियाशरन बोला।। हाँ !यार! वो मुझे अच्छी लगने लगी है,शिवदत्त बोला।। उसका नाम पूछा,सियाशरन ने कहा।। हाँ!शिवन्तिका नाम है उसका,शिवदत्त बोला।। ये तेरे नाम से मिलता जुलता है,सियाशरन बोला।। हाँ!यार! ये तो मैने सोचा ही नहीं,शिवदत्त बोला।। लेकिन यार!वो अच्छे घर से दिखती है और तू मामूली से स्कूल मास्टर का बेटा,सियाशरन बोला।। ये तो तू ठीक कह रहा है यार!शिवदत्त बोला।। लेकिन अब कर भी क्या सकते हैं,इश्क पर किसका जोर चला है आज तक ,वो तो हो ही जाता है,सियाशरन बोला।। तू सही कहता है यार!शिवदत्त बोला।। और ऐसे ...Read More
तड़प--भाग(५)
जब शिवन्तिका होश में आई तो डाक्टर के जाने के बाद अकेले में चित्रलेखा ने शिवन्तिका से पूछा.... आपने ये क्या किया? आपने हमारी दी हुई छूट का नाजायज़ फायद़ा उठाया,हमें आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी शिवन्तिका ! ये आपने क्या किया? अब हम किसे किसे जवाब देते फिरेगें।। लेकिन दादी माँ! मुझे भी बताइएं कि क्या हुआ है? मैं शिवदत्त की खबर पाकर परेशान हो उठी थी इसलिए बेहोश हो गई थी,शिवन्तिका बोली।। आपको पता है कि आप बेहोश क्यों हुईं थीं? चित्रलेखा बोली।। नहीं दादी माँ! शिवन्तिका बोली।। क्योंकि आप माँ बनने वालीं हैं और ...Read More
तड़प--भाग(४)
राजमाता चित्रलेखा का दो टूक जवाब सुनकर शिवन्तिका सहम गई,उसे अब अपनी मौहब्बत ख़तरे में नज़र आ रही थी,उसने कि उसके मन की बात शायद उसकी दादी कभी नहीं समझ पाएंगी,इसलिए उसने टेलीफोन करके फौरन ये बात अपनी सहेली सुहासा से कही,सुहासा बोली.... उन्हें थोड़ा वक्त दे शायद वो तेरी बात समझ जाएं।। लेकिन सुहासा! मुझे नहीं लगता कि दादी कभी भी इस रिश्ते को मानेंगीं,शिवन्तिका बोली।। तेरे पास और कोई चारा भी नहीं है,किससे कहेगी? कौन समझाएगा तेरी दादी को? ना तेरी माँ हैं और ना तेरे पिता,जो इस बात को सम्भाल लेते,तेरी दादी के सिवाय तेरा अपना ...Read More
तड़प--भाग(६)
चित्रलेखा ने वहाँ जाकर देखा तो उसका होटल जलकर खाक हो गया था,अपना माथा पकड़ने के सिवाय उसके पास और चारा नहीं था,उसके दो तीन दिन तो ऐसे ही चिन्ता में बीते,आग लगने का कोई भी कारण पता ना चला,कुछ लोंगों की उसमें जान भी चली गई थी,चित्रलेखा ने उन सब मृतको के परिवार वालों को मुआवजे के रूप में कुछ रकम दी और वो रकम उसने अपने गाँव के खेत और जमीन को गिरवीं रखकर दी थी।। अब उसके पास केवल जेवरात और उस हवेली के कुछ ना बचा था जिसमें वो रहती थी,अब उसे दिन रात ...Read More
तड़प--भाग(७)
शिवम की आवाज़ सुनकर एक पल को शिवदत्त मौन होकर उसे निहारने लगा.... अंकल! आपको सुनाई नहीं दिया क्या? आपसे स्वेटर माँगा,शिवम दोबारा बोला।। वो तो ठीक है नन्हें फरिश्ते लेकिन तुम्हारी माँ कहाँ हैं? तुम अकेले ही बाजार आएं हो,शिवदत्त ने पूछा।। लेकिन मेरी तो माँ ही नहीं है,मैं तो अपनी नानी के संग बाजार आया हूँ,शिवम बोला।। अच्छा! तो फिर तुम्हारी नानी कहाँ हैं?शिवदत्त ने पूछा।। वो मेरे साथ ही आईं हैं,बगल वाली दुकान से कुछ सामान खरीदने लगीं तो मैने सोचा कि मैं ही अपने लिए स्वेटर खरीद लूँ,शिवम बोला।। ओहो..इतने छोटे होकर इतनी बड़ी ...Read More
तड़प--(अन्तिम भाग)
शिवन्तिका मारे खुशी के भाव-विह्वल हो गई,उसने मन में सोचा कि भारत पहुँचकर वो सबसे पहले शिमला जाएगी वीना के पास और अपने शिवम से मिलेगी,अब तो वो बड़ा भी हो गया होगा और खूब बातें भी करने लगा होगा,वो उस रात मारे खुशी के सो ना सकी।। और दूसरे दिन सुबह .... बच्चे अभी नाश्ते की टेबल पर नहीं आए थे तो शिवन्तिका ने विक्रम से कहा.... थैंक्यू! विक्रम जी! और साँरी भी... थैंक्यू और साँरी किसलिए,विक्रम ने पूछा... आप मुझे भारत ले जा रहे हैं इसलिए थैंक्यू और मैं आपको आज तक पति का दर्जा नहीं ...Read More